रविवार, 11 फ़रवरी 2024
रिटायरमेंट के बाद
*रिटायरमेंट के बाद का जीवन:-*
_दिल्ली शहर के सरोजनी नगर में एक आईएएस अफसर रहने के लिए आए, जो हाल ही में सेवानिवृत्त हुए थे।_
_ये बड़े वाले रिटायर्ड आईएएस अफसर, हैरान-परेशान से रोज शाम को पास के पार्क में टहलते हुए, अन्य लोगों को तिरस्कार भरी नज़रों से देखते और किसी से भी बात नहीं करते थे।_
_एक दिन एक बुज़ुर्ग के पास शाम को गुफ़्तगूँ के लिए बैठे और फिर रोज़ाना उनके पास बैठने लगे_
_लेकिन उनकी वार्ता का विषय एक ही होता था- *"मैं दिल्ली में इतना बड़ा आईएएस अफ़सर था कि पूछो मत! यहाँ तो मैं मजबूरी में आ गया हूँ। मुझे तो अमेरिका में बसना चाहिए था..."*_
_और वो बुजुर्ग प्रतिदिन शांतिपूर्वक उनकी बातें सुना करते थे।_
_परेशान होकर एक दिन बुजुर्ग ने उनको समझाया - *"आपने कभी फ्यूज बल्ब देखे हैं? बल्ब के फ्यूज हो जाने के बाद क्या कोई देखता है कि बल्ब किस कम्पनी का बना हुआ था? या कितने वाट का था? या उससे कितनी रोशनी या जगमगाहट होती थी?*_
_*बल्ब के फ्यूज़ होने के बाद ये सब बातें कोई मायने नहीं रखती हैं... बताओ, लोग ऐसे बल्ब को कबाड़ में डाल देते हैं कि नहीं!"*_
_रिटायर्ड आईएएस अधिकारी महोदय ने सहमति में सिर हिलाया तो बुजुर्ग फिर बोले -_ _*"रिटायरमेंट के बाद करीब करीब सभी की स्थिति, फ्यूज बल्ब जैसी हो जाती है।*_
_*हम कहाँ काम करते थे, कितने बड़े अथवा छोटे पद पर थे, हमारा क्या रुतबा था, ये कुछ भी मायने नहीं रखता।"*_
_वे आगे बोले- *"मैं सोसाइटी में पिछले कई वर्षों से रहता हूँ और मैंने आजतक किसी को यह नहीं बताया कि मैं दो बार संसद सदस्य रह चुका हूँ।*_
_*वो जो सामने जाटव जी बैठे हैं, रेलवे के महाप्रबंधक थे।*_
_*वे सामने से आ रहे माहौर जी साहब- सेना में ब्रिगेडियर थे।*_
_*वो माँझी जी- इसरो में चीफ थे... मग़र ये बात उन्होंने किसी को नहीं बताई है, मुझे भी नहीं! अब वो हों चाहे मैं! हम यह बात अच्छी तरह जानते हैं कि सारे फ्यूज़ बल्ब करीब-करीब एक जैसे ही हो जाते हैं, चाहे जीरो वाट का हो 50 वाट का हो या 100 वाट का!"*_
_सीधा फंडा है- रोशनी नहीं तो उपयोगिता नहीं।_
_उगते सूर्य को जल चढ़ा कर सभी पूजा करते हैं। पर डूबते सूरज की कोई पूजा नहीं करता।_
_कुछ लोग अपने पद को लेकर इतने वहम में होते हैं कि रिटायरमेंट के बाद भी उनसे अपने जलबे, भुलाए नहीं जाते! वे अपने घर के आगे नेम प्लेट लगाते हैं - रिटायर्ड आइएएस/रिटायर्ड आईपीएस/रिटायर्ड पीसीएस/ रिटायर्ड जज आदि-आदि।_
_अब ये रिटायर्ड IAS/IPS/PCS/ Engineer/तहसीलदार/ पटवारी/ बाबू/ प्रोफेसर/ प्रिंसिपल/ अध्यापक आदि... जाने कितनी और कौन-कौनसी पोस्ट होती हैं भाई?_
_माना कि आप बहुत बड़े आफिसर थे, बहुत काबिल भी थे, या छोटे भी थे तो आपके हुनर की पूरे महकमे में तूती बोलती थी!_
_पर अब यह सब बातें मायने नहीं रखतीं! अब मायने रखती है तो सिर्फ़ यह बात - कि पद पर रहते समय आप इंसान कैसे थे...?_
_आपने कितनी जिंदगियों को छुआ...?_
_आपने आम लोगों को कितनी तबज्जो दी कि नहीं?..._
_आपने समाज को क्या दिया?_
_लोगों के कितने काम आए?_
_लोगों की मदद की या अपने पद के घमंड में ही सूजे रहे...?_
_मित्रों, 'ये सीख' इस समय जो लोग पदों पर आसीन हैं... कार्यरत हैं... उनके लिए भी है कि- अगर पद पर रहते हुए कभी घमंड आए... तो बस याद कर लेना कि- एक दिन सबको फ्यूज होना है, और फ़्यूज होने के बाद अग़र अहमियत रहेगी तो सिर्फ़ इस बात की- कि आपने अपने जीवनकाल में (जब आप सक्षम थे तब) कितने लोगों को रोशनी प्रदान की।_
_अतः मित्रों, चाहे आप पद पर हों या न हों! अभी भी वक्त है। चिंतन करिए... तथा समाज एवं सोसायटी का, जो भी संभव हो हित कीजिए... अपने आभामंडल रूपी बल्ब से समाज एवं देश को रोशन कीजिए।_
_😊
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