रविवार, 30 अप्रैल 2023
मलेरिया से बचाव
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घरेलू उपचार
मलेरिया :--------
* बुखार में सेब का सेवन करने से, बुखार जल्दी सही हो जाता है । मलेरिया आने के समय से पहले , सेब का सेवन करने से , बुखार नही आता है ।
* मलेरिया में , नमक व कालीमिर्च को , नींबू में भरकर चूसने से, बुखार की गर्मी दूर हो जाती है ।
* दो नींबू का रस, नींबू के छिलकों सहित, 500 ग्राम पानी में मिलाकर, मिट्टी की हांडी में , रात में उबालकर, आधा रहने पर रख दें। सुबह उसका सेवन करने से, मलेरिया बुखार आना बंद हो जाता है ।
* पानी में नींबू निचोड़कर, स्वाद के अनुसार, चीनी मिलाकर सेवन करने से, चार दिन में , मलेरिया आना बंद हो जाता है ।
* मलेरिया में , उल्टी होने पर, नींबू में नमक भरकर चूसे।
* नींबू व गन्ने का रस का सेवन करना भी , लाभ देता है । उल्टी आना बंद हो जाता है ।
* नींबू मलेरिया की प्राकृतिक औषध है ।
* चाय में , दूध के स्थान पर, नींबू डालकर सेवन करें । मलेरिया में लाभ देता है ।
* भोजन करते समय, हरिमिर्च पर नींबू निचोड़ कर सेवन करें ।
* फिटकरी भून कर, कालीमिर्च व सेंधा नमक को समान मात्रा में मिलाकर, पीस लें। नींबू की एक फांक पर, यह चौथाई चम्मच भरकर, गर्म करके, बुखार आने के , एक घंटे पहले, यह चूर्ण चौथाई चम्मच भरकर, गर्म करके, आधे -आधे घंटे के अंतर से चूसे। मलेरिया बुखार नही आएगा। दो-तीन दिन, इस प्रयोग करें ।
* दो संतरे के छिलके, दो कप पानी में उबाले। जब आधा पानी रह जाएं तो, उतार कर व छानकर, गर्म - गर्म सेवन करें । संतरे का सेवन करें या रस का सेवन करें ।
* मलेरिया में , अमरूद का सेवन करें । 3 - 4 दिन के अंतराल से , आने वाले मलेरिया बुखार में नित्य सेवन करना लाभदायक है ।
* मूंग या मोंठ की दाल के पानी का सेवन करें ।
* एक गिलास दूध में , 8 मुनक्का, आधा चम्मच सौंठ डालकर व उबालकर, नित्य सुबह - शाम सेवन करें । मलेरिया ठीक हो जाता है ।
* छाछ का सेवन करें , मलेरिया में लाभदायक है ।
* एक चम्मच, जीरा का चूर्ण बनाकर, उसमें तीन गुना गुड़ मिलाकर, इसकी तीन गोलियां बना लें। समय के अंतराल से सर्दी देकर आने वाले, मलेरिया बुखार में , एक - एक घंटे के अंतर से, एक -एक गोली का सेवन करें । कुछ दिन नित्य सेवन करें । मलेरिया ठीक हो जाएगा।
* मलेरिया आने पर, 1 चम्मच करेले के रस में , 1-1चम्मच जीरा व गुड़ मिलाकर, 3 बारसेवन करने से भी लाभ होता है ।
* एक हरीमिर्च के बीज निकालकर, मलेरिया आने के दो घंटे पहले , अँगूठे में पहनाकर बांध दें। इसप्रकार तीन बार बांधनें से, मलेरिया बुखार आना बंद हो जाता है ।
* पिसी हुई कलौंजी 1 चम्मच, 1 चम्मच शहद में मिलाकर, नित्य एकबार सेवन करें । चौथें दिन आने वाला मलेरिया बुखार सही हो जाता है।
शनिवार, 29 अप्रैल 2023
यूपी में निकाय चुनाव
निकाय चुनाव- जनप्रतिनिधी कैसा हो?
उत्तर प्रदेश में आगामी 4 मई से निकाय चुनाव शुरू हो रहे हैँ। सभी राजनीतिक दल इन चुनावों को अगले साल होने वाले लोकसभा चुनावों की तैयारी मानकर जी जान से जुट गए हैं। हालांकि इसमें मेयर का चुनाव ही भविष्य को इंगित करता है बाकी पार्षदों के चुनाव व्यक्तिगत रूप से ही जाने जाते हैं। पार्षद का चुनाव शायद राजनीति की प्रथम सीढ़ी समान ही होते हैं। यहीं से राजनीति की यात्रा शुरू हो जाती है।
सहारनपुर के निकाय चुनावों का शोर शराबा शुरू हो चुका है। बीजेपी, सपा, बसपा, कांग्रेस आदि सभी दल एडी छोटी का जोर लगा रहे हैं। इनके समर्थक भी अपनी-अपनी पार्टी के प्रत्याशी को जिताने के लिये पूरा जोर लगा रहे हैं। पार्षदों के चुनावों में किसी क्षेत्र में किसी पार्टी के प्रत्याशी की जीत दिखाई दे रही है तो किसी क्षेत्र में निर्दलीय प्रत्याशी को जीत मिलने की सम्भावना दिखाई दे रही है।
सहारनपुर के पिछले चुनावों में बीजेपी का दबदबा रहा। मेयर भी बीजेपी के संजीव वालिया बनें। इस बार कौन मेयर बनता है भविष्य बतायेगा। लेकिन जनता क्या सोचती है भावी मेयर और पार्षदों के बारे में की वे कैसे हो? सहारनपुर को स्मार्ट सिटी का दर्जा मिलने के बाद सहारनपुर को विकास के लिये बहुत फण्ड मिला जिससे अनेको कार्य भी हुए। फिर भी कुछ जनता सन्तुष्ट है तो कुछ जनता असन्तुष्ट है। असंतुष्टि का मुख्य कारण जानने पर मुख्य रूप से सालों से सड़कों की बार-बार खुदाई होना फिर भी कुछ सड़को का ठीक न होना एक मुख्य कारण है। कुछ जनता अतिक्रमण दूर न होने से परेशान है। कुछ जनता सड़को पर जाम लगने से परेशान है। कुछ जनता सफाई व्यवस्था से नाराज़ है हालांकि नगर के अनेको क्षेत्रो में सफाई व्यवस्था बेहतर हुई है। कुछ जनता बस अड्डों की अव्यवस्था से परेशान है। कुछ जनता भृष्टाचार का आरोप भी लगाती है की कार्यो में गुणवत्ता की अनदेखी हुई और भृष्टाचार हुआ। ऐसे ही कुछ अन्य आरोप जनता द्वारा लगाये गए।
अब नया जनप्रतिनिधी कैसा हो? इसका जबाब यही हो सकता है की जो भी उपरोक्त आरोपो को समझकर, सुलझाकर कार्य कर सके ऐसा हो। जो निष्पक्ष होकर कार्य कर सके ऐसा हो। जो समस्यायों का काबलियत से निस्तारण कर सके ऐसा हो। नगर में मुख्य रूप से अतिक्रमण, जाम और गन्दगी का सही रूप से निस्तारण होना ही चाहिये। आम आदमी की प्राथमिकता यही होती है। कोई भी योजना सोच समझकर बनें। सड़कें बार-बार न खुदे। सड़को में सीवर लाईन, बिजली के पाईप, पानी के पाईप, गैस के पाईप आदि एक ही बार मे डाल दिये जायें। सभी विभागों का आपस मे सामंजस्य होना ही चाहिये। साथ ही जनप्रतिनिधी स्वभाव से मिलनसार भी होना चाहिये। ऐसा नहीं की अब शक्ल दिखी हाथ जोड़कर मिलते हुए फिर 5 साल बाद ही दिखाई दें।
सुनील जैन राना
बुधवार, 26 अप्रैल 2023
जिम्मेदारियों का बोझ
*जीवन में 45 पार का मर्द........*
*कैसा होता है ?*
थोड़ी सी सफेदी कनपटियों के पास,
खुल रहा हो जैसे आसमां बारिश के बाद,
जिम्मेदारियों के बोझ से झुकते हुए कंधे,
जिंदगी की भट्टी में खुद को गलाता हुआ,
अनुभव की पूंजी हाथ में लिए,
परिवार को वो सब देने की जद्दोजहद में,
जो उसे नहीं मिल पाया था,
बस बहे जा रहा है समय की धारा में,
*बीवी और प्यारे से बच्चों में*
पूरा दिन दुनिया से लड़ कर थका हारा,
रात को घर आता है, सुकून की तलाश में,
लेकिन क्या मिल पाता है सुकून उसे ?
दरवाजे पर ही तैयार हैं बच्चे,
पापा से ये मंगाया था, वो मंगाया था,
नहीं लाए तो क्यों नहीं लाए,
लाए तो ये क्यों लाए वो क्यों नहीं लाए,
अब वो क्या कहे बच्चों से,
कि जेब में पैसे थोड़े कम थे,
कभी प्यार से, कभी डांट कर,
समझा देता है उनको,
एक बूंद आंसू की जमी रह जाती है, आँख के कोने में,
लेकिन दिखती नहीं बच्चों को,
उस दिन दिखेगी उन्हें, जब वो खुद, बन जाएंगे माँ बाप अपने बच्चों के,
खाने की थाली में दो रोटी के साथ,
परोस दी हैं पत्नी ने दस चिंताएं,
*कभी,*
तुम्हीं नें बच्चों को सर चढ़ा रखा है,
कुछ कहते ही नहीं,
*कभी,*
हर वक्त डांटते ही रहते हो बच्चों को,
कभी प्यार से बात भी कर लिया करो,
लड़की सयानी हो रही है,
तुम्हें तो कुछ दिखाई ही नहीं देता,
लड़का हाथ से निकला जा रहा है,
तुम्हें तो कोई फिक्र ही नहीं है,
पड़ोसियों के झगड़े, मुहल्ले की बातें,
शिकवे शिकायतें दुनिया भर की,
सबको पानी के घूंट के साथ,
गले के नीचे उतार लेता है,
जिसने एक बार हलाहल पान किया,
वो सदियों नीलकंठ बन पूजा गया,
यहाँ रोज़ थोड़ा थोड़ा विष पीना पड़ता है,
जिंदा रहने की चाह में,
फिर लेटते ही बिस्तर पर,
मर जाता है एक रात के लिए,
*क्योंकि*
सुबह फिर जिंदा होना है,
काम पर जाना है,
कमा कर लाना है,
ताकि घर चल सके,....ताकि घर चल सके.....ताकि घर चल सके।।।।
*दिलसे सभी पिताओं को समर्पित,,,,,,,,,,,,,,,*
मंगलवार, 25 अप्रैल 2023
चेतक घोड़ा, सुभृक घोड़ा
कुतुबुद्दीन घोड़े से गिर कर मरा, यह तो सब जानते हैं, लेकिन कैसे? यह आज हम आपको बताएंगे। वो वीर महाराणा_प्रताप जी का 'चेतक' सबको याद है, लेकिन 'शुभ्रक' नहीं! तो मित्रो आज सुनिए कहानी 'शुभ्रक' की।
कुतुबुद्दीन ऐबक ने राजपूताना में जम कर कहर बरपाया, और उदयपुर के 'राजकुंवर कर्णसिंह' को बंदी बनाकर लाहौर ले गया। कुंवर का 'शुभ्रक' नामक एक स्वामिभक्त घोड़ा था, जो कुतुबुद्दीन को पसंद आ गया और वो उसे भी साथ ले गया।
एक दिन कैद से भागने के प्रयास में कुँवर सा को सजा-ए-मौत सुनाई गई और सजा देने के लिए 'जन्नत बाग' में लाया गया। यह तय हुआ कि राजकुंवर का सिर काटकर उससे 'पोलो' (उस समय उस खेल का नाम और खेलने का तरीका कुछ और ही था) खेला जाएगा।
कुतुबुद्दीन स्वंय कुँवर सा के ही घोड़े 'शुभ्रक' पर सवार होकर अपनी खिलाड़ी टोली के साथ 'जन्नत बाग' में आया। 'शुभ्रक' ने जैसे ही कैदी अवस्था में राजकुंवर को देखा, उसकी आंखों से आंसू टपकने लगे।
जैसे ही सिर कलम करने के लिए कुँवर सा की जंजीरों को खोला गया, तो 'शुभ्रक' से रहा नहीं गया। उसने उछलकर कुतुबुद्दीन को अपनी पीठ से गिरा दिया और उसकी छाती पर अपने मजबूत पैरों से कई वार किए, जिससे कुतुबुद्दीन के प्राण पखेरू वहीं उड़ गए! इस्लामिक सैनिक अचंभित होकर देखते रह गए।
मौके का फायदा उठाकर कुंवर सा सैनिकों से छूटे और 'शुभ्रक' पर सवार हो गए। 'शुभ्रक' ने हवा से बाजी लगा लगाते हुए लाहौर से उदयपुर बिना रुके दौडा और उदयपुर में महल के सामने आकर ही रुका!
राजकुंवर घोड़े से उतरे और अपने प्रिय अश्व को पुचकारने के लिए हाथ बढ़ाया, तो पाया कि वह तो प्रतिमा बना खडा था। उसमें प्राण नहीं बचे थे। सिर पर हाथ रखते ही 'शुभ्रक' का निष्प्राण शरीर लुढक गया।
भारत के इतिहास में यह तथ्य कहीं नहीं पढ़ाया जाता क्योंकि वामपंथी और मुगल परस्त लेखक अपने नाजायज बाप की ऐसी दुर्गति वाली मौत बताने से हिचकिचाते हैं! जबकि फारसी की कई प्राचीन पुस्तकों में कुतुबुद्दीन की मौत इसी तरह लिखी बताई गई है।
नमन् स्वामी भक्त 'शुभ्रक' को।
सोमवार, 24 अप्रैल 2023
सेना का सम्मान
अधिकतर व्यक्ति इनकम टैक्स भरते वक्त यही सोचते हैं कि हमारे साथ ज्यादती कर रही है
*लेकिन सियाचिन की यात्रा के बाद और वहां पहरा दे रहे 3 मराठी सैनिकों को सुनने के बाद मुझे इनकम टैक्स चुकाने का कोई मलाल नहीं है।*
*उन्होंने जो कुछ भी कहा वह ऐसा था -*
*पहले---*
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1. राशन 3 माह पुराना,
2. फल 2 महीने पुराना,
3. सलाद कभी नहीं मिला,
4. किसी ने सेहत की परवाह नहीं की,
5. खाने योग्य हर चीज के लिए डिपो दिल्ली में था, फिर ट्रक से लेह, फिर ट्रक से सियाचिन, फिर ट्रक से बॉर्डर और फिर बॉर्डर पोस्ट किचन में एयर ड्रॉप जिसमें 2 से 3 महीने लगते थे।
*मोदी सरकार के आने के बाद ---*.
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*3 हेलीकॉप्टर रोज लाते हैं..*
ताजा फल,
ताजा राशन,
ताजा सलाद,
ताजा सूप,
अच्छी रसोई,
अच्छे रसोइये,
अच्छे वाटरप्रूफ कपड़े,
देश में बने बेहतर क्वालिटी के वाटरप्रूफ जूते (पहले लगभग 60000 के आयातित जूते मिलते थे, लेकिन अब बेहतर गुणवत्ता के 30000 जूते देश ही में बने निर्मित होते हैं )।
प्रचुर मात्रा में ताजे सूखे मेवे बिना किसी सीमा के विशाल कंटेनरों में..
यहां तक कि अपने 7 दिनों के दौरे के दौरान, मैंने भी 3 हेलीकॉप्टरों को रोज सुबह 9 से 10 बजे तक सियाचिन उन्नत बेस साइट्स की ओर उड़ते हुए देखा।
कांग्रेस ने सता आने के बाद कभी यह सोचा ही नहीं है कि देश को किस तरह चलाना है? उनको तो वीआईपी कल्चर में जीना था? यह जो कुछ भी चला रहे थे वह उनके नीचे वाले ब्यूरोक्रेट चला रहे थे और ब्यूरो केटोको इसमें माल खाने मिलता था?
*हम सभी देशवासियों के लिए मोदी जी, योगी जी और अमित शाह भगवान से कम नहीं है...👌👌*
*बस सीमा पर हो रहे घटनाक्रमों को साझा करना उचित समझा, जिसे सरकार प्रकाशित या प्रचारित नहीं कर सकती लेकिन सीमाओं पर बहुत कुछ बदल रहा है।*
*🇮🇳 जय हिंद 🇮🇳*
रविवार, 23 अप्रैल 2023
बढ़ती आबादी देश पर भारी
गर्व करें, हम 142 करोड़ हो गये?
भारत की जनसंख्या 142 करोड़ हो गई इस पर हम गर्व करें या चिंतन करें? विश्व का सबसे ज्यादा आबादी वाला देश और सबसे बड़ा लोकतंत्र बन गया है भारत देश। आबादी में चीन को पछाड़ कर आगे तो निकल रहे हम लेकिन चीन जैसी गुणवत्ता में पिछड़ रहे हैं हम। चीन में एकछत्र राजा का शासन है जिसके कारण उनके प्रत्येक आदेश का पालन करना वहां के प्रशासन और जनता का कर्तव्य है लेकिन भारत में लोकतांत्रिक व्यवस्था होने और जातिवाद की अधिकता होने के कारण भारत में चीन की तरह न नीतियां बन सकी न ही पालन हो सका।
कृषि प्रधान देश भारत मे कृषि पर निर्भरता बहुत ज्यादा है लेकिन कृषि में आधुनिक तकनीक और गुणवत्ता की कमीं के कारण भारत का अधिकांश छोटा किसान आज भी गरीब ही हैं। शिक्षा की नीति आज़ादी के बाद से बहुत सकारात्मक न होने के कारण आज भी देश में निरक्षरता बहुत है। जो शिक्षा दी भी जा रही है वह इतनी कारगर नहीं रही की रोजगार दिला सके या रोजगार कर सके। इसी कारण देश की युवा आबादी का बहुत बड़ा वर्ग आज बेरोजगारी के चंगुल में फंसा हुआ है। हाल ही में मोदीजी ने नई शिक्षा नीति बनाई है जिसमे शिक्षा के साथ स्किल डेवलपमेंट भी होगा। लेकिन इस सब के नतीजे आने में समय लगेगा।
बढ़ती आबादी योजनाओं पर भारी पड़ रही है। सभी क्षेत्रों में भरपूर कार्य तो हो रहा है लेकिन बढ़ती आबादी के कारण कार्य दिखाई नहीं दे रहे बस बेरोजगारी ज्यादा दिखाई-दर्शायी दे रही है। हालांकि कोई खाली भी दिखाई नहीं देता। मजदूरी पहले से कहीं अधिक बढ़ गई है फिर भी युवा वर्ग दिशाहीन होकर परेशान है।
इतनी बड़ी आबादी को सिर्फ सरकारी सहायता से ऊपर उठाना असम्भव है। इसके लिये हम सभी को शिक्षा के समय से ही रुचिनुसार भविष्य बनाना होगा। लेकिन जनसंख्या इसी तरह बढ़ती रही तो कितनी भी रोजगरपुरक योजनाएं बन जाएं वह भी कम पड़ जाएंगी। इसके लिये बढ़ती आबादी पर अंकुश लगाना ही चाहिये। वैसे भी इस महंगाई के जमाने मे ज्यादा बच्चों का उचित तरह से लालन-पालन करना आसान नहीं है। नई पीढ़ी को अच्छी शिक्षा मिले, तकनीकी शिक्षा मिले ताकि नई पीढ़ी जॉब करने वाली नहीं बल्कि जॉब देने वाली पीढ़ी बनें। तभी भारत विकसित देश बन सकता है।
सुनील जैन राना
मंगलवार, 18 अप्रैल 2023
शनिवार, 15 अप्रैल 2023
भारतीय राजनीति
राजनीति में चाटुकारिता की पराकाष्ठा
भारतीय राजनीति में परिवारवाद, सामंतवाद और चाटुकारिता कूट-कूट कर भरी पड़ी है। राजनीति में अधिकांश दलों में परिवारवाद चल रहा है। यदि किसी नेता ने किसी नाम से पार्टी बनाई तो वह पार्टी उनके परिवार की बपौती हो गई। कांग्रेस से लेकर देश के अनेको राज्यों के क्षेत्रीय दल इस बात का उदाहरण हैं।
आज़ादी से पहले देश छोटे- छोटे टुकड़ों में बटा हुआ था। जिसके रहनुमा छोटे- बड़े सामंतवादी विचारधारा के लोग थे। आज़ादी के बाद सरदार पटेल ने उन सबको एक सूत्र में पिरोकर लोकतंत्र कायम किया। उन लोगो की तो अपनी मिल्कियत थी वे उस पर राज करते थे लेकिन आज की राजनीति में नेता लोग जनता की मिल्कियत पर राज करते हैं। नेता लोग अपने को आम आदमी से भिन्न मानने लगे हैं और चाहते हैं की उनसे आम आदमी वाला व्यवहार न होकर VIP व्यवहार हो। कानून में भी उनके लिये आम आदमी से ज्यादा छूट प्राप्त हो।
चाटुकारिता की पराकाष्ठा कुछ दलों में हद से ज्यादा बढ़ गई है। दलों के कार्यकर्ता अपने नेता को रिझाने के लिये निम्न कोटि के बयान दे देते हैं और निम्न कोटि के कार्य करने से भी नहीं हिचकते। परिवारवाद ओर चाटुकारिता की पराकाष्ठा कांग्रेस पार्टी में चरम पर है। देश की सबसे पुरानी पार्टी कांग्रेस में गांधी परिवार ही सर्वोपरि है। कांग्रेस पार्टी में एक से एक दिग्गज नेताओं के बावजूद किसी की मजाल नहीं जो गांधी परिवार के खिलाफ या उनसे पूछे बिना कोई निर्णय नहीं ले सकता। यही नहीं अभी तो कांग्रेस के एक नेताजी ने राहुल गांधी के मुक़दमे के बारे में बयान दिया की गांधी परिवार के लिये अगल कानून की मांग कर दी। यही है चाटुकारिता की पराकाष्ठा। इसी वजह से आज कांग्रेस धरातल पर है। गांधी परिवार कांग्रेस की बागडोर छोड़ना नहीं चाहता और कांग्रेसी भी गांधी परिवार के मायाजाल से छूटना नहीं चाहते।
राजनीतिक दलों में परिवारवाद तो खत्म नहीं हो सकता लेकिन सामंतवाद की मानसिकता खत्म होनी चाहिये। साथ ही अपने को कानून से ऊपर समझना या अपने लिये अलग कानून की मांग करना भारतीय लोकतंत्र की अवहेलना करना ही है। अपने आप को जनता से ऊपर समझने की मानसिकता जनता के साथ ग़द्दारी जैसी बात है। कानून की दृष्टि में सभी समान नागरिक है।
सुनील जैन राना
शुक्रवार, 14 अप्रैल 2023
घरेलू उपचार
🍃 *Arogya*🍃
*तुलसी, अदरक और लौंग ऐसे खाएंगे तो ये रोग परेशान नहीं करेंगे*
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छोटी-छोटी हेल्थ प्रॉब्लम्स होने पर भी तुरंत दवा खाना कुछ लोगों की आदत होती है। इसका मुख्यकारण घरेलू नुस्खों व उन्हें अपनाएं जाने के सही तरीके की जानकारी न होना है। ये हेल्थ प्रॉब्लम्स ऐसी होती हैं जिन्हें बिना दवा खाए घरेलू नुस्खेअपनाकर भी ठीक किया जा सकता है। आज हम आपको बताने जा रहे हैं कुछ ऐसे ही घरेलू नुस्खे जो सिरदर्द, सर्दी-जुकाम, पेटदर्द जैसी छोटी प्रॉब्लम्स में रामबाण की तरह काम करते हैं....
1. कच्चा लहसुन रोज सुबह खाली पेट खाने से कोलेस्ट्रॉल कम होता है। रोज 50 ग्राम कच्चा ग्वारपाठा खाली पेट खाने से कोलेस्ट्रॉल कम हो जाता है।
2. कच्चा लहसुन रोज सुबह खाली पेट खाने से कोलेस्ट्रॉल कम होता है।
3. अदरक खाने से मुंह के हानिकारक बैक्टीरिया मर जाते हैं। साथ ही अदरक दांतों को भी स्वस्थ रखता है। अदरक का एक छोटा टुकड़ा छीले बिना (छिलकेसहित) गर्म करके छिलका उतार दें। इसे मुंह में रख कर आहिस्ता आहिस्ता चबाते चूसते रहने से अन्दर जमा और रुका हुआ बलगम निकल जाता है और
सर्दी-खांसी ठीक हो जाती है।
4. लौंग को पीसकर एक चम्मच शक्कर में थोड़ा-सा पानी मिलाकर उबाल लें व ठंडा कर लें। इसे पीने से उल्टी होना व जी मिचलाना बंद हो जाता है।
5. 12 ग्राम गेहूं की राख इतने ही शहद में मिला कर चाटने से कमर और जोड़ों के दर्द में आराम होता है।
गेहूं की रोटी एक ओर से सेंक लें और एक ओर से कच्ची रखें । कच्चे वाले भाग में तिल का तेल लगा कर दर्द वाले अंग पर बांध दें। इससे दर्द दूर हो जाएगा।
6. हींग, सोंठ, गुड आदि पाचन में बेहद सहायक चीजों का सेवन करने से यह बीमारी जड़ से चली जाती है। थोड़ी सी हल्दी, धनिया, अदरक और काला नमक लेकर इस थोड़े से पानी में उबालें। इस गर्म पानी को पी जाएं। पेट से गैस छू-मंतर हो जाएगी।
7. आदिवासियों के अनुसार अर्जुन की छाल का चूर्ण 3 से 6 ग्राम गुड़, शहद या दूध के साथ दिन में 2 या 3 बार लेने से दिल के मरीजों को काफी फायदा होता है।अर्जुन छाल और जंगली प्याज के कंदो का चूर्ण समान मात्रा में तैयार कर प्रतिदिन आधा चम्मच दूध के साथ लेने से हृदय रोगों में हितकर होता है।
8. रोजाना तुलसी के पांच पत्ते खाने से मौसमी बुखार व जुकाम जैसी समस्याएं दूर रहती है।तुलसी की कुछ पत्तियों को चबाने से मुंह का संक्रमण दूर हो जाता है।मुंह के छाले दूर होते हैं व दांत भी स्वस्थ रहते हैं।
9. तौलिए को गर्म पानी में भिगोकर उसे सिर पर थोड़ी देर रखने से सिरदर्द में तुरंत आराम मिलता है।
*Dr.(Vaid) Deepak Kumar*
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मंगलवार, 11 अप्रैल 2023
मांसाहार यानि किसी की गई जान
***डॉक्टर अरविंद प्रेमचंद जैन भोपाल
बहुत सुंदर विचार ***
◆ *अपनी मृत्यु और अपनों की मृत्यु डरावनी लगती है। बाकी तो मौत को enjoy ही करता है आदमी* ...
🙏थोड़ा समय निकाल कर अंत तक पूरा पढ़ना 🙏
✍️ मौत के स्वाद का
चटखारे लेता मनुष्य ...
थोड़ा कड़वा लिखा है पर मन का लिखा है ...
*मौत से प्यार नहीं , मौत तो हमारा स्वाद है*।---
बकरे का,
गाय का,
भेंस का,
ऊँट का,
सुअर,
हिरण का,
तीतर का,
मुर्गे का,
हलाल का,
बिना हलाल का,
ताजा बकरे का,
भुना हुआ,
छोटी मछली,
बड़ी मछली,
हल्की आंच पर सिका हुआ।
न जाने कितने बल्कि अनगिनत स्वाद हैं मौत के।
क्योंकि मौत किसी और की, और स्वाद हमारा....
स्वाद से कारोबार बन गई मौत।
मुर्गी पालन, मछली पालन, बकरी पालन, पोल्ट्री फार्म्स।
नाम *पालन* और मक़सद *हत्या*❗
स्लाटर हाउस तक खोल दिये। वो भी ऑफिशियल। गली गली में खुले नान वेज रेस्टॉरेंट, मौत का कारोबार नहीं तो और क्या हैं ? मौत से प्यार और उसका कारोबार इसलिए क्योंकि मौत हमारी नही है।
जो हमारी तरह बोल नही सकते,
अभिव्यक्त नही कर सकते, अपनी सुरक्षा स्वयं करने में समर्थ नहीं हैं,
उनकी असहायता को हमने अपना बल कैसे मान लिया ?
कैसे मान लिया कि उनमें भावनाएं नहीं होतीं ?
या उनकी आहें नहीं निकलतीं ?
डाइनिंग टेबल पर हड्डियां नोचते बाप बच्चों को सीख देते है, बेटा कभी किसी का दिल नही दुखाना ! किसी की आहें मत लेना ! किसी की आंख में तुम्हारी वजह से आंसू नहीं आना चाहिए !
बच्चों में झुठे संस्कार डालते बाप को, अपने हाथ मे वो हडडी दिखाई नही देती, जो इससे पहले एक शरीर थी, जिसके अंदर इससे पहले एक आत्मा थी, उसकी भी एक मां थी ...??
जिसे काटा गया होगा ?
जो कराहा होगा ?
जो तड़पा होगा ?
जिसकी आहें निकली होंगी ?
जिसने बद्दुआ भी दी होगी ?
कैसे मान लिया कि जब जब धरती पर अत्याचार बढ़ेंगे तो
भगवान सिर्फ तुम इंसानों की रक्षा के लिए अवतार लेंगे ..❓
क्या मूक जानवर उस परमपिता परमेश्वर की संतान नहीं हैं .❓
क्या उस ईश्वर को उनकी रक्षा की चिंता नहीं है ..❓
धर्म की आड़ में उस परमपिता के नाम पर अपने स्वाद के लिए कभी ईद पर बकरे काटते हो, कभी दुर्गा मां या भैरव बाबा के सामने बकरे की बली चढ़ाते हो।
कहीं तुम अपने स्वाद के लिए मछली का भोग लगाते हो ।
कभी सोचा ...!!!
क्या ईश्वर का स्वाद होता है ? ....क्या है उनका भोजन ?
किसे ठग रहे हो ?
भगवान को ?
अल्लाह को ?
जीसस को?
या खुद को ?
मंगलवार को नानवेज नही खाता ...!!!
आज शनिवार है इसलिए नहीं ...!!!
अभी रोज़े चल रहे हैं ....!!!
नवरात्रि में तो सवाल ही नही उठता ....!!!
झूठ पर झूठ....
...झूठ पर झूठ
..झूठ पर झूठ ..
ईश्वर ने बुद्धि सिर्फ तुम्हे दी । ताकि तमाम योनियों में भटकने के बाद मानव योनि में तुम जन्म मृत्यु के चक्र से निकलने का रास्ता ढूँढ सको। लेकिन तुमने इस मानव योनि को पाते ही स्वयं को भगवान समझ लिया।
तुम्ही कहते हो, की हम जो प्रकति को देंगे, वही प्रकृति हमे लौटायेगी।
यह संकेत है ईश्वर का।
प्रकृति के साथ रहो।
प्रकृति के होकर रहो।
🙏 सबनै राम राम 🙏
आइए हम सब भाई बहन मिलकर मांसाहार भोजन का सदा सदा के लिए त्याग करें और जीवन भर के लिए शुद्ध सात्विक भोजन ही ग्रहण करने का प्रण लेंl आपका जीवन मंगल मय हो।🙏🙏
जैसा खाओं अन्न,वैसा होगा मन!
डॉक्टर अरविंद प्रेमचंद जैन भोपाल
९४२५००६७५३
रविवार, 9 अप्रैल 2023
शनिवार, 8 अप्रैल 2023
दवाइयों में जालसाजी
नकली, घटिया, महंगी दवाईयाँ क्यों?
आज आम आदमी का बेहताशा खर्च दवाइयों पर हो रहा है। ऐसा शायद ही कोई घर होगा जहां दवाईयों का इस्तेमाल न हो रहा हो। जैसा महंगा डॉक्टर वैसी ही महंगी दवाई। गरीबों के हमदर्द छोटे डॉक्टर भी नगर में जगह-जगह बैठे हैं जिनमे से कुछ को झोलाछाप डॉक्टर भी कह देते हैं। लेकिन ऐसे ही डॉक्टर बहुत बड़े गरीब वर्ग को दवाई देकर उनका सहयोग कर रहे हैं।
यहां बात है असली-नकली दवाईयों की, बढ़िया-घटिया दवाइयों की, महंगी-सस्ती दवाइयों की। सरकार ने अनेको महत्वपूर्ण दवाइयों को सस्ती कर रखा है। यहाँ तक की जेनरिक दवाईयों का प्रचार हो रहा है जो बहुत सस्ती हैं और गुणवत्ता पूर्ण है। लेकिन फिर भी देश भर में घटिया दवाईयाँ और नकली दवाईयों की भी भरमार है। जो आम आदमी के लिये बहुत हानिकारक हो रही हैं। अभी कुछ सप्ताह पहले ड्रग कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया के तत्वाधान में देश के कई हिस्सों में नकली और घटिया दवाईयों की धरपकड़ को छापेमारी हुई। जिसके बाद 18 कम्पनियों के लाइसेंस रद्द किये एवं 26 कम्पनियों को कारण बताओ नोटिस जारी किये गए।
सवाल यह है कि नकली दवाईयाँ बनाने वाली कम्पनी को सिर्फ बन्द कर देने से या लाइसेंस रद्द कर देने से क्या होगा? नकली और घटिया दवाई से कितने लोगों को अन्य बीमारी या हो सकता है मौत भी मिली हो उसका क्या? क्यो नही समय रहते ऐसी छोटी बड़ी पर छापा मारा जाता? कैसे पनप जाती हैं नकली हानिकारक दवाई बनाने वाली कम्पनी?
इन सब बातों में बहुत कुछ मिलीभगत होती है। कुछ डॉक्टर अपने मन मर्जी के मुताबिक दवाईयाँ बनवा कर मनमाने रेट लिखवा रहे हैं। कुछ दवाईयाँ अपनी कीमत से दस गुने ज्यादा तक बिक रही हैं। मुजफ्फरनगर, करनाल आदि में कई दवाई बनाने वाली फ़ैक्टरी चल रही हैं। ये बिना सरकारी अधिकारी के सहयोग से चल नहीं सकती। धन कमाने की आपदा में इंसान दवाई की जगह मौत बेचने लग गया है। इस पर अंकुश लगना बहुत जरूरी है।
सुनील जैन राना
बुधवार, 5 अप्रैल 2023
क्या से क्या हो रहा?
पहले *भटूरे* को फुलाने के लिये उसमें *ENO* डालिये
फिर *भटूरे* से फूले पेट को पिचकाने के लिये *ENO* पीजिये
*जीवन के कुछ गूढ़ रहस्य आप कभी नहीं समझ पायेंगे*
*पांचवीं* तक *स्लेट* की बत्ती को *जीभ* से चाटकर *कैल्शियम* की कमी पूरी करना हमारी स्थाई आदत थी
*लेकिन*
इसमें *पापबोध* भी था कि कहीं *विद्यामाता* नाराज न हो जायें ...!!!☺️
*पढ़ाई* के *तनाव* हमने *पेन्सिल* का पिछला हिस्सा चबाकर मिटाया था ...!!!😀
*पुस्तक* के बीच *पौधे की पत्ती* और *मोरपंख* रखने से हम *होशियार* हो जाएंगे ... ऐसा हमारा *दृढ विश्वास* था😀
*कपड़े* के *थैले* में *किताब-कॉपियां* जमाने का *विन्यास* हमारा *रचनात्मक कौशल* था ...!!!☺️🙏🏻
हर साल जब नई *कक्षा* के *बस्ते बंधते* तब *कॉपी किताबों* पर *जिल्द* चढ़ाना हमारे जीवन का *वार्षिक उत्सव* मानते थे ...!!!☺️
*माता - पिता* को हमारी *पढ़ाई* की कोई *फ़िक्र* नहीं थी, न हमारी *पढ़ाई* उनकी *जेब* पर *बोझा* थी ...☺️💕
*सालों साल* बीत जाते पर *माता - पिता* के *कदम* हमारे *स्कूल* में न पड़ते थे ...!!!😀
एक *दोस्त* को *साईकिल* के बिच वाले *डंडे* पर और *दूसरे* को *पीछे कैरियर* पर *बिठा* हमने कितने रास्ते *नापें* हैं, यह अब याद नहीं बस कुछ *धुंधली* सी *स्मृतियां* हैं ...!!!💕
*स्कूल* में *पिटते* हुए और *मुर्गा* बनते हमारा *ईगो* हमें कभी *परेशान* नहीं करता था दरअसल हम जानते ही नही थे कि, *ईगो* होता क्या है❓️💕
*पिटाई* हमारे *दैनिक जीवन* की *सहज सामान्य प्रक्रिया* थी😰😀
*पीटने वाला* और *पिटने वाला* दोनो *खुश* थे,
*पिटने वाला* इसलिए कि हमे *कम पिटे* *पीटने वाला* इसलिए *खुश* होता था कि *हाथ साफ़* हुवा ...!!!😀
हम अपने *माता - पिता* को कभी नहीं बता पाए कि हम उन्हें कितना *प्यार* करते हैं, क्योंकि हमें *"आई लव यू"* कहना आता ही नहीं था ...!!!
😰😀💕
आज हम *गिरते - सम्भलते*, *संघर्ष* करते दुनियां का हिस्सा बन चुके हैं, कुछ *मंजिल* पा गये हैं तो कुछ न जाने *कहां खो* गए हैं ...!!!😰
हम दुनिया में कहीं भी हों लेकिन यह सच है, हमे *हकीकतों* ने *पाला* है, हम सच की दुनियां में थे ...!!!
😰
*कपड़ों* को *सिलवटों* से बचाए रखना और *रिश्तों* को *औपचारिकता* से बनाए रखना हमें कभी आया ही नहीं ... इस मामले में हम सदा *मूर्ख* ही रहे ...!!!
😰
अपना अपना *प्रारब्ध* झेलते हुए हम आज भी *ख्वाब* बुन रहे हैं, शायद *ख्वाब बुनना* ही हमें *जिन्दा* रखे है वरना जो *जीवन* हम *जीकर* आये हैं उसके सामने यह *वर्तमान* कुछ भी नहीं ...!!!
😰
हम *अच्छे* थे या *बुरे* थे पर हम सब साथ थे *काश* वो समय फिर लौट आए ...!!!
😰😰
"एक बार फिर अपने *बचपन* के *पन्नो* को पलटिये, सच में फिर से जी उठेंगे”...💕
और अंत में ...
हमारे *पिताजी* के समय में *दादाजी* गाते थे ...
*मेरा नाम करेगा रोशन जग में मेरा राज दुलारा*💕
हमारे *ज़माने* में हमने गाया ...
*पापा कहते है बड़ा नाम करेगा*💕
अब *हमारे बच्चे* गा रहे हैं …
*बापू सेहत के लिए ... तू तो हानिकारक है*😰😰
*सही / वास्तव* में हम *कहाँ से कहाँ* आ गए ...???😰
*एक बार मुड़ कर तो देखिये ... दोस्तों* 😊🙏
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