शुक्रवार, 24 दिसंबर 2021

खाद्य पदार्थो में मिलावट

दूध, मावा, घी,मसाले आदि अनेको खाद्य पदार्थों में मिलावट की जा रही है। ज्यों ज्यों आबादी बढ़ रही है त्यों त्यों प्रत्येक खाद्य पदार्थ की खपत भी बढ़ रही है। ब्याह शादी एवं त्योहारों के सीजन में इन सभी वस्तुओं की खपत और ज्यादा बढ़ जाती है। उसकी पूर्ति नकली खाद्य पदार्थों से की जाती है।दो दशक से दूध की खपत बहुत बढ़ गई है। सीज़न में दूध की आपूर्ति पूरी करने के लिए सिंथेटिक दूध बनाया जाता है। पहले यह कम पैमाने पर बनता था आज इसका कारोबार बहुत बढ़ गया है। इसका एक मुख्य कारण हमारे टीवी चैनल भी हैं। ये चैनल अपनी टीआरपी बढ़ाने के लिये ये सिंथेटिक दूध की धर पकड़ ही नही दिखाते बल्कि सिंथेटिक दूध कैसे बनता है, इसमें किस किस चीज का प्रयोग होता है। इसको बनाने की विधि क्या है, आदि सभी बाते विस्तार से कई कई बार दिखाते हैं। ऐसा करने से देश के कुछ बेरोजगार इसी कार्य मे लग जाते हैं और खूब धन कमाते हैं। इसी तरह अन्य वस्तुओं को भी मिलावट द्वारा कैसे बनाया जाता है सब कुछ अच्छे से दिखाते हैं। खाद्य विभाग कहाँ तक चैकिंग करेगा? चैकिंग तो बस नामी गिरामी कम्पनी की हो जाती है। हर गली चौराहे पर खाद्य पदार्थो की दुकानें होती हैं।सबकी चैकिंग करना भी आसान नही है। नकली दूध,मावा,घी के अलावा मिलावटी मसालों की भरमार रहती है। एगमार्क मसाले भी शतप्रतिशत शुध्द हो कोई गारंटी नहीं, क्योंकि एगमार्क मसाले बनाने वाली सभी कम्पनियो की जांच नही होती। बस एक दो प्रमुख कम्पनियों की जांच कर इतिश्री कर ली जाती है। सभी जगह के स्थानीय प्रशासन को चाहिये की उनके नगर में मिलावट न हो, जो भी मिलावट करने वाला मिले उस पर कठोर कार्यवाही करनी चाहिये। * सुनील जैन राना *

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