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March 2, 2020 • सुनील जैन राना • राजनीति
एक कविता दंगो को समर्पित
असामाजिक तत्वों ने करा दिया दंगा
भाई चारे के बीच बढ़ा दी खाई
मेहनत की कमाई दंगो ने खाई
किसी की मौज आई ,किसी की मुसीबत आई
दुकानें जली इसकी ,मौज आई उसकी
दंगा कराया जिसने लूट मचाई उसने
वह उठाईगिरा बेरोजगार ,हो गया मालामाल
कुकृत्य किया किसीने ,भुगत रहा कोई
अपराधी आज़ाद ,सज़ा बेकसूर ने पाई
भाईचारे में फलीता लगा रहा कोई
समझ में नहीं आता वह इंसान है या द्रोही
मर रही जनता ,नेताओं की बन आई
लाशों के ढेर पर राजनीति चमकाई
शासन और प्रशासन मजबूर दिखाई देते
वोटो की राजनीति में पक्षपात जैसा करते
बेघर हुए जो लोग ,फुटपाथ पर हैं आज
मौज कर रहे गुंडे ,बेबस इंसान है आज
यह कैसा लोकतंत्र ,यह कैसी डेमोक्रेसी
इसमें तमाम जनता की हो रही है ऐसी तैसी
हो भाईचारा कायम कुछ प्रयास करें ऐसा
मिलजुलकर रहें हम,दोबारा न हो दंगा ऐसा।
********** सुनील जैन राना ***********
असामाजिक तत्वों ने करा दिया दंगा
भाई चारे के बीच बढ़ा दी खाई
मेहनत की कमाई दंगो ने खाई
किसी की मौज आई ,किसी की मुसीबत आई
दुकानें जली इसकी ,मौज आई उसकी
दंगा कराया जिसने लूट मचाई उसने
वह उठाईगिरा बेरोजगार ,हो गया मालामाल
कुकृत्य किया किसीने ,भुगत रहा कोई
अपराधी आज़ाद ,सज़ा बेकसूर ने पाई
भाईचारे में फलीता लगा रहा कोई
समझ में नहीं आता वह इंसान है या द्रोही
मर रही जनता ,नेताओं की बन आई
लाशों के ढेर पर राजनीति चमकाई
शासन और प्रशासन मजबूर दिखाई देते
वोटो की राजनीति में पक्षपात जैसा करते
बेघर हुए जो लोग ,फुटपाथ पर हैं आज
मौज कर रहे गुंडे ,बेबस इंसान है आज
यह कैसा लोकतंत्र ,यह कैसी डेमोक्रेसी
इसमें तमाम जनता की हो रही है ऐसी तैसी
हो भाईचारा कायम कुछ प्रयास करें ऐसा
मिलजुलकर रहें हम,दोबारा न हो दंगा ऐसा।
********** सुनील जैन राना ***********
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