रविवार, 30 अगस्त 2020

उत्तम त्याग धर्म

दसलक्षण धर्म मे उत्तम त्याग धर्म पर सुंदर हाइकु उत्तम त्याग पाप,कषायें त्यागूँ त्यागूँ मिथ्यात्व सुनील जैन राना

शनिवार, 29 अगस्त 2020

उत्तम तप धर्म

दसलक्षण धर्म मे उत्तम तप धर्म पर सुंदर हाइकु उत्तम तप इच्छा निरोधों तपः मोक्ष का मार्ग सुनील जैन राना

उत्तम संयम धर्म

दसलक्षण धर्म मे उत्तम संयम धर्म पर सुंदर हाइकु संयम धर्म विषय भोग त्यागूँ पाप नशाऊँ सुनील जैन राना

गुरुवार, 27 अगस्त 2020

जैन दसलक्षण धर्म -एक बार जरूर पढ़ें

एक बार जरूर पढ़ें -जैन दसलक्षण धर्म संक्षिप्त में August 27, 2020 • सुनील जैन राना • जनहित भारत में अनेकों धर्म प्रचलित हैं ,सभी धर्म आत्मा से परमात्मा की बात बताते हैं। ऐसे ही जैन धर्म में पावन पर्व दसलक्षण धर्म बहुत शुद्धता -भक्ति से मनाया जाता है। इस पर्व की खासियत यह है की इन दस दिनों हमें धर्म में क्या करना है यह बताया जाता है। सिर्फ मंदिरजी जाकर भजन -कीर्तन -भक्ति काफी नहीं होती है हमें अपने जीवन में क्या बदलाव लाने चाहिये इस पर जोर दिया जाता है। हम आपको संक्षिप्त रूप में दस धर्म के विषय में बता रहे हैं। प्रथम दिन क्षमा धर्म - साधारण बोलचाल में क्रोध न करने को ही क्षमा मान लिया जाता है। लेकिन ऐसा नहीं है ,क्षमा तो तब है जब विपरीत परिस्थितियों में भी क्रोध तो उतपन्न ही न होवे बल्कि मन में दूसरे प्रति अपशब्द -बैरभाव -द्वेष आदि भी उतपन्न नहीं होवे। द्वितीय दिन मार्दव धर्म - से तातपर्य अहंकार -मान कषाय को त्यागकर अपने मन को निर्मल -कोमल बनाना। तृतीय दिन आर्जव धर्म - से तातपर्य मन -वचन -काय में एकरूपता रख छलकपट -मायाचारी भावों को त्यागना। चतुर्थ दिन सत्य धर्म - से तातपर्य झूठ तो बोलना ही नहीं सिर्फ सच ही बोलना। जैसा देखा -सुना -जाना वैसा ही बोलने को सत्य कहा जाता है। पंचम दिन शौच धर्म - से तातपर्य सिर्फ नहाधोकर शरीर की शुध्दि शौच नहीं है बल्कि अपने मन में पवित्रता -शुचिता लाना शौच धर्म कहलाता है। छटा दिन संयम धर्म - से तातपर्य विवेकपूर्ण कार्य करते हुए हिंसा आदि न होने देना। अपने मन एवं इन्द्रियों पर संयम रखना। सातवां दिन तप धर्म - से तातपर्य सिर्फ तप कर शरीर को कष्ट देना नहीं बल्कि इच्छा निरोधो तपः अर्थात हमें अपनी इच्छाओं पर लगाम लगाकर धर्ममय होना चाहिये। आठवां दिन त्याग धर्म - से तातपर्य सिर्फ दान करना त्याग नहीं है। त्याग तो अपनी बुरी आदतों का ,मोह -राग द्वेष का ,अहंकार का ,कषायों का करना चाहिये। नौवां दिन आकिंचन धर्म - से तातपर्य संसारिक वस्तुओं से विरक्ति कर अपने मन को अपनी आत्मा में लीन करना। दसवां दिन ब्रह्मचर्य - से तातपर्य ब्रह्म का अर्थ है निजात्मा और चर्य का अर्थ है आचरण करना अर्थात संसारिक झंझटो को त्यागकर अपनी आत्मा में लीन होकर मुक्ति के मार्ग पर चलना। दसलक्षण धर्म के बाद क्षमावाणी पर्व आता है जो वास्तव में सिर्फ जैन धर्म नहीं बल्कि सभी धर्मो में मनाया जाना चाहिये। इस दिन सभी जैन लोग एक दूसरे से जाने -अनजाने हुई गलतियों के लिये आपस में क्षमा मांगते हैं ,क्षमा करते हैं। इन दसलक्षण धर्म से पहले उत्तम शब्द लगाया जाता है जो विषय को गूढ़ कर आत्मा प्राप्ति का संदेश देता है। वास्तव में ये दस धर्म नहीं बल्कि धर्म के दस लक्षण होते हैं। सभी धर्मी जीवों को इनका पालन करना चाहिये। *सुनील जैन राना *

उत्तम शौच धर्म

उत्तम शौच धर्म पर सुंदर हाइकु उत्तम शौच मन मे पवित्रता शुचिता लाऊँ सुनील जैन राना

बुधवार, 26 अगस्त 2020

उत्तम सत्य धर्म

उत्तम सत्य धर्म पर सुंदर हाइकु उत्तम सत्य सत स्वभावी आत्मा उर में लाऊं सुनील जैन राना

मंगलवार, 25 अगस्त 2020

आर्जव धर्म

आर्जव धर्म पर सुंदर हाइकु आर्जव धर्म छलकपट त्यागूँ कर्म नशाऊँ सुनील जैन राना

सोमवार, 24 अगस्त 2020

उत्तम मार्दव धर्म

उत्तम मार्दव धर्म पर एक सुंदर हाइकु मार्दव धर्म अहंकार नशाऊँ प्रभु को ध्याऊँ सुनील जैन राना

रविवार, 23 अगस्त 2020

उत्तम क्षमा

आज से दिगम्बर जैन धर्म के पावन पर्व दसलक्षण धर्म प्रारम्भ हो गए हैं।आज प्रथम दिन उत्तम क्षमा का दिन है।उत्तम क्षमा पर एक सुंदर हाइकु। उत्तम क्षमा वीरों का आभूषण उर में लाऊँ सुनील जैन राना

गुरुवार, 20 अगस्त 2020

नई पीढ़ी कैसे रहेगी स्वस्थ ?

नई पीढ़ी कैसे रहेगी स्वस्थ ? https://suniljainrana.blogspot.com/ August 20, 2020 • सुनील जैन राना • जनहित पुराने जमाने के हमारे माँ -बाप जो कहते हैं की हमने तो देशी घी खाया है अधिकांशतः स्वस्थ ही रहते हैं। बीच के जमाने के हम यानि ४० से ६० साल वाले भी जैसे -तैसे अपना जीवन जी रहे हैं। हमारे बच्चे यानि २० से ३० वाले युवा -शादीशुदा भी दवाइयों के सहारे जीवन यापन कर रहे हैं। अब मुख्य बात यह की पैदा होने से लेकर पांचवी कक्षा तक के बच्चे ,उनका रहन -सहन ,पढ़ाई -लिखाई ,खाना -पीना आदि बातें चिंता प्रधान हैं। समझ में नहीं आ रहा की यह नई पीढ़ी कैसे स्वस्थ रहेगी ?बाजार में वैसे ही कुछ भी असली नहीं मिल रहा है। दूध -घी -मावा सिंथेटिक ,फल -सब्ज़ी कैमिकल युक्त। यह सब तो आज की पीढ़ी कम ही खाती है जो खाती है वह इन सबसे भी ज्यादा हानिकारक है कोल्डड्रिंक -टॉफी -चॉकलेट - फास्टफूड पिज़ा -बर्गर -चौमिन आदि अनेको जंकफूड आज की पीढ़ी ख़ुशी से खाती है ,घर का भोजन पसंद नहीं करती। ऐसे में बच्चों का स्वास्थ कैसे ठीक रहेगा ?जंकफूड बच्चों का पेट खराब कर रहा है एवं टॉफी -चॉकलेट से दाँत खराब हो रहे हैं। बाकी रही सही कसर मोबाईल ने पूरी कर दी है जिसके ज्यादा देखने के कारण छोटेपन से हो बच्चो की आँखों पर चश्मे लगने शुरू हो गये हैं ऊपर से ऑनलाइन पढ़ाई सोने में सुहागा का कार्य कर रही है। आधुनिक -भौतिक युग में बच्चो के माँ -बाप छोटेपन से ही बच्चो को दूध पिलाते ,खाना खिलाते समय मोबाईल दिखाते हैं जो आगे चलकर बहुत गंभीर समस्या बन जाती है। थोड़ा समझदार होते ही बच्चो को नेट वाला मोबाईल चाहिए होता है। दरअसल आज के युग के व्यस्त माता -पिता खुद ही अपने पैर पर कुल्हाड़ी मार रहे है। बच्चा न रोये इस कारण उसकी हर मांग पूरी करना बहुत दुखदायी हो जाता है। लेकिन शायद मियां बीबी राज़ी तो क्या करेगा काज़ी वाली बात हो रही है। मांग पूरी करने से बच्चा भी खुश ,माँ -बाप भी खुश। चिंता की बात तो यह लगती है की भविष्य के इन बच्चों में अधिकांश की आँखों पर मोटा चश्मा लगा होगा ,पेट की आंते खराब होंगी, ,मुँह के दाँत ठीक नहीं रहेंगे। इसलिए युवा माँ -बापों थोड़ा चिंतन कर सम्भल जाओ और अपने सुख की खातिर अपने प्यारे बच्चो के स्वास्थ से मत खेलों। * सुनील जैन राना *

बुधवार, 12 अगस्त 2020

अस्पताल -डॉक्टर , भगवान भी -शैतान भी

अस्पताल -डॉक्टर ,भगवान भी -शैतान भी https://suniljainrana.blogspot.com/ August 12, 2020 • सुनील जैन राना • जनहित देश के अनेक अस्पताल एवं अनेक डॉक्टर मरीज के लिए मंदिर और भगवान जैसे हैं। लालच से रहित अपने कार्य के प्रति निष्ठा और कर्मठता उनकी पहचान होती है। लेकिन इसके विपरीत कुछ अस्पताल और डॉक्टर शैतान जैसे प्रतीत होते हैं। उनमें मानवता तो जैसे होती ही नहीं बस धन कमाना ही उनका मुख्य उद्देश्य होता है। सूत्र बताते हैं की कुछ अस्पतालों में डॉक्टरों की सेलरी उनको दिये गये टारगेट के हिसाब से तय होती है अर्थात जितना कमाकर दोगे उसके हिसाब से मिलेगा। इसी कारण कई बार सुनने में आता है की फलां मरीज धन की कमी से उपचार पूरा न होने से मर गया। कई बार मृतक की बॉडी तब तक नहीं दी जाती जब तक पुरे बिल का भुगतान न हो जाये। ऐसे समाचार भी मिल रहे हैं की कोरोना से मृतक की बॉडी से कुछ मुख्य अंग निकाल लिए गये। कोरोना काल में डॉक्टरों के पास मरीजों की कतार लगी रहती है। डॉक्टर और मरीज दोनों ही सुरक्षा से लापरवाह दिखाई दे रहे हैं। मास्क और सेनिटाइज़र का कोई इंतजाम दिखाई नहीं दे रहा है। कोरोना मरीज भर्ती अस्पतालों में मरीजों का नंबर नहीं आ रहा है। मज़े की बात यह है की जिस बीमारी का कोई उपचार नहीं उस बीमारी के उपचार का बिल बहुत तगड़ा आ रहा है। कुछ ही दिनों के ईलाज का बिल लाखों में आ रहा है, डिटेल बताने को कोई तैयार नहीं, कहने -सुनने वाला भी कोई नहीं। कुछ सर्जन डॉक्टर जिन्होंने अपना नर्सिंगहोम बना लिया है अब उस खर्च को पूरी मेहनत से मुहमांगे दामों पर उपचार कर बसूलने में लग गये हैं। विभिन्न प्रकार के ऑपरेशनों का ठेका बता दिया जाता है या फिर बेहताशा दवाइयों आदि का खर्च जो बार -बार करवाया जाता है। ऑपरेशन के समय बेहताशा दवाइयों का डब्बा उन्ही के मेडिकल स्टोर से मंगवाया जाता है जो शायद ज्यों का त्यों पिछले रस्ते से वापस होकर फिर अगले मरीज़ के काम आता है। कई जगह तो दवाई के साथ साबुन की टिक्की भी लिखी होती है। पता नहीं वह डॉक्टर एक दिन में कितने साबुन से हाथ धोता होगा? ऐसे अनेकों किस्से सुनने में आते ही रहते हैं। अस्पताल और डॉक्टर मंदिर और भगवान समान मानें जाते हैं ,ऐसे में कुछ जगह यदि ऐसे गलत कार्य होंगे तो बहुत विडंबना की बात है। अस्पतालों में व्यवस्था की कमीं हो सकती है लेकिन डॉक्टरों में मानवता की कमी होना बहुत दुर्भाग्यपूर्ण बात है। सबके कर्मों का लेखाजोखा लिखा जा रहा है। सबको जबाब देना ही पड़ेगा। मानव जीवन मिला है तो क्यों न कुछ परोपकार ही कर लें। धन यहीं रह जायेगा परोपकार ही साथ जायेगा। * सुनील जैन राना *

शुक्रवार, 7 अगस्त 2020

राम राम जी - जय श्री राम

राम राम जी--जय श्री राम August 6, 2020 • सुनील जैन राना • जनहित राम मात्र एक शब्द नहीं अपितु भारत समेत अनेक देशों के लोगो की आस्था का नाम है राम।राम जन्मभूमि पर सिर्फ एक मंदिर बनाना उद्देश्य नहीं है बल्कि देश भर में श्री राम जी के आदर्शों की स्थापना करना मुख्य उद्देश्य है।संघर्ष और समर्पण की राम कहानी के बाद अब राम जी टाट से ठाट के मंदिर में विराजमान होंगे। आपदाओं से ग्रस्त साल 2020 की 5 अगस्त 2020 तारीख इतिहास में स्वर्ण अक्षरों से लिखी जायेगी।बहुत विडम्बना की बात है की रामजी के देश मे राम मंदिर के लिये इतना संघर्ष दुर्भाग्यपूर्ण ही रहा।सेकुलरिज़्म का चश्मा लगाए कुछ विरोधी लोगो ने शीर्ष अदालतों के फैसलों को दरकिनार कर जनता को बरगलाने,भड़काने का कार्य की किया है अब भी कर रहे हैं। राजनीति में कुछ चन्द कथित नेता वोटो की राजनीति चमकाने को अनर्गल आलाप कर रहे हैं।भारत में हिन्दू -मुस्लिम आपस में सुई धागे की तरह हैं जो एक दूसरे के पूरक हैं। किसी के बरगलाने से बहकने वाले नहीं हैं। इतिहास गवाह है की मुगल आक्रांताओ ने देश मे लगभग 30 हज़ार से अधिक मन्दिर तहस नहस किये।दिल्ली में कुतुब मीनार परिसर में आज भी इस आशय का शिलालेख मौजूद है जिस पर लिखा है कि कुतुब परिसर 27 हिन्दू जैन मंदिरों को तोड़कर उसके मलबे से निर्मित किया गया है।ऐसा अनेको जगह किया गया है।फिर भी देश मे भाई चारा कायम है।अकबर के काल मे दो आने का सिक्का जारी किया गया जिसके एक तरफ राम दरबार दूसरी तरफ कमल बना हुआ है।उस सिक्के की सार्थकता अब पूरी हो रही है।कमल के शासनकाल में राम जी का मंदिर बन रहा है।विश्व के कई देशों में आज भी राम मंदिर हैं एवम रामलीला का मंचन भी होता है। अयोध्या नगरी में प्रधानमंत्री मोदीजी के द्वारा श्री राम जन्मभूमि मन्दिर का भूमि पूजन बहुत श्रद्धा ,भक्ति एवम उल्हास के साथ सम्पन्न हुआ।अब वहां शीघ्र ही भव्य, दिव्य मन्दिर जी का निर्माण प्रारम्भ हो जायेगा।इस मंदिर आंदोलन से जुड़े सभी शहीदों को नमन एवम सभी कार्यकर्ताओं को साधुवाद। * सुनील जैन राना *

राम राम जी - जय श्री राम

राम राम जी--जय श्री राम - पॉलिटिकल पेट्रोल - https://politicalpetrol.page/article/raam-raam-jee-jay-shree-raam/Le2Vxj.html

ध्वजारोहण

*UPSC इंटरव्यू में पूछा जाने वाला ऐसा सवाल जिसका उत्तर बहुत कम अभ्यर्थी दे पाते हैं-* स्वतंत्रता दिवस और गणतंत्र दिवस में झंडा फहराने में क...