शुक्रवार, 24 मार्च 2023

बीमा कंपनियों का झूठ

बीमा कम्पनी, एजेंट सच छुपाते हैं देश मे अनेको नामी गिरामी बीमा कम्पनियां है जिसमें LIC सबसे पुरानी सरकारी कम्पनी है। एक ऐसा नाम जो बीमा कंपनियों का पर्यायवाची बन गया है। आम भाषा मे पूछा जाता है की आपने LIC कराई है या नहीं, जबकि पूछा जाना चाहिये कि आपने जीवन बीमा कराया है या नहीं। इन बीमा कम्पनियों की बाबत मैं आपको खुद से भुक्तभोगी होकर कुछ तथ्य उजागर कर रहा हूँ। पॉलिसी देते समय कुछ बातें एजेंट छुपाते है जो की अवश्य बतानी चाहिये। मैंने 13 वर्ष पूर्व LIC की जीवन सरल पॉलिसी ली। नगर के दो प्रतिष्ठित एजेंटों से जानकारी प्राप्त कर पॉलिसी ली। दोनों ने एक प्रिंटिड स्टेटमेंट दिया जिसमें पॉलिसी के प्रतिसाल रिटर्न को दर्शाया गया था। जिसके हिसाब शुरू के 10 साल की जमा पर कुछ खास नहीं मिल रहा था लेकिन उसके बाद बहुत अच्छा रिटर्न मिलना दिखाया गया था। दो-दो हज़ार रुपये महीने की दो पॉलिसी ली गई। दस साल तक कुछ खास ध्यान भी नही दिया लेकिन 12-13 साल होने पर जब चार्ट के अनुसार बढ़ोतरी नहीं दिखाई दी तब पूछने पर उचित जबाब न मिला। LIC के हेड ऑफिस में पॉलिसी कैश कराने गया तो हेड मैनेजर भी पॉलिसी के गुणगान गाने लगे। तब मैंने बताया की नगर के दो वरिष्ठ एजेंट ने मुझे चार्ट दिए थे उसके अनुसार बढ़ोतरी नहीं हो रही है तब उन्होंने बताया की ऐसे चार्ट एजेंट अपने आप बना लेते हैं। कम्पनी इनके लिये उत्तरदायी नहीं होती। कितनी शर्मनाक बात है यह। क्या कम्पनी को ऐसे फर्जी चार्ट बनाकर गुमराह करने पर क्या कार्यवाही नहीं करनी चाहिये? दूसरा वाक्या बजाज मेडिक्लेम का है। मैंने पॉलिसी ली, चैकअप के लिये दो लड़के आये। उन्होंने सभी चैक किया और कहा अंकल आप तो बिल्कुल फिट हो आपको कभी कुछ नहीं होगा। दुर्भाग्यवश मुझे परेशानी हुई , किडनी फेलियर बताई गई , दिल्ली के अस्पताल में उपचार के दौरान बोनमेरो में इंस्फेक्शन हो गया यानी ब्लड कैंसर हो गया। उपचार चला दो महीने अस्पताल में रहा। कैशलेस उपचार को कहा गया कि आप भुगतान कर दो बिल सम्मिट कर देना तब भुगतान हो जाएगा। बाद में बिल सम्मिट किये तब बजाज बीमा कम्पनी ने आरोप लगाया कि पेशेंट को बीपी भी था जो बताया नहीं। मुझे बीपी की शिकायत कभी नही रही। कुछ दिन बाद बीमा कंपनी ने सुगर का आरोप लगाया। मुझे सुगर भी कभी नहीं हुई। हमने अस्पताल से रोजाना के मॉनिटर की पूरी रिपोर्ट बीमा कम्पनी को दी। लेकिन उन्होंने हमारी बात नहीं मानी और क्लेम नहीं दिया। हमने वकील किया, लोकपाल गये लेकिन लोकपाल ने भी हमारी सच्चाई को झुठला दिया। ऐसे शर्मनाक दो उदाहरण सरकारी और गैरसरकारी बीमा कम्पनी के जो मैंने भुगते हैं। विडम्बना की बात यह भी है की बजाज बीमा कम्पनी ने जो पॉलिसी के पूर्व बॉडी चैकअप किये जब उसकी रिपोर्ट मांगी तब उन्होंने किसी अन्य की रिपोर्ट पेश कर दी जिसपर भी लोक अदालत ने संज्ञान नहीं लिया। मेरा सरकार से अनुरोध है की मेडिक्लेम पॉलिसी में कम्पनी द्वारा किये चैकअप रिपोर्ट की एक कॉपी बीमाकर्ता को अवश्य दी जानी चाहिये जो अभी तक दी नहीं जाती है। लोक अदालत में इंसाफ की कमी है उसे दूर किया जाना चाहिये। मेरे साथ इंसाफ नहीं हुआ, मिलना चाहिए। सरकारी LIC में एजेंट द्वारा फर्जी स्टेटमेंट की जबाबदेही निर्धारित होनी चाहिये। सुनील जैन राना

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