शनिवार, 13 जुलाई 2024
महंगी किताबे- भारी बस्ता
महंगी किताबें - भारी बस्ता, क्यों ?
आज के समय मे बच्चों को अच्छे स्कूलों में पढ़ाना आसान नहीं रहा है। बच्चों की महंगी किताबें अभिभावकों के लिये समस्या बन रही है वहीं भारी बस्ता बच्चों के लिये परेशानी का सबब बन रहा है।
जिस प्रकार एनसीईआरटी की किताबें सरकारी स्कूलों में पढ़ाई जाती है वहीं दूसरी ओर प्राइवेट स्कूलों में मनमाने ढंग से निजी प्रकाशकों की किताबें पढ़ाई के लिये लगाई जाती हैं। जिनके दाम आसमान को छूते दिखाई देते हैं। राजकीय व प्रशासकीय स्तर पर ncert की पुस्तकें लगाने के निर्देश जारी किये जाते हैं एवम सभी सरकारी मान्यता प्राप्त स्कूलों में ये पुस्तकें निशुल्क दिये जाने का प्रावधान है। तो फिर क्यों नहीं प्राइवेट स्कूलों में भी ncert की पुस्तकों से पढ़ाई कराना अनिवार्य कर दिया जाये।
सूत्र बताते हैं की प्रकाशकों की बहुत बड़ी लॉबी और स्कूलों को मिलने वाला भारी भरकम कमीशन इस कार्य मे बाधा बनता है। सरकार इन प्रकाशकों के आगे नतमस्तक रहती है और प्रकाशक स्कूलों को भारी कमीशन देते हैं। ऐसे में मध्यम वर्ग के अभिभावक जो अपने बच्चों को अच्छे स्कूलों में पढ़ाना चाहते है परेशान रहते हैं। स्कूलों की मनमानी ऐसी होती है की उनके यहां पढ़ाई जाने वाली पुस्तकें उनके मनमाफिक जगह ही मिलेंगी अन्य कहीं से नहीं मिल सकती है। यह बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है।
बच्चों का भारी बस्ता इतना भारी की बच्चें बस्ता उठाते परेशान हो जाते हैं। बहुत सारी किताबें और कापियों का बोझ बच्चों पर भारी पड़ता है। इसके लिये सरकारी/ गैरसरकारी स्तर पर विचार विमर्श होना चाहिए की कैसे बच्चों के बस्ते का बोझ कम किया जा सकता है?
सुनील जैन राना
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