शुक्रवार, 10 अगस्त 2018



बाल गृह -महिला आश्रम में दुराचार क्यों ?
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देश के अनेक राज्यों में बनें बालगृह -महिला आश्रमों में दुराचार की घटनाएं बढ़ती जा रही हैं। जो बहुत दुर्भाग्यपूर्ण और विडंबना की बात है। राज्य सरकारें इस ओर ध्यान नहीं दे रही या माफ़िया असामाजिक तत्वों का बोलबाला ज्यादा है। जो भी हो यह बहुत चिंताजनक बात है।

लगता है की इस समस्या के उपरोक्त दोनों पहलू ही इस समस्या की जड़ हैं। अक्सर ऐसे स्थानों के प्रति शासन  और प्रशासन  का रवैया ढ़ीला रहता है जिसका फायदा असामाजिक तत्व उठाते हैं। इस कार्य में लगे अनेक NGO की भूमिका भी संदेहजनक होती देखी गई है। आज देश में अधिकांश NGO में सेवा भावना कम एवं अपना पेट भरने की भावना ज्यादा बढ़ रही है।

कुछ भी कहें लेकिन कहर तो उन बेचारी /बेचारो पर ही टूट रहा है। राज्य सरकारों को इस तरफ ज्यादा ध्यान देने की जरूरत है। कुछ कठोर नियम -कानून भी बनने चाहियें ,जिससे अपराधी को डर लगे।

बलात्कारी का अंग भंग तो होना ही चाहिये 
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मैं पहले भी कई लेखों में लिख चूका हूँ की बलात्कार करने वाले भेड़िये को कानून का ख़ौफ़ नहीं है। हालांकि इस विषय में नये कानून भी बन गए हैं। लेकिन सभी जानते हैं भारत में आम आदमी कानून की लम्बी लड़ाई में भले ही जीत जाये लेकिन तब तक वह टूट चूका होता है। 

जब तक बलात्कारी का अंग भंग -तुरन्त जैसा कानून नहीं बनेगा बलात्कारी को ख़ौफ़ नहीं होगा। जिस तरह पीड़िता जिंदगी भर इस जोर जबरदस्ती को अपने मन में झेलती है उसी प्रकार यदि बलात्कारी का अंग भंग तुरंत कर दिया जायेगा फिर मुकदमा चलेगा तो उसे भी जिंदगी भर इस एहसास को खुद और समाज में झेलना पड़ेगा।                                                                                         * सुनील जैन राना *

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