गुरुवार, 27 फ़रवरी 2020

हम क्यों लड़ते हैं,क्योंकि मेरी भावना नहीं पढ़ते हैं?
February 27, 2020 • सुनील जैन राना • धर्म
धर्म नहीं सिखाता आपस में बैर रखना फिर क्यों आपस में लड़ते हैं हम ?विभिन्न संस्कृतियों और धर्मो के भारत देश में कभी-कभी आपस के भाईचारे में कुछ ग्रहण सा लग जाता है। ग्रहण लगने का कारण में अधिकांशतः सस्ती राजनीति के सस्ते बोल होते हैं। आज के कुछ नेतागण अपनी नेतागिरी को चमकाने के लिए कटु और अनर्गल बयान देते हैं जिनसे हिंसा का वातावरण हो जाता है। आज के दौर में यही हो रहा है भारत देश में।
भारत देश में जैन धर्म का विस्तार बहुतायत में था लेकिन विरोधी विचारधारा के कारण समय -समय पर जैन धर्म का ह्रास होता रहा है। जो जैन पहले कम जनसंख्या में करोड़ो की तादाद में होते थे आज आधे करोड़ में सिमट गए हैं फिर भी आज जैन समुदाय जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में अग्रणी है। साक्षरता में ,व्यापार में ,टैक्स देने में जैन लोग सबसे आगे हैं। 
ऐसा क्यों है?इसका मुख्य कारण है श्री जुगल किशोर जी मुख्तयार द्वारा रचित मेरी भावना का अनुशरण करना। भगवान महावीर ने अहिंसा का संदेश देते हुए जियो और जीने का पाठ पढ़ाया। बस यही से अच्छे -सच्चे -सुंदर जीवन की शुरुवात हो जाती है। कहते हैं जैसा खाओ अन्न -वैसा हो मन। जैन धर्म में भक्ष्य -अभक्ष्य का सूक्ष्म विवेचन बताया गया है। आज मांसाहार की अधिकता के चलते ही मन में विकारी भाव उत्प्न्न हो रहे हैं जो किसी भी बात में हिंसा का रूप ले लेते हैं। मन स्वच्छ -खानपान स्वच्छ तो सभी कार्य स्वछता और पूर्णता से पूर्ण होते हैं।
हम बात कर रहे थे मेरी भावना की ,इसमें गृहस्ती में रहते हुए स्वयं के लिए ,परिवार के लिए ,समाज के लिए ,देश के लिए हमे कैसी भावना भानी चाहिए यह बताया है। क्या करना चाहिए ,क्या नहीं करना चाहिए यह बताया है। जैसे कुछ लाइनें- नहीं सताऊं किसी जीव को झूठ कभी नहीं कहा करूं।                            अहंकार का भाव न रखूं  नहीं किसी पर क्रोध करूं। देख दुसरो की बढ़ती को कभी न ईर्ष्या भाव धरूँ।                                   मैत्री भाव जगत में मेरा सब जीवों से नित्य रहे।       होकर सुख में मग्न न फूलें दुःख में कभी न घबरावें।                               सुखी रहें सब जीव जगत के कोई कभी न घबरावें।       बैर -पाप अभिमान छोड़ सब नित्य नयें मंगल गांवें।                          ज्ञान चरित उन्नत कर अपना मनुज -जन्म-फल -सब पांवे।   परम् अहिंसा धर्म जगत में फैले सर्वहित किया करे।                        वस्तु स्वरूप विचार ख़ुशी से सब दुःख संकट सहा करे।   ऐसी ही ४४ सारगर्भित लाइनों से पूर्ण मेरी भावना को हम सभी को भानी चाहिये। * सुनील जैन राना *

मंगलवार, 25 फ़रवरी 2020

ट्रम्प नमस्ते /मोदीजी बड़ी लकीर
February 25, 2020 • सुनील जैन राना • राजनीति
विश्व के सुपर पावर देश अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प का पारिवारिक भारतीय दौरा किसी भी तरह साधारण नहीं है। ट्रम्प के इस भारतीय दौरे में भारत की संस्कृति और विरासत की अमिट छाप ट्रम्प परिवार को यादगार रहेगी। गुजरात के मोटेरा स्टेडियम में अभूतपूर्व स्वागत ,साबरमती के गांधी आश्रम में चरखे से सूत काटना या फिर आगरा में ताजमहल  के दीदार से अभिभूत होना भारत दर्शन के विभिन्न पहलुओं की महत्ता को दर्शाता है।
ट्रम्प का मोदीप्रेम सर चढ़कर बोल रहा है। हालांकि ट्रम्प ने मोदीजी को एक कठोर सौदेबाज़ तक बता दिया जिससे यह प्रतीत होता है की देशहित में मोदीजी किसी के भी आगे झुकने वाले नहीं हैं। ट्रम्प ने आतंकवाद और पाकिस्तान का जिक्र करना जरूरी समझा और दुनिया को यह बता दिया की पाकिस्तान ही आतंकवाद को पनाह दे रहा है। अमेरिका भारत के साथ मिलकर आतंकवाद के समूल नाश को कटिबध्द है।
ट्रम्प के भारतीय दौरे से भारत ने क्या खोया क्या पाया कुछ ऐसे डिबेट टीवी के सभी चैनलों पर चल रही है। इसका निष्कर्ष भी जल्दी ही सामने आ जायेगा। लेकिन विश्व के पटल पर आज यह बात परम् सत्य बन गई है की मोदीजी आज एक बड़ी लकीर बन गए हैं। मोदीजी की लकीर तो शायद उतनी ही बड़ी है जितनी थी लेकिन उनकी लकीर के आगे विश्व के बड़े राष्ट्राध्यक्षो की लकीर छोटी प्रतीत हो रही है। मोदीजी की सोच ,मोदीजी का जज्बा आज दुनिया देख रही है। 
भारत देश सदैव शांति का दूत रहा है। विश्व में बढ़ते आतंकवाद के कारण भले ही भारत भी हथियारों की दौड़ में आगे दौड़ रहा हो लेकिन यह भी सच है की भारत ने कभी भी किसी के साथ ज्यादती नहीं की। पड़ोसी देश द्वारा आतंकी गतिविधियों के कारण अब मोदीजी ने नई नीति अपनाई है *हम किसी को छेड़ेंगे नहीं लेकिन कोई हमें छेड़ेगा तो उसे छोड़ेंगे नहीं * अब इस नीति पर अम्ल हो रहा है और बड़बोला पाकिस्तान अपनी औकात में आ गया है। ट्रम्प का यह दौरा भारत के लिए बहुत मायने रखता है। कुल मिलाकर भारत एक बार फिर भारत महाशक्ति के रूप में उभर रहा है। * सुनील जैन राना *

गुरुवार, 20 फ़रवरी 2020

भड़काऊ बयान क्यों ?
February 20, 2020 • सुनील जैन राना • राजनीति
अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता आज अपने चरम पर है। कोई कुछ भी बोल रहा है। अनर्गल -गैरजरूरी बयानों की बाढ़ सी आ रही है। टीवी मिडिया के चैनलों के सहारे कुछ ऐसे छुटवैये नेता भी अब बड़े नामचीन नेता बन गए हैं। जो नेता सिर्फ अपने मोहल्ले -क्षेत्र तक सीमित थे आज सोशल मिडिया पर छाये हुए हैं। अब तो कुछ ऐसा लग रहा है की प्रसिद्दि पाने को कुछ हल्ला मचाओ ,कुछ अनर्गल बयान दो ,बस बाकी का कार्य मिडिया हाउस पूरा कर देते हैं। यही हो रहा है भारत देश में।
अभी तक तो देश को तोड़ने वाले बयान -भारत तेरे टुकड़े होंगे आदि बोलकर टुकड़े गैंग सुर्खियों में रहा लेकिन इनसे भी आगे हैदराबाद के कुछ नेता जिनका अपना जनाधार भी ज्यादा नहीं है और उनकी कौम के नेता भी उनके बयानों की निंदा करते रहे हैं वे आज भी अनर्गल ही नहीं बल्कि भड़काऊ बयान देने से बाज़ नहीं आ रहे हैं। उनके बयान तो सीधे -सीधे देश को तोड़ने की ही नहीं बल्कि हिन्दू -मुस्लिम टकराव करवाने पर आधारित होते हैं। आज ही हैदराबाद के एक नेता ने ऐसा ही ब्यान देकर हंगामा खड़ा कर दिया है। हालांकि अनेक चैनलों पर मुस्लिम बुद्धिजीवीयो ने उनके बयानों की घोर निंदा की है।
समझ में नहीं आता की किसी बात का विरोध करना जायज़ हो सकता है लेकिन किसी बात के विरोध में हिंसा का वातावरण बनाने की चाह किसी भी तरह न जायज़ है न ही देशहित में होती है। जातिगत संख्या के आंकड़े देकर हिंसा के लिए कुछ लोगो को बरगलाना बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है। जबकि सच बात यह है की भारत की कोई भी जाति किसी दूसरी जाति की विरोधी नहीं है। सिर्फ कुछ नेता अपनी नेतागिरी चमकाने को अनर्गल बयानों का सहारा ले रहे हैं।
जहरीले बोल वाले नेता यह क्यों भूल जाते हैं की भारत में हिन्दू -मुस्लिम आपस में एक दूसरे के पूरक हैं और ताले -चाबी की तरह हैं। सब मिलजुलकर रहते हैं ,सबका व्यापार आपस के सहयोग के बिना अधूरा रहता है। क्यों लड़वाना चाहते हैं आपस में इन्हे ?लड़कर क्या होगा ?जीत भी गए तो क्या एक नया पाकिस्तान बनायेंगे और फिर उसके नेता बनकर अपनी कौम को फिर से आपस में लड़वाएंगे। जैसा की आज पाकिस्तान में हो रहा है। विकास का रास्ता छोड़कर गलत रास्ते पर चल रहा पाकिस्तान आज दुनिया की निगाह में आतंकी देश से ज्यादा कुछ नहीं है। वहां की जनता महंगाई से त्रस्त है। भीख का कटोरा लिए इमरान खान दर -दर जा रहे लेकिन भीख नुमा इमदाद भी कोई दे नहीं रहा। क्या ऐसा ही एक और पाकिस्तान बनाना चाह रहे हैं ये भड़काऊ बयान देने वाले नेता ?
भारत देश सबका है और सब भारत के। मोदीजी भी सदैव सबका साथ -सबका विकास की बात करते हैं। उनकी अनेको योजनाओ का लाभ सभी समान रूप से ले रहे हैं। हम सबको चाहिए की मिलजुलकर रहें। *सुनील जैन राना *

बुधवार, 12 फ़रवरी 2020


दिल्ली आप वालो की
February 12, 2020 • सुनील जैन राना • राजनीति
दिल्ली का चुनावी घमासान खत्म हो गया। एक बार फिर से केजरीवाल की आप दिल्ली की सत्ता पर काबिज़ हो गई। बीजेपी की करारी हार एक बार फिर से बीजेपी को आत्म मंथन करने को मजबूर कर रही है। ऐसा क्या हुआ है जो इस बार फिर से बीजेपी को इतनी करारी हार का सामना करना पड़ा है।
दरअसल कुछ ऐसा लग रहा है की जनता मोदीजी के दूरगामी कार्यो से नाखुश नजर आ रही है। जनता को तो तत्काल में मिली सुविधा की ही चाहत है। वैसे भी मेरे भारत महान में तो फ्री में ज़हर भी बांटने लगो तो लाइन लग जायेगी। मध्यम वर्ग को तो हर हाल में सुविधा देने वाला ही अच्छा लगता है। देश के विकास की बात ,भ्र्ष्टाचार कम होने की बात ,विदेशों में भारत का ऊँचा नाम होने की बात ,पाकिस्तान को उसकी औकात दिखाने की बात ,कश्मीर से धारा ३७० खत्म करने की बात ,राम मंदिर बनने की बात से लेकर अन्य देशहित की बातो से मध्यम वर्ग को कोई फर्क पड़ता दिखाई नहीं दे रहा है। आम आदमी को तो बस रोजगार चाहिए और फ्री में कुछ सुविधाएँ चाहिए। बाकी अन्य सभी बातों से उसे कुछ लेना -देना दिखाई नहीं देता।
इस समय देश की राजनीति ऐसे मोड़ पर है जहां एक तरफ तो भारत का नाम विश्व भर में ऊँचा हो रहा है लेकिन दूसरी तरफ भारत के राजनैतिक दलों ने मोदी विरोध का ऐसा चश्मा लगा लिया है जिसके कारण कई जगह बीजेपी को हार का सामना करना पड़ा है। मोदी विरोध में अन्य सभी दल ऐसे एकत्र हो रहे हैं जैसे मोदीजी देश का अहित कर रहे हों। आज देश में बीजेपी का वोट  लगभग ४० प्रतिशत हो गया है लेकिन अभी भी अन्य सभी दलों के एकत्र होने पर कहीं -कहीं हार का सामना देखना पड़ रहा है। हालांकि उत्तर प्रदेश जैसे राज्य में महागठबंधन का फार्मूला फेल हो गया था।
कुछ ऐसा भी है की देश की जनता महंगाई से परेशान है। रोजगार पहले से कम हो गए हैं। व्यापारी नए टैक्सों से परेशान हैं। गैस सलेंडर के बढ़ते दाम दिखाई दे रहे हैं जबकि सब्सिडी मिलती है का कोई जिक्र नहीं करता। गरीबों को मकान ,शौचालय ,लोन, मुफ्त चिकित्सा आदि अनेकों योजनाओ का लाभ उठाने वाले भी उनका जिक्र नहीं करते। अनेको क्षेत्रों से भ्र्ष्टाचार खत्म हुआ इससे भी किसी को फर्क नहीं पड़ा। बल्कि अनेकों लोग जो इसमें लिप्त थे वे सब मोदी विरोधी हो गए। देखने में आ रहा है की अनेको राज्यों में क्षेत्रीय दलों के प्रभाव को बीजेपी कम नहीं कर पाई है। आम आदमी जिसके साथ जुड़ा है उसे वही अच्छा लग रहा है। राष्ट्रीय पार्टी कांग्रेस जरूर पतन के कागार पर है। लोगो का मानना है की इसका मुख कारण कांग्रेस के युवराज के अमर्यादित बोल हैं। पहले मोदी चोर है और अब मोदीजी को डंडा मारने जैसे बयानों को जनता ने नकारा है। 
दिल्ली के चुनावों के निष्कर्ष से लगता है की बीजेपी को केजरीवाल की तर्ज पर कार्य करना होगा। काम चाहे कुछ भी न करो बस जनता को मुफ्त में कुछ न कुछ देते रहो। सड़के -फ्लाईओवर चाहे न बनवाओ बस रोड टैक्स मत लो। गैस सस्ती दो फिर चाहे सब्सिडी मत दो। शौचालय -मकान की जगह बिजली -पानी मुफ्त में दो।खुद भी खाओ और जनता को भी खाने दो।आरोप -प्रत्यारोप न लगाकर खुद से मुस्कुराते रहो।शायद जनता यही चाहती है। *सुनील जैन राना *

मंगलवार, 11 फ़रवरी 2020

उत्तम विचार
February 11, 2020 • सुनील जैन राना • धर्म

गुड न्यूज़ इंडिया -सम्मान निःस्वार्थ को
February 11, 2020 • सुनील जैन राना • जनहित
दूरदर्शन पर प्रत्येक रविवार को रात्रि ९ बजे गुड न्यूज़ इंडिया कार्यक्रम आता है। बहुत सुंदर उपयोगी ऐसा कार्यक्रम जिसमें देश भर के अच्छे नागरिकों द्वारा देशहित -जनहित में किये गए अच्छे कार्यक्रमों को दिखाया जाता है। रविवार ९ जनवरी २०२० को कार्यक्रम में अनेक ग्रामीण विभूतियों को जिन्हे इस बार पदम् श्री सम्मान मिला है ,उनके बारे में बताया गया और दिखाया गया। ये सभी लोग ग्रामीण क्षेत्र के सामान्य वर्ग से विभिन्न क्षेत्रों में विशिष्ट कार्य करने वाले लोग थे। जिन्होंने शिक्षा के क्षेत्र में ,पर्यावरण एवं जल बचाने के क्षेत्र में ,पशु -पक्षियों की निःस्वार्थ सेवा के क्षेत्र में निःस्वार्थ भाव से बिना सरकारी सहयोग के विशिष्ट कार्यो को अंजाम दिया है। ऐसे सभी गुणीजनों को हमारा प्रणाम।
बहुत ही सुंदर बात है की ऐसे गुणीजनों के कार्यो को दिखाने -बताने से अन्य सभी में भी जागरूकता तो आती ही है। हर समय टीवी के अनेक चैनलों पर धरने -प्रदर्शन -लूटपाट -हत्या -भ्र्ष्टाचार आदि के समाचार देखकर दर्शक परेशान तो हो ही जाता है। ऐसे में दूरदर्शन द्वारा ऐसे कार्यक्रम प्रसारित करने से हम सभी में भी अच्छे कार्य करने का भाव तो आता ही है।
इस सब में भी अहम बात यह भी है की देश में शायद पहली बार योग्यता को सम्मान मिल रहा है। मोदी सरकार में बिना किसी सिफ़ारिश -दबाब के योग्य व्यक्तियों को सम्मान दिया गया। अन्यथा तो पहले के सम्मानों में ऐसा लगता था की नामचीन लोगो को या सिफारिश वालो को पुरुस्कार मिल जाते रहे होंगे। ऐसे ही कुछ लोगो में से अवार्ड वापसी गैंग जो किसी सरकारी नीति के विरोध में अपना अवार्ड -सम्मान वापस करने लग जाते हैं, क्योकि उन्हें सिर्फ नाम चाहिए होता है सम्मान नहीं ?
ऐसे लोगो को सम्मान मिलना जो निर्धन होते हुए भी निःस्वार्थ समाज की सेवा में लगे रहते हैं सिर्फ उनका सम्मान नहीं अपितु मानवजाति का सम्मान होता है। इस विषय में एक सुझाव है की भारत रत्न जैसे सम्मान सिर्फ निःस्वार्थ भाव से कार्य करने वाले को ही मिलना चाहिए। खेल के क्षेत्र में खेलरत्न, उद्योग के क्षेत्र में उद्योग रत्न ,पर्यावरण के क्षेत्र में पर्यावरण रत्न ,जल के क्षेत्र में जल रत्न आदि दिए जाने चाहिए। भारत रत्न तो ऐसे किसी को भी नहीं मिलना चाहिए जिसने अपने कार्य से धन उपार्जन किया हो। एक क्रिकेटर जिसे भारत रत्न मिला ,जिसने किरकेट से करोड़ो कमाएं वो आज भी धन उपार्जन को पानी-तेल -टायर आदि बेच रहा है विज्ञापनों में। ऐसे में भारत रत्न की क्या अहमियत रह जाती है? माननीय अटल बिहारी बाजपेयी जी को भारत रत्न मिलना सिर्फ उनका सम्मान नहीं बल्कि भारतरत्न उपाधि का ही सम्मान है। *सुनील जैन राना *

शुक्रवार, 7 फ़रवरी 2020

कोरोना- शाकाहारी भोजन करोना http://suniljainrana.blogspot.com/
February 7, 2020 • सुनील जैन राना • जनहित
* चाईनीज मांसाहारी फ़ूड बंद करोना - शाकाहारी भोजन करोना -ऊपर वाले से डरोंना- मांसाहार कर मरों ना। 
* चीन के हुबेई प्रान्त में फैला कोरोना वायरस अब चीन के अलावा दुनिया के अन्य देशों में भी फ़ैल रहा है। बताया जा रहा है की      यह वायरस सी फ़ूड यानि झींगे -मछली -केकड़े -ऑक्टोपस एवं चमगादड़ -सांप आदि से फैला है।
* चीन में मांसाहार करने की प्रवृति ने इंसानियत की साड़ी मर्यादाएं लांघ दी हैं। यूरोपियन देशों में मुर्गा -बकरी -भैंसा -सूअर आदि    खाया जाता है जबकि चीन में समुद्री जीव -सांप -कुत्ते -चमगादड़ आदि बेहताशा खाये जाते हैं। इन जीवों को जिन्दा ही कढ़ाई के    खौलते तेल में पकाकर खा लिया जाता है। जिन्दा सांप को बीच में से चीर कर उसका खून पी लिया जाता है। इंतहा तो तब हो        जाती है जब अनेक वीडियो में इंसानी शरीर के टुकड़े दिखाते हैं जिसे हैवान मांसभक्षी खाते होंगे।
* लगता है की भौतिक युग की चकाचौंध में चीन यह भूल गया है की प्रकृति जब बदला लेती है तब सारा हिसाब एक ही      बार में पूरा कर देती है। सिर्फ जीभ के स्वाद के लिए इतनी हिंसा। समझ में नहीं आता है की जब प्रकृति ने शाकाहारी            भोजन के इतने विकल्प दिए हैं तो फिर क्यों इतनी हैवानियत भरा मांसाहार किया जा रहा है?
याद रखिये -बलशाली हाथी और शक्तिशाली घोड़ा -दोनों ही शाकाहारी होते हैं। इस भ्र्म में मत रहिये की मांसाहारी भोजन          ज्यादा ताकतवर होता है। अनेक बीमारियां लाता है मांसाहारी भोजन।
* कोरोना जैसे वायरस ना फैले इसलिए शाकाहारी भोजन ही सर्वोत्तम आहार है। * सुनील जैन राना *

बुधवार, 5 फ़रवरी 2020


हे भगवान,देश विरोधी-देशद्रोही और इंसान http://suniljainrana.blogspot.com/
February 5, 2020 • सुनील जैन राना • जनहित
हे भगवान ,मेरा भारत महान ,यहां होते हैं अजूबे -अजूबे से काम।
दुनिया में शायद भारत की एकमात्र ऐसा देश होगा जहां के मूल निवासी ही अपने देश का झंडा जला देते हों ,देश के टुकड़े-टुकड़े करने की बात करते हों ,देश विरोधी बयान देते हों ,देश के संविधान की धज्जियां उड़ाते हों ,देश की रक्षक सेना पर पथराव -हमला कर देते हों ,अपने देश को गाली देकर अन्य देश की जय बोलते हों। ऐसे देश विरोधी और देशद्रोही नागरिक हमारे भारत महान में पायें जाते हैं।
भारत विभिन्न संस्कृतियों -धर्मों और भाषाओं वाला देश है। सभी धर्म महान और सभी धर्मों के ईश्वर -भगवान -देवता आदि शक्तिशाली बतायें गए हैं। सभी धर्मों के लोग अपने -अपने धर्म के प्रति अटूट आस्था रखते हुए अपने धर्म के प्रति समर्पित रहते हैं। सभी धर्मी लोग अपने धर्म की अवहेलना भी बर्दास्त नहीं करते हैं यदि कोई अवहेलना करना चाहें भी तो उसके साथ मरने-मारने पर उतारूं हो जाते हैं।कभी -कभी ऐसे ही कुछ कार्यो से जातिवाद बढ़ रहा है और भाईचारा कम हो रहा है।
हमारा सभी धर्मों के भगवान जी से निवेदन है की अपने धर्म अनुयायी को सद्बुद्धि दे और धर्म के सही मायने और सही मार्ग बतायें। धर्म के उपदेश के साथ ही राजनीति की बात भी बतायें की दलगत राजनीति से ऊपर उठकर किसी भी दल की किसी भी अच्छी बात का अनुशरण करें और गलत बात की आलोचना करें। किसी भी दल के नेता का सिर्फ मोहरा बनकर मत रहें। नेता वही अच्छा जिसने उनकी कौम का विकास किया हो। कुछ भी हो लेकिन जिस मिटटी में जन्म लिया हो उसे गाली मत दें।
हे भगवान ,इंसान तो अपनी इंसानियत खो रहा है लेकिन आप तो सर्व शक्तिमान हो। आप अपने बंदों को सद्बुद्धि देकर उनमें भाईचारा कायम करो। दुष्ट किसी भी जाति का हो उसका नाश करो। देश विरोधियों और देशद्रोहियों में देश के प्रति प्रेम उजागर करो। देश सबका और सब देश के ऐसा मेरा भारत महान बनाओं। *सुनील जैन राना *

शनिवार, 1 फ़रवरी 2020

न्यायप्रणाली पर हावी होती राजनीति ?
February 1, 2020 • सुनील जैन राना • राजनीति
एक बार फिर से निर्भया के बलात्कारियों की फांसी टल गई। यह कैसी विडंबना है ,यह कैसा कानून है ,यह कैसी लचर -पचर न्यायप्रणाली है? लगभग ८५ महीनों की जद्दो जहद के बाद पिछले माह जनवरी में निर्भया के दरिंदो को फांसी देने का फैसला सुप्रीम कोर्ट द्वारा सुनाया गया था। लेकिन मेरे भारत महान में जहां एक ओर गरीब मध्यम वर्ग धन के अभाव में अच्छे वकील नहीं कर पाता और अपना सच्चा मुकदमा हार जाता है वहीं दूसरी ओर जघन्य अपराधियों को जो शायद ज्यादातर गरीब या मध्यम वर्ग के ही होते हैं उन्हें उनके झूठे मुकदमे लड़ने के लिए वकील भी मिल जाते हैं और धन बल भी मिल जाता है।
निर्भया के दरिंदे बलात्कारियों को कौन बचा रहा है इस बात की जांच होनी चाहिए। निर्भया के माँ -बाप तो सीधे ही इसमें एक राजनीतिक पार्टी का हाथ बता कर लोगो से -कोर्ट से न्याय की गुहार लगाते दिखाई दे रहे हैं। सच क्याहै पता नहीं लेकिन यह तो सच ही दिखाई दे रहा है की आज देश की न्यायप्रणाली के हाथ कैसे बंधे हुए हैं? निचली अदालत से हाई कोर्ट उसके बाद सुप्रीम कोर्ट तक ऐसे जघन्य अपराधियों की पहुंच बहुत बड़े कारनामें को अंजाम देती दिखाई दे रही हैं। सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद अंतिम गुहार राष्ट्रपति महोदय के पास से ख़ारिज होने के बाद पुनः कानूनी लटके -झटके कौन दिला रहा है इन बलात्कारियों को जिनके पास लगता है न ज्यादा धन होगा और न ही ज्यादा बल होगा ?
निर्भया के केस से यह बात तो भली प्रकार समझ में आ जाती है की जब एक मध्यम गरीब जघन्य अपराधी ही कानून को ऐसे गुल खिला सकता है तो धन -बल वाले अपराधी तो कुछ भी कर सकते हैं। हमारी न्यायप्रणाली में इन सब बातों को देखते हुए बहुत सुधार की जरूरत है। * सुनील जैन राना *

बजट आया -आया बजट
February 1, 2020 • सुनील जैन राना • जनहित
देश की वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण जी ने आज बजट पेश किया। अपने लम्बे अभिभाषण में उन्होंने देश में शिक्षा ,देश की सुरक्षा से लेकर मध्यम वर्ग और किसानों की उन्नति के लिए बजट में भरपूर प्रयास किये। इसके अलावा इन्कम टैक्स में छूट की दरों में इजाफा कर मध्यम वर्ग को तोहफा दिया है। कुल मिलाकर देश की अधिकांश जनता यानि मध्यम वर्ग के लिए यह बजट खुशियां लाने वाला बजट ही साबित होगा। * सुनील जैन राना *

पुरानी यादें

एक जमाना था... खुद ही स्कूल जाना पड़ता था क्योंकि साइकिल बस आदि से भेजने की रीत नहीं थी, स्कूल भेजने के बाद कुछ अच्छा बुरा होगा ऐसा हमारे म...