शनिवार, 29 अप्रैल 2023

यूपी में निकाय चुनाव

निकाय चुनाव- जनप्रतिनिधी कैसा हो? उत्तर प्रदेश में आगामी 4 मई से निकाय चुनाव शुरू हो रहे हैँ। सभी राजनीतिक दल इन चुनावों को अगले साल होने वाले लोकसभा चुनावों की तैयारी मानकर जी जान से जुट गए हैं। हालांकि इसमें मेयर का चुनाव ही भविष्य को इंगित करता है बाकी पार्षदों के चुनाव व्यक्तिगत रूप से ही जाने जाते हैं। पार्षद का चुनाव शायद राजनीति की प्रथम सीढ़ी समान ही होते हैं। यहीं से राजनीति की यात्रा शुरू हो जाती है। सहारनपुर के निकाय चुनावों का शोर शराबा शुरू हो चुका है। बीजेपी, सपा, बसपा, कांग्रेस आदि सभी दल एडी छोटी का जोर लगा रहे हैं। इनके समर्थक भी अपनी-अपनी पार्टी के प्रत्याशी को जिताने के लिये पूरा जोर लगा रहे हैं। पार्षदों के चुनावों में किसी क्षेत्र में किसी पार्टी के प्रत्याशी की जीत दिखाई दे रही है तो किसी क्षेत्र में निर्दलीय प्रत्याशी को जीत मिलने की सम्भावना दिखाई दे रही है। सहारनपुर के पिछले चुनावों में बीजेपी का दबदबा रहा। मेयर भी बीजेपी के संजीव वालिया बनें। इस बार कौन मेयर बनता है भविष्य बतायेगा। लेकिन जनता क्या सोचती है भावी मेयर और पार्षदों के बारे में की वे कैसे हो? सहारनपुर को स्मार्ट सिटी का दर्जा मिलने के बाद सहारनपुर को विकास के लिये बहुत फण्ड मिला जिससे अनेको कार्य भी हुए। फिर भी कुछ जनता सन्तुष्ट है तो कुछ जनता असन्तुष्ट है। असंतुष्टि का मुख्य कारण जानने पर मुख्य रूप से सालों से सड़कों की बार-बार खुदाई होना फिर भी कुछ सड़को का ठीक न होना एक मुख्य कारण है। कुछ जनता अतिक्रमण दूर न होने से परेशान है। कुछ जनता सड़को पर जाम लगने से परेशान है। कुछ जनता सफाई व्यवस्था से नाराज़ है हालांकि नगर के अनेको क्षेत्रो में सफाई व्यवस्था बेहतर हुई है। कुछ जनता बस अड्डों की अव्यवस्था से परेशान है। कुछ जनता भृष्टाचार का आरोप भी लगाती है की कार्यो में गुणवत्ता की अनदेखी हुई और भृष्टाचार हुआ। ऐसे ही कुछ अन्य आरोप जनता द्वारा लगाये गए। अब नया जनप्रतिनिधी कैसा हो? इसका जबाब यही हो सकता है की जो भी उपरोक्त आरोपो को समझकर, सुलझाकर कार्य कर सके ऐसा हो। जो निष्पक्ष होकर कार्य कर सके ऐसा हो। जो समस्यायों का काबलियत से निस्तारण कर सके ऐसा हो। नगर में मुख्य रूप से अतिक्रमण, जाम और गन्दगी का सही रूप से निस्तारण होना ही चाहिये। आम आदमी की प्राथमिकता यही होती है। कोई भी योजना सोच समझकर बनें। सड़कें बार-बार न खुदे। सड़को में सीवर लाईन, बिजली के पाईप, पानी के पाईप, गैस के पाईप आदि एक ही बार मे डाल दिये जायें। सभी विभागों का आपस मे सामंजस्य होना ही चाहिये। साथ ही जनप्रतिनिधी स्वभाव से मिलनसार भी होना चाहिये। ऐसा नहीं की अब शक्ल दिखी हाथ जोड़कर मिलते हुए फिर 5 साल बाद ही दिखाई दें। सुनील जैन राना

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