शनिवार, 25 नवंबर 2023

घायल नोट

बैंक क्यों नहीं लेते कटे- फटे नोट देश मे चल रहे कागज के नोटों की स्तिथी ठीक नहीं है। नये नोट भी चलन के थोड़े दिन बाद ही मैले- कुचैले से हो जाते हैं। समझ में नहीं आता की भारतीय करेंसी इतनी जल्दी खराब क्यों हो जाती है। हर कोई अपने पास नये से नोट रखकर पुराने आगे चला देता है। इनमें से बहुत से नोट कट- फट जाते है जो आपस के लेन देन में भी चलने मुश्किल हो जाते हैं। ऐसे नोटों का क्या करें? बैंक भी कटे-फ़टे नोट क्यों नहीं लेते जबकि RBI के निर्देश हैं की ग्राहक से सभी प्रकार के नोट बैंक को मान्य होंगे। बैंक वाले तो पूरी 100 की गड्डी में से भी कुछ फ़टे नोट हो तो निकाल कर ग्राहक को दे देते हैं उसके बदले दूसरे साफ नोट लेते हैं। बैंक के द्वारा ऐसा करना बहुत गलत है। बैंक को तो ग्राहक से सभी प्रकार के नोट ले लेने चाहिये। कटे-फटे नोट कमीशन पर यानी बट्टे पर चल जाते हैं। लगभग 10% कमीशन या बट्टा लगाकर कमीशन एजेंट नोट बदलकर दे देते हैं। यानी 1000 रुपये के कटे-फटे नोट के बदले 900 रुपये मिलते हैं। नोट ज्यादा घायल होने पर उसके बदले और भी कम दाम मिलते हैं। लेकिन सभी प्रकार के घायल नोट बदले जाते हैं। अब सवाल यह है की कमीशन एजेंट घायल नोट लेकर क्या करते हैं? सूत्रों से पता चलता है की इन कमीशन एजेंटों की कुछ बैंक वालो से मिलीभगत होती है। जिसके फलस्वरूप ये लोग बैंक में घायल नोट देकर और कुछ कमीशन देकर अपने नोट बदलवा लेते हैं। मतलब कुछ ऐसा हुआ की इन्होंने ग्राहक से 10% कमीशन लिया और उसमें से 2-3% बैंकवालो को देकर कटे-फटे नोटों को बदलवा लिया। ऐसा होना सरासर RBI के निर्देशों का हनन है। लेकिन किसी का कुछ बाल भी बांका नहीं हो रहा है। हर शहर के बाजारों में कटे-फटे नोट बदलने वाले बैठे दिखाई दे जाएंगे। कोई संदेह की बात नहीं की ये लोग घायल नोट ग्राहक से लेकर बैंक में न देते होंगे। ऐसे ही नये नोटों की गड्डी बाजार से कुछ ज्यादा मूल्य पर आसानी से मिल जाती है लेकिन बैंक वाले नहीं देते। RBI को इन बातों को संज्ञान में लेकर सख्ती से जनहित में निर्देश जारी करना ही चाहिये। सुनील जैन राना

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