शनिवार, 30 अप्रैल 2022

लू लगने से मर्त्यु क्यो?

हम सभी धूप में घूमते हैं फिर कुछ लोगों की ही धूप में जाने के कारण अचानक मृत्यु क्यों हो जाती है ? 👉 हमारे शरीर का तापमान हमेशा 37° डिग्री सेल्सियस होता है, इस तापमान पर ही हमारे शरीर के सभी अंग सही तरीके से काम कर पाते है । 👉 पसीने के रूप में पानी बाहर निकालकर शरीर 37° सेल्सियस टेम्प्रेचर मेंटेन रखता है, लगातार पसीना निकलते वक्त भी पानी पीते रहना अत्यंत जरुरी और आवश्यक है । 👉 पानी शरीर में इसके अलावा भी बहुत कार्य करता है, जिससे शरीर में पानी की कमी होने पर शरीर पसीने के रूप में पानी बाहर निकालना टालता है । (बंद कर देता है ) 👉 जब बाहर का टेम्प्रेचर 45° डिग्री के पार हो जाता है और शरीर की कूलिंग व्यवस्था ठप्प हो जाती है, तब शरीर का तापमान 37° डिग्री से ऊपर पहुँचने लगता है । 👉 शरीर का तापमान जब 42° सेल्सियस तक पहुँच जाता है तब रक्त गरम होने लगता है और रक्त में उपस्थित प्रोटीन पकने लगता है । 👉 स्नायु कड़क होने लगते हैं इस दौरान सांस लेने के लिए जरुरी स्नायु भी काम करना बंद कर देते हैं । 👉 शरीर का पानी कम हो जाने से रक्त गाढ़ा होने लगता है, ब्लडप्रेशर low हो जाता है, महत्वपूर्ण अंग (विशेषतः ब्रेन) तक ब्लड सप्लाई रुक जाती है । 👉 व्यक्ति कोमा में चला जाता है और उसके शरीर के एक-एक अंग कुछ ही क्षणों में काम करना बंद कर देते हैं, और उसकी मृत्यु हो जाती है । 👉गर्मी के दिनों में ऐसे अनर्थ टालने के लिए लगातार थोड़ा-2 पानी पीते रहना चाहिए और हमारे शरीर का तापमान 37° मेन्टेन किस तरह रह पायेगा इस ओर ध्यान देना चाहिए । Equinox phenomenon: इक्विनॉक्स प्रभाव आने वाले दिनों में भारत को प्रभावित करेगा । कृपया 12 से 3 बजे के बीच घर, कमरे या ऑफिस के अंदर रहने का प्रयास करें । तापमान 40 डिग्री के आस पास विचलन की अवस्था मे रहेगा । यह परिवर्तन शरीर मे निर्जलीकरण और सूर्यातप की स्थिति उत्पन्न कर देगा । (ये प्रभाव भूमध्य रेखा के ठीक ऊपर सूर्य चमकने के कारण पैदा होता है) । कृपया स्वयं को और अपने जानने वालों को पानी की कमी से ग्रसित न होने दें । किसी भी अवस्था में कम से कम 3 लीटर पानी जरूर पियें । किडनी की बीमारी वाले प्रति दिन कम से कम 6 से 8 लीटर पानी जरूर लें । जहां तक सम्भव हो ब्लड प्रेशर पर नजर रखें । किसी को भी हीट स्ट्रोक हो सकता है । ठंडे पानी से नहाएं । इन दिनों मांस का प्रयोग छोड़ दें या कम से कम करें । फल और सब्जियों को भोजन मे ज्यादा स्थान दें । हीट वेव कोई मजाक नही है । एक बिना प्रयोग की हुई मोमबत्ती को कमरे से बाहर या खुले मे रखें, यदि मोमबत्ती पिघल जाती है तो ये गंभीर स्थिति है । शयन कक्ष और अन्य कमरों मे 2 आधे पानी से भरे ऊपर से खुले पात्रों को रख कर कमरे की नमी बरकरार रखी जा सकती है । अपने होठों और आँखों को नम रखने का प्रयत्न करें । इस सन्देश को ज्यादा से ज्यादा प्रसारित कर अपना और अपने जानकार लोगों का भला करें।

शुक्रवार, 29 अप्रैल 2022

आई ए एस इंटरवयू में अटपटे सवाल

आईएएस इंटरव्यू में अटपटे प्रश्न आईएएस बनने के लिये यूपीएससी की सिविल सेवा पास करनी पड़ती है। लिखित परीक्षा पास करने के बाद प्रत्यासी को इंटरव्यू देना होता है। इंटरव्यू कठिन होता है। इसमें कुछ भी, कैसे भी सवाल पूछे जा सकते हैं। देश- विदेश या किसी भी तरह के सवाल जो कई बार बहुत अटपटे होते है पूछे जाते हैं। ऐसे ही कुछ प्रश्न जो अटपटे से हैं पूछे जा रहे हैं। प्रश्न-आपके आगे गोल-गोल क्या लटक रहा है? उत्तर-लड़की ने कहा की गोल लॉकेट लटक रहा है। प्रश्न- तुमने सलवार के नीचे क्या पहना है? उत्तर- लड़की ने उत्तर दिया सर सलवार के नीचे सैंडल पहनी हुई है। प्रश्न- लड़की सारे कपड़े कब उतारती है? उत्तर- तार पर से सूख जाने के बाद। प्रश्न- औरत के पास ऐसी क्या चीज होती है जो वह अपने पति को नहीं दे सकती? उत्तर- लड़की ने जबाब दिया अपना सरनेम। प्रश्न- ऐसी कौन सी चीज है जो औरत दिखाती है मर्द छुपाता है? उत्तर- लड़की ने जबाब दिया पर्स। प्रश्न- ऐसी कौन सी चीज है जो लड़कियों की बड़ी और लड़कों की छोटी होती है? उत्तर- लड़की ने जबाब दिया सिर के बाल। प्रश्न- लड़की अपनी एक टांग कब उठाती है? उत्तर- लड़की ने जबाब दिया जीना चढ़ते समय एक बार मे एक टांग उठाई जाती है। प्रश्न- लड़के द्वारा क्या नद डालने पर लड़कियों भरपूर मज़ा लेती हैं? उत्तर- लड़की ने जबाब दिया मोबाईल में बड़ा टॉकटाइम। यह उन कुछ प्रश्नों की बानगी है जो खासकर लड़कियों से इंटरव्यू में पूछे जा रहे हैं। ऐसे अटपटे प्रश्नों को सुनकर एकबार को तो लड़की सहम ही जाती होगी। बहुत सोच समझ कर जबाब देना होता है ऐसे प्रश्नों का। गूगल और यूट्यूब पर ऐसे इंटरव्यू बहुतायत में देखे जा सकते हैं। लेकिन इसका दुरुपयोग होना शुरू हो गया है। यूट्यूब पर कुछ लोगो द्वारा ऐसे प्रश्नो को अश्लील तरीके से पेश करना शुरू कर दिया है जो बहुत ही गलत है। वीडियो में प्रश्नकर्ता खुद ही अश्लील प्रश्न कर उसका अश्लील ही जबाब देता है। बीच-बीच मे वीडियो को लाइक और शेयर करने को भी कहता रहता है। यह सब ठीक नही है। इस पर कार्यवाही होनी चाहिये। सुनील जैन राना

हल्की फुल्की बातें

कल सैलून वाले की दुकान पर एक स्लोगन पढा़... "हम दिल का बोझ तो नहीं पर सिर का बोझ जरूर हल्का कर सकते हैं।"🤣 लाइट की दुकान वाले ने बोर्ड के नीचे लिखवाया... "आपके दिमाग की बत्ती भले ही जले या ना जले,परंतु हमारा बल्ब ज़रूर जलेगा।"🤣 चाय के होटल वाले ने काउंटर पर लिखवाया... "मैं भले ही साधारण हूँ, पर चाय स्पेशल बनाता हूँ।"🤣 एक रेस्टोरेंट ने सबसे अलग स्लोगन लिखवाया... "यहाँ घऱ जैसा खाना नहीं मिलता, आप निश्चिंत होकर अंदर पधारें।"😀 इलेक्ट्रॉनिक दुकान पर स्लोगन पढ़ा तो मैं भाव विभोर हो गया... "अगर आपका कोई फैन नहीं है तो यहाँ से ले जाइए।"😂 गोलगप्पे के ठेले पर एक स्लोगन लिखा था... "गोलगप्पे खाने के लिए दिल बड़ा हो ना हो, मुँह बड़ा रखें, पूरा खोलें।"🤣 फल भंडार वाले ने तो स्लोगन लिखने की हद ही कर दी... "आप तो बस कर्म करिए, फल हम दे देंगे।"🤣 घड़ी वाले ने एक ग़ज़ब स्लोगन लिखा? "भागते हुए समय को बस में रखें, चाहे दीवार पर टांगें, चाहे हाथ पर बांधें।"🤣 ज्योतिषी ने बोर्ड पर स्लोगन लिखवाया..."आइए, मात्र 100 रुपए में, अपनी ज़िंदगी के आने वाले एपिसोड देखिए।"🤣 बालों के तेल की एक कंपनी ने हर प्रोडक्ट पर एक स्लोगन लिखा... "भगवान ही नहीं, हम भी बाल बाल बचाते हैं।"😂😀🤣 आप, जैसे अभी हल्का सा मुस्करा रहे हैं, या हँस रहें हैं, ऐसे ही खुश रहें।😁 हँसते रहे, हँसाते रहें। स्वस्थ रहें, मस्त रहें।

गुरुवार, 28 अप्रैल 2022

बुजुर्गों को चाहिये अपनापन

🍂🍂🍂🪞🍂🍂🍂 *हमारी धरोहर* 🍂🍂🍂🪞🍂🍂🍂 *बुजुर्ग पिताजी जिद कर रहे थे कि, उनकी चारपाई बाहर बरामदे में डाल दी जाये।* *बेटा परेशान था।* *बहू बड़बड़ा रही थी..... कोई बुजुर्गों को अलग कमरा नही देता। हमने दूसरी मंजिल पर कमरा दिया.... AC TV FRIDGE सब सुविधाएं हैं, नौकरानी भी दे रखी है। पता नहीं, सत्तर की उम्र में सठिया गए हैं..?* *पिता कमजोर और बीमार हैं....* *जिद कर रहे हैं, तो उनकी चारपाई गैलरी में डलवा ही देता हूँ। निकित ने सोचा।... पिता की इच्छा की पू्री करना उसका स्वभाव था।* *अब पिता की एक चारपाई बरामदे में भी आ गई थी।* *हर समय चारपाई पर पडे रहने वाले पिता।* *अब टहलते टहलते गेट तक पहुंच जाते ।* *कुछ देर लान में टहलते लान में नाती - पोतों से खेलते, बातें करते,* *हंसते , बोलते और मुस्कुराते ।* *कभी-कभी बेटे से मनपसंद खाने की चीजें भी लाने की फरमाईश भी करते ।* *खुद खाते , बहू - बेटे और बच्चों को भी खिलाते ....* *धीरे-धीरे उनका स्वास्थ्य अच्छा होने लगा था।* *दादा ! मेरी बाल फेंको। गेट में प्रवेश करते हुए निकित ने अपने पाँच वर्षीय बेटे की आवाज सुनी,* *तो बेटा अपने बेटे को डांटने लगा...:* *अंशुल बाबा बुजुर्ग हैं, उन्हें ऐसे कामों के लिए मत बोला करो।* *पापा ! दादा रोज हमारी बॉल उठाकर फेंकते हैं....अंशुल भोलेपन से बोला।* *क्या... "निकित ने आश्चर्य से पिता की तरफ देखा ?* *पिता ! हां बेटा तुमने ऊपर वाले कमरे में सुविधाएं तो बहुत दी थीं।* *लेकिन अपनों का साथ नहीं था। तुम लोगों से बातें नहीं हो पाती थी।* *जब से गैलरी मे चारपाई पड़ी है, निकलते बैठते तुम लोगों से बातें हो जाती है।* *शाम को अंशुल -पाशी का साथ मिल जाता है।* *पिता कहे जा रहे थे और निकित सोच रहा था.....* *बुजुर्गों को शायद भौतिक सुख सुविधाऔं* *से ज्यादा अपनों के साथ की जरूरत होती है....।* *बुज़ुर्गों का सम्मान करें ।* *यह हमारी धरोहर है ...!* *यह वो पेड़ हैं, जो थोड़े कड़वे है, लेकिन इनके फल बहुत मीठे है, और इनकी छांव का कोई मुक़ाबला नहीं !* _*लेख को पढ़ने के उपरांत अन्य समूहों में साझा अवश्य करें...!!* *और अपने बुजुर्गों का खयाल हर हाल में जरूर रखे। हमारे बुजुर्गों को सुख सुविधा से ज्यादा अपनापन चाहिये। धन्यवाद।

आज का मुस्लिम ऐसा नही है

BBC (बीबीसी) ने पुरी दुनिया में 30 लाख हिंदुओं पर एक सर्वे कराया था:- *"हिंदुओं का सबसे प्रिय भजन कौन सा है?"* इस सर्वे से जो परिणाम निकल कर सामने आया: 30 लाख हिंदुओं ने जिन 10 भजनों का चयन किया उनमें से --- 6 'शकील बदायुनी' के लिखे हुए हैं ! और 4 'साहिर लुधियानवी' के लिखे हुए हैं ! उन 10 के 10 भजनों में संगीत हैं 'नौशाद साहब' का ! उन सभी 10 भजनों को आवाज़ दिया हैं 'रफी साहब' ने ! ये 10 भजन 'महबूब अली खान' की फिल्मों में हैं. और इन 10 भजनों पर अभिनय किया हैं 'यूसुफ खान' उर्फ दिलीप कुमार ने ! SOME OF THE TOP BHAJANS LISTED FOR THE SURVEY - ज़रा गौर फरमाइये - ************ *मन तडपत हरि-दर्शन को आज* गीतकार : शक़ील बदायुंनी गायक : मोहम्मद रफी संगीतकार : नौशाद फिल्म : बैजू बावरा (1952). *इंसाफ का मंदिर है, ये भगवान का घर है* गायक -मोहम्मद रफी संगीत : नौशाद गीतकार : शकील बदायुंनी फिल्म -अमर (1954). *हे रोम रोम में बसने वाले राम* गीतकार : साहिर लुधियानवी गायक : आशा भोसले, रफी फिल्म : नीलकमल (1968). *जय रघुनन्दन जय सियाराम* गायक: मोहम्मद रफ़ी गीतकार: शक़ील बदायुंनी फिल्म -घराना (1961). *आना है तो आ राह में* गीतकार - साहिर लुधियानवी संगीत - ओ पी नय्यर, खैयाम साहब गायक - मोहम्मद रफ़ी फिल्म - नया दौर (1957). *जान सके तो जान, तेरे मन में छुपे भगवान* गीतकार - जांनिसार अख्तर संगीत - ओ. पी. नय्यर गायक - मोहम्मद रफी फिल्म - उस्ताद (1957). यह जानकारी वर्तमान समय में बहुत जरुरी थी क्योंकि देश में साम्प्रदायिकता कि आग लगाकर भाईचारे को रौंदती धार्मिक उन्माद की हवा जो लोग आज चला रहे हैं उन्हें यह जानना चाहिए कि धर्मनिरपेक्षता की भावना भारतीयों के नस-नस में रची बसी है... लेकिन क्या विडम्बना है आज के भारत का मुस्लिम हरि नाम से परहेज करता है।

दया का भाव

एक बार समुद्री तूफ़ान के बाद हजारों लाखों मछलियाँ किनारे पर रेत पर तड़प तड़प कर मर रहीँ थीं ! इस भयानक स्थिति को देखकर पास में रहने वाले एक 6 वर्ष के बच्चे से रहा नहीं गया, और वह एक एक मछली उठा कर समुद्र में वापस फेकनें लगा ! यह देख कर उसकी माँ बोली, बेटा लाखों की संख्या में है , तू कितनों की जान बचाएगा ,यह सुनकर बच्चे ने अपनी गति और बढ़ा दी, माँ फिर बोली बेटा रहनें दे कोई फ़र्क नहीं पड़ता ! बच्चा जोर जोर से रोने लगा और एक मछली को समुद्र में फेकतें हुए जोर से बोला माँ *"इसको तो फ़र्क पड़ता है"* दूसरी मछली को उठाता और फिर बोलता माँ *"इसको तो फ़र्क पड़ता हैं"* ! माँ ने बच्चे को सीने से लगा लिया ! हो सके तो लोगों को हमेशा *होंसला और उम्मीद* देनें की कोशिश करो, न जानें कब आपकी वजह से किसी की जिन्दगी बदल जाए! क्योंकि आपको कोई फ़र्क नहीं पड़ता पर *"उसको तो फ़र्क पड़ता है"*..... इसलिए कोशिश कीजिए हर उस *व्यक्ति से बात करने की जो आपके संपर्क मै आये हो सकता है उसको एहसास भी ना हो की आप उसकी कितनी मदद कर पा रहे हो लेकिन जब उसको एहसास होगा उसकी लाइफ मैं बदलाव आएगा* *

बुधवार, 27 अप्रैल 2022

पर्यावरण बचाओ

क्या आपको पता है कि अगले 40-50 वर्षों बाद हमारी सारी खेती योग्य भूमि बंजर हो जाएंगी? रिसर्च कहता है कि खेती करने के लिए भूमि में मिनिमम 3% ऑर्गेनिक कंटेन्ट होने चाहिए...दुनिया के अलग अलग हिस्सों में यह 1 से लेकर 3% तक है...वहीं भारत में मात्र 0.5% बचा है। प्रति सेकंड विश्व में 1 एकड़ ज़मीन बंजर हो रही है..तो आप इससे गणना कर लीजिए कि हम कितनी तीव्र गति से विनाश की ओर बढ़ रहे हैं... पर्यावरण को हम मनुष्य जितनी हानि पहुंचा सकते थे पहुँचा चुके हैं.. अब प्रकृति हमें नुकसान पहुंचा रही है...आज से सौ वर्ष पहले किसी भी फल में जितने अधिकतम न्यूट्रिशन्स होते थे उसका 10% भी उनमें आज शेष नहीं बचा...आप संतरे को ले लीजिए उसमें पहले यदि 100% न्यूट्रिशन होते थे तो आज मात्र 10% बचा है..मतलब आप आज 100 संतरे खा लीजिये और आज से 100 वर्ष पहले का 1 संतरा बराबर था... दुनिया में जहाँ 52% खेती योग्य भूमि बंजर हो चुकी है तो भारत में यह आंकड़ा 60% है...ऊपर से जंगलों की अंधाधुंध कटाई, नदियों का क्षरण...भूमि से जितने ऑर्गेनिक कंटेंट समाप्त होते जाएंगे भूमि का जलस्तर उतना गिरता जाएगा...जब भूमि में नमी ही नहीं बचेगी तो हरियाली कहाँ से आएगी? स्थिति इतनी भयावह है...मुझे भी इसकी भनक नहीं थी...जग्गी वासुदेव की #SaveSoil मुहीम के बारे में आज डिटेल में पढ़ा तो मेरी आँखें फटी रह गईं... हम आज भी न चेते तो हमारी आने वाली पीढ़ी भूख से मरेगी...इसे टालने का एक मात्र उपाय है...संसाधनों का सीमित उपयोग, पेड़ लगाना, केमिकल और फ़र्टिलाइज़र को तिलांजलि देना...गाय, भैंस आदि पालिये, उनके गोबर, मूत्र और प्राकृतिक खाद का प्रयोग कीजिये...केंचुआ पालन कीजिये तो शायद स्थिति नियंत्रण में आये...लेकिन एक या दो लोगों के प्रयास से नहीं होगा...प्रत्येक व्यक्ति को इसका ध्यान रखना होगा, लोगों को जगाना होगा...अपने लिए न सही अपने बच्चों से तो सभी को प्यार होगा न...तो उन्हें शुद्ध भोजन और जल मिलता रहे ये हम नहीं सोचेंगे तो भला कौन सोचेगा...! साभार

प्रकृति के नियम

*प्रकृति के तीन कड़वे नियम, जो सत्य है !!!* *1. प्रकृति का पहला नियम :* यदि खेत में बीज न डालें जाएं, तो कुदरत उसे *घास-फूस* से भर देती हैं !! ठीक उसी तरह से दिमाग में *सकारात्मक* विचार न भरे जाएँ, तो *नकारात्मक* विचार अपनी जगह बना ही लेती है !! *2. प्रकृति का दूसरा नियम :* जिसके पास जो होता है, *वह वही बांटता है !!* • सुखी *सुख* बांटता है !! • दुःखी *दुःख* बांटता है !! • ज्ञानी *ज्ञान* बांटता है !! • भ्रमित *भ्रम* बांटता है !! • भयभीत *भय* बांटता हैं !! *3. प्रकृति का तिसरा नियम :* आपको जीवन में जो भी मिले, उसे *पचाना* सीखो क्योंकि ; • *भोजन* न पचने पर, रोग बढते है !! • *पैसा* न पचने पर, दिखावा बढता है !! • *बात* न पचने पर, चुगली बढती है !! • *प्रशंसा* न पचने पर, अंहकार बढता है !! • *निंदा* न पचने पर, दुश्मनी बढती है !! • *राज* न पचने पर, खतरा बढता है !! • *दुःख* न पचने पर, निराशा बढती है !! • *सुख* न पचने पर, पाप बढता है !! *बात कड़वी बहुत है, पर सत्य है !!!*🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏 💐💐💐

शनिवार, 23 अप्रैल 2022

शब्दो का संसार

शब्द रचे जाते हैं, शब्द गढ़े जाते हैं, शब्द मढ़े जाते हैं, शब्द लिखे जाते हैं, शब्द पढ़े जाते हैं, शब्द बोले जाते हैं, शब्द तौले जाते हैं, शब्द टटोले जाते हैं, शब्द खंगाले जाते हैं, *#अंततः* शब्द बनते हैं, शब्द संवरते हैं, शब्द सुधरते हैं, शब्द निखरते हैं, शब्द हंसाते हैं, शब्द मनाते हैं, शब्द रूलाते हैं, शब्द मुस्कुराते हैं, शब्द खिलखिलाते हैं, शब्द गुदगुदाते हैं, शब्द मुखर हो जाते हैं, शब्द प्रखर हो जाते हैं, शब्द मधुर हो जाते हैं, *#फिर भी-* शब्द चुभते हैं, शब्द बिकते हैं, शब्द रूठते हैं, शब्द घाव देते हैं, शब्द ताव देते हैं, शब्द लड़ते हैं, शब्द झगड़ते हैं, शब्द बिगड़ते हैं, शब्द बिखरते हैं शब्द सिहरते हैं, *#किंतु-* शब्द मरते नहीं, शब्द थकते नहीं, शब्द रुकते नहीं, शब्द चुकते नहीं, *#अतएव-* शब्दों से खेले नहीं, बिन सोचे बोले नहीं, शब्दों को मान दें, शब्दों को सम्मान दें, शब्दों पर ध्यान दें, शब्दों को पहचान दें, ऊँची लंबी उड़ान दे, शब्दों को आत्मसात करें... उनसे उनकी बात करें, शब्दों का अविष्कार करें... गहन सार्थक विचार करें, *#क्योंकि-* शब्द अनमोल हैं... ज़ुबाँ से निकले बोल हैं, शब्दों में धार होती है, शब्दों की महिमा अपार होती, शब्दों का विशाल भंडार होता है, *और सच तो यह है कि-* *शब्दों का अपना एक संसार होता है* साभार

टीवी चैनल फैला रहे जहर

देश बहुत विकट परिस्थितियों से जूझ रहा है। कोरोना महामारी से अभी पूरी तरह उबरा नहीँ था की रूस- यूक्रेन युद्ध के कारण महंगाई की मार झेलनी पड़ रही है। इसी दौरान कुछ जगह साम्प्रदायिक संघर्ष होने से स्तिथी विकट बनी हुई है। साम्प्रदायिक माहौल में कुछ ऐसा हो रहा है जो बहुत अजीब सा है। हिन्दू कहता है हम पर जुल्म हो रहा है और मुसलमान कहता है की हम पर जुल्म हो रहा है। कौन किस पर जुल्म कर रहा है यह बात दोनों पक्ष जानते हैं। आपस मे कुछ भाईचारा कायम हो भी सकता है लेकिन दोनों तरफ के नेता गण अपनी राजनीति चमकाने को भाईचारे की बात न कर एक दूसरे पर आरोप लगाने में लगे रहते हैं। भाईचारा कायम हो भी सकता है लेकिन ये टीवी चैनल अपनी टीआरपी बढ़ाने को डिबेट करते हैं और कई पार्टियी के धुर विरोधियों को डिबेट में बुलाकर खूब अनर्गल बुलवाते हैँ। प्रश्न ऐसे ऐसे पूछते हैं जिनसे मुद्दे का सुलझाव न होकर और ज्यादा उलझ जाता है। चार पार्टियों के चार वक्ता पांचवा एंकर, ऐसे में सभी वक्ता अपनी पार्टी के विरुद्ध हुई कोई बात को कैसे बर्दास्त कर सकता है। ऐसे में सभी वक्ता दूसरी पार्टियों की बात की धज्जियां उड़ाने में लग जाते हैं, एंकर बीच -बीच मे इस हवनकुंड में घी डालता जाता है। कुछ पार्टियों के कुछ वक्ता तो शायद इसी काम पर लगे होते हैं की कब उन्हें किसी चैनल से बुलावा आवे और वे वहां जाकर अपना गला साफ करें। टीवी चैनलों पर इस तरह की डिबेट से देश मे अशांति का वातावरण बन रहा है। जो बातें अक्सर आपसी सहमति से निपटने वाली होती थी उन्हें टीवी पर बैठकर वक्तागण और ज्यादा उलझा देते है। आज के युग मे टीवी और मोबाईल टाईम पास करने का मुख्य साधन बन गए है। टीवी पर खासकर समाचार हर कोई सुनता ही है। अब समाचारों की जगह वाकयुद्ध ने ले ली है।भद्दी भाषा, कभी-कभी हाथापाई तक की नोबत आ जाती है कार्यक्रम में। लेकिन अपनी टीआरपी बढ़ाने के चक्कर मे टीवी चैनल वाले ऐसा होने देते हैं जबकि उन्हें कुछ वक्ताओं के बारे में पता होता है की उक्त वक्ता ठीक नही है फिर भी उसे बुलाने से हिचकते नही हैं। सूचना प्रसारण विभाग को ऐसी डिबेटो पर रोक लगा देनी चाहिये। टीवी चैनलों को यदि किसी मुद्दे पर डिबेट करानी ही है तो परस्पर विरोधी वक्ताओं को न बुलाकर संजीदा पत्रकारों, विश्लेषकों, बुद्धिजीवियों आदि को बुलाना चाहिये। चार दलों के परस्पर चार विरोधी वक्ता और एक एंकर की डिबेट देश मे अशांति का वातावरण फैला रही हैं, इन पर रोक लगनी चाहिए। सुनील जैन राना

दोगली न्यायप्रणाली

*न्यायप्रणाली का एक सिस्टम है।* लोअर कोर्ट, सेशन कोर्ट, डिस्ट्रिक्ट कोर्ट, हाई कोर्ट और तब आता है सुप्रीम कोर्ट। लेकिन ये.....जब चाहे सीधे सुप्रीम कोर्ट के मिलार्ड के चेंबर में पहुंच जाते हैं। वो भी एक घंटे के नोटिस पर ! और सुप्रीम कोर्ट भी लाखों केस छोड़कर इनके लिए अपना दरबार सजा देती है !! ये कैसे संभव है ? ये कैसा प्रिविलेज है इनके लिए ? आम आदमी लोअर कोर्ट से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक जाने में अपनी जिंदगी खपा देता है। किंतु इनके लिए ये बाए हाथ का खेल है।😎😎 *कल रात 11.00 बजे* - *एमसीडी द्वारा जहांगीरपुरी में अवैध अतिक्रमण हटाने का आदेश जारी हुआ..* 🛑 इन्हीं *12 घण्टों में* ~ *अवैध बांग्लादेशी और पाकिस्तानी मुसलमानों भी* *भारत में संरक्षक देओबंदी* *जमात ए उलमा ए हिन्द* -- *सुप्रीम कोर्ट पहुंच गयी* और *आज सुबह 11 बजे सुप्रीम कोर्ट ने कार्रवाई पर "स्टे" दे भी दिया*💥 और वामपन्थ की नेता “वृंदा करात” भी पहुँच गयी सुबह-सुबह ही.. 😳 अब समझे *“द कश्मीर फ़ाइल्ज़”* का डायलॉग >> *“सरकार बेशक उनकी है , पर सिस्टम हमारा है”* ❗❗ बस ये "सिस्टम" जो सत्तर साल में बनाया है, यही ख़त्म करना है। 🇮🇳 🚩 *सुप्रीम कोर्ट ने बुलडोज़र कार्रवाई पर रोक लगाई 🤔🔔🔔* : जो सुप्रीम कोर्ट बंगाल में नरसंहार ओर हिंसा पर गहरी निंद्रा में सोता रहा। जो सुप्रीम कोर्ट कश्मीरी पंडितों के नरसंहार पर चुप्पी साधे रहा। जिस सुप्रीम कोर्ट ने राम मंदिर का निर्णय देने में 70 साल लगा दिये जब दंगाईयो पर कार्यवाही हुई तो वही सुप्रीम कोर्ट 70 मिनिट में जाग गया। साभार

बुधवार, 20 अप्रैल 2022

समझ कर पढ़ो

*आज प्राप्त एक सुन्दर संदेश* अपनी संतान को पहली कक्षा fया नर्सरी में प्रवेश कराने के लिए इच्छुक माता पिता को आया है नया विचार। यह विचार 100% श्रेष्ठ लगता है। जिनके पुत्र या पुत्री प्रवेश कराने हैं उनको यह विचार जरूर पढ़ना चाहिए । भरत ज़वेरी मैंने अपने भानेज को प्रवेश कराने के लिए बहुत सारे निजी स्कूलों में फीस की तलाश की ।तो वार्षिक शुल्क 40,000 से लेकर ₹100000 वार्षिक तक स्कूल प्रमुख ने बताए। और यह फीस नर्सरी से लेकर पहली कक्षा तक लगभग सभी स्कूलों में इतनी ही बताई गई ।और आगे बालक जितनी ऊंची कक्षा में जायेगा, फीस और बढ़ेगी ही। तब मुझे विचार आया कि 17 साल तक स्कूलों में इतनी फीस भरने के बाद भी नौकरी की कोई गारंटी नहीं है और बालक पूर्णतः योग्य हो जायेगा इसकी भी कोई ग्यारंटी नहीं है। फिर वह विदेशों मे नोकरी तलाश करेगा और सफल रहा तो आपको छोड़ कर विदेश में जा बसेगा। तो मुझे लगा कि यदि हर साल जितनी फीस ये स्कूल मांगते हैं, इतनी फीस के रिलायंस , एचडीएफसी ,कोटक,बिरला नीपोन ,यूटीआई ,केनेरा आदि किसी भी अच्छी कंपनी के म्यूच्यूअल फंड स्कीम में हर वर्ष एक लाख के यूनिट खरीद लिये जायें जायें और बच्चों को शासकीय विद्यालय में प्रवेश दिला दें।वहां भी योग्य शिक्षक होते हैं और विद्यार्थी अगर इंटेलिजेंट है तो वहां से भी वह श्रेष्ठ ज्ञान प्राप्त कर सकता है । तो हम कान्वेंट में और दूसरे शो वाले स्कूलों में इतनी फीस क्यों दें । यदि यह फीस हर साल एक लाख रुपये म्यूचुअल फंड में जमा की जाये तो 17 साल बाद उस बालक के खाते में कम से कम डेढ़ करोड़ और ज्यादा से ज्यादा 21 करोड़ की रकम जमा होगी और उसे कहीं नौकरी करने की जरूरत नहीं पड़ेगी । बल्कि वह इतना सक्षम होगा कि अपना स्वयं का उद्योग स्थापित कर लोगों को नौकरी दे सकेगा । माता-पिता इस पर गंभीरता से विचार करें और यदि अच्छा लगे तो इसको उपयोग में लें' व्यवहारिक बनो। नोकरी का विचार छोड़ो। संतान को स्वावलंबी बनाओ। इस विचार को प्रचारित, प्रसारित करें , यदि आपको अच्छा लगे।। साभार

रविवार, 17 अप्रैल 2022

राहुल गांधी क्यो ऐसे हैं

गांधी परिवार की कांग्रेस, जिसमें से अब लगातार कांग्रेस के दिग्गज किनारा कर रहे हैं। फिर भी कुछ दिग्गज लगातार चापलूसी में डूबे हैं। कांग्रेस के आका राहुल गांधी फिर भी नही समझ पा रहे हैं की उन्हें क्या समझना चाहिये? बस किसी भी सभा मे खुद से बोलना, क्या बोलना जिसका खुद को पता नहीं रहता। ऐसे कई प्रसंग हो चुके हैं की काफी देर तक बोलने के बाद उन्होंने क्या कहा, कुछ पता नही चलता। ऐसे -ऐसे बयान जिसका कोई सिर पैर ही नही होता। हाल ही में एक पुस्तक के विमोचन पर बोले की मैं सत्ता के बिलकुल बीच मे पैदा हुआ हूँ लेकिन सत्ता में मेरी दिलचस्पी ही नही है। फिर कहते हैं की देश ने मुझे बिना वजह भरपूर प्यार दिया है। फिर कहते हैं देश ने मुझे बहुत जूते मारे, तब मैंने पूछा की ऐसा क्यों किया, तब देश ने बताया कि वह मुझे सिखाना चाहते हैं। एक तरफ कहते हैं कि मेरे पिता को जिन्होंने मारा मुझे उनसे कोई शिकायत नहीं, दूसरी तरफ कहते हैं की यदि कोई मेरी बहन को मार देता तो मैं उसे मार देता। मतलब यह है की इन सब बातों का क्या अर्थ हुआ? पुस्तक के विमोचन से इन बातों का क्या सम्बन्ध था? कहते हैं की संवैधानिक संस्थाओं पर आरएसएस का कब्जा हो गया है। एक बार खुद ही संवैधानिक पीएम का पत्र भरी सभा मे फाड़ दिया था। यूपी चुनाव में मायावती पर आरोप लगा दिया जिसके मायावती जी ने तुरंत खण्डन किया। हिंदुत्व का विरोध करते हैँ, खुद वोटों के लिये मन्दिरो में जाते हैं। पंजाब में सिद्धू के बारे में कहते हैं की इसे काटो तो जो खून निकलेगा वह भारतीय होगा, पास में बैठे सिद्धू भी घबरा गए होंगे। टुकड़े गैंग के साथ खड़े होते है और खुद को देशप्रेमी बताते हैं। देश की आन बान शान को विश्वपटल पर ऊंचा उठाने वाले मोदीजी को बताते हैं चौकीदार चोर है, खुद बेल पर बाहर हैं। शायद इसीलिये खुद को पप्पू भी कह देते हैं। कुल मिलाकर यह नतीजा निकल रहा है की राहुल गांधी ने देश की जनता की नज़रों में खुद को ही गिरा सा दिया है। विपक्ष ही नही कांग्रेस के वरिष्ठ नेता भी इनसे परेशान दिखाई देते हैं। कांग्रेस का अध्यक्ष गांधी परिवार के अतिरिक्त कोई बन नही सकता और गांधी परिवार के रहते कांग्रेस उबर नही सकती, कुछ ऐसी परिस्तिथी हो गई है कांग्रेस की। जिन राज्यो में कांग्रेस का राज है वह भी वहां के स्थानीय नेताओं की बदौलत है न की गांधी परिवार के कारण। बार -बार लगातार हार के बाद भी राहुल गांधी हैं की कुछ समझते ही नहीँ, बल्कि और ज्यादा कन्फ्यूज होते जा रहे हैं। सुनील जैन राना

शनिवार, 9 अप्रैल 2022

अहंकारी पुतिन, नासमझ जेलेन्स्की

अहंकारी पुतिन, नासमझ जेलेन्स्की रूस और यूक्रेन युद्ध रुकने का नाम नही ले रहा है। अहंकार में डूबे पुतिन लगातार यूक्रेन पर हमले किये जा रहे है। नासमझ जेलेन्स्की भी अपनी नाकाम हिम्मत दिखाते हुए झुकने को तैयार नही हैं। अलबत्ता भीष्म युद्ध हो रहा है और दोनों तरफ के लोग मर रहे है। रूस का कम नुकसान हो रहा है लेकिन अपनी नासमझी में जेलेन्स्की यूक्रेन को बर्बाद होने दे रहे हैं। इस युद्ध मे एक बात साबित हो गई है की जो ताकतवर है उस पर किसी भी प्रकार के कानून नाकाबिल होते हैं। सँयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार आदि ये सब छोटे कमजोर देशों पर अपना प्रभुत्व जमाते हैं। बड़े देशों पर इनकी हुकूमत नही चलती। यही दिखाई दे रहा है इस समय विश्व की राजनीती में। लेकिन यह भी सच है की रूस पर लगे अनेको प्रतिबंद उस पर असर डालेंगे जरूर। इस लम्बी लड़ाई में मोदीजी के नेत्तरव में भारत की कूटनीति से सम्पूर्ण विश्व अचंभित है। भारत रूस का परम मित्र है और रूस के इस जोखिम भरे समय मे अपनी मित्रता बखूबी निभा रहा है।पता नही यह युद्ध कब तक चलेगा। नाटो देश यूक्रेन की बाहर से मदद कर रहे हैं लेकिन रूस के सामने आने से कतरा रहे हैं। यूक्रेन के जेलेन्स्की अपने आप को बहुत बड़ा योद्धा दिखाते हुए मैदान में डटे है और अपना देश बर्बाद होते हुए देख रहे हैं। अहंकार और नासमझी में दो देश सम्पूर्ण विश्व को बारूद के ढेर पर बैठा दे रहे हैं जो बहुत विनाशकारी साबित हो सकता है। सुनील जैन राना

मंगलवार, 5 अप्रैल 2022

5 लाख किलो सोना ?

*☝️प्राइम मिनिस्टर वर्तमान के प्रधानमंत्री और भाजपा सरकार के नेता श्री नरेंद्र मोदी जी का विरोध करने वाले भूतपूर्व रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया के गवर्नर श्रीरघुराम राजन का यह निम्नलिखित आर्टिकल संदेश अंतिम तक जरूर पढ़ें आप बर्फ की तरह पिघल जाएंगे आपकी गलत मान्यता बदले बिना नहीं रहेगी कृपया इस संदेश को ज्यादा से ज्यादा शेयर करें* 👇🏼 *☝️मोदी नहीं होते तो आज भारत की आर्थिक स्थिति कैसी होती* *भूतपूर्व RBI गवर्नर श्रीरघुराम राजन का सनसनीखेज खुलासा पूरे सुबूतों के साथ।* *देश का 5 लाख किलोग्राम सोना अगस्त 2013 में गिरवी रखने की नौबत आ गयी थी। देश की अर्थव्यवस्था की उस भयंकर बदहाली की शर्मनाक कहानी क्यों भूल गए राहुल गांधी और लुटियन मीडिया के चाटुकार कांग्रेसी पत्रकार?* *आजकल राहुल गांधी और लुटियन मीडिया के कांग्रेसी चाटुकार पत्रकार लगातार यह मातम कर रहे हैं कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने देश की अर्थव्यवस्था को तबाह कर डाला है।* *अतः आज यह याद दिलाना जरूरी है कि देश की अर्थव्यवस्था की बरबादी तबाही का अर्थ क्या होता है।वह तारीख थी 29 अगस्त 2013, उस दिन तक कांग्रेस नेतृत्व वाली यूपीए सरकार अपना 9 वर्ष 3 माह का कार्यकाल पूरा कर चुकी थी। इसी 29 अगस्त 2013 को पूरे देश के मीडिया में प्रमुखता से छपी एक खबर से पूरे देश में सनसनी फैल गयी थी। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर देश की छवि बहुत बुरी तरह धूमिल हुई थी।* *इस खबर में बहुत स्पष्ट शब्दों में यह उल्लेख किया गया था कि देश की आर्थिक स्थिति इतनी नाजुक हो चुकी है कि केन्द्र सरकार के वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री आनंद शर्मा ने सुझाव दिया है कि देश के स्वर्णकोष से निकाल कर देश का 5 लाख किलोग्राम सोना गिरवी रख दिया जाए।* *उस समय देश के स्वर्णकोष में 5 लाख 57 हजार किलोग्राम सोना था। अर्थात देश के स्वर्णकोष का लगभग 90% सोना गिरवी रख देने की सलाह कोई और नहीं बल्कि तत्कालीन केन्द्र सरकार का वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री आनंद शर्मा दे रहा था उस समय के बाजार भाव (27,750 प्रति 10 ग्राम) के हिसाब से इतने सोने की कीमत 1.38 लाख करोड़ रुपए थी। तथाकथित महान अर्थशास्त्री प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने अपने कार्यकाल के 10 वें वर्ष में देश की अर्थव्यवस्था को इतनी दयनीय स्थिति में पहुंचा दिया था। मीडिया में छपी उपरोक्त सनसनीखेज खबर के पश्चात देश में उपजे जनाक्रोश के दबाव में देश के तत्कालीन वाणिज्य मंत्री आनंद शर्मा नेसफाई दी थी कि मेरी बात को गलत तरीके से प्रस्तुत किया गया।* *लेकिन आनंद शर्मा की इस सफाई की धज्जियां अगले 2-3 महीने के घटनाक्रम ने उड़ा दी थीं। देश और दुनिया में हो रही जबरदस्त थू-थू के कारण सोना तो गिरवी नहीं रखा गया था।लेकिन देश की दयनीय अर्थव्यवस्था पर पर्दा डालने का एक दूसरा चोर दरवाजा मनमोहनकी तत्कालीन यूपीए सरकार ने खोज लिया था। अपने शासनकाल के अन्तिम वर्ष में यूपीए सरकार ने सितम्बर 2013 से दिसम्बर 2013 के मध्य फॉरेन करंसी नॉन रेसिडेंट डिपोजिट यानी FCNR (B) के माध्यम से लगभग 25 बिलियन डॉलर के कर्ज समेत कुल 32.32 बिलियन डॉलर (2.23 लाख करोड़ रुपयों) का अनापेक्षित कर्ज़ देश के माथे मढ़ दिया था। इस कर्ज का भार भी मोदी सरकार ने ही ब्याज सहित उतारा है।* *उपरोक्त तथ्य से यह भी स्पष्ट होता है कि मनमोहन सिंह ने अपने कार्यकाल के अंतिम वर्ष में देश की अर्थव्यवस्था को इतनी दयनीय और दरिद्र स्थिति में पहुंचा दिया था कि देश का 90% सोना गिरवी रखकर 1.38 लाख करोड़ रुपए का जुगाड़ करने के बावजूद वह स्थिति नहीं सुधरती। इसीलिए फॉरेन करंसी नॉन रेसिडेंट डिपोजिट" यानी FCNR (B) के माध्यम से यूपीए सरकार ने 2.23 लाख करोड़ रुपयों के कर्ज का जुगाड़ किया था।* *अंत में, अगस्त 2013 में देश का जो स्वर्ण भंडार 557 टन था उसमें मोदी सरकार ने 148 टन की वृद्धि की है। 30 जून 2021 को देश का स्वर्ण भंडार 705 टन हो चुका था।* 🙏🇮🇳🙏 1. RBI के तत्कालीन गवर्नर रहे रघुराम राजन की यह *स्वीकारोक्ति* पढ़िए। https://indianexpress.com/article/business/banking-and-finance/fcnr-bonds-were-least-bad-option-to-raise-dollars-raghuram-rajan-3011772/ 2.*मोदी सरकार ने उस कर्ज को चुकाया।* इसकी पुष्टि के लिए इस लिंक को क्लिक कर के पढ़िए। https://www.thehindubusinessline.com/money-and-banking/fcnr-deposits-of-2013-set-to-mature-reserve-bank-ready-to-tackle-volatility/article8472235.ece *काँग्रेस ,कम्युनिस्ट आदि सब के झूठे प्रचार को जानिए और समझिए।* *अतः देश हित मे जाग्रत बने* 🇮🇳🙏 *सुन लो रे पप्पूओ- पिंकीयो* *इन 7 सालों में मोदी जी ने क्या किया जो आज तक स्वतंत्र भारत के इतिहास में कोई नहीं कर पाया। अवश्य पढ़ें कहीं बीच में ही छोड़ दिया तो आपकी आँखे बंद ही रह जाएंगी इसलिए पूरा अवश्य पढ़ें* *पहली उपलब्धि* 200 साल तक हमारे देश को गुलाम बनाने वाले ब्रिटेन में 53 देशों की मीटिंग में मोदी जी महा अध्यक्ष बने,,,इसी बात से हर एक भारतीय का सीना गर्व से चौड़ा हो जाना चाहिए,,, *दूसरी उपलब्धि* UN मानवाधिकार परिषद में भारत की बड़ी जीत हुई है,,,सबसे ज्यादा वोटों के साथ बना सदस्य,, 97 वोटों की आवश्यकता थी मिले 188 वोट,,,, क्या अब भी भारत की जनता पूछेगी की मोदी विदेश क्यूँ जाते हैं,,,, *तीसरी उपलब्धि* दुनियाँ के 25 सबसे ताकतवर देशों की हुई लिस्ट जारी,,, भारत आया नम्बर चार पर हमसे आगे अमेरिका, रूस और चीन है,,,ये है मोदी युग,,, *चौथी उपलब्धि* 1 लाख करोड़ के पार पहुँचा GST का मासिक टैक्स कलेक्शन,,,,, ये है एक चाय वाले का अर्थशास्त्र,,, *पाँचवी उपलब्धि* नए सौर ऊर्जा संयंत्र लगाने में अमेरिका और जापान को पीछे छोड़ भारत पहुँचा दूसरे स्थान पर,,,, *छठी उपलब्धि* 2017-18 में दोगुना हुआ सौर ऊर्जा का उत्पादन,,,, चीन और अमेरिका भी दंग है,,, *सातवीं उपलब्धि* भारत की आसमान छू रही GDP को देखकर,,, भारत की GDP 8.2%, चीन की 6.7% और अमेरिका की 4.2%। अब भी कहेंगे भारतीय की मोदी विदेश क्यों जाते हैं,,, *आठवीं उपलब्धि* ,,, जल थल ओर आकाश तीनों क्षेत्रों से सुपरसोनिक मिसाइल दागने वाला दुनियाँ का पहला देश बना भारत,,, ये है मोदी युग,,,अगर आपको गर्व हुआ हो तो जयहिन्द लिखना न भूलें,,,, *नवीं उपलब्धि*, ,,,,70 सालों में पाकिस्तान को कभी गरीब नहीं देखा,, लेकिन मोदी जी के आते ही पाकिस्तान कंगाल हो गया,,, दरअसल पाकिस्तान की कमाई का जरिया भारतीय नकली नोटों का व्यापार था,,,, जिसे मोदी जी ने खत्म कर दिया,,, *दसवीं उपलब्धि* को भी पढ़ें,,,,,, एक बात समझ में नहीं आयी,,, 2014 में कांग्रेसी रक्षामंत्री ऐ.के. एंटोनी ने कहा था देश कंगाल है हम राफेल तो क्या छोटा जेट भी नहीं ले सकते,,,,पर मोदी जी ने ईरान का कर्ज भी चुका दिया,, राफेल डील भी करली,, S-400 भी ले रहे हैं! *आखिर कांग्रेस के समय देश का पैसा कहाँ जाता था ?* *ग्याहरवीं उपलब्धि* सेना को मिला बुलेटप्रूफ स्कार्पियो का सुरक्षा कवच,,, जम्मू कश्मीर में मिली सेना को 2500 बुलेटप्रूफ स्कार्पियो,,, *बारहवीं उपलब्धि* अब आपको बताता हूँ भारत का इन 4 सालों में विकास क्या हुआ,,, अर्थव्यवस्था में फ्रांस को पीछे धकेल नम्बर 6 बना,,, *तेरहवीं उपलब्धि* ऑटो मार्केट में जर्मनी को पीछे छोड़ नम्बर 4 बना,,, *चौदहवीं उपलब्धि* बिजली उत्पादन में रूस को पीछे छोड़ नम्बर 3 बना,,, *पन्द्रहवीं उपलब्धि* टेक्सटाइल उत्पादन में इटली को पीछे छोड़ नम्बर 2 बना,,, *सोलहवीं उपलब्धि* मोबाइल उत्पादन में वियतनाम को पीछे छोड़ नम्बर 2 बना,,, *सत्ररहवीं उपलब्धि* स्टील उत्पादन में जापान को पीछे छोड़ नम्बर 2 बना,,, *अठारहवीं उपलब्धि* चीनी उत्पादन में ब्राजील को पीछे छोड़ नम्बर 1 बना,,, *उन्नीसवीं उपलब्धि* राम मंदिर, धारा 370, ट्रिपल तलाक, *जिन पर काम जारी है :-* सी.ए.ए .एनआरसी. समान नागरिक संहिता ,जनसंख्या नियंत्रण कानून इत्यादि। *बीसवीं उपलब्धि* हमेशा सोए रहने वाले हिंदूओं में राष्ट्रवाद जगा दिया, पूरी दुनिया के सवा सौ करोड़ हिंदुओं का एक भी राष्ट्र नहीं है। मैं इस काम को सबसे महत्वपूर्ण मानता हूं। *इसको कहते हैं मोदी युग मोदी सरकार में घाटी से हो रहा है आतंकियों का सफाया,,, लश्कर-ए-तैयबा के आतंकी नवेद वट को मार गिराया,,,हिज्बुल से जुड़े 2 आतंकी ढेर,, 8 महीनों में 230 आतंकियों को 72 हूरों के पास जहन्नुम में पहुंचाया......* *कांग्रेस राज में आतंकी दहशत फैलाते थे मोदी राज में सेना आतंकियों के लिए दहशत* *बनी हुई है,,,ये है मोदी राज का फार्मूला,,,,* *मोदी जी की बढ़ती हुई ख्याति से सारा विपक्ष बौखला गया है कि अब उनके भ्रष्टाचारी हथकंडे कामयाब नहीं हो सकते तब एक अभिमन्यु का वध करने के लिए सारे भ्रष्टाचारिता के महारथी एक होकर चक्रव्यूह की रचना कर रहे हैं 2024 में मोदी को हराने के लिए,,,लेकिन उन भ्रष्टाचारी महारथियों को यह नहीं मालूम कि द्वापर के अभिमन्यु की चक्रव्यूह भेदन की शिक्षा माँ के गर्भ में ली गयी थी और वो भी केवल घुसने की बाहर निकलने की नहीं, लेकिन इस मोदी रूपी अभिमन्यु ने चक्रव्यूह के भेदन व उसे चकनाचूर करने की शिक्षा माँ के गर्भ से बाहर आकर इस माँ भारती से ली है जो अजेय है पराजेय नहीं है,,,,* *आइए आज हम सब मिलकर एक संकल्प ले कि इस सेवक को 2024 में इतने भारी बहुमत से विजयी बनावें की वह आंकड़ा गिनीज बुक में दर्ज होकर रह जाय जिस आंकड़े को कोई छू भी न सके,,,,,* *2024 में मोदी जी को वापस भारत का प्रधानमंत्री बनाएँ।* 🇮🇳🇮🇳 *जय हिंद, जय भारत*🇮🇳 *इस पोस्ट को आप गर्व से पांच ग्रुप में भेजें* *ताकि जन-जन तक ये संदेश पहुंचे और पोस्ट की सार्थकता सिद्ध हो। साभार

शनिवार, 2 अप्रैल 2022

वर्णमाला विज्ञान

आज के छात्रों को भी नहीं पता होगा कि भारतीय भाषाओं की वर्णमाला विज्ञान से भरी है। वर्णमाला का प्रत्येक अक्षर तार्किक है और सटीक गणना के साथ क्रमिक रूप से रखा गया है। इस तरह का वैज्ञानिक दृष्टिकोण अन्य विदेशी भाषाओं की वर्णमाला में शामिल नहीं है। जैसे देखें.... *क ख ग घ ड़* - पांच के इस समूह को #कण्ठव्य कहा जाता है क्योंकि इस का उच्चारण करते समय कंठ से ध्वनि निकलती है। उच्चारण का प्रयास करें। *च छ ज झ ञ* - इन पाँचों को #तालव्य कहा जाता है क्योंकि इसका उच्चारण करते समय जीभ तालू महसूस करेगी। उच्चारण का प्रयास करें। *ट ठ ड ढ ण* - इन पांचों को #मूर्धन्य कहा जाता है क्योंकि इसका उच्चारण करते समय जीभ मुर्धन्य (ऊपर उठी हुई) महसूस करेगी। उच्चारण का प्रयास करें। *त थ द ध न* - पांच के इस समूह को #दंतव्य कहा जाता है क्योंकि यह उच्चारण करते समय जीभ दांतों को छूती है। कोशिश करें। *प फ ब भ म* - पांच के इस समूह को कहा जाता है #अनुष्ठान क्योंकि दोनों होठ इस उच्चारण के लिए मिलते हैं। कोशिश करें। दुनिया की किसी भी अन्य भाषा में क्या ऐसा वैज्ञानिक दृष्टिकोण है? क्यों न हम इसकी विशेषताएं औरों को भी भेजें और अपनी भाषा का गौरव बढ़ाएँ।

शुक्रवार, 1 अप्रैल 2022

सहारनपुर- स्मार्ट सिटी ?

अवैध अतिक्रमण, पार्किंग, उगाही स्मार्ट सिटी की दौड़ में सहारनपुर नगर अभी बहुत पीछे है। नगर का बुरा हाल है। अतिक्रमण ने नगर को जकड़ रखा है। बाज़ारो में दुकानदारों ने बेहताशा अतिक्रमण कर रखा है। बाकी रही सही कसर फड़ी वाले, ठेले वालो ने पूरी कर रखी है। कुछ सड़को पर दुकानें नही हैं वहां पर अवैध पार्किंग बना दी गई है। बताया जाता है कि इन सबसे मोटी उगाही की जा रही है। यूं तो सहारनपुर नगर में यह सब समस्या हमेशा से ही रही हैं।लेकिन पिछले कुछ सालों में नगर की पॉपुलेशन बढ़ने के कारण अब विकराल रूप लेती जा रही है। आज पैदल चलने वालो की संख्या कम है जबकि वाहनों की संख्या बढ़ती जा रही है। नगर के मुख्य बाजार अतिक्रमण से बुरी तरह त्रस्त हैं। न ही दुकानदार कम है और न ही फड़ी वाले। कहीं कहीं तो तीस चालीस फिट चौड़ाई के बाजार दिन के समय गलियारे नज़र आते हैं। बाज़ारो और सड़कों के नाम क्या बताएँ, यों कहिये की कोई भी बाजार औऱ सड़क ऐसी नही है जहां अतिक्रमण न हो रहा हो। प्रत्येक वर्ष प्रसाशन साल में एक दो बार अतिक्रमण हटाओ अभियान चलाता है। जिसकी शुरुवात बड़ी कचहरी या घण्टाघर से होकर वहीं समाप्त हो जाती है। कभी भी चौकी सराय या फव्वारे से शुरुवात नही की जाती।जहां से चार चार सड़के अतिक्रमण से भरपूर होती हैं। नगर निगम द्वारा अतिक्रमण विरोधी दस्ता बनाया हुआ है, पता नही यह दस्ता साल भर तक क्या करता है। किसी फड़ी वाले, ठेली वाले से जगह खाली करने को कहो तो वह तड़ी से कहता है क्यो हटूं, यहाँ खड़े होने के पैसे देता हूँ। याद आते हैं निवर्तमान कमिश्नर श्री आर पी शुक्ल जी जिन्होंने कड़ी मेहनत से प्रशाशन को साथ लेकर नगर को अतिक्रमण मुक्त करा दिया था। ऐसा अभी भी हो सकता है। प्रशाशन चाहे तो क्या नही कर सकता? इच्छा शक्ति होनी चाहिये। नगर को स्मार्ट बनाने के लिये सबसे पहले नगर को अतिक्रमण मुक्त करायें। सिर्फ सीवर लाइन , डिवाइडर या कुछ खम्बों पर led लाईट लगा देने से नगर स्मार्ट सिटी तो नही बन पायेगा। सुनील जैन राना

पुरानी यादें

एक जमाना था... खुद ही स्कूल जाना पड़ता था क्योंकि साइकिल बस आदि से भेजने की रीत नहीं थी, स्कूल भेजने के बाद कुछ अच्छा बुरा होगा ऐसा हमारे म...