शुक्रवार, 12 मई 2023

नफ़रती भाषण

हेट स्पीच- क्रिया पर प्रतिक्रिया भारतीय राजनीति में जब भी कहीं पर चुनाव होने होते हैं तभी हेट स्पीच बढ़ जाती हैं। हेट स्पीच यानि द्वेषपूर्ण भाषण, जिसमें पक्ष- विपक्ष के नेतागण आपस मे एक दूसरे पर शब्दों के कड़वे बाण चलाते हैं। हेट स्पीच पर उच्च न्यायालय ने भी चिंता जताते हुए केंद सरकार एवं राज्य सरकारो को निर्देश दिया है की हेट स्पीच पर तुरन्त कार्यवाही करें। हेट स्पीच भी कई प्रकार की होती हैं। आपस मे व्यक्तिगत द्वेष भावना से नाम लेकर अपशब्द कहना। एक- दूसरे की पार्टी पर द्वेषपूर्ण वार कर जलील करना। सबसे ज्यादा द्वेषपूर्ण वक्तव्य एक दूसरे पर जातिवाद सम्बंधित टिपण्णी करना। यही सबसे ज्यादा परेशानी की वजह हो रही है देश में। खासकर दो समुदाय के मुट्ठीभर लोगों ने एक दूसरे पर धर्म सम्बन्धी अनर्गल भाषण से देश मे जातिवाद का ज़हर घोला जा रहा है। हम सभी को जातिवादी वक्तव्य देते हुए सम्मान की भावना को भूलना नहीं चाहिये। आदमी लड़ाई- झगड़े तो भूल जाता है लेकिन सम्मान को ठेस पहुंचाने वाले शब्द नहीं भूल पाता है। वर्तमान में हेट स्पीच का शिकार मोदीजी हो रहे हैं। मोदीजी सबका साथ, सबका विकास की बात करते हैं लेकिन विपक्ष उनके लिये अनर्गल भाषा का पयोग कर रहा है। खासकर कांग्रेस के नेता लोग तो बहुत असभ्य भाषा बोल देते हैं। व्यक्तिगत रूप से मोदीजी का नाम लेकर कहना कि मोदी तेरी कब्र खुदेगी जैसे शब्द कांग्रेस की मानसिकता को ही दर्शाते हैं। सत्ता से बाहर रहने पर इतनी बेरुखी ठीक नहीं है। हेट स्पीच किसी भी प्रकार की हो उसपर पाबंदी लगनी ही चाहिये। बल्कि हेट स्पीच देने वाले व्यक्ति, पार्टी पर कठोर कार्यवाही होनी चाहिये। देश में अधिकांश झगड़ो की जड़ हेट स्पीच ही है। हेट स्पीच से ही क्रिया पर प्रतिक्रिया होती है। सुनील जैन राना

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