शुक्रवार, 4 मई 2018



JNU की तर्ज पर AMU का जिन्ना
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हमारे भारत देश के कई राज्यों में असहिष्णुता का माहौल है। शायद इसलिए की पिछले ७० सालों से चली आ रही कुछ बातों में बदलाव कुछ लोगो और कुछ दलों को रास नहीं आ रहा है। इसी कारण देश भर में जातिवाद
का सहारा ले देश को बांटने की साज़िस हो रही है।
लेकिन इन सब से भी अलग बात यह है की भारत देश में रहकर भारत विरोधी कार्य या गतिविधियां चलाई जा रही हैं। भारत के टुकड़े करने की बात कही जा रही है। कश्मीर में आतंकियों के समर्थन में कश्मीरियों द्वारा
सेना पर हमला -पत्थर बाज़ी। JNU में भारत विरोधी नारे -भारत के टुकड़े करने की आवाज़ उठ रही है। AMU
में देश के टुकड़े करने वाले जिन्ना की तरफ़दारी हो रही है। जिन्ना की फोटो हटाने पर बबाल हो रहा है।
विडंबना की बात यह है की इन सभी बातों में इन देश द्रोहियों का साथ भारत के कुछ राजनीतिक दल दे रहे हैं।
इन सभी बातों में उलटे केंद्र सरकार को दोषी करार दे रहे हैं।
इसका तातपर्य यह हुआ की केंद्र सरकार देश विरुद्ध किसी भी कार्यवाही में अड़चन मत डाले। इन बड़े शिक्षक
संस्थानों में जनता के धन से सब्सिडी पाकर पढ़ रहे कुछ छात्र लगातार फेल होकर देश विरोधी नेता बनते जा रहे हैं। सम्पूर्ण शिक्षा संस्थान ऐसा ही ही यह कहना तो गलत ही होगा लेकिन एक मछली ही सारे तालाब को गंदा कर देती है यह कहावत चरितार्थ हो रही है।
भारत देश में किसी भी स्थल पर जिन्ना की फ़ोटो का क्या ओचित्य है ?जो भी जिन्ना का समर्थन कर रहे हैं वे सब पाकिस्तान समर्थक ही तो कहलायेंगे। ऐसा होना बहुत चिंताजनक है।
सरकार को इन शिक्षा संस्थानों में सब्सिडी से पढ़कर फेल हो रहे छात्रों को निकाल बाहर करना चाहिए। देश विरोधी तत्वों की पहचान कर कठोर कार्यवाही करनी ही चाहिए।
*सुनील जैन राना -सहारनपुर *

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