शनिवार, 8 अप्रैल 2023
दवाइयों में जालसाजी
नकली, घटिया, महंगी दवाईयाँ क्यों?
आज आम आदमी का बेहताशा खर्च दवाइयों पर हो रहा है। ऐसा शायद ही कोई घर होगा जहां दवाईयों का इस्तेमाल न हो रहा हो। जैसा महंगा डॉक्टर वैसी ही महंगी दवाई। गरीबों के हमदर्द छोटे डॉक्टर भी नगर में जगह-जगह बैठे हैं जिनमे से कुछ को झोलाछाप डॉक्टर भी कह देते हैं। लेकिन ऐसे ही डॉक्टर बहुत बड़े गरीब वर्ग को दवाई देकर उनका सहयोग कर रहे हैं।
यहां बात है असली-नकली दवाईयों की, बढ़िया-घटिया दवाइयों की, महंगी-सस्ती दवाइयों की। सरकार ने अनेको महत्वपूर्ण दवाइयों को सस्ती कर रखा है। यहाँ तक की जेनरिक दवाईयों का प्रचार हो रहा है जो बहुत सस्ती हैं और गुणवत्ता पूर्ण है। लेकिन फिर भी देश भर में घटिया दवाईयाँ और नकली दवाईयों की भी भरमार है। जो आम आदमी के लिये बहुत हानिकारक हो रही हैं। अभी कुछ सप्ताह पहले ड्रग कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया के तत्वाधान में देश के कई हिस्सों में नकली और घटिया दवाईयों की धरपकड़ को छापेमारी हुई। जिसके बाद 18 कम्पनियों के लाइसेंस रद्द किये एवं 26 कम्पनियों को कारण बताओ नोटिस जारी किये गए।
सवाल यह है कि नकली दवाईयाँ बनाने वाली कम्पनी को सिर्फ बन्द कर देने से या लाइसेंस रद्द कर देने से क्या होगा? नकली और घटिया दवाई से कितने लोगों को अन्य बीमारी या हो सकता है मौत भी मिली हो उसका क्या? क्यो नही समय रहते ऐसी छोटी बड़ी पर छापा मारा जाता? कैसे पनप जाती हैं नकली हानिकारक दवाई बनाने वाली कम्पनी?
इन सब बातों में बहुत कुछ मिलीभगत होती है। कुछ डॉक्टर अपने मन मर्जी के मुताबिक दवाईयाँ बनवा कर मनमाने रेट लिखवा रहे हैं। कुछ दवाईयाँ अपनी कीमत से दस गुने ज्यादा तक बिक रही हैं। मुजफ्फरनगर, करनाल आदि में कई दवाई बनाने वाली फ़ैक्टरी चल रही हैं। ये बिना सरकारी अधिकारी के सहयोग से चल नहीं सकती। धन कमाने की आपदा में इंसान दवाई की जगह मौत बेचने लग गया है। इस पर अंकुश लगना बहुत जरूरी है।
सुनील जैन राना
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
कपूर और नींबू
शरीर की सभी नसों को खोलने का आयुर्वेदिक समाधान.... कपूर और नींबु कितने उपयोगी है...दिन में सिर्फ़ एक बार यह साधारण सा उपाय करके देखिए, सिर ...
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें