भारत रत्न कैसा हो ?
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भारत की सर्वोच्च अलंकृत उपाधि भारत रत्न के नाम से जानी जाती है। भारत रत्न की उपाधि से भी बड़ा रत्न हमने खो दिया है। श्री अटल बिहारी बाजपेयी जी ने इस दुनिया को अलविदा कह दिया है। भारत रत्न अटल जी किसी उपाधि के मोहताज़ न थे। उनका आचरण ,उनका चरित्र इन सभी उपाधियों से ऊपर था।
विषय यह है की भारत रत्न कैसा हो ? तब जबाब आयेगा की निश्चित ही अटल जी जैसा हो। अटल जी ,जिन्होंने अपना पूर्ण जीवन नैतिकता को जीवंत रखने में लगा दिया। निःस्वार्थ राजनीति ,देशहित में अपना जीवन अर्पण
करने वाले अटल जी जैसा अन्य कोई व्यक्तित्व आज ढूंढे नहीं मिलेगा।
आज के भौतिक युग में भारत रत्न प्राप्त किये कुछ माननीय मंजन -चूर्ण -पानी बेच रहे हैं ?
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भारत रत्न जैसा सर्वोच्च उपहार सिर्फ देशहित में निःस्वार्थ सेवा हेतु ही दिया जाना चाहिए। अब यह उपाधि निःस्वार्थ सेवा वाले को कम दी जा रही है बल्कि किसी अन्य छेत्र जैसे कोई खेल आदि में नाम कमाने वाले
व्यक्ति को दी जा रही है। जबकि उस व्यक्तिने अपने खेल के दौरान अर्थ उपार्जन किया। उसके खेलने का
एक मुख्य पहलू अर्थ उपार्जन ही रहा होगा। तत्पश्चात उसके खेल में निखार आता गया और वह नए शिखर
प्राप्त करता चला चला गया। इसमें राष्ट्र सेवा क्या हुई ?किसी भी खेल के सर्वोत्तम खिलाडी का भी भी पूरा सम्मान होना चाहिये। उसने देश का गौरव बढ़ाया होता है। ऐसे में उसे *खेल रत्न *से नवाज़ा जाना चाहिए।
भारत रत्न तो अटल जी जैसे को ही मिलना चाहिये। भारत रत्न प्राप्त माननीयों को मंजन -चूर्ण -पानी
आदि नहीं बेचना या विज्ञापन नहीं करना चाहिए। जय हिन्द। *सुनील जैन राना *
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