रविवार, 28 मई 2023
नये संसद भवन का विरोध क्यो?
नये संसद भवन का विरोध क्यों?
देश की राजधानी दिल्ली में नये संसद भवन का उदघाटन विधिवत हो गया। रिकार्ड समय मे यह भवन बन कर तैयार हुआ। प्रधानमंत्री मोदीजी ने संसद भवन में दण्डवत प्रणाम कर आसन ग्रहण किया।
नये संसद भवन में पवित्र सेंगोल भी स्थापित किया गया। सेंगोल राजदण्ड भी कहलाता है। यह चोल राजवँश की निशानी है। जिसे आज़ादी के बाद विधिपूर्वक तत्कालीन प्रधामनंत्री जवाहरलाल नेहरु जी को सत्ता के हस्तांतरण के रूप में सौंपा गया था। नेहरूजी ने इसे एक संग्रहालय में रखवा दिया था। जिसे मोदीजी में पुनः शुद्धि आदि करवा कर नये संसद भवन में सम्मान के साथ स्थापित करवाया और कहा यह हमें कर्तव्यपथ पर चलने को प्रेरित करता रहेगा।
ऐसे सुंदर और गौरवशाली कार्य का विपक्ष ने बहिष्कार किया। विपक्ष के बहिष्कार करने के कारण भी अजूबों से भरे है। विपक्ष का कहना की भवन का उदघाटन राष्ट्रपति को करना चाहिए मोदीजी को नहीं। विडंबना की बात है की विपक्ष की तारणहार कांग्रेस ने ही इन्ही राष्ट्पति मुर्मू जी को नकार कर उनके खिलाफ प्रत्याशी उतारा था। तब कांग्रेस को मुर्मू जी के सम्मान की बातें याद नहीं आई। कांग्रेस के कुछ सांसद कहते हैं इसकी क्या जरूरत थी जबकि कांग्रेस के समय मे ही 2012 में स्पीकर मीरा कुमार जी ने नये संसद की जरूरत को समझते हुए एप्रुवल दिया था, मनमोहन सिंह पीएम थे। एक आरोप यह भी की ज्यादा खर्च किया गया। ज्ञात रहे कांग्रेस के राज में अफगानिस्तान में भारतीय सहायता से 2005 में पीएम मनमोहन सिंह के द्वारा संसद भवन बनवाने की मंजूरी हुई, जिसकी लागत लगभग 969 करोड़ रुपये हुई। जो बनकर 2015 में तैयार हुआ जिसका उदघाटन मोदीजी के करकमलों से हुआ। यहीं कांग्रेस की पीड़ा है। जबकि भारत का यह संसद भवन उससे बहुत सुंदर, बेहतर, बड़ा और आकर्षक है। इसकी लागत उसके 10 साल बाद उससे भी कम में बना है।
दरअसल लुटियन जोंस में कांग्रेस के अलावा किसी अन्य का दखल ही गांधी परिवार को बर्दाश्त नहीं हो रहा है। विपक्ष भी कांग्रेस की राह पर चलते हुए अनर्गल विलाप कर रहा है। यहाँ तक की संसद भवन के डिज़ाइन को ताबूत के जैसा बता दिया जा रहा है। ऐसे विरोध को दुर्भाग्यपूर्ण ही कहा जा सकता है। विपक्ष का बहिष्कार तर्क सम्मत नहीं है। गलत कार्य का विरोध तो समझ आता है लेकिन हर कार्य का विरोध करना विपक्ष ने अपनी रणनीति बना ली है। छत्तीसगढ़ में बने नये विधानसभा भवन का उदघाटन सभी को दरकिनार कर सांसद सोनिया गांधी और राहुल गांधी ने किया। मुख्यमंत्री का नाम शिलापट पर नीचे कोने में लिखा था। यह कैसी राजनीति, कैसा विरोध, कैसी सोच?
सुनील जैन राना
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