रविवार, 29 अप्रैल 2018

लालकिला बेचा नहीं ?
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सरकार द्वारा कुछ निर्णय अच्छाई के लिए लिए जाते हैं लेकिन विपक्ष को तो शायद सरकार की हर बात का विरोध करना ही एक मात्र उद्देश्य रह गया है। हाल ही में देश के कुछ ऐतिहासिक इमारतों को बड़े घरानो को
गोद देने की प्रक्रिया शुरू की गई है। इसपर कुछ मिडिया और कुछ विपक्ष द्वारा आपत्ति की गई। मिडिया ने
तो ऐसा दिखाया की ;लालकिला २५ करोड़ में बेचा।
ऐतिहासिक इमारतों की देखरेख हमेशा से सरकारी विभागों द्वारा ही होती रही है। लेकिन सिर्फ देखभाल के
अन्य कोई उपलब्धि कभी नहीं मिली।  अब सरकार एक तीर से दो निशाने लगाने जा रही है। एक तो सरकारी
धन की बचत होगी ,दूसरे इन ऐतिहासिक धरोहरों की देखभाल के साथ ही राष्ट्रीय -अन्र्राष्ट्रीय सांस्कृतिक कार्य
कर्मो के आयोजन होंगे। जिससे देश -विदेश में इन स्थलों की पहचान बनेगी और टूरिज्म को बढ़ावा मिलेगा।
ऐतिहासिक धरोहर जस की तस रहेगी ,उससे छेड़छाड़ की अनुमति नहीं दी जा रही है।

सुनील जैन राना , छत्ता जम्बू दास , सहारनपुर -247001 (उत्तर प्रदेश )भारत 

बुधवार, 25 अप्रैल 2018


कास्टिंग काऊच भी तो बलात्कार ही है -जिसने किया शील भंग ,उसका भी हो अंग -भंग
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पिछले काफी समय से देश में बलात्कार की घटनाओं में वृद्धि होती दिखाई दे रही है। इसमें इंटरनेट और फिल्मों

का बहुत बड़ा योगदान है। दुर्भाग्य की बात  की कई जगह बलात्कार की घटनाओं ने हिन्दू -मुस्लिम का रूप ले

लिया है जो बहुत चिंता की बात है।

कामुक प्रवृति के लोग देश के सभी राज्यों में पाये जाते हैं। इन पर रोक कैसे लगे इस पर डिबेट आदि होनी

चाहिये। लेकिन इस पर विचार -विमर्श की बजाय हो हल्ला ज्यादा हो रहा है। टीवी पर ५ -६ हल्ला मचाने वाले

बैठ जाते हैं और मुद्दे से भटक कर आपस में ही लड़ने लगते हैं, यह ठीक नहीं है।

बलात्कार का ही एक रूप है कास्टिंग काऊच। अभी हाल ही में बॉलीवुड की प्रसिद्ध कोरियोग्राफर ने इस मुद्दे

को गलत बयान देकर गरमा दिया। इस पर बबाल थमा भी ना था की कांग्रेस की रेणुका चौधरी ने राजनीति के

छेत्र में भी कास्टिंग काऊच होने की बात कहकर हंगामा खड़ा कर दिया। महिलायें होकर ऐसे बयान देना तो

वास्तव में निंदनीय ही है।

धार्मिक छेत्र में कास्टिंग काऊच या बलात्कार की घटनाएं भी जोरो शोरो से टीवी पर दिखाई जा रही हैं। धार्मिक

कथित संत राम रहीम हो या आशा राम या अन्य ,इन्ही कारणों से जेल में हैं। विडंबना की बात तो यह है की ऐसा

सब देखकर भी अंध भक्तों की कमी नहीं है। धर्म के नाम पर गलत कर्म हो रहे हैं। कुछ कथित साधु -संत तंत्र

मंत्र का सहारा ले मालाएं -पूड़ियाये का लालच देकर भक्तो को बरगला कर उनसे धन उगाह रहे हैं और गलत

कार्य भी करवा रहे हैं। अधिकांश धर्मो में ऐसा हो रहा है। धर्म की परिभाषा बदल कर रख दी हैं इन कथित संतो

ने। सिर्फ अपनी पूजा और अपना महिमागान।

हालांकि बलात्कार पर नया कठोर कानून बन गया है जिसमें लम्बी सज़ा और उम्र कैद का प्रावधान किया गया

है। मेरी समझ से इस नए कानून में अंग भंग भी होना चाहिए। क्योकि जिस प्रकार बलात्कार की पीड़िता जिंदगी

भर बलात्कार का दाग और मानसिक उत्पीड़न से जूझती है ठीक उसी प्रकार बलात्कारी का अंग भंग कर उसे

भी जिंदगीभर यह एहसास तो रहना ही चाहिए की उसने बहुत बड़ा अपराध किया था उसकी सज़ा उसे मिली

है। इससे भविष्य में भी वह ऐसे गलत कार्य के योग्य नहीं रह जायेगा।

*जिसने किया शील भंग -उसका भी हो अंग भंग *
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शनिवार, 21 अप्रैल 2018

pocso में अंग भंग भी हो
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बलात्कार की सज़ा और ज्यादा सख्त हुई ,लेकिन अभी भी कम सख्त है। जिस दुराचारी ने किया शील भंग -

उसका भी होना चाहिए अंग -भंग।


मुख्य न्यायधीश के ख़िलाफ़ महाभियोग
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भारत देश की स्वतंत्रता इससे ज्यादा क्या हो सकती है की जिन पर लंबित हैं अनेको मुक़दमे उन्होंने ही मुख्य

न्यायधीश के ख़िलाफ़ महाभियोग की पेशकश कर दी। जिस कांग्रेस ने कभी खुद महाभियोग की खिलाफत की

थी आज वही मुकदमों से डरकर *उल्टा चोर कोतवाल के डांटे *वाली कहावत को चरितार्थ कर रहे हैं।


यशवंत सिन्हा ने बीजेपी छोड़ी
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बहुत कश्मकश के बाद ,बहुत विरोध करने के बाद आख़िरकार पूर्व बीजेपी मंत्री यशवंत सिन्हा जी ने आज एलान कर ही दिया की वे बीजेपी छोड़ रहे हैं। हालाँकि यह भी सभी जानते हैं की बीजेपी ने उन्हें पकड़कर नहीं रखा हुआ था। अच्छा होता की अपने जैसे एक और सिन्हा शत्रु जी को भी साथ ले लेते। ऐसा बहुत से बीजेपी कार्यकर्ता चाह रहे हैं।


JNU में कन्हैया ११ वी बार फेल
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सूत्रों से पता चला है की JNU में आज का नामी गिरामी कथित नेता ११वी बार फेल हो गया है। पता नहीं क्यों
इतने लचर कानून बनाये गए हैं की जनता के पैसे से सब्सिडी के द्वारा पढ़ने वाले ऐसे छात्रो को बार -बार फेल होने पर बाहर क्यों नहीं करते ?ऐसो ने ही शिक्षण संश्थानो को नेतागिरी का अड्डा बना दिया है। अब केंद्र सरकार को इन पुराने नियमो को बदलकर लगातार तीन साल फेल वाले को बाहर करना ही चाहिए।


गुरुवार, 5 अप्रैल 2018



शेयर बाजार - पैंट टाइट या पजामा ढ़ीला
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भारतीय शेयर बाजार का हाल चनावों के समय विभिन्न दलों के मुकाबले जैसा है। जिसमें सभी दल जीतने के

लिए पूरा जोर लगा देते हैं लेकिन फैसला किसी अन्य के पक्ष में आ जाता है।

व्यापारिक टीवी चैनलों पर शेयर विशेषज्ञ बैठ जाते हैं और विभिन्न शेयरों पर अपनी राय बताते हैं ,साथ ही अगले

दिन के लिए एक टिप भी बताते हैं। कार्यक्रम के अंत में अपने खुलासे में यह भी कहकर चले जाते हैं की आज

जो भी चर्चा हुई उन शेयरों में से कोई भी मेरे पोर्ट फोलियो में नहीं है। इसका क्या मतलब हुआ ?

सभी विषेशज्ञ अपने -अपने हिसाब से बताकर गला साफ़ कर निकल लेते हैं। यही नहीं एक ही दिन में यदि शेयर

बाजार बढ़ जाता तो लम्बे -लम्बे टारगेट बता देते हैं और यदि शेयर बाजार गिर गया तो ऐसे हताश हो जाते हैं की

जैसे भूचाल आ गया हो अर्थात पैंट टाइट या पजामा ढीला।

पिछले साल शेयर बाजार नई ऊंचाइयों पर पहुँचा। आगे भी सभी तेज़ी के मूड में लग रहे थे। बस फिर क्या था

टीवी चैनलों पर कथित शेयर विशेषज्ञों ने फायदे वाले शेयर बताने शुरू कर दिए। दिवाली पर धन बरसाने वाले

शेयर ,नये साल पर उमंग भरे शेयर ,होली पर रंग -बिरंगे शेयर और अब गर्मियों में कूल -कूल शेयर।

अब जरा हाल ही में बताये इन सब शेयरों का हाल देख लो क्या हो गया ?दिवाली के शेयर का दिवाला निकल

गया ,नये साल के शेयर बेरंग हो गये ,होली शेयरों का दहन हो गया ,अब कूल -कूल शेयरों के बताने के बाद

से चीन -अमेरिका के वाक् युद्ध ने भारतीय शेयरों को तोड़ कर रख दिया। ऐसे में सभी विशेषज्ञ पजामा ढ़ीला

की बातें करने लगे और बताने लगे। लेकिन आज पजामा ढीला होने की बजाय पैंट टाइट हो गई। बिना वज़ह

ही निफ़्टी 196 पॉइन्ट बढ़ गया।

बेचारा निवेशक तो शायद अपने पैसे खोने को ही शेयर बाजार की तरफ दौड़ता है। मंदी हो या तेज़ी आम

निवेशक शायद ही कभी लाभ कमा पाता होगा।

*शेयर बाजार के एक कार्य में संशोधन होना बहुत जरूरी है *
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आज जिस रेट पर शेयर बंद हुआ कल उसी रेट पर खुलना चाहिए। फिर चाहे बढ़े या गिरे। प्रातः मार्केट खुलते

ही बेहताशा तेज़ी या बेहताशा गिरावट का क्या ओचित्य है ? इससे लगता है जैसे कुछ बड़े घराने मिलीभगत से

कार्य कर रहे हों। कायदे में ठीक यही है की कल का भाव खुले फिर चाहे कुछ भी हो। धन्यवाद। 

ध्वजारोहण

*UPSC इंटरव्यू में पूछा जाने वाला ऐसा सवाल जिसका उत्तर बहुत कम अभ्यर्थी दे पाते हैं-* स्वतंत्रता दिवस और गणतंत्र दिवस में झंडा फहराने में क...