मंगलवार, 28 फ़रवरी 2017
रविवार, 26 फ़रवरी 2017
चुनावआयोग जागा
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उप्र में आधे चुनाव निपट जाने पर चुनाव आयोग जागा ?जागते ही ऐसा
फरमान जारी किया जो उसकी दूरदर्शिता बयान करता है ?
अब उप्र में जिस जगह चुनाव होने रह गए हैं वहाँ पर ढ़के जा रहे हैं बसपा
के हाथी ,मिटाया जा रहा है एम्बुलन्स से समाजवादी नाम ?
यह सब व्यर्थ का खर्च और मुफ्त पब्लिसिटी हो रही है ?पहले राह चलते
ना हाथी देखता था और ना ही समाजवादी नाम। लेकिन अब प्लास्टिक
तिरपाल से ढके हाथी और एम्बुलेंस पर मिटाये नाम पर सबकी नज़र जायेगी।
इससे दोनों दलों को मुफ्त की पब्लिसिटी मिलेगी।
चुनाव आयोग को सड़को पर चल रही साइकिल ,तालाब में खिल रहे कमल
पर भी बैन लगाना चाहिए ?और पंजा ,जिसे सब लड़ाने में लगे हैं उसके बारे में
भी कुछ सोचना चाहिए ?
यह सब ऐसी बात है जैसे एक रोगी हक़ीम के पास गया। हक़ीम ने उसे दवाई
देकर कहा की दवा खाते समय दिमाग में बन्दर के बारे में मत सोचना तो दवा
जल्दी आराम देगी। बस फिर क्या था ,वह रोगी जिसने कभी बन्दर के बारे में
सपनों में भी नही सोचा -देखा था अब हर समय उसे बन्दर दिखने -सोचने लगा।
दवाई खाते समय तो और भी ज्यादा ?
इसी तरह हाथी कोई ना भी देखता होगा लेकिन अब ढ़के हाथी को देखकर जरूर
सोचेगा। यह है मेरा भारत महान। यहां रोज ही कुछ नया होता है।
शुक्रवार, 17 फ़रवरी 2017
भ्र्ष्टाचार - अनसुलझी पहेली
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देश में भ्र्ष्टाचार का बोलबाला है। मोदीजी के आने के बाद से ऊपरी
स्तर पर तो भ्र्ष्टाचार में कमी आयी है लेकिन निचले स्तर या राज्यो के
स्तर पर भ्र्ष्टाचार में कोई कमी नही आ रही।
दरअसल अनेको जटिल कानूनों के कारण भ्र्ष्टाचार बढ़ रहा है। जितने
पेचीदे क़ानून उतना ज्यादा भ्र्ष्टाचार। देने वाला भी खुश ,लेने वाला भी
खुश। कोई इंक्वॉयरी भी करना चाहे तो दोनों में से कोई ना बताये।
जब तक देश में विभिन्न टैक्स और कानूनों का सरलीकरण नही होगा
तब तक भ्र्ष्टाचार कम नही होगा ?
बुधवार, 15 फ़रवरी 2017
वोट दिवस
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आज सहारनपुर में विधानसभा चुनावों के तहत
वोट प्रेषित किया। सभी को करना चाहिए। कुछ
लोग वोट देने नहीँ जाते ,कहते हैं की क्या जरूरत
है वोट डालने की। आम आदमी की जिंदगी तो
ऐसे ही बीतेगी। कुछ सुधार नही होने वाला।
यही विडम्बना है। इसी का फायदा गलत उम्मीदवार
उठा लेते हैं। हमे किसी अच्छे उम्मीदवार को
पहचानकर उसे वोट डालकर जिताना चाहिए।
अच्छे लोगो द्वारा वोट ना डालने से दागी उम्मीदवार
जीत जाता है।
हाइकु
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वोट डालना
जात को ना पात को
सुशासन को
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ले ही डूबेगा
जात पात का भेद
हम सभी को
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मंगलवार, 14 फ़रवरी 2017
नम्बर 2 वाला जीते
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चुनाव में यदि कोई उम्मीदवार दो जगह से खड़ा हो
और दोनों जगह से जीत जाए तो वह एक सीट छोड़
देता है। उस सीट पर दोबारा चुनाव होते हैं।
चुनाव आयोग और सुप्रीम कोर्ट को इस पर पाबन्दी
लगा देनी चाहिए। ऐसा करना जनता के साथ धोखा है
और जनता के धन की बर्बादी है।
इसका एक तरीका यह हो सकता है की जीतने वाले
व्यक्ति के बाद दूसरे नम्बर पर रहने वाले व्यक्ति को
उस सीट का हकदार माना जाए ?
चिन्तक --- सुनील जैन राना
शुक्रवार, 10 फ़रवरी 2017
बुधवार, 8 फ़रवरी 2017
रिशवत ही तो है
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चुनावो में राजनैतिक दलों द्वारा सत्ता प्राप्ति
के लिए मुफ्त में या कम दामो पर कुछ भी
उपलब्ध कराने की घोषणा करना उचित
नही है या फिर यों कहिये की ऐसा करना
रिश्वत देने की पेशकश करना जैसा ही है ?
जनता के धन को अपनी सत्ता प्राप्ति का
साधन बनाना दुर्भाग्यपूर्ण ही है। यदि ऐसा
करना ही है तो दलों को अपने चंदाफंड से
करना चाहिए।
इस पर चुनाव आयोग और सुप्रीम कोर्ट को
पाबन्दी लगानी चाहिये।
चिन्तक ------सुनील जैन राना
शनिवार, 4 फ़रवरी 2017
शुक्रवार, 3 फ़रवरी 2017
गुरुवार, 2 फ़रवरी 2017
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