मंगलवार, 28 फ़रवरी 2023
राहत पैकेज में योगदान
सरकार द्वारा दी जा रही राहत पर एक अर्थशास्त्री की सटीक व्याख्या !
राहत पैकेज को ऐसे समझें।
एक बार 10 मित्र जिनमें कुछ फटेहाल, कुछ ठीक ठाक और कुछ सम्पन्न लग रहे थे, एक ढाबे में खाना खाने गए।
बिल आया 100 रु। 10 रु की थाली थी।
मालिक ने तय किया कि बिल की भागीदारी देश की कर प्रणाली के अनुरूप ही होगी।
इस प्रकार -
पहले 4 बेहद गरीब (बेचारे) .. फ्री
5वाँ गरीब .............1रु
6ठा कम गरीब .........3रु
7वाँ निम्न मध्यम वर्ग ....7रु
8वाँ मध्यम वर्ग .........12रु
9वाँ उच्च वर्ग ...........18रु
10वाँ अति उच्च वर्ग.. 59रु
दसों मित्रों को ये व्यवस्था अच्छी लगी और वो उसी ढाबे में खाने लगे।
कुछ समय तक रोज़ इन दसों को आते देख कर ढाबे का मालिक बोला - "आप लोग मेरे इतने अच्छे ग्राहक हैं सो मैं आप लोगों को टोटल बिल में 20 रु की छूट दे रहा हूँ ।"
अब समस्या ये कि इस छूट का लाभ कैसे दिया जाए सबको? पहले चार तो यूँ भी मुफ़्त में ही खा रहे थे।
एक तरीका ये था कि 20 रु बाकी 6 में बराबर बाँट दें तो भी बात नहीं बन पा रही थी, अगर ऐसा करते तो ऐसी स्थिति में पहले 4 के साथ 5वां भी फ्री हो जाता और 5 वां ₹2.33 और 6ठा ₹0.67 घर भी ले जा सकते थे मुफ्त खाने के अलावा। पर ढाबा-मालिक ने ज़्यादा न्याय संगत तरीका खोजा ।
नयी व्यवस्था में अब पहले 5 मुफ़्त खाने लगे।
6ठा 3 की जगह 2 रु देने लगा... 33%लाभ।
7वां 7 की जगह 5 रु देने लगा...28%लाभ।
8वां 12 की जगह 9 रु देने लगा...25%लाभ
9वां 18 की जगह 14₹ देने लगा...22%लाभ। और
10वां 59 की जगह49₹ देने लगा.. सिर्फ 16%लाभ।
बाहर आकर 6ठा बोला, मुझे तो सिर्फ 1 रु का लाभ मिला जबकि वो पूंजीपति 10 रु का लाभ ले गया।
5वां जो आज मुफ़्त में खा के आया था, बोला वो मुझसे 10 गुना ज़्यादा लाभ ले गया।
7वां बोला , मुझे सिर्फ 2 रु का लाभ और ये उद्योगपति 10 रु ले गया।
पहले 4 बोले, जो कि मुफ्त में खा रहे थे .....अबे तुमको तो फिर भी कुछ मिला हम गरीबों को तो इस छूट का कोई लाभ ही नहीं मिला ।
ये सरकार सिर्फ इस पूंजीपति, उद्योगपति व सम्पन्न व्यक्ति के लिए काम करती है ..मारो ..पीटो ..फूंक दो....इस हरामी को और सबने मिल के दसवें को पीट दिया।
यह सम्पन्न व्यक्ति (10 वां) पिटपिटा के इलाज करवाने सिंगापुर, आस्ट्रेलिया चला गया।
अगले दिन वो ना ही उस ढाबे में खाना खाने आया और न ही लौटकर भारत आया।
और जो 9 थे उनके पास सिर्फ 40 रु थे जबकि बिल 72 रु का था ।
मित्रों अगर हम लोग उन बेचारे सम्पन्न लोगों को यूँ ही पीटेंगे तो हो सकता है वो किसी और ढाबे पर खाना खाने लगे (दूसरे राज्य/ देश में चला जाए) जहां उसे कर व राहत पैकेज प्रणाली हमसे बेहतर मिल जाए।
ये है कहानी हमारे देश के कर प्रणली, बजट व राहत पैकेज की..
मुफ़्त राशन, मुफ़्त शिक्षा, मुफ़्त बिजली पानी मुफ़्त सायकल, मुफ़्त लैपटॉप, मुफ़्त इलाज, मुफ़्त घर....
सरकार मुफ़्तख़ोरी की आदत लगा रही हैं जनता को ... देश ऐसे नहीं चलते...दुनिया में कुछ भी मुफ़्त नहीं मिलता किसी न किसी को तो क़ीमत चुकानी होगी ।
उद्योगपतियों, पूंजीपतियों व करदाताओं को चाहे जितनी गाली दीजिये पर सच्चाई यही है कि इन्हीं करदाताओं के योगदान से देश चल रहा है ।👍
सोचिए, समझिए,
सोमवार, 27 फ़रवरी 2023
शनिवार, 25 फ़रवरी 2023
पंजाब में खालिस्तान
खालिस्तान की राह पर पंजाब
आप सरकार बनने के बाद से नशे की गिरफ्त वाला पंजाब नशे से तो मुक्त नहीं हुआ बल्कि खालिस्तान की राह पर चलता दिखाई दे रहा है। केजरीवाल का यह कथन की पंजाब की सत्ता मिलते ही हम तीन महीने में पंजाब को नशा मुक्त कर देंगे ऐसा ही कथन साबित हुआ जैसे दिल्ली के 500 स्कूल एवम सैंकड़ो मोहल्ला क्लीनिक की घोषणा। चतुर केजरीवाल जानता है की जनता को कैसे बरगलाना चाहिये। भोलेपन का नाटक खूब आता है।
भिंडरावाले ने पंजाब को खालिस्तान बनाने की सोची थी पर बना नहीं सके। उनके बाद दीप सिद्धू ने पंजाब में खालसा राज स्थापित करने की सोची मगर कर न सका। अब कुछ समय से दुबई से पंजाब लौटे अमृतपाल सिंह भी खालिस्तान का सपना सँजोये हुए हैं। उन्होंने वारिस पंजाब दे नामक खालिस्तान समर्थक संगठन की कमान पकड़कर जोर आजमाइश शुरू कर दी है।
अमृतसर के अजनाला में खालिस्तानी सिखों के हथियारबंद भीड़ ने अपने साथी की रिहाई के लिये पुलिस थाने पर धावा बोल दिया। मौके पर पुलिस बल मौजूद होने पर भी भीड़ ने पुलिस जे साथ ही मारकाट मचा दी। पंजाब सरकार की बेरुखी देखो की आठ जिलों का पुलिस बल बुलाकर भी उन्हें बल प्रयोग करने की अनुमति नहीं दी।
बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है ऐसा होना। इन्हीं खालिस्तानी सिखों की एक वीडियो में एक आदमी को पकड़कर उसके हाथ की उंगलियां तलवार से काटते दिखाई दे रहा है। ऐसा लगता है जैसे पंजाब में तालिबान राज आ रहा हो। केजरीवाल की आप पार्टी को वोट देने का नतीज़ा भुगत रही है जनता। इसलिये वोट बहुत सोच समझ कर देना चाहिए। फ्री का चंदन बहुत नुकसान दे रहा है।
सुनील जैन राना
बुधवार, 22 फ़रवरी 2023
बिगड़ते संस्कार
*हिन्दू दूल्हे ये विवाह संस्कार में मुगलों जैसी दाढ़ी क्यों रखकर आते है.....?*
महिलाएं संगीत सन्ध्या के नाम पर भोंडापन क्यों दिखा रही है?
*पीठी, उबटन, सांझी गायन के परम्परागत रीति रिवाजों की जगह एकता कपूर के सीरियल की #मेहंदी और #हल्दी हमने क्यों ज़बरदस्ती पकड़ ली?
तोरण द्वार पर, पाणिग्रहण संस्कार के समय, युवक/युवतियों द्वारा हुल्लड़ क्यों किया जाता है?
*बंदौली में कान फोड़ू "मुन्नी बदनाम.... छत पर सोया बहनोई.." और अन्य अशालीन अभद्र गीत क्यों बज रहे है?*
हम सबको सनातन संस्कृति के अनुरूप होने वाले विवाह संस्कारों, रीति रिवाजों से इतनी एलर्जी क्यों हो गई है कि वो सब बकवास लगने लगे है?
*पण्डित जी से फेरे जल्दी करवाने की जिद करने वाले लोग बैंड बाजे के आगे नाचने में ही समय क्यों बर्बाद करते है।*
आशीर्वाद समारोहों में बड़ी टीवी स्क्रीन पर अपने ही बेटे-बेटी के "प्री वेडिंग शूट" आगन्तुकों को क्यों दिखाए जा रहे हैं?
*प्री वेडिंग शूट के नाम पर विवाह पूर्व इस तरह की स्वतंत्रता क्यों दी जा रही है?*
उन फोटोज को सार्वजनिक प्रदर्शनी के रूप में क्यो लगाए जा रहे है?
स्टेज पर बड़े बुजुर्गों को भी कैमरामैन/ डांस टीचर ठुमके क्यों लगवा रहे है?
उनसे असभ्य हरकते क्यों करवाई जा रही है?
*भोज में दिखावा क्यों किया जा रहा है?*
और भी बहुत कुछ ऐसा हो रहा है जो हिन्दू समाज को पथभ्रष्ट करने हेतु काफी है।
परिवार, समाज सब पतनशील हो गए है, कोई समझाता क्यों नहीं?
महिलाएं गीत भूल गई है, पुरुष परम्पराओं का तर्पण कर चुके है।
*किसको फॉलो करते हो ? क्या हमारे आराध्य/ईश्वर, देवी देवताओं के दाढ़ियां लटकती है?*
क्या हमारे शास्त्रों, पौराणिक ग्रंथों में ऐसे विवाह समारोहों का वर्णन है?
*हमें वैचारिक/मानसिक रूप से धर्मभ्रष्ट किया जा रहा है, हम इसे खुशी-खुशी स्वीकार कर चुके है.....!*
परिणाम खतरनाक हो रहे है, और होंगे....
बच सकते हो तो बच जाओ।
आओ सनातनी संस्कृति संस्कारों को बनाये रखने संकल्प ले।
पाणिग्रहण जीवन का सबसे बड़ा संस्कार है।
*कुटुंब प्रबोधन* 🪷⛳🙏🚩⚔️
धर्म की जय हो अधर्मी का नाश हो।
रविवार, 19 फ़रवरी 2023
पाकिस्तान
पाकिस्तान को खा गए उसके आका
पड़ोसी मुल्क पाकिस्तान जो आज़ादी के बाद बटवारें में इस्लामिक मुल्क बना आज बदहाली, कंगाली की तरफ चला गया है। खुद पाकिस्तान के आकाओं ने खा डाला है पाकिस्तान को। तख्तापलट और सरकारी संसाधनों पर भ्रष्टाचार करना पाकिस्तान के नेताओ ओर सेना का जन्मसिद्ध अधिकार लगता है। एक को सत्ता से हटाकर खुद कब्जा करना, फिर पहले वाले को षड्यंत्र कर जेल भेजना और फिर खुद भी उन्ही परिस्थितियों से गुजरना पाकिस्तान के प्रधानमंत्रियों नियति बन गई है।फिर भी जनता मूर्ख बनी इनके पीछे लगी रहती है।
हाल ही में पाकिस्तान का जो हाल हो गया है वह सब इनके आकाओं के कारण ही हो रहा है। आका लोग जमकर लूट में लगे हैं। बाहर से आई इमदाद को जनता पर खर्च न कर बंदरबांट कर रहे हैं। अब आलम यह हो गया है की पाकिस्तान की जनता को खाने के लिये आटा तक उपलब्ध नहीं हो पा रहा है। फिर भी वहां के पीएम शहबाज़ शरीफ़ बाहर से मिली इमदाद से पहले अपने सांसदों को नई-नई गाड़ियां आदि दिला रहे हैं। बड़े - बड़े डेलिगेशन लेकर भीख मांगने विदेश जा रहे हैं और वहां से बेइज्जत होकर वापस आ रहे हैं।
पाकिस्तान की सेना की क्या बात करें? सेनाध्यक्ष बड़े-बड़े मेडल लगाकर घूमते हैं, पता नहीं किस बात के? पाकिस्तान ने तीन युद्ध भारत से लड़े, तीनों में हारे। फिर भी ये मेडल किस बात को दर्शाते हैं? अपने को एटमी मुल्क बताकर मुशर्रफ ने पाकिस्तान को इस्लामिक मुल्कों का नेता बनाने की नाकामयाब कोशिश की। भारत को डराया, कांग्रेस की सरकार पाकिस्तान से डरकर भी रही। पाकिस्तान के सेना सुरक्षा का कार्य कम उद्योग धंधों में ज्यादा लगी है। बताया जाता है कि पाकिस्तान के अधिकांश बड़े उद्योग सेना के पास हैं। ऐसे में कोई देश कैसे आगे बढ़ सकता है।
इमरान खान ने गधे बेचकर पाकिस्तान चलाना चाहा और अब शहबाज़ शरीफ़ अपने कपड़े बेचकर पाकिस्तानियों को आटा देने की बात करते हैं लेकिन भूखे पाकिस्तान को बरगलाने को रोज नए- नए कपड़े पहनते हैं। विदेशों में ऐशोआराम के साथ डेलिगेशन लेकर भीख मांगने जाते हैं।
इतने पर भी पाक अपनी हरकतों से बाज़ नहीं आ रहा। भारत मे ड्रग तस्करी, आतंकी भेजने से आज भी कमीं नहीं है। पाकिस्तान के पीओके आदि कुछ राज्यों में विद्रोह हो रहा है, मोदी- मोदी हो रहा है। वहां की जनता मोदीजी जैसा नेता चाहती है जो ईमानदारी के साथ देश को संभाले और आगे बढायें।
सुनील जैन राना
बुधवार, 15 फ़रवरी 2023
21वी सदी का धर्म
_*२१ वी शताब्दी का धर्म होगा : जैन धर्म !*_
_*लेखक : श्री मुजफ्फर हुसैन, मुंबई !*_
_*हम यहां कर्मकांड के रूप में नहीं, बल्कि दर्शन के आधार पर यह कहना चाहेंगे कि २१ वीं शताब्दी का धर्म जैन धर्म होगा ! इसकी कल्पना किसी सामान्य आदमी ने नहीं की है बल्कि ज्योर्ज़ बर्नार्ड शा ने कहा है कि यदि मेरा दूसरा जन्म हो तो मैं जैन धर्म में पैदा होना चाहता हूॅं ।*_
_*रेवरेंड तो यहाॅं तक कहता हैं कि दुनिया का पहला मजहब जैन था । और अंतिम मजहब भी जैन होगा । बार्ल्ट यू एस एस के दार्शनिक मोराइस का तो यहां तक कहना है कि यदि जैन धर्म को दुनिया ने अपनाया होता तो यह दुनिया और भी बड़ी खूबसूरत होती ।*_
_*जैन धर्म.... धर्म नहीं जीने का दर्शन है । सरल भाषा में मैं कहूॅं तो यह खुला विश्वविद्यालय है । आपको जीवन का जो पहलू चाहिए वह यहाॅं मिल जाएगा । दर्शन ही नहीं बल्कि संस्कृति, कला, संगीत एवं भाषा का यह अद्भूत संगम है। जैन तीर्थंकरोंने संस्कृत को अपनाकर पाली और प्राकृत, अर्ध-मागधी, को अपनाया क्योंकि वे जैन दर्शन को विद्वानों तक सीमित नहीं रखना चाहते थे, बल्कि सामान्य आदमी तक पहुॅंचे और उसके जीवन का कल्याण करें ।*_
_*दुनिया के सभी धर्मों ने अपने चिन्ह तय किए है । इसमें कुछ हथियारों के रूप में है तो कुछ आकाश में चमकने वाले चाॅंद - सूरज के रूप में है ! २४ तीर्थंकरों में से एक भी तीर्थंकर ऐसा नहीं दिखलाई पड़ता जिनके पास धनुष हो, बाण हो, गदा हो अथवा त्रिशूल हो । हथियारों से लैस, दुनिया का राजा अपनी शानो शौकत से अपना दबदबा बनाए रखने में अपनी महानता समझते थे, लेकिन यहाॅं तो ईश्वर के बनाए हुए पशु पक्षी अथवा जलचर प्राणी उनके साथ है ।*_
_*इंसान ने सुविधा के लिए घोड़े, हाथी, गरूड , मोर और न जाने किन-किन को अपनी 'सवारी' बनाया लेकिन जैन तीर्थंकर तो किसी को कष्ट नहीं देना चाहते हैं । वे अपने पाॅंव के बल पर सारी दुनिया को लांघते हैं और प्रकृति के भेद को जानने की कोशिश करते है। रहने को घर नहीं, खाने को कोई स्थाई व्यवस्था नहीं लेकिन फिर भी दुनिया के कष्टों का निवारण करने के लिए अपनी साधना में कोई कमी नहीं आने देते है'।*_
_*हर वाद ने व्यक्ति को छोटा कर दिया है ! लेकिन हम देखते है कि जैन धर्म में जैन विचार ने मनुष्य को सबसे महान बना दिया है ।*_
_*दुनिया के अन्य धर्म मनुष्य को सामाजिक प्राणी बनाकर उसे जीवन यापन करने के लिए लाचार बना देते हैं लेकिन यहाॅं तो जैन धर्म में मनुष्य की अपनी स्वतंत्रता सर्वोपरि है।*_
_*जैन दर्शन में हिंसा पराजित करने में तीन 'अ' का महत्व है। ये है अहिंसा, अनेकांतवाद और अपरिग्रह । तीनों एक दूसरे से जुड़े हैं । वे अलग नहीं हो सकते ।*_
_*भारत में न जीत सकने वाला सिकंदर जब एथेंस लौट रहा था तो उससे एक जैन साधु ने कहा था कि दुनिया को जीतने वाले काश तुम अपने आप को जीत सकते ! जैन साधु सिकंदर के साथ एथेंस गए थे ।*_
_*दिगम्बर जैन साधु कल्याण मुनि सिकंदर के बाद ही एथेंस में वर्षों तक लोगों को अहिंसा का संदेश देते रहे । एथेंस में सब कुछ बदल गया, लेकिन आज भी वहाॅं उन जैन साधु की प्रतिमा लगी हुई है ।*_
_*प्लेटो और एरिस्टोटल का एथेंस इतना प्रभावित हुआ कि पाइथागोरस जैसा महान गणितज्ञ यह कहने लगा कि मैं जैन धर्म का फैन हो गया हूॅं ।*_
_*२१ वी शताब्दी पानी के संकट की शताब्दी बनने वाली है । जैन मुनि तो कम पानी पीकर अपना काम चला लेते है, लेकिन हम जैसे लोग क्या करेंगे ? उसका मूल मंत्र है शाकाहार !*_
_*२१ वी शताब्दी में नारी स्वतंत्रता की बात की जाती है ! जैन धर्म में झांक कर देखो तो जैन साध्वियों को कितना बड़ा सम्मान मिलता है । वे पूजनीय है । धर्म को पढ़ाती है, सिखलाती है ।*_
_*दासी और भोगिनी को साध्वी बना देने का चमत्कार केवल जैन धर्म ने किया है समानता और स्वतंत्रता के साथ उनका स्वाभिमान स्थापित किया है।*_
_*जैन धर्म का भेदविज्ञान को साध्वी बना देने का चमत्कार केवल जैन धर्म ने किया है। समानता और स्वतंत्रता के साथ उनका स्वाभिमान स्थापित किया है ।*_
_*जैन धर्म का भेदविज्ञान आत्मा और शरीर को अलग कर देने वाला बहुत पुराना विज्ञान है । आत्मा ही तो एटम है । और समस्त दुनिया में शक्ति का संचार करती है ।*_
_*यदि आप अध्यात्म के आधार पर इसका विचार करते हैं तो फिर आपको जैन दर्शन की ओर लौटना पड़ेगा। नागरिकता और राष्ट्रीयता इन दिनों हर देश के मानव का आधार है। लेकिन जब तक समानता और स्वतंत्रता नहीं मिलती यह शब्द खोखले मालूम पड़ते हैं । मनुष्य के कष्टों का निवारण अंतर्राष्ट्रीय आधार पर उसका उद्धार केवल अनेकांतमयी जैन दर्शन के माध्यम से ही संभव है।*_
_*साभार : वीतराग वाणी*_
_*लेखक : मुजफ्फर हुसैन, मुंबई*_
_*संपर्क :*_
_*0 9 8 1 9 18 6 8 6 6*_
_*० ९ ८ १ ९ १ ८ ६ ८ ६ ६*_
_*फोन नंबर*_
_*0 2 2 - 2 9 1 7 0 9 9 0*_
_*० २ २ -२ ९ १ ७ ९ ९ ०*_
_*ईमेल आईडी : m.hussain1945@yahoo. com*_
_*श्री. मुजफ्फर हुसैन जी पूर्णतः शाकाहारी, जैन धर्म के प्रख़र समर्थक और अंतर्राष्ट्रीय पत्रकार है।*_ ♏
मंगलवार, 14 फ़रवरी 2023
घरेलू उपाय
*👉बहुमूल्य शरीर को खत्म कर रहा स्वयं का दुराचार ।*
*नाज़ुक अंगो को घायल कर रहा आपका कठोर व्यवहार ।।*
1- *आमाशय* घायल होता है जब आप प्रातः काल अल्पाहार नही करते हैं।
2- *किडनी* घायल होती है जब आप 24 घण्टे में 10 गिलास पानी नही पीते ।
3- *पित्ताशय* घायल होता है जब आप रात्रि 11 बजे तक सोते नही है और सूर्योदय से पूर्व जागते नही हैं।
4- *छोटी आंत* घायल होती है जब आप ठंडा और बासी भोजन करते हैं।
5- *बड़ी आंत* घायल होती है जब आप बहुत तला भुना और मसालेदार भोजन करते हैं।
6- *फेफड़े* घायल होते हैं जब आप सिगरेट,और धुयें आदि से प्रदूषित वातावरण में सांस लेते हैं।
7- *लिवर* घायल होता है जब आप बहुत भारी जंक, फ़ास्ट फ़ूड खाते हैं।
8- *हृदय* घायल होता है जब आप अपने भोजन में अधिक नमक और केमिकल रिफाइंड तेल खाते हैं।
9- *अग्न्याशय* घायल होता है जब आप मीठी चीजे ज्यादा मात्रा में खाते हैं क्योंकि वो स्वादिष्ट और सहज उपलब्ध हैं।
10- *आँखें* घायल होती हैं जब आप कम प्रकाश में मोबाईल और कम्प्यूटर स्क्रीन पर काम करते हैं।
11- *मस्तिष्क* घायल होता है जब आप नकारात्मक सोचने लगते हैं।
12- *आत्मा* घायल होती है जब आप नैतिकता के विरुद्ध कार्य करते हैं।
*👉यह सभी अंग बाजार में उपलब्ध नही हैं। अच्छी तरह से देखभाल कर अपने को स्वस्थ रखिये।*
*🌸हम बदलेंगे,युग बदलेगा।*🌸
🙏🏻 *जीवन रक्षक*🙏
घर का भोजन ही श्रेष्ठ है
*अमेरिका में रसोई में भोजन बनाना छोड़ने का दुष्परिणाम*
अमेरिका में क्या हुआ जब घर में खाना बनाना बंद हो गया ?
1980 के दशक के प्रसिद्ध अमेरिकी अर्थशास्त्रियों ने अमेरिकी लोगों को चेतावनी कि यदि वे परिवार में आर्डर देकर बाहर से भोजन मंगवाऐंगे तो देश मे परिवार व्यवस्था धीरे धीरे समाप्त हो जाएगी।
साथ ही दूसरी चेतावनी दी कि यदि उन्होंने बच्चों का पालन पोषण घर के सदस्यो के स्थान पर बाहर से पालन पोषण की व्यवस्था की तो यह भी बच्चो के मानसिक विकास व परिवार के लिए घातक होगा।
लेकिन बहुत कम लोगों ने उनकी सलाह मानी। घर में खाना बनाना लगभग बंद हो गया है, और बाहर से खाना मंगवाने की आदत (यह अब नॉर्मल है), अमेरिकी परिवारों के विलुप्त होने का कारण बनी है जैसा कि विशेषज्ञों ने चेतावनी दी थी।
घर मे खाना बनाना मतलब परिवार के सदस्यों के साथ प्यार से जुड़ना।
*पाक कला मात्र अकेले खाना बनाना नहीं है। बल्कि केंद्र बिंदु है, पारिवारिक संस्कृति का।*
घर मे अगर कोई किचन नहीं है , बस एक बेडरूम है, तो यह घर नहीं है, यह एक हॉस्टल है।
*अब उन अमेरिकी परिवारों के बारे में जाने जिन्होंने अपनी रसोई बंद कर दी और सोचा कि अकेले बेडरूम ही काफी है?*
1-1971 में, लगभग 72% अमेरिकी परिवारों में एक पति और पत्नी थे, जो अपने बच्चों के साथ रह रहे थे।
2020 तक, यह आंकडा 22% पर आ गया है।
2-पहले साथ रहने वाले परिवार अब नर्सिंग होम (वृद्धाश्रम) में रहने लगे हैं।
3-अमेरिका में, 15% महिलाएं एकल महिला परिवार के रुप में रहती हैं।
4-12% पुरुष भी एकल परिवार के रूप में रहते हैं।
5-अमेरिका में 19% घर या तो अकेले रहने वाले पिता या माता के स्वामित्व में हैं।
6-अमेरिका में आज पैदा होने वाले सभी बच्चों में से 38% अविवाहित महिलाओं से पैदा होते हैं।उनमें से आधी लड़कियां हैं, जो बिना परिवारिक संरक्षण के अबोध उम्र मे ही शारीरिक शोषण का शिकार हो जाती है ।
7-संयुक्त राज्य अमेरिका में लगभग 52% पहली शादियां तलाक में परिवर्तित होती हैं।
8- 67% दूसरी शादियां भी समस्याग्रस्त हैं।
अगर किचन नहीं है और सिर्फ बेडरूम है तो वह पूरा घर नहीं है।
संयुक्त राज्य अमेरिका विवाह की संस्था के टूटने का एक उदाहरण है।
*हमारे आधुनिकतावादी भी अमेरिका की तरह दुकानों से या आनलाईन भोजन ख़रीदने की वकालत कर रहे हैं और खुश हो रहे हैं कि भोजन बनाने की समस्या से हम मुक्त हो गए हैं। इस कारण भारत में भी परिवार धीरे-धीरे अमेरिकी परिवारों की तरह नष्ट हो रहे हैं।*
जब परिवार नष्ट होते हैं तो मानसिक और शारीरिक दोनों ही स्वास्थ्य बिगड़ते हैं। बाहर का खाना खाने से अनावश्यक खर्च के अलावा शरीर मोटा और संक्रमण के प्रति संवेदनशील और बिमारीयों का घर हो जाता है।
शारीरिक स्वास्थ्य और मानसिक स्वास्थ्य किसी भी देश की अर्थव्यवस्था के लिए आवश्यक है।
*इसलिए हमारे घर के बड़े-बूढ़े लोग, हमें बाहर के खाने से बचने की सलाह देते थे*
लेकिन आज हम अपने परिवार के साथ रेस्टोरेंट में खाना खाते हैं...",
स्विगी और ज़ोमैटो के माध्यम से अजनबियों द्वारा पकाए गए( विभिन्न कैमिकल युक्त) भोजन को ऑनलाइन ऑर्डर करना और खाना, उच्च शिक्षित, मध्यवर्गीय लोगों के बीच भी फैशन बनता जा रहा है।
दीर्घकालिक आपदा होगी ये आदत...
*आज हमारा खाना हम तय नही कर रहे उलटे ऑनलाइन कंपनियां विज्ञापन के माध्यम से मनोवैज्ञानिक रूप से तय करती हैं कि हमें क्या खाना चाहिए...*
हमारे पूर्वज निरोगी और दिर्घायु इस लिए थे कि वो घर क्या ...यात्रा पर जाने से पहले भी घर का बना ताजा खाना बनाकर ही ले जाते थे ।
*इसलिए घर में ही बनाएं और मिल-जुलकर खाएं । पौष्टिक भोजन के अलावा, इसमें प्रेम और स्नेह निहित है।*
मंगलवार, 7 फ़रवरी 2023
शनिवार, 4 फ़रवरी 2023
मूर्ति पूजा
🌹 *आस्था* 🌹
*किसी धर्म सभा में एक बार एक कुटिल और दुष्ट व्यक्ति , मूर्ति पूजा का उपहास कर रहा था...!!*
*कह रहा था “मूर्ख लोग मूर्ति पूजा करते हैं . एक पत्थर को पूजते हैं. पत्थर तो निर्जीव है. जैसे कोई भी पत्थर. हम तो पत्थरों पर पैर रख कर चलते हैं. सिर्फ मुखड़ा बना कर पता नही क्या हो जाता है उस निर्जीव पत्थर पर, जो पूजा करते हैं...?”*
*पूरी सभा उसकी हाँ में हाँ मिला रही थी...!!*
*स्वामी विवेकानन्द भी उस सभा में थे . कुछ टिप्पणी नहीं की . बस सभा ख़त्म होने के समय इतना कहा कि अगर आप के पास आप के पिताजी की फोटो हो तो कल सभा में लाइयेगा .*
*दूसरे दिन वह व्यक्ति अपने पिता की फ्रेम की हुयी बड़ी तस्वीर ले आया . उचित समय पाकर स्वामी जी ने उससे तस्वीर ली , ज़मीन पर रखा और उस व्यक्ति से कहा , "इस तस्वीर पर थूकिये”. आदमी भौचक्का रह गया ! गुस्साने लगा . बोला , ये मेरे पिता की तस्वीर है , मैं इस पर कैसे थूक सकता हूँ ?”*
*स्वामी जी ने कहा, "तो पैर से छूइए”. वह व्यक्ति आगबबूला हो गया . "कैसे आप यह कहने की धृष्टता कर सकते हैं कि मैं अपने पिता की तस्वीर का अपमान करूं...?”*
*“लेकिन यह तो निर्जीव कागज़ का टुकड़ा है”. स्वामी जी ने कहा , तमाम कागज़ के टुकड़े हम पैरों तले रौंदते हैं....!!*
*लेकिन यह तो मेरे पिता जी तस्वीर है . कागज़ का टुकड़ा नहीं ! इन्हें मैं पिता ही देखता हूँ .” उस व्यक्ति ने जोर देते हुए कहा . "इनका अपमान मैं बर्दाश्त नहीं कर सकता...!!"*
*हंसते हुए स्वामीजी बोले, "हम हिन्दू भी मूर्तियों में अपने भगवान् को ही देखते हैं, इसीलिए पूजते हैं ."*
*पूरी सभा मंत्रमुग्ध होकर स्वामीजी कि तरफ देखने लगी...!!*
*समझाने का इससे सरल और अच्छा तरीका क्या हो सकता है...?*
*मूर्ति पूजा , द्वैतवाद के सिद्धांत पर आधारित है . ब्रह्म की उपासना सरल नहीं होती , क्योंकि उसे देख नहीं सकते . ऋषि मुनि ध्यान करते थे . उन्हें मूर्तियों की ज़रूरत नहीं पड़ती थी...!!*
*आँखे बंद करके समाधि में बैठते थे . वह दूसरा ही समय था . अब उस तरह के व्यक्ति नहीं रहे जो निराकार ब्रह्म की उपासना कर सकें ! ध्यान लगा सकें !*
*इसलिए अपने इष्ट अराध्य की आकृति सामने रख कर ध्यान केन्द्रित करते हैं. भावों में ब्रह्म को अनेक देवी देवताओं के रूप में देखते हैं . भक्ति में तल्लीन होते हैं . तो क्या मूर्ति पूजक ठीक नहीं करते हैं...??*
*माता पिता की अनुपस्थिति में जब हम उन्हें प्रणाम करते हैं , तब उनके चेहरे को ध्यान में रखकर ही प्रणाम करते हैं .चेहरा साकार होता है हमारी भावनाओं को देवियों देवताओं की भक्ति में ओत प्रोत कर देता है...!!*
*मूर्ति पूजा इसीलिए करते हैं कि हमारी भावनाएं पवित्र रहें..!! उस तस्वीर में हमारी सचेतन आस्था समाहित होती है !*
शुक्रवार, 3 फ़रवरी 2023
कूटने की परंपरा
🍂कूटने की परम्परा ✧😅😅
कल एक बुजुर्ग से एक आदमी ने पूछा, कि
पहले इतने लोग बीमार नहीं होते थे,
जितने आज हो रहे हैं...?
तो बुजुर्ग ने अपने तजुर्बे से बोला ~
भाईजी ! पहले कूटने की परंपरा थी,
जिससे इम्यूनिटी पावर मजबूत रहता था....
★ *पहले हम हर चीज को कूटते थे*. ★
*जब से हमने कूटना छोड़ा है, तब से*
*हम सब बीमार होने लग गए*.🍂
*जैसे* ... *पहले खेत से अनाज को*
*कूट कर घर लाते थे*.
*घर में मिर्च मसाला कूटते थे*,🍂
*कभी-कभी तो बड़ा भाई भी*
*छोटे को कूट देता था, और जब*
*छोटा भाई उसकी शिकायत*
*माँ से करता था, तो माँ*
*बड़े भाई को कूट देती थी*.
🍂 *और कभी-कभी तो दादाजी भी*
*पोते को कूट देते थे*.
*यानी कुल मिलाकर .... दिन भर*
*कूटने का काम चलता रहता था*.
*कभी माँ , बाजरा कूट कर*
*शाम को खिचड़ी बनाती*.🍂
*पहले हम कपड़े भी कूट कर धोते थे*.
*स्कूल में मास्टरजी भी कूटते थे*.
*जहाँ देखो वहाँ पर कूटने का काम*
*चलता रहता था, इसीलिए*
🍂 *बीमारी नजदीक नहीं आती थी*.
*सबका इम्यूनिटी पावर*
*मजबूत रहता था*.
*जब कभी बच्चा सर्दी में*
*नहाने से मना करता था*,
*तो माँ , पहले कूटकर*
*उसका इम्यूनिटी पावर बढ़ाती थी*,
*और फिर नहलाती थी*.
★
*वर्तमान समय में*
*इम्यूनिटी पावर बढ़ाने के लिए*
*कूटने की परंपरा*
*फिर से चालू होनी चाहिए।
गुरुवार, 2 फ़रवरी 2023
मोदीजी का विरोध क्यों
*प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदीजी का विरोधी कौन है और क्यों....?
नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो (एनसीबी) ने अब तक 80 हजार किलोग्राम मादक पदार्थ जब्त कर नष्ट किया है, जिसकी कीमत 8 लाख करोड़ रुपये है। जिन लोगों ने इतना पैसा खोया है, वे केवल मोदी जी से ही नफरत करेंगे।
ईडी ने अब तक भ्रष्ट लोगों से 1,20,000 करोड़ रुपए का काला धन पकड़ा है। जिनका काला धन लूटा गया है, वे मोदी से नफ़रत नहीं करेंगे तो क्या करेंगे?
मोदी जी ने फाइजर और मॉडर्ना जैसी अमेरिकी कंपनियों से कोरोना वैक्सीन नहीं मंगवाई। उन्होंने भारत में ही स्वदेशी वैक्सीन बनाई और इस तरह अमेरिकी कंपनियों के भारी कारोबार करने की संभावना को खत्म कर दिया।
मोदी जी योग, आयुर्वेद, पौष्टिक आहार और बीमारियों से बचाव पर ज्यादा ध्यान दे रहे हैं। ऐसे में अंतरराष्ट्रीय ड्रग लॉबी मोदी जी से नफरत नहीं करेगी तो क्या करेगी?
मोदी जी ने हथियारों के सौदागरों से हथियार खरीदना बंद कर दिया और सीधे फ्रांस से राफेल खरीदा। मोदी जी ने भारत में ही रक्षा उपकरण बनाना शुरू कर दिया और रक्षा खरीद कम कर दी। वो सुपर पावरफुल इंटरनेशनल डिफेंस लॉबी मोदी जी से नफरत क्यों नहीं करेगी?
मोदी जी ने मध्य-पूर्व के देशों से महंगा तेल लेना बंद कर दिया और बड़ी मात्रा में रूस से सस्ता तेल लेना शुरू कर दिया। वह मध्य पूर्व का तेल माफिया मोदी जी से नफरत क्यों नहीं करेगा?
मोदी जी उस सड़ी हुई व्यवस्था को साफ कर रहे हैं जिसकी जड़ें भारत में गहरी हैं। 75 साल तक देश का खून चूसने वाले भ्रष्टाचारी मोदी जी के खिलाफ एक हो गए हैं। मोदी जी को रोकने के लिए ये कुछ भी कर सकते हैं।
दुनिया में तीन ताकतवर लॉबी का राज-*
*1. रक्षा लॉबी*
*2. तेल लॉबी *
*3. मेडिसिन लॉबी*
मोदी जी इन तीनों लॉबी के खिलाफ एक साथ लड़ रहे हैं। अब आप समझ सकते हैं कि ये सभी मोदी जी से इतनी नफरत क्यों करते हैं।
*मोदी जी को एक कार्यकाल और दे दो, तो ये भ्रष्टाचारी खत्म हो जाएंगे। मोदी जी की एक ही ताकत है और वो है भारत की जनता। मोदी जी के साथ मजबूती से खड़े रहें।
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