कोरोना -गरीबों में अनाज बटे,सड़े ना? http://suniljainrana.blogspot.com/
March 26, 2020 • सुनील जैन राना • लापरवाही
कोरोना वायरस की महामारी से भारत देश भी चपेट में आता जा रहा है। देश के अधिकांश राज्यों -जिलों में लोक डाउन एवं कर्फ़्यू लगा दिया गया है। ऐसे में रोज कमाकर खाने वाला गरीब परेशानी में आ गया है। नौकरीपेशा को तो सेलरी मिल जायेगी लेकिन दिहाड़ी मज़दूर का पेट कैसे भरेगा इसके लिए केंद्र सरकार और राज्य सरकारों ने ऐसे गरीबों को मुफ्त या बहुत कम कीमत पर अनाज उपलब्ध कराने को योजनाएं बनाकर प्रयास शुरू कर दिए हैं।
*एक पंथ दो काज हो सकते हैं ऐसे में *मोदीजी के सूचनार्थ *प्रतिवर्ष हज़ारो टन अनाज खुले में बारिश में भीग जाने से सड़ जाता है। अनाज की कुल खरीद के पर्याप्त भंडारण की पूर्ण व्यवस्था नहीं है। दशकों से प्रतिवर्ष करोड़ो -अरबों का अनाज खुले में रखने से भीग जाने पर बर्बाद हो रहा है। कुछ वीडियो ऐसी भी आती हैं जिनमें अनाज को जानबूझकर भिगोते दिखाया जाता है। अर्थात जानबूझकर अनाज भिगोया /सड़ाया जाता है फिर उसे शराब /बीयर माफिया को सस्ते दामों पर बेचा जाता है। कुछ जगह घटतौली और घटिया क्वालिटी को छुपाने को सुनियोजित तरीके से ऐसा किया जाता है। बहुत तगड़े माफ़िया हो सकते हैं ऐसे?इसकी भी गहन जांच होनी चाहिए।
रबी की फसल आने वाली है,भारतीय खाद्य निगम FCI के गोदाम पहले से ही भरे हुए हैं।सूत्र बताते हैं की नई खरीद को रखने की जगह भी नहीं है ऐसे में अनाज खुले में ही रखना पड़ेगा। हर साल हज़ारो करोड़ खर्च कर भी पर्याप्त गोदामों का न बनना आशंका ही दर्शाता है। मोदीजी की अनेको जनहितकारी योजनाओं में इस योजना पर भी भरपूर ध्यान देने की जरूरत है। भारत जैसे देश में अनाज के सड़ने देने से अच्छा है की गरीबों तक पहुंचाया जाए। कोरोना जैसी महामारी में कोई गरीब भूखा न रहे इसके लिए जरूरी है की ईमानदारी से गोदामों में ख़राब होने से पहले ही अनाज गरीबों तक पहंचाया जाए।
ऐसा करने से एक पंथ दो काज होंगे। पुराना अनाज सड़ने/खराब होने से बचेगा एवं नए अनाज को रखने की जगह मिलेगी। सबसे अहम बात यह की कोई भूखा न सोये मेरे देश में ऐसी भावना हम सबकी भी होनी चाहिए। सबका साथ मिलेगा तभी सबका विकास सम्भव हो पायेगा। * सुनील जैन राना *
*एक पंथ दो काज हो सकते हैं ऐसे में *मोदीजी के सूचनार्थ *प्रतिवर्ष हज़ारो टन अनाज खुले में बारिश में भीग जाने से सड़ जाता है। अनाज की कुल खरीद के पर्याप्त भंडारण की पूर्ण व्यवस्था नहीं है। दशकों से प्रतिवर्ष करोड़ो -अरबों का अनाज खुले में रखने से भीग जाने पर बर्बाद हो रहा है। कुछ वीडियो ऐसी भी आती हैं जिनमें अनाज को जानबूझकर भिगोते दिखाया जाता है। अर्थात जानबूझकर अनाज भिगोया /सड़ाया जाता है फिर उसे शराब /बीयर माफिया को सस्ते दामों पर बेचा जाता है। कुछ जगह घटतौली और घटिया क्वालिटी को छुपाने को सुनियोजित तरीके से ऐसा किया जाता है। बहुत तगड़े माफ़िया हो सकते हैं ऐसे?इसकी भी गहन जांच होनी चाहिए।
रबी की फसल आने वाली है,भारतीय खाद्य निगम FCI के गोदाम पहले से ही भरे हुए हैं।सूत्र बताते हैं की नई खरीद को रखने की जगह भी नहीं है ऐसे में अनाज खुले में ही रखना पड़ेगा। हर साल हज़ारो करोड़ खर्च कर भी पर्याप्त गोदामों का न बनना आशंका ही दर्शाता है। मोदीजी की अनेको जनहितकारी योजनाओं में इस योजना पर भी भरपूर ध्यान देने की जरूरत है। भारत जैसे देश में अनाज के सड़ने देने से अच्छा है की गरीबों तक पहुंचाया जाए। कोरोना जैसी महामारी में कोई गरीब भूखा न रहे इसके लिए जरूरी है की ईमानदारी से गोदामों में ख़राब होने से पहले ही अनाज गरीबों तक पहंचाया जाए।
ऐसा करने से एक पंथ दो काज होंगे। पुराना अनाज सड़ने/खराब होने से बचेगा एवं नए अनाज को रखने की जगह मिलेगी। सबसे अहम बात यह की कोई भूखा न सोये मेरे देश में ऐसी भावना हम सबकी भी होनी चाहिए। सबका साथ मिलेगा तभी सबका विकास सम्भव हो पायेगा। * सुनील जैन राना *
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