बैंकिंग भ्र्ष्टाचार लील गया अर्थव्यवस्था को ,ले डूबा कोरोना
March 12, 2020 • सुनील जैन राना • भ्र्ष्टाचार
बैंकिंग भ्र्ष्टाचार लील गया अर्थव्यवस्था को बाकि रही सही कसर पूरी कर रहा कोरोना वायरस। पिछली सरकारों में व्याप्त भ्र्ष्टाचार ने भारतीय अर्थव्यवस्था को छिन्न -भिन्न कर दिया था जिसका खामियाजा आज तक हम सभी भुगत रहे हैं। उद्योग जगत ,नेता और बड़े बैंक अधिकारियों की मिलभगत ने लाखों फर्जी कंपनिया खोलकर बिना सुरक्षा जो लोन बांटा वह आज एनपीए बन गया है। सूत्रों के अनुसार लगभग दस लाख करोड़ से ज्यादा का लोन फर्जी कंपनियों को बिना गारंटी दे दिया गया था जो आज बसूल नहीं हो रहा है। हालांकि मोदीजी ने इनमे से कई लाख कम्पनियाँ बंद करवा दी हैं।
इस लूट के खेल में विजय माल्या -नीरव मोदी जैसे भगोड़े तो छोटे खिलाडी हैं ,बड़े खिलाड़ियों में देश की बड़ी कम्पनियाँ मोबाईल कम्पनियाँ ,सरकारी कम्पनियाँ एवं एयर इण्डिया जैसे सरकारी उपक्रमों के आलावा अनेको उद्योगपति -नेता -बैंक अधिकारी आदि शामिल हैं। जिन्होंने आपसी मिलीभगत से लचर कानूनों का फायदा उठाकर आपसी बंदरबाट कर जनता की भलाई के धन को लूट लिया। मोबाईल कम्पनी वोडाफोन आईडिया एयरटेल जैसी बड़ी कंपनियों पर ही १.४७ लाख करोड़ रूपये बकाया बसूलने का नोटिस सुप्रीम कोर्ट ने इन कंपनियों को दिया।
मोदी सरकार में कुछ कड़े फैसले जैसे नोटबंदी ,जीएसटी ने भी कारोबार पर असर डाला। नोटबंदी के दौरान बैंको द्वारा बड़े पैमाने पर मिलीभगत से नोट बदलने के भी बहुत मामले उजागर हुए थे। कुल मिलाकर यह कहा जा सकता है की बैंकिंग व्यवस्था में व्याप्त भ्र्ष्टाचार इतना गहरा है की मोदी सरकार भी पिछले कार्यकाल में इस पर लगाम लगाने में कामयाब नहीं हो सकी है। एक छोटे किसान -आम आदमी के लोन वापस न करने पर उसका इतना उत्पीड़न हो जाता है की कई बार वह आत्महत्या तक कर लेता है जबकि बड़े लोनधारी का कुछ नहीं बिगड़ता है। धोखाधड़ी के चलते अनेको बैंक बंद हो रहे हैं और कोरोना वायरस से पूरी दुनिया की अर्थव्यवस्था ही चरमरा गई है।
सबसे बड़ी समस्या यह है की जबाबदेही में लापरवाही है। हज़ारो करोड़ की लूट करने वाले खुलेआम घूम रहे हैं। कुछ ही जेल की हवा खाते हैं और छूट जाते हैं।लगता है की गबन किए धन की बसूली के कठोर कानून नहीं हैं। लचर कानूनों का फायदा उठाकर ही एक की टोपी दूसरे के सर रखकर गबन किया जा रहा है। हज़ारो करोड़ का गबन करो ,पकड़े जाओ तो कुछ समय जेल में ऐश करो ,बड़े वकील कर कानून को जेब में रखो ,फिर बड़े आदमी कहलाकर मौज से रहो कुछ ऐसा ही हो रहा है मेरे भारत महान में। *सुनील जैन राना *
इस लूट के खेल में विजय माल्या -नीरव मोदी जैसे भगोड़े तो छोटे खिलाडी हैं ,बड़े खिलाड़ियों में देश की बड़ी कम्पनियाँ मोबाईल कम्पनियाँ ,सरकारी कम्पनियाँ एवं एयर इण्डिया जैसे सरकारी उपक्रमों के आलावा अनेको उद्योगपति -नेता -बैंक अधिकारी आदि शामिल हैं। जिन्होंने आपसी मिलीभगत से लचर कानूनों का फायदा उठाकर आपसी बंदरबाट कर जनता की भलाई के धन को लूट लिया। मोबाईल कम्पनी वोडाफोन आईडिया एयरटेल जैसी बड़ी कंपनियों पर ही १.४७ लाख करोड़ रूपये बकाया बसूलने का नोटिस सुप्रीम कोर्ट ने इन कंपनियों को दिया।
मोदी सरकार में कुछ कड़े फैसले जैसे नोटबंदी ,जीएसटी ने भी कारोबार पर असर डाला। नोटबंदी के दौरान बैंको द्वारा बड़े पैमाने पर मिलीभगत से नोट बदलने के भी बहुत मामले उजागर हुए थे। कुल मिलाकर यह कहा जा सकता है की बैंकिंग व्यवस्था में व्याप्त भ्र्ष्टाचार इतना गहरा है की मोदी सरकार भी पिछले कार्यकाल में इस पर लगाम लगाने में कामयाब नहीं हो सकी है। एक छोटे किसान -आम आदमी के लोन वापस न करने पर उसका इतना उत्पीड़न हो जाता है की कई बार वह आत्महत्या तक कर लेता है जबकि बड़े लोनधारी का कुछ नहीं बिगड़ता है। धोखाधड़ी के चलते अनेको बैंक बंद हो रहे हैं और कोरोना वायरस से पूरी दुनिया की अर्थव्यवस्था ही चरमरा गई है।
सबसे बड़ी समस्या यह है की जबाबदेही में लापरवाही है। हज़ारो करोड़ की लूट करने वाले खुलेआम घूम रहे हैं। कुछ ही जेल की हवा खाते हैं और छूट जाते हैं।लगता है की गबन किए धन की बसूली के कठोर कानून नहीं हैं। लचर कानूनों का फायदा उठाकर ही एक की टोपी दूसरे के सर रखकर गबन किया जा रहा है। हज़ारो करोड़ का गबन करो ,पकड़े जाओ तो कुछ समय जेल में ऐश करो ,बड़े वकील कर कानून को जेब में रखो ,फिर बड़े आदमी कहलाकर मौज से रहो कुछ ऐसा ही हो रहा है मेरे भारत महान में। *सुनील जैन राना *
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