कर्नाटक का नाटक खत्म हुआ
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एक सप्ताह चले कर्नाटक के नाटक का अंत लगभग हो ही गया है। ढ़ाई दिन की येदुरप्पा की सरकार ने धनबल
और बाहुबल से बहुमत पाने को नकारते हुए अपना इस्तीफ़ा देकर जता दिया की विपक्ष ने जो आरोप लगाए थे की १०० -१०० करोड़ में विधायकों को खरीदा जा रहा है वह सब गलत थे।
अब कांग्रेस के नेतागण जरूरत से ज्यादा उत्साह में हैं और अनर्गल भाषा बोल रहे हैं। उनके एक नेता ने तो कर्नाटक के राजयपाल को कुत्ते तक की संज्ञा दे डाली जिसपर तमाम सोशल मिडिया पर उनकी आलोचना
कुत्ते के समान ही हो रही है।
कर्नाटक की राजनीति में जहां बीजेपी ने इस्तीफा देकर इज्जत कमाई वहीं कांग्रेस ने सत्ता की चाहत में इज्जत
बेच खाई। चुनावो में जिस जेडीएस को गालियां देकर विरोध में कांग्रेस खड़ी थी उसी के सामने सत्ता की चाहत
में समर्पण कर दिया। सबसे छोटी पार्टी के मुख्यमंत्री बनेंगे और कांग्रेस उनके नीचे कार्य करेगी। गिरावट और
चाटुकारिता का शर्मनाक उदाहरण कहलायेगा यह सब।
सूत्रों का सोचना यह भी है की यह सरकार कितने दिन चलेगी ,क्योकि विचारों की भिन्नत्ता और कांग्रेस का अहंकार ज्यादा दिन साथ नहीं देता। जेडीएस से कांग्रेस का पुराना बैर है ऐसे में कांग्रेस कितने दिन जेडीएस
के मातहत कार्य कर सकेगी यह समय ही बतायेगा।
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