*भारत सरकार द्वारा फल- सब्जी को भी मांसाहारी बनाने का दुश्चक्र*
-चिरंजी लाल बगड़ा, कोलकाता
# अभी हाल ही में भारत सरकार के कृषि मंत्रालय द्वारा FCO (Fertilizer Control Order) 1985 में संशोधन करते हुए 13 अगस्त 2025 को गजट नोटिफिकेशन के माध्यम से ऐसे प्रावधान जोड़े हैं जिनके तहत अब बायो-स्टिमुलेंट में पशु- आधारित अमीनो एसिड (Animal Source Amino Acid) को वैध कर दिया गया है।
# गजट नोटिफिकेशन के आईटम नंबर 26 के अनुसार मछलियों के मांस और खाल से निकाले गये प्रोटीन हाईड्रोलाईजेट को आलू की फसलों में फर्टिलाइजर के रूप में उपयोग करने की रिकमेंडेशन है। इसी तरह आईटम 30 के अनुसार गौजातीय/Bovine पशुओं के मांस और चमड़े से प्राप्त किये गये प्रोटीन हाईड्रोलाईजेट को टमाटर की फसलों में फर्टिलाइजर के रुप में उपयोग करने की रिकमेंडेशन है। जबकि आलू और टमाटर ऐसी सब्जियां हैं जिनका शाकाहारी समाज द्वारा भरपूर उपयोग किया जाता है।
₹ फर्टिलाइजर के लिये आवश्यक अमीनो एसिड प्राकृतिक रूप से पौधों, दलहन, सोयाबीन, समुद्री शैवाल आदि से भी प्राप्त किए जा सकते हैं। गजट में लिखा भी है। इसके बावजूद भी मंत्रालय ने कत्लखानों एवं चमड़ा घरों से निकली गंदगी (हड्डियाँ, खून, चमड़ा, आंतरिक अवशेष आदि) से बने उत्पादों को कृषि उत्पादन में उपयोग करने की मंजूरी दी है, जो कि एक अक्षम्य कृत्य है।
# यह भ्रष्ट कृत्य न सिर्फ शाकाहारी समाज की धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुँचाता है, बल्कि चुपके से भारतीय कृषि और खाद्य श्रृंखला में _गौजातीय पशुओं के वेस्ट_ को घुसाने का षड्यंत्र भी है।
# स्लॉटर हाउस और मीट इंडस्ट्री के पास तो प्रतिदिन लाखों टन वेस्ट बचता है। अब इस वेस्ट को बायो-स्टिमुलेंट के नाम पर फर्टिलाइज़र में खपाने का रास्ता मंत्रालय ने खोल दिया है, जिसका सीधा लाभ स्लॉटर हाउस लॉबी को होगा। ऐसे में यह सवाल उठना स्वाभाविक है कि क्या यह निर्णय सरकार और मीट लाबी की मिली भगत का नतीजा है?
# यह आदेश करोड़ों शाकाहारी लोगों की धार्मिक आस्था और जीवनशैली के अधिकार (अनुच्छेद 21) का उल्लंघन है।
# उपरोक्त निर्णय संपूर्ण अहिंसक शाकाहारी समाज के लिए पूरी तरह से अस्वीकार्य है और इसे तत्काल वापस लिया जाना चाहिए।