चुनावआयोग जागा
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उप्र में आधे चुनाव निपट जाने पर चुनाव आयोग जागा ?जागते ही ऐसा
फरमान जारी किया जो उसकी दूरदर्शिता बयान करता है ?
अब उप्र में जिस जगह चुनाव होने रह गए हैं वहाँ पर ढ़के जा रहे हैं बसपा
के हाथी ,मिटाया जा रहा है एम्बुलन्स से समाजवादी नाम ?
यह सब व्यर्थ का खर्च और मुफ्त पब्लिसिटी हो रही है ?पहले राह चलते
ना हाथी देखता था और ना ही समाजवादी नाम। लेकिन अब प्लास्टिक
तिरपाल से ढके हाथी और एम्बुलेंस पर मिटाये नाम पर सबकी नज़र जायेगी।
इससे दोनों दलों को मुफ्त की पब्लिसिटी मिलेगी।
चुनाव आयोग को सड़को पर चल रही साइकिल ,तालाब में खिल रहे कमल
पर भी बैन लगाना चाहिए ?और पंजा ,जिसे सब लड़ाने में लगे हैं उसके बारे में
भी कुछ सोचना चाहिए ?
यह सब ऐसी बात है जैसे एक रोगी हक़ीम के पास गया। हक़ीम ने उसे दवाई
देकर कहा की दवा खाते समय दिमाग में बन्दर के बारे में मत सोचना तो दवा
जल्दी आराम देगी। बस फिर क्या था ,वह रोगी जिसने कभी बन्दर के बारे में
सपनों में भी नही सोचा -देखा था अब हर समय उसे बन्दर दिखने -सोचने लगा।
दवाई खाते समय तो और भी ज्यादा ?
इसी तरह हाथी कोई ना भी देखता होगा लेकिन अब ढ़के हाथी को देखकर जरूर
सोचेगा। यह है मेरा भारत महान। यहां रोज ही कुछ नया होता है।
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