सोमवार, 30 अगस्त 2021
दस रूपये के नोट एवं सिक्को से परेशानी
दस रूपये के नोट एवं सिक्को से सभी परेशान हैं। दरअसल दोनों इतने ज्यादा बहुतायत में हैं जिन्हें लेने से आम आदमी ,व्यापारी मना करते हैं। नई करेंसी आने से पहले ही हमने इस संदर्भ में एक लेख लिखा था जिसमें नोटबंदी के बाद जारी नई मुद्रा में एक हज़ार के नोट की जरूरत पर जोर दिया था एवं दस के नोट की अधिकता का वर्णन किया था। दस के नोट एवं सिक्के इतने ज्यादा संख्या में चलन में हैं जिससे आम आदमी ,छोटा व्यापारी और बैंक वाले सभी परेशान हैं। पहले ही दस के नोट और सिक्के बहुतायत में थे रिजर्व बैंक द्वारा और नये जारी कर दिये गए।
फुटकर काम करने वाला छोटा व्यापारी जिसके पास ज्यादातर छोटे नोट और सिक्के ही आते हैं इनसे परेशान रहता है। बैंक में जमा करना चाहे तो बैंक वाले भी इन्हे लेने से इंकार करते हैं। शायद रिजर्व बैंक ने बाजार की जरूरतों का मुआयना नहीं करवाया जिससे बाजार की जरूरत का पता चलता। अब रिजर्व बैंक के पास दस के नये सिक्के इतनी अधिक संख्या में हैं की पहले एक बैग-कट्टे पर बैंक २५ रूपये इंसेंटिव देता था अब उसे बढ़ाकर ६५ रूपये कर दिया है फिर भी कोई लेने को तैयार नहीं है।
रिजर्व बैंक द्वारा नये -नये नोट एवं सिक्के जारी किये जाते हैं। लेकिन यह पता नहीं किसको कैसे मिलते हैं? आम आदमी को न तो नये सिक्के मिलते हैं और न ही नये नोट की गड्डी मिलती है। जबकि करेंसी का काम करने वालो से चाहे जितनी गड्डी ब्लैक में यानि प्रीमियम पर मिल जाती हैं।रिजर्व बैंक द्वारा २०, ६०, ७५, १०० रूपये के सिक्के जारी किये गये हैं लेकिन आम जनता को कहीं दिखाई नहीं देते यह बहुत अफ़सोस की बात है।
रिजर्व बैंक को चाहिये की आम जनता की जरूरत को ध्यान में रखकर मुद्रा जारी करे एवं बैंकों को हिदायत करे की चलन में आने वाली किसी भी मुद्रा को लेने से मना मत करें।
* सुनील जैन राना *
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