विश्व उपभोक्ता/ग्राहक दिवस
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टेलीविज़न से पता चला की आज विश्व ग्राहक दिवस है। भला हो
टीवी का ,की अनेक बाते तो अब हमें टीवी से ही पता चलती हैं।
इनमें से अधिकांश बातें ऐसी होती हैं जो भारतीय संस्क्रति पर
लाद दी गई होती हैं ,जैसे विश्व ग्राहक दिवस।
भारतीय ग्राहक के लिए ग्राहक दिवस के क्या मायने हैं शायद
अधिकांश ग्राहक यह भी नही जानते होंगे। वैसे भी भारतीय
ग्राहक की नियति है ठगा जाना। कभी महंगाई के नाम पर तो
कभी बिल के नाम पर तो कभी नए -नए टैक्स के नाम पर।
भारत में जागरूकता का अभाव है। ग्राहक रूपी आम आदमी
अक्सर ठगा जाता है लेकिन शिकायत नही करता।
वैसे तो अब सरकार भी अब इस तरफ लोगो को जागरूक कर
रही है ,लेकिन खुद कई सरकारी विभाग ही गाहको को छलने
में आगे रहते हैं। रेलवे का खानपान विभाग /पेन्ट्री कार भोजन
में ही देख लो ग्राहकों /मुसाफिरों से पुरे पैसे लेकर कम दाम का
भोजन उपलब्ध कराते हैं। मैन्यू कार्ड नही दिखाते ,बिल नही देते,
ऊपर से टिप के नाम धौंस जमाते हैं ट्रेन के बैरे।
यह हाल जब है की सरकार खुद डिजिटल पेमेंट का हल्ला मचा
रही है। एसी डब्बो में कॉकरोच -चुहियां होना आम बात है तो
जनरल डब्बो की क्या बात करें ?यानि अनेक स्तरों पर ग्राहकों
का ठगा जाना कोई खास बात नही है।
यह सब हम लोगो में जागरूकता की कमी ही है। हालांकि अब
हमारे पास सुचना का अधिकार कानून भी है। लेकिन अधिकांश
भारतीय आज भी अनेक प्रकार के उत्पीड़न को सहजता से सहन
कर लेता है।
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