सोमवार, 3 अक्तूबर 2022
पुरानी बातें भूले हम
*गाँव बेचकर शहर खरीदा, कीमत बड़ी चुकाई है।*
*जीवन के उल्लास बेच के, खरीदी हमने तन्हाई है।*
*👉🏻बेचा है ईमान धरम तब, घर में शानो शौकत आई है।*
*संतोष बेच, तृष्णा खरीदी, देखो कितनी मंहगाई है।।*
*बीघा बेच स्कवायर फीट खरीदा, ये कैसी सौदाई है।*
*संयुक्त परिवार के वट वृक्ष से टूटी, ये पीढ़ी मुरझाई है।।*
*👉🏻रिश्तों में है भरी चालाकी, हर बात में दिखती चतुराई है।*
*कहीं गुम हो गई मिठास, जीवन से, हर जगह कड़वाहट भर आई है।।*
*रस्सी की बुनी खाट बेच दी, मैट्रेस ने जगह बनाई है*।
*अचार, मुरब्बे को धकेल कर, शो केस में सजी दवाई है।।*
*माटी की सोंधी महक बेच के, रुम स्प्रे की खुशबू पाई है।*
*मिट्टी का चुल्हा बेच दिया, आज गैस पे बेस्वाद सी खीर बनाई है।।*
*पांच पैसे का लेमनचूस बेचा, तब कैडबरी हमने पाई है।*
👉🏻 *बेच दिया भोलापन अपना, फिर मक्कारी पाई है।।*
*सैलून में अब बाल कट रहे, कहाँ घूमता घर- घर नाई है।*
*दोपहर में अम्मा के संग, गप्प मारने क्या कोई आती चाची ताई है।।*
*मलाई बरफ के गोले बिक गये, तब कोक की बोतल आई है।*
*मिट्टी के कितने घड़े बिक गये, तब फ्रिज में ठंढक आई है ।।*
*खपरैल बेच फॉल्स सीलिंग खरीदा, हमने अपनी नींद उड़ाई है।*
*बरकत के कई दीये बुझा कर, रौशनी बल्बों में आई है।।*
*गोबर से लिपे फर्श बेच दिये, तब टाईल्स में चमक आई है।*
*देहरी से गौ माता बेची, फिर संग लेटे कुत्ते ने पूँछ हिलाई है ।।*
👉🏻 *बेच दिये संस्कार सभी, और खरीदी हमने बेहयाई है।*
*ब्लड प्रेशर, शुगर ने तो अब, हर घर में ली अंगड़ाई है।।*
*दादी नानी की कहानियां हुईं झूठी, वेब सीरीज ने जगह बनाई है।*
*बहुत तनाव है जीवन में, ये कह के दो पैग लगाई है।।*
*👉🏻खोखले हुए हैं रिश्ते सारे, नहीं बची उनमें सच्चाई है।।*
👉🏻 *चमक रहे हैं बदन सभी के, दिल पे जमी गहरी काई है।*
*गाँव बेच कर शहर खरीदा, कीमत बड़ी चुकाई है।।*
*जीवन के उल्लास बेच के, खरीदी हमने तन्हाई है।
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