मंगलवार, 28 अगस्त 2018



धनवान ही माननीय होते हैं ?भले ही वे अपराधी या भ्र्ष्टाचारी हों
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हमारे भारत महान में ऐसी बहुत सी बातें देखने में आती हैं जिससे लगता है की माननीय होने के लिए धनवान होना बहुत जरूरी है। छोटे -मोटे झगड़े -नियम -कानून तो जैसे धनवान के लिए कोई अहमियत ही नहीं रखते।
कानून की गाज आम आदमी पर तुरंत गिर जाती है वहीं धनवान पर कानून की गाज गिरने से पहले ही धनवान
का जुगाड़ काम कर जाता है।

देश का एक नामी विजय माल्या धनवान जो भारतीय बैंको से लगभग ९००० करोड़ रूपये लेकर विदेश को निकल लिया था अभी तक उसको देश का कानून भगोड़ा भी घोषित नहीं कर पाया है। जबकि एक आम आदमी यदि बैंक का लोन समय पर चुकता न कर पाये तो बैंक उसकी कुर्की तक करवा देता है। लेकिन धनवान के लिए
कई बैंको समेत केंद्र सरकार एवं कानून व्यवस्था सब ताक पर रखी दिखाई देती है।

अपराधी प्रवृति के बाहुबली धनवान के आगे प्रसाशन पस्त होता दिखाई दे जाता है। भ्र्ष्टाचारी प्रवृति के नेता के
धन की जांच भी होती दिखाई नहीं देती। यदि होती भी है तो उसका धन काला नहीं सफेद ही पाया जाता दिखाई
देता रहा है।

मोदी सरकार भी इन सब बातों से पीड़ित है। मोदीजी के अहम फैसले नोटबंदी को बैंको और धनवानों की मिलीभगत से टॉय टॉय फिस्स के जैसे ही कर दिया। सबके पुराने नोट बदले गए अब चाहे वो काले थे या सफेद
थे। दशकों से बड़े धनवानों और बड़े बैंक अधिकारियों की मिलीभगत से बिना सुरक्षा लाखों करोड़ का लोन दे
दिया गया जिसमें भ्र्ष्टाचार अवश्य ही निहित होगा। आज वही लोन NPA कहला रहा है। काश यह धन वापस
आता तो जनता की भलाई में काम आता।

दरअसल पिछले कानूनों की लचकता का फायदा उठाकर धनवानों ने देश को लूटा है। अब मोदी सरकार इन
सब का अध्ययन कर नए कठोर कानून बना रही है। लगभग दो लाख से ज्यादा फर्जी कम्पनियाँ बंद कर दी गई
हैं। देश का धन लेकर विदेशो में भागने वाले धनवानों को भगोड़ा घोषित कर देश में वापस लाने और उनकी सम्पत्ति नीलाम करने के लिए कठोर कानून बनाये जा रहे हैं।

जल्दी ऐसा समय आएगा की अब कोई माल्या माल लेकर निकल नहीं पायेगा।
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शुक्रवार, 17 अगस्त 2018



भारत रत्न कैसा हो ?
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भारत की  सर्वोच्च अलंकृत उपाधि भारत रत्न के नाम से जानी जाती है। भारत रत्न की उपाधि से भी बड़ा रत्न हमने खो दिया है। श्री अटल बिहारी बाजपेयी जी ने इस दुनिया को अलविदा कह दिया है। भारत रत्न अटल जी किसी उपाधि के मोहताज़ न थे। उनका आचरण ,उनका चरित्र इन सभी उपाधियों से ऊपर था।

विषय यह है की भारत रत्न कैसा हो ? तब जबाब आयेगा की निश्चित ही अटल जी जैसा हो। अटल जी ,जिन्होंने अपना पूर्ण जीवन नैतिकता को जीवंत रखने में लगा दिया। निःस्वार्थ राजनीति ,देशहित में अपना जीवन अर्पण
करने वाले अटल जी जैसा अन्य कोई व्यक्तित्व आज ढूंढे नहीं मिलेगा।

आज के भौतिक युग में भारत रत्न  प्राप्त किये कुछ माननीय मंजन -चूर्ण -पानी बेच रहे हैं ?
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भारत रत्न जैसा सर्वोच्च उपहार सिर्फ देशहित में निःस्वार्थ सेवा हेतु ही दिया जाना चाहिए। अब यह उपाधि निःस्वार्थ सेवा वाले को कम दी जा रही है बल्कि किसी अन्य छेत्र जैसे कोई खेल आदि में नाम कमाने वाले 
व्यक्ति को दी जा रही है। जबकि उस व्यक्तिने अपने खेल के दौरान अर्थ उपार्जन किया। उसके खेलने का 
एक मुख्य पहलू अर्थ उपार्जन ही रहा होगा। तत्पश्चात उसके खेल में निखार आता गया और वह नए शिखर 
प्राप्त करता चला चला गया। इसमें राष्ट्र सेवा क्या हुई ?किसी भी खेल के सर्वोत्तम खिलाडी का भी भी पूरा सम्मान होना चाहिये। उसने देश का गौरव बढ़ाया होता है। ऐसे में उसे *खेल रत्न *से नवाज़ा जाना चाहिए। 

भारत रत्न तो अटल जी जैसे को ही मिलना चाहिये। भारत रत्न प्राप्त माननीयों को मंजन -चूर्ण -पानी 
आदि नहीं बेचना या विज्ञापन नहीं करना चाहिए। जय हिन्द।                              *सुनील जैन राना *

गुरुवार, 16 अगस्त 2018


भारत ने खोया अनमोल रत्न -भारत रत्न श्री अटल बिहारी बाजपेयी
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पूर्व प्रधानमंत्री ,भारत रत्न ,भारतीय राजनीति के पुरोधा -वटवृक्ष माननीय अटल जी आज देह परिवर्तन कर गये।

हमारी भाव पूर्ण श्रदांजलि एवं कोटि -कोटि नमन है श्री अटल बिहारी बाजपेयी जी को। 

बुधवार, 15 अगस्त 2018



स्वतंत्रता दिवस पर सुंदर हाइकु
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भारत देश
स्वतंत्रता दिवस
अमर रहे
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गुलाम नहीं
अब आज़ाद हम
सशक्त बनों
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जय जवान
स्वतंत्रता सेनानी
अमर रहें
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सुनील जैन राना 

सम्पूर्ण जन गण मन 

मंगलवार, 14 अगस्त 2018


मेरा भारत महान
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कैसे बनेगा मेरा भारत महान
बढ़ रही आबादी ,बढ़ रहा भीड़ तन्त्र
आज़ाद होकर भी बर्बाद हो रहे हम

http://suniljainrana.blogspot.com/

शुक्रवार, 10 अगस्त 2018



बाल गृह -महिला आश्रम में दुराचार क्यों ?
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देश के अनेक राज्यों में बनें बालगृह -महिला आश्रमों में दुराचार की घटनाएं बढ़ती जा रही हैं। जो बहुत दुर्भाग्यपूर्ण और विडंबना की बात है। राज्य सरकारें इस ओर ध्यान नहीं दे रही या माफ़िया असामाजिक तत्वों का बोलबाला ज्यादा है। जो भी हो यह बहुत चिंताजनक बात है।

लगता है की इस समस्या के उपरोक्त दोनों पहलू ही इस समस्या की जड़ हैं। अक्सर ऐसे स्थानों के प्रति शासन  और प्रशासन  का रवैया ढ़ीला रहता है जिसका फायदा असामाजिक तत्व उठाते हैं। इस कार्य में लगे अनेक NGO की भूमिका भी संदेहजनक होती देखी गई है। आज देश में अधिकांश NGO में सेवा भावना कम एवं अपना पेट भरने की भावना ज्यादा बढ़ रही है।

कुछ भी कहें लेकिन कहर तो उन बेचारी /बेचारो पर ही टूट रहा है। राज्य सरकारों को इस तरफ ज्यादा ध्यान देने की जरूरत है। कुछ कठोर नियम -कानून भी बनने चाहियें ,जिससे अपराधी को डर लगे।

बलात्कारी का अंग भंग तो होना ही चाहिये 
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मैं पहले भी कई लेखों में लिख चूका हूँ की बलात्कार करने वाले भेड़िये को कानून का ख़ौफ़ नहीं है। हालांकि इस विषय में नये कानून भी बन गए हैं। लेकिन सभी जानते हैं भारत में आम आदमी कानून की लम्बी लड़ाई में भले ही जीत जाये लेकिन तब तक वह टूट चूका होता है। 

जब तक बलात्कारी का अंग भंग -तुरन्त जैसा कानून नहीं बनेगा बलात्कारी को ख़ौफ़ नहीं होगा। जिस तरह पीड़िता जिंदगी भर इस जोर जबरदस्ती को अपने मन में झेलती है उसी प्रकार यदि बलात्कारी का अंग भंग तुरंत कर दिया जायेगा फिर मुकदमा चलेगा तो उसे भी जिंदगी भर इस एहसास को खुद और समाज में झेलना पड़ेगा।                                                                                         * सुनील जैन राना *

गुरुवार, 9 अगस्त 2018



राजयसभा में हरि नाम की धूम 
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आज राज्यसभा में उपसभापति पद के लिए चुनाव सम्पन्न हुआ। चुनाव NDA बनाम UPA था। 

मज़े की बात यह रही की दोनों गठबंधनों के प्रत्याशी के नामों में हरि जुड़ा था। यानि के यों कहिये 

की आज राज्य सभा में हरि नाम की धूम थी।  NDA के प्रत्याशी हरिवंश जी थे एवं UPA के प्रत्याशी 

हरि प्रसाद जी थे। चुनाव में हरि ने हरि को हराया ,हरि से जीते हरि। NDA के हरिवंश जी को १२५ 

वोट मिले तो UPA के हरि प्रसाद को १०५ वोट मिले। मोदीजी के नेत्तृव में लोकसभा के विश्वास मत 

जीतने के बाद NDA की राज्य सभा में दूसरी बड़ी जीत है। 


वरिष्ठ नागरिक

*ध्यान से पढ़ें* *कृपया पढ़ना न छोड़ें* *👏जब बूढ़े लोग बहुत अधिक बात करते हैं तो उनका मजाक उड़ाया जाता है, लेकिन डॉक्टर इसे आशीर्वाद के...