शनिवार, 24 सितंबर 2022
साधारण डाक का वितरण बन्द ?
सहारनपुर में लगता है डाकघर से साधारण डाक का वितरण बन्द हो गया है। अब डाकिया सिर्फ रजिस्टर्ड डाक लेकर आता है। उससे पूछो अन्य डाक के बारे में तो कह देता है की जो मुझे दिया जा रहा है वही बाट देता हूँ।
पिछले तीन-चार सालों से साधारण डाक नहीँ मिल रही है। ऐसी समस्या नगर के अनेक क्षेत्रों में पाई जा रही है। इस विषय मे हमने गतवर्षो में जीपीओ, प्रवर डाक अधीक्षक, पी एम जी बरेली-लखनऊ को पत्र एवं ई मेल भेजने पर भी कोई सुनवाई नही हुई। यह समस्या पिछले 3-4 वर्षों से बनी हुई है।
साधारण डाक का वितरण न होना बहुत दुर्भाग्य की बात है। आम आदमी साधारण पत्राचार ही करता है। साप्ताहिक समाचार पत्र साधारण डाक से ही भेजे जाते हैं। अनेको पत्र - पत्रिकाएं साधारण डाक से ही प्राप्त होती थी। जनता के जरूरी कागजात, चैक बुक आदि सभी साधारण डाक से प्राप्त हो जाया करते थे। अब यह सब प्राप्ति नहीं हो रही है। इससे कुछ लोगो को कितनी परेशानी होती होगी। अब बैंक से जारी चैक बुक को अपने पते पर न मिलने से जीपीओ जाना पड़ता है। वहां जाओ तो डाकिया डाक में से छांट कर दे देता है। इसका मतलब यह भी हुआ की साधारण डाक पोस्ट ऑफिस में आती तो है लेकिन बटती नहीँ।
हमारा समाचार पत्र 100% नियमित है लेकिन डाक के द्वारा नियत समय पर पहुंचता नहीं। यहां तक की सूचना कार्यालय में भी नही पहुंचता। जबकि प्रत्येक सोमवार नेट पर प्रेषित कर दिया जाता है। रानी बाजार डाकघर से जब यह बात पूछी जाती है तो जबाब मिलता है की यहाँ से तो समाचार पत्र जीपीओ भेज दिया जाता है वहां से क्यो नही प्रेषित होता पता नहीँ।
बहुत शिकायत करने पर एक बार प्रवर डाक अधीक्षक के यहां से एक कर्मचारी और उनके साथ मेरठ से आये कोई अधिकारी हमारे कार्यालय आये थे। उन्होंने हमसे पूछा क्या समस्या है? हमने सारी समस्या उनको बता दी। तब उन्होंने अपने बैग में से एक लेटर पैड निकाला। ऊपर की कॉपी के नीचे कार्बन लगाकर कहा की अब इस पर अपनी समस्या लिख कर दे दो। हमने लिख दी सारी समस्या। तब वे बोले अब आपकी समस्या डाकघर के नोटिस में आ गई है, जल्दी निदान हो जायेगा। उसकी एक कॉपी भी हमको नहीं दी। इस बात को भी लगभग दो ढाई साल हो गए। तब से अब तक समस्या ज्यों की त्यों है। कई साप्ताहिक समाचार पत्रों के सम्पादकों ने अब अपना समाचार पत्र पीडीएफ बनवा कर नेट से भेजना शुरू कर दिया है।
हमारा जिलाधिकारी महोदय से निवेदन है की साधारण डाक न बाटे जाने की जाँच कराएं। जनहित में भी यह बहुत आवश्यक है।
सुनील जैन राना
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
जुल्म की हद
खड़गे जी ये तो बता रहे हैं कि उनकी माँ और बहन को ज़िंदा जलाकर मार डाला गया पर ये नहीं बता रहे हैं उनको जलाया किसने। आज़ादी के बाद, निज़ाम ह...
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें