बुधवार, 29 मार्च 2023
लुप्त हो रही भारतीय संस्कृति
🙏🏻कलयुग के लक्षण🙏🏻
1. कुटुम्ब कम हुआ . 2 सम्बंध कम हुए 3. नींद कम हुई. 4. बाल कम हुए 5. प्रेम कम हुआ 6. कपड़े कम हुए 7. शर्म कम हुई• 8 लाज-लज्जा कम हुई 09 मर्यादा कम हुई 10. बच्चे कम हुए 11. घर में खाना कम हुआ 12. पुस्तक वाचन कम हुआ 13. भाई-भाई प्रेम कम हुआ 15. चलना कम हुआ 16. खुराक कम हुआ 17. घी-मक्खन कम हुआ 18. तांबे - पीतल के बर्तन कम हुए 19. सुख-चैन कम हुआ 20. मेहमान कम हुए 21. सत्य कम हुआ 22. सभ्यता कम हुई 23. मन-मिलाप कम हुआ 24. समर्पण कम हुआ...😔*संतान को दोष न दें...*
*बालक या बालिका को 'इंग्लिश मीडियम'* में पढ़ाया...
*'अंग्रेजी'* बोलना सिखाया...
*'बर्थ डे'* और *'मैरिज एनिवर्सरी'*
जैसे जीवन के *'शुभ प्रसंगों'* को *'अंग्रेजी कल्चर'* के अनुसार जीने को ही *'श्रेष्ठ'* मानकर...
माता-पिता को *'मम्मा'* और
*'डैड'* कहना सिखाया...
जब *'अंग्रेजी कल्चर'* से परिपूर्ण बालक या बालिका बड़ा होकर, आपको *'समय'* नहीं देता, आपकी *'भावनाओं'* को नहीं समझता, आप को *'तुच्छ'* मानकर *'जुबान लड़ाता'* है और आप को बच्चों में कोई *'संस्कार'* नजर नहीं आता है,
तब घर के वातावरण को *'गमगीन किए बिना'*... या...
*'संतान को दोष दिए बिना'*...
कहीं *'एकान्त'* में जाकर *'रो लें'*...
*क्योंकि...*
पुत्र या पुत्री की पहली वर्षगांठ से ही,
*'भारतीय संस्कारों'* के बजाय
*'केक'* कैसे काटा जाता है ? सिखाने वाले आप ही हैं...
*'हवन कुण्ड में आहुति'* कैसे डाली जाए...
*'मंदिर, मंत्र, पूजा-पाठ, आदर-सत्कार के संस्कार देने के बदले'...*
केवल *'फर्राटेदार अंग्रेजी'* बोलने को ही,
अपनी *'शान'* समझने वाले आप...
बच्चा जब पहली बार घर से बाहर निकला तो उसे
*'प्रणाम-आशीर्वाद'* के बदले
*'बाय-बाय'* कहना सिखाने वाले आप...
परीक्षा देने जाते समय
*'इष्टदेव/बड़ों के पैर छूने'* के बदले
*'Best of Luck'*
कह कर परीक्षा भवन तक छोड़ने वाले आप...
बालक या बालिका के *'सफल'* होने पर, घर में परिवार के साथ बैठ कर *'खुशियाँ'* मनाने के बदले...
*'होटल में पार्टी मनाने'* की *'प्रथा'* को बढ़ावा देने वाले आप...
बालक या बालिका के विवाह के पश्चात्...
*'कुल देवता / देव दर्शन'*
को भेजने से पहले...
*'हनीमून'* के लिए *'फाॅरेन/टूरिस्ट स्पॉट'* भेजने की तैयारी करने वाले आप...
ऐसी ही ढेर सारी *'अंग्रेजी कल्चर्स'* को हमने जाने-अनजाने *'स्वीकार'* कर लिया है...
अब तो बड़े-बुजुर्गों और श्रेष्ठों के *'पैर छूने'* में भी *'शर्म'* आती है...
गलती किसकी..?
मात्र आपकी *'(माँ-बाप की)'*...
अंग्रेजी International *'भाषा'* है...
इसे *'सीखना'* है...
इसकी *'संस्कृति'* को,
*'जीवन में उतारना'* नहीं है...
*मानो तो ठीक...*
*नहीं तो भगवान ने जिंदगी दी है...*
*चल रही है, चलती रहेगी...*
*आने वाली जनरेशन बहुत ही घातक सिद्द्ध होने वाली है, हमारी संस्कृति और सभ्यता विलुप्त होती जा रही है, बच्चे संस्कारहीन होते जा रहे हैं और इसमें मैं भी हूं , अंग्रेजी सभ्यता को अपना रहे*
*सोच कर, विचार कर अपने और अपने बच्चे, परिवार, समाज, संस्कृति और देश को बचाने का प्रयास करें...*
*हिन्दी हमारी राष्ट्र और् मातृ भाषा है इसको बढ़ावा दें, बच्चों को जागरूक करें ताकि वो हमारी संस्कृति और सभ्यता से जुड़ कर गौरवशाली महसूस करें।*
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