शुक्रवार, 21 अक्तूबर 2022

सिर्फ आलोचना ठीक नहीं

*"हिजड़ों ने भाषण दिए लिंग-बोध पर,* *वेश्याओं ने कविता पढ़ी आत्म-शोध पर"।* *महिलाओं का दैहिक शोषण करने वाले नेता ने भाषण दिया नारी अस्मिता पर।* *भ्रष्ट अधिकारियों ने शुचिता और पारदर्शिता पर उद्बोधन दिया विश्वविद्यालय मैं कभी ना पढ़ाने वाले प्रोफेसर कर्म योग पर व्याख्यान दे रहे हैं।* असल मे दोष इनका नहीं है। *इस देश की प्रजा प्रधानमंत्री को मंदिर में पूजा करते देखने की आदी नहीं है।* *इस देश ने एडविना माउंटबेटन की कमर में हाथ डाल कर नाचते प्रधानमंत्री को देखा है।* इस देश ने *मजारों पर चादर चढ़ाते प्रधानमंत्री को देखा है।* यह जनता *प्रधानमंत्री को* *पार्टी अध्यक्ष के सामने नतमस्तक होते देखती आयी है। मंदिर में भगवान के समक्ष नतमस्तक प्रधानमंत्री को लोग कैसे सहन करें ?* बिहार के *एक बिना अखबार के पत्रकार मंदिर से निकल कर सूर्य को प्रणाम करते प्रधानमंत्री का उपहास उड़ा रहे हैं।* एक महान लेखक जिनका सबसे बड़ा प्रशंसक भी उनकी चार किताबों का नाम नहीं जानता, *प्रधानमंत्री के भगवा चादर की आलोचना कर रहे हैं।* एक कवियित्री जो अपनी कविता से अधिक मंच पर चढ़ने के पूर्व सवा घण्टे तक मेकप करने के लिए जानी जाती हैं, *प्रधानमंत्री के पहाड़ी परिधान की आलोचना कर रही हैं।* भारत के इतिहास में आलोचना कभी इतनी निर्लज्ज नहीं रही, ना ही बुद्धिजीविता इतनी लज्जाहीन हुई कि *गांधीवाद के स्वघोषित योद्धा भी* *बंगाल की हिंसा के लिए ममता बनर्जी का समर्थन करें।* क्या कोई व्यक्ति इतना हताश हो सकता है कि किसी की पूजा की आलोचना करे ? *क्या इस देश का प्रधानमंत्री अपनी आस्था के अनुसार ईश्वर की आराधना भी नहीं कर सकता ?* क्या बनाना चाहते हैं देश को आप ? *सेक्युलरिज्म की यही परिभाषा गढ़ी है आपने ?* एक हिन्दू नेता का टोपी पहनना उतना ही बड़ा ढोंग है, जितना किसी ईसाई का तिलक लगाना। लेकिन जो लोग इस ढोंग को भी बर्दाश्त कर लेते हैं, उनसे भी *प्रधानमंत्री की शिव आराधना बर्दाश्त नहीं हो रही।* संविधान की प्रस्तावना में वर्णित *"धर्म, आस्था और विश्वास की स्वतंत्रता" का* *यही मूल्य है आपकी दृष्टि में ?* व्यक्ति विरोध में अंधे हो चुके मूर्खों की यह टुकड़ी चाह कर भी नहीं समझ पा रही कि *मोदी एक व्यक्ति भर हैं,* *आज नहीं तो कल हार जाएगा* *कल कोई और था,* *कल कोई और आएगा।* *देश न इंदिरा पर रुका था,* *न मोदी पर रुकेगा।* समय को इस बूढ़े से जो करवाना था वह करा चुका। *मोदी ने भारतीय राजनीति की दिशा बदल दी है।* मोदी ने *ईसाई पति की पत्नी से* *महाकाल मंदिर में रुद्राभिषेक करवाया है.* मोदी ने *मिश्रित DNA वाले इसाई को हिन्दू बाना धारण करने के लिए मजबूर कर दिया है।* मोदी ने *ब्राम्हणिक वैदिक के विरोध मे राजनीतिक यात्रा शुरू करनेवाले से शिवार्चन करवाया है। मोदी ने रामभक्तों पर गोली चलवाने वाले के पुत्र से राममंदिर का चक्कर लगवाया है।* *हिन्दुओं में हिन्दुत्व की चेतना जगानेवाले* *मोदी के बाद* *अब वही आएगा* जो *मोदी से भी बड़ा मोदी होगा।* *"मोदी नाम केवलम"* का जाप करने वाले *मूर्ख जन्मान्ध विरोधियों, अब मोदी आये न आये, तुम्हारे दिन कभी नहीं आएंगें।* _*अब ऐसी कोई सरकार नहीं आएगी जो घर बैठा कर मलीदा खिलाये!*_ . 💐💐 *भारत बदल चुका है।* 💐💐

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