बुधवार, 14 जुलाई 2021

बैंक क़र्ज़ की भरपाई

 बैंक अधिकारी और कॉरपोरेट जगत एवं नेतागण की मिलीभगत का नतीजा होता है एनपीए। दशकों से यही होता आ रहा है। जनता की भलाई का धन खा जाते हैं ये सब मिलकर। लचीले कानूनों का फायदा उठाते ये लोग भारत की उन्नति में बाधक रहे हैं। पिछले सात वर्षो में मोदी सरकार में ऐसे लचीले कानूनों को सख्त बनाया गया है ,लेकिन हैरत की बात यह है की अभी भी बैंको का एनपीए खत्म नहीं हो पाया है। बैंको का धन लेकर भागे अनेक भगोड़ो पर कार्यवाही स्वरूप उनकी सम्पत्ति जब्त की जा चुकी है ,लेकिन आज तक किसी बैंक अधिकारी पर एक -आध को छोड़कर अन्य किसी पर कार्यवाही होते दिखाई नहीं दी है। 

हैरत की बात यह भी है की भारत में ऐसा कोई कानून नहीं था की यदि कोई कम्पनी दिवालिया हो जाये तो उससे बैंक का धन कैसे वसूल किया जाये। मोदी सरकार में NCLT  नेशनल कम्पनी लॉ ट्रिब्यूनल कानून बनाकर कम्पनियो के दिवालिया हो जाने पर कम्पनी को नीलाम कर उससे प्राप्त धन से बैंक आदि से लिए कर्ज की पूर्ति एवं अन्य देनदारियां की पूर्ति की जाएगी। अब ऐसा नहीं है की किसी कम्पनी ने करोड़ो -अरबो का कर्ज लिया थोड़े समय बाद अपनी कम्पनी का दिवाला निकाल दिया और फिर उसी धन से मज़े की जिंदगी बसर की। अब तो कर्ज ली गई कम्पनी के मालिकों को नये कानून के तहत जबाबदेही से गुजरना होगा और क़र्ज़ के नुकसान की भरपाई करनी होगी। 

अभी भी कुछ ऐसे लोच हैं  जिनके कारण बैंको का एनपीए खत्म नहीं हो पा रहा है ऐसे में उनकी जांच कर नियम कानून और कठोर बनाने की जरूरत है ,साथ ही बैंक की जिम्मेदारी भी नियत होनी चाहिये। केज देने से पहले बैंक अधिकारियो को चाहिये की क़र्ज़ लेने वाले की हैसियत की जांच कर गिरवी  में उचित दस्तावेज़ आदि प्राप्त करे। यदि बैंको का एनपीए खत्म हो जाये तो उसी धन से राष्ट्र निर्माण तेज़ी से हो सकेगा। * सुनील जैन राना *


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