रिशवत ही तो है
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चुनावो में राजनैतिक दलों द्वारा सत्ता प्राप्ति
के लिए मुफ्त में या कम दामो पर कुछ भी
उपलब्ध कराने की घोषणा करना उचित
नही है या फिर यों कहिये की ऐसा करना
रिश्वत देने की पेशकश करना जैसा ही है ?
जनता के धन को अपनी सत्ता प्राप्ति का
साधन बनाना दुर्भाग्यपूर्ण ही है। यदि ऐसा
करना ही है तो दलों को अपने चंदाफंड से
करना चाहिए।
इस पर चुनाव आयोग और सुप्रीम कोर्ट को
पाबन्दी लगानी चाहिये।
चिन्तक ------सुनील जैन राना
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