शुक्रवार, 17 फ़रवरी 2017




                 भ्र्ष्टाचार - अनसुलझी पहेली
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देश में भ्र्ष्टाचार का बोलबाला है। मोदीजी के आने के बाद से ऊपरी

स्तर पर तो भ्र्ष्टाचार में कमी आयी है लेकिन निचले स्तर या राज्यो के

स्तर पर भ्र्ष्टाचार में कोई कमी नही आ रही।

दरअसल अनेको जटिल कानूनों के कारण भ्र्ष्टाचार बढ़ रहा है। जितने

पेचीदे क़ानून उतना ज्यादा भ्र्ष्टाचार। देने वाला भी खुश ,लेने वाला भी

खुश। कोई इंक्वॉयरी भी करना चाहे तो दोनों में से कोई ना बताये।

जब तक देश में विभिन्न टैक्स और कानूनों का सरलीकरण नही होगा


तब तक भ्र्ष्टाचार कम नही होगा ?







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