गुरुवार, 4 जनवरी 2018


चायनीज मांझा - कट रहे परिंदे
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आज शाम अचानक एक चील आसमान से धरती पर गिरी

और धीरे -धीरे पास के मंदिरजी में जा पहुँची। उसे देखने

पर पता चला की मांझे से उसका एक पंख कट गया है।

उसे फौरन उपचार के लिये जीव रक्षा केंद्र भेजा दिया गया।

ऐसा अक्सर ही होता रहता है। खासकर कबूतर तो बेचारे

इन माँझो की चपेट में आते ही रहते हैं।

पता नहीं क्यों सरकार चायनीज मांझे पर पूर्ण प्रतिबंध क्यों

नहीं लगाती। यदा -कदा स्थानीय प्रशाशन द्वारा चायनीज

मांझे के खिलाफ धरपकड़ का मामूली अभियान चलाकर

क्षतिपूर्ति कर ली जाती है। चायनीज मांझे से सिर्फ परिंदे ही

नहीं बल्कि इंसान भी घायल हो रहे हैं। यह मांझा बहुत तेज

होने के साथ -साथ फैला -फूला सा रहता है। किसी के भी पैरो

में उलझकर घायल कर देता है।

उत्तरप्रदेश के सहारनपुर आदि अनेक जिलों में बसंत पंचमी

को बेहताशा पतंगबाज़ी होती है। ऐसे में यदि समय रहते इस

चायनीज मांझे पर पाबंदी नहीं लगाई गई तो न जाने कितने

पक्षी घायल होकर अपनी जान खो बैठेंगे।

श्री दया सिंधु जीव रक्षा केंद्र जनमानस से अनुरोध -निवेदन

करता है की यदि हम सभी चायनीज मांझे का बहिष्कार करें

तो मांझा बेचने वाला खुद ही चायनीज मांझा रखना बंद कर

देगा। जीव दया मानव का सर्वोपरि गुण होता है। हम जीवदया

में सहभागी बन अनेक परिंदो को बचा सकते हैं।

निवेदक - सुनील जैन राना  ( संयोजक )

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