शनिवार, 6 जुलाई 2024

ढोंगी बाबा

बाबाओं के मकड़जाल में फंसी जनता भारत देश विभिन्न संस्कृतियों एवं धर्मो का देश है। लेकिन आश्चर्यजनक बात यह है की यहां की जनता अपने धर्म के मन्दिर में भले ही न जाये लेकिन चर्चा में आये कथित बाबा के सत्संग में जरूर जाती है। दरअसल कथित बाबा के एजेंट गांव- देहात में जाकर बाबा की ऐसी बात बताते हैं की बाबा पहुँचे हुए सन्त हैं, ऋद्धिधारी हैं, परमेश्वर जैसे हैं। बस भोलीभाली जनता चल पड़ती है बाबा के सत्संग में। कुछ अपनी बीमारी दूर करवाने की इच्छा से तो कुछ अन्य चाहत में। देश में बाबाओं के मकड़जाल फैला हुआ है। फैले भी क्यों नहीं? सबसे सस्ता- सबसे अच्छा धंधा है बाबा बनना। इस धंधे में नफा ही नफा है नुकसान का तो कोई काम ही नहीं। बस जरूरत है प्रचार- प्रसार की। इसके लिये बाबा के चेले इस कार्य को बखूबी करते हैं। पहली बार बाबा के सत्संग में 100 लोग आये और बाबा ने उन सभी को पुड़िया में भभूत दी और कहा सब ठीक हो जायेगा यह पानी से ले लेना। तो उसमें से आधे का काम, बीमारी तो खुद से ही ठीक हो जाती है लेकिन वे समझते हैं की बाबा की पुड़िया ने असर दिखाया। बस वही से बाबा के भक्तों का बढ़ना शुरू हो जाता है औऱ बाबा का व्यापार चलना शुरू हो जाता है। ऐसे में कथित बाबा कुछ जादू सीख ले और भक्तों को दिखा दे तो भक्तों के लिये वह बाबा चमत्कारी बाबा बन जाता है। बस, ऐसा ही कुछ हो रहा है देश के विभिन्न क्षेत्रों में। कहीं कोई बाबा लोकप्रिय है तो कहीं किसी अन्य बाबा की धूम मची है। इन बाबाओं के आगे सरकारें भी नतमस्तक सी रहती हैं। कहीं-कहीं ये बाबा चुनावों में वोट दिलाने का माध्यम भी बनते हैं। ज्यादातर सरकारें इन्हें कुछ नहीं कहती। लेकिन हाल ही में हाथरस में एक कथित बाबा के सत्संग में भगदड़ मचने से 113 लोगो की जान चली गई। ऐसा होना बहुत दुःखद है। उक्त बाबा की खोजबीन हो रही है। लेकिन इतने बड़े हादसे के बाद भी बाबा के अधिकांश भक्त बाबा को परमेश्वर जैसा ही मान रहे हैं। यह अंधभक्ति की पराकाष्ठा है। सुनील जैन राना

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