शुक्रवार, 3 फ़रवरी 2023

कूटने की परंपरा

🍂कूटने की परम्परा ✧😅😅 कल एक बुजुर्ग से एक आदमी ने पूछा, कि पहले इतने लोग बीमार नहीं होते थे, जितने आज हो रहे हैं...? तो बुजुर्ग ने अपने तजुर्बे से बोला ~ भाईजी ! पहले कूटने की परंपरा थी, जिससे इम्यूनिटी पावर मजबूत रहता था.... ★ *पहले हम हर चीज को कूटते थे*. ★ *जब से हमने कूटना छोड़ा है, तब से* *हम सब बीमार होने लग गए*.🍂 *जैसे* ... *पहले खेत से अनाज को* *कूट कर घर लाते थे*. *घर में मिर्च मसाला कूटते थे*,🍂 *कभी-कभी तो बड़ा भाई भी* *छोटे को कूट देता था, और जब* *छोटा भाई उसकी शिकायत* *माँ से करता था, तो माँ* *बड़े भाई को कूट देती थी*. 🍂 *और कभी-कभी तो दादाजी भी* *पोते को कूट देते थे*. *यानी कुल मिलाकर .... दिन भर* *कूटने का काम चलता रहता था*. *कभी माँ , बाजरा कूट कर* *शाम को खिचड़ी बनाती*.🍂 *पहले हम कपड़े भी कूट कर धोते थे*. *स्कूल में मास्टरजी भी कूटते थे*. *जहाँ देखो वहाँ पर कूटने का काम* *चलता रहता था, इसीलिए* 🍂 *बीमारी नजदीक नहीं आती थी*. *सबका इम्यूनिटी पावर* *मजबूत रहता था*. *जब कभी बच्चा सर्दी में* *नहाने से मना करता था*, *तो माँ , पहले कूटकर* *उसका इम्यूनिटी पावर बढ़ाती थी*, *और फिर नहलाती थी*. ★ *वर्तमान समय में* *इम्यूनिटी पावर बढ़ाने के लिए* *कूटने की परंपरा* *फिर से चालू होनी चाहिए।

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