सोमवार, 31 अक्तूबर 2022
वरिष्ठ नागरिकों के लिये
*🌳🌴*
*1. एक ६७ वर्षीय रिटायर्ड अधिकारी द्वारा WhatsApp पर सभी वरिष्ठ साथियों व रिटायर होने वाले साथियों के लिए share किया गया एक उत्तम संदेश::::*
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*2. कृपया अंत तक अवश्य पढ़ें*..
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3.● *जीवन मर्यादित है और उसका जब अंत होगा तब इस लोक की कोई भी वस्तु साथ नही जाएगी*....
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4. ● *फिर ऐसे में कंजूसी कर, पेट काट कर बचत क्यों की जाए.... ? आवश्यकतानुसार खर्च क्यों ना करें..? जिन अच्छी बातों में आनंद मिलता है, वे करनी ही चाहिए....*
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5. ● *हमारे जाने के पश्चात क्या होगा, कौन क्या कहेगा, इसकी चिंता छोड़ दें, क्योंकि देह के पंचतत्व में विलीन होने के बाद कोई तारीफ करे या टीका टिप्पणी करे, क्या फर्क पड़ता है....?*
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6. ● *उस समय जीवन का और मेहनत से कमाए हुए धन का, आनंद लेने का वक्त निकल चुका होगा....*
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7. ● *अपने बच्चों की जरूरत से अधिक फिक्र ना करें....*
*उन्हें अपना मार्ग स्वयं खोजने दें....*
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8. *अपना भविष्य उन्हें स्वयं बनाने दें। उनकी इच्छाओं, आकांक्षाओं और सपनो के गुलाम आप ना बनें....*
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9. ● *बच्चों को प्रेम करें, उनकी परवरिश करें, उन्हें भेंट वस्तुएं भी दें, लेकिन कुछ आवश्यक खर्च स्वयं अपनी आकांक्षाओं पर भी अवश्य करें....*
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10. ● *जन्म से लेकर मृत्यु तक सिर्फ कष्ट करते रहना ही जीवन नहीं है।*
*यह ध्यान रखें....*
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11. ● *आप ६ दशक पूरे कर चुके है,*
*अब जीवन और आरोग्य से खिलवाड़ करके पैसे कमाना अनुचित है, क्योंकि अब इसके बाद पैसे खर्च करके भी आप आरोग्य खरीद नही सकते....*
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12. ● *इस आयु में दो प्रश्न महत्वपूर्ण है: पैसा कमाने का कार्य कब बन्द करें, और कितने पैसे से अब बचा हुआ जीवन सुरक्षित रूप से कट जाएगा....*
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13. ● *आपके पास यदि हजारों एकड़ उपजाऊ जमीन भी हो, तो भी पेट भरने के लिए कितना अनाज चाहिए_? आपके पास अनेक मकान हों, तो भी रात में सोने के लिए एक ही कमरा चाहिए....*
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14. ● *एक दिन बिना आनंद के बीते तो, आपने जीवन का एक दिन गवाँ दिया और एक दिन आनंद में बीता तो एक दिन आपने कमा लिया है, यह ध्यान में रखें....*
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15. ● *एक और बात: यदि आप खिलाड़ी प्रवृत्ति के और खुश-मिजाज हैं तो बीमार होने पर भी बहुत जल्द स्वस्थ्य होंगे और यदि सदा प्रफुल्लित रहते हैं, तो कभी बीमार ही नही होंगे....*
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16. ● *सबसे महत्व-पूर्ण यह है कि अपने आसपास जो भी अच्छाई है, शुभ है, उदात्त है, उसका आनंद लें और उसे संभाल- कर रखें....*
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17. ● *अपने मित्रों को कभी न भूलें। उनसे हमेशा अच्छे संबंध बनाकर रखें। अगर इसमें सफल हुए तो हमेशा दिल से युवा रहेंगे और सबके चेहते रहेंगे....*
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18. ● *मित्र न हो, तो अकेले पड़ जाएंगे और यह अकेलापन बहुत भारी पड़ेगा....*
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19. ● *इसलिए रोज व्हाट्सएप के माध्यम से संपर्क में रहें, हँसते-हँसाते रहें, एक दूसरे की तारीफ करें.... जितनी आयु बची है, उतनी आनंद में व्यतीत करें....*
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20. ● *प्रेम व स्नेह मधुर है, उसकी लज्जत का आनंद लें....*
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21. ● *क्रोध घातक है। उसे हमेशा के लिए जमीन में गाड़ दें....*
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22.● *संकट क्षणिक होते हैं, उनका सामना करें....*
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23. ● *पर्वत-शिखर के परे जाकर सूर्य वापिस आ जाता है, लेकिन दिल से दूर गए हुए प्रियजन वापिस नही आते....*
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24. ● *रिश्तों को संभालकर रखें, सभी में आदर और प्रेम बाँटें। जीवन तो क्षणभंगुर है, कब खत्म होगा, पता भी नही चलेगा। इसलिए आनंद दें,आनंद लें....*
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25. *दोस्ती और दोस्त संभाल कर रखें....*
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26. *जितना हो सके उतने “गैट-टूगेदर*
*(Get-together) करते रहे....*
धन्यवाद।
रविवार, 30 अक्तूबर 2022
शुक्रवार, 21 अक्तूबर 2022
धर्म विरोध, विदेशों से
🔥 *अमेरिकी यूनिवर्सिटी हावर्ड से धर्म विरोधी आक्रमण*..
https://youtu.be/ArrPoX1DPks
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👉 *सुपर इंडिया न्यूज़ टीवी का अब तक का सबसे🔥 ज्वलंत समाचार*
👉 *भारत विरोधी बौद्धिक आक्रमण*
👉 *क्योंकि हावर्ड यूनिवर्सिटी झांसी संस्थाओं से होने वाला बौद्धिक प्रहार हमारे संपूर्ण अस्तित्व को चुनौती देता है,, इसलिए हमें उसका प्रतिकार करना ही होगा*
👉 *भारत पर आक्रमण तो हमेशा से होते रहे हैं!! पहले उत्तर पश्चिम सीमा से आक्रमणकारी आते थे बाद में समुद्री मार्ग से आए और कालांतर में यही अपना साम्राज्य स्थापित कर लिया!! हिमालय पर्वत श्रंखला से हम उत्तरी सीमा को सुरक्षित समझते थे,, किंतु चीन ने उसे भी पार करके 1962 में हमला किया!! ऐसे हमलों से इतर वर्तमान में भारत पर एक ऐसा आक्रमण हो रहा है,, जिससे न केवल अधिकांश जनता बल्कि हमारे शासक भी अनभिज्ञ से हैं!! यह आक्रमण बौद्धिक स्तर पर हो रहा है,, जिसका लक्ष्य भारत की सभ्यता और संस्कृति पर ऐसे प्रहार करना है कि यह मूल रूप से नष्ट हो जाए !! इस आक्रमण का केंद्र बिंदु अमेरिका की विख्यात हावर्ड यूनिवर्सिटी है!! हावर्ड के कुछ विद्वानों ने एक नया दर्शन प्रतिपादित किया है!! जिसे क्रिटिकल रेस थ्योरी यानी सीआरटी का नाम दिया गया है!! इसके अनुसार वर्तमान व्यवस्था दूषित हो चुकी है और समाज में जो भी अन्याय- शोषण हैं,, यह इसी कारण हो रहा है !! भारत के संदर्भ में इसके अनुसार हिंदू धर्म को नष्ट कर देना चाहिए,, क्योंकि यह जाति व्यवस्था पर आधारित है,, जिसमें 1 वर्ग दूसरे वर्ग का शोषण करता है!! इसमें हमारी परिवारिक व्यवस्था पर भी सवाल उठाए गए हैं!! इस दर्शन को मानने वालों के अनुसार यह व्यवस्था पुरुष प्रधान हैं,, जिस कारण महिलाओं का उत्पीड़न और शोषण होता है!! हमारे धर्म गुरु बेकार हैं!! उन्हें अपदस्थ किया जाना चाहिए,, क्योंकि उनके विरुद्ध समय-समय पर शिकायतें मिलती रहती है!! संस्कृत भाषा को त्याग देना चाहिए,, क्योंकि यह मर चुकी है !! हिंदू त्योहारों का कोई औचित्य नहीं !! उन्हें पानी की बर्बादी से लेकर प्रदूषण तक होता है!! वेदों के बारे में कहा गया है कि उनमें जो लिखा है,, वही हिंदू धर्म की कमजोरी अन्याय और शोषण का आधार है !! इसलिए उनका पठन-पाठन बंद कर दिया जाना चाहिए*!!
👉 *संक्षेप में कहें तो इस सिद्धांत का सार यही है कि हिंदू सभ्यता और हिंदू संस्कृति का विनाश समाज के हित में है और बुद्धिजीवियों को इसी दिशा में काम करना चाहिए!! दुष्प्रचार का ऐसा प्रहार कई वर्षों से जारी है!! इसका प्रतिकार करने के लिए हमें राजीव मल्होत्रा और विजया विश्वनाथन का कृतज्ञ होना पड़ेगा,, उन्होंने अपनी पुस्तक "स्नेकस इन द गंगा" में कई चौंकाने वाले तथ्य उजागर किए हैं!! यह पुस्तक गहन शोध और अकाट्य तथ्यो के आधार पर लिखी गई है!! पुस्तक पढ़ने के बाद पहला सवाल यही कौधा कि क्या वाशिंगटन स्थित भारतीय दूतावास ने उन बिंदुओं को लेकर भारत सरकार को अवगत कराया था,, जिनका पुस्तक में उल्लेख है. ❓ मुझे बताया गया कि ऐसी कोई चेतावनी नहीं आई थी !! आखिर हमारे दूतावासों के अधिकारी क्या करते रहते हैं.. ❓ भारत की सभ्यता और संस्कृति पर हावर्ड से इतना बड़ा प्रहार होता है और उसके बारे में भी सरकार को कुछ नहीं बताते... ❓ क्या खुफिया एजेंसी "रा" ने इस संबंध में कोई रिपोर्ट भेजी थी.. ❓ यदि हां,, तो उस पर क्या कार्रवाई हुई और यदि नहीं तो उनकी भी जवाबदेही होनी चाहिए*!!
👉 *अफसोस की बात यह है कि इस बौद्धिक प्रहार के पीछे हावर्ड में कार्यरत कई भारतीय भी हैं!! उनमें से एक है प्रोफेसर अजंता सुब्रमण्यम!! उन्होंने एक किताब लिखी है जिसमें भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थानों यानी आईआईटी पर सवाल उठाया है!! उनके अनुसार यह संस्थान फैक्ट्री की तरह काम कर रहे हैं,, और जातीय असमानता को स्थायित्व दे रहे हैं,, इसीलिए इन्हें बंद कर दिया जाना चाहिए!! वास्तविकता तो यही है कि आईआईटी के छात्र अमेरिका सहित दुनिया भर के संस्थानों में छाए हुए हैं और जब उनसे प्रतिस्पर्धा नहीं हो पा रही तो उन्हें ही बंद कराने का दुष्प्रचार शुरू कर दिया गया !! कैनेडी स्कूल में सीनियर फेलो सूरज यगड़े हिंदू धर्म पर अनर्गल प्रलाप करते रहते हैं!! थेनमोझी सौंदर्यराजन कई राज्यों में हिंदुओं के खिलाफ मुकदमे दर्ज करा रही है!! उनके अनुसार हिंदुओं के विरुद्ध नक्सलवाद का आरोप बनता है*!!
👉 *मल्होत्रा के अनुसार हावर्ड यूनिवर्सिटी की घुसपैठ भारत के अधिकांश वर्गों में हो चुकी है !! सरकारी अधिकारी हावर्ड जाना बड़े गर्व की बात समझते हैं और वहां के ज्ञान को बिना सोचे - समझे निगल जाते हैं !! लगभग यही हाल मीडिया के कई प्रतिनिधियों का भी है!! उद्योग जगत के बड़े-बड़े दिग्गज हावर्ड को दान देकर स्वम को गौरवान्वित महसूस करते हैं!! अशोका यूनिवर्सिटी खुद को बड़े गर्व से "भारत का हावर्ड" कहलाती है!! दूसरी तरफ मोदी जी कहते हैं कि गुलामी के सारे निशानों को मिटा दिया जाए,, लेकिन दिमागी गुलामी से हम कब स्वतंत्र होंगे....*❓
👉 *मल्होत्रा और विश्वनाथन ने हावर्ड यूनिवर्सिटी को सांपों का घरौंदा बताया है!! दुर्भाग्य है इन सांपों को हम हिंदुस्तान में दूध पिला रहे हैं!! टाटा समूह ने हावर्ड को 5 करोड़ डालर दान में दिए हैं!! लक्ष्मी मित्तल समूह ने ढाई करोड़ डालर और महिंद्रा समूह ने एक करोड़ डालर!! इन दानवीर उसे पूछा जाए कि यदि उन्हें दान देना ही था तो क्या उस राशि का सदुपयोग सुनिश्चित किया... ❓ साथ ही यह भी कि आपने इतनी संपदा विदेशी संस्थानों को दी तो उसकी तुलना में भारतीय संस्थानों को कितना दान दिया है*......❓
👉 *हावर्ड के तथाकथित विद्वानों के अनुसार भारत की जाति व्यवस्था पश्चिम की नस्लीय व्यवस्था जैसी है!! उन्होंने भारत की उच्च जातियों की तुलना अमेरिका के श्वेत श्रेष्ठतावाद वाली ग्रंथि से की है और भारत के दलितों को अमेरिकी अश्वेतो के समकक्ष बताया है!! जाति और नस्ल को एक जैसा समझना दिमागी दिवालियापन का प्रतीक है!! दोनों की ऐतिहासिक और सांस्कृतिक पृष्ठभूमि एकदम अलग है,, परंतु अमेरिकी बुद्धिजीवी दोनों को एक तराजू पर तोलकर भारतीयों के अमेरिका में अस्तित्व को और विशेष तौर से हिंदुओं की पहचान समाप्त करना चाहते हैं!! हैरत की बात यह है कि यही बुद्धिजीवी इस्लाम को पीड़ित बताते हैं*!!
👉 *भारत सरकार को चाहिए कि इन खतरों की गंभीरता का उचित आकलन कर उनसे निपटने की आवश्यक योजना बनाएं!! अमेरिका से होने वाला बौद्धिक प्रहार हमारे अस्तित्व को चुनौती देता है!! इस शास्त्रार्थ में भारत को पश्चिम की आसुरी शक्तियों को परास्त करना होगा*!!
👉 *केवल ज्वलंत 🔥मुद्दों पर समाचार, सुपर इंडिया न्यूज़ टीवी की अनोखी पहल*
सुपर इंडिया न्यूज़ टीवी की ब्रेकिंग न्यूज़ में आपका स्वागत है मैं हूं सहारनपुर ब्यूरो चीफ व न्यूज़ एंकर राजेश आर्य, आपके बीच में ज्वलंत मुद्दों पर समाचार लेकर आता हूं, कृपया मेरे चैनल को शेयर लाइक एंड बैल 🔔आइकन दबाकर सब्सक्राइब जरूर करें, ताकि आपको अगले समाचारों का नोटिफिकेशन मिलता रहे, समाचारों विज्ञापनों के लिए संपर्क करें 9368 771792 पर *यदि आपके फोन में लिंक नहीं खुल रहा है तो सुपर इंडिया न्यूज़ टीवी के नाम से 93687 71792 नंबर फीड करें*
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👉 *विविध कला संस्थान*
*शिव भारती योगा वैलनेस सेंटर संपर्क 8126616683*
👉 **Sevdesya गारमेंट संपर्क 84334 11664*
*9837664357*
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साभार
सिर्फ आलोचना ठीक नहीं
*"हिजड़ों ने भाषण दिए लिंग-बोध पर,*
*वेश्याओं ने कविता पढ़ी आत्म-शोध पर"।*
*महिलाओं का दैहिक शोषण करने वाले नेता ने भाषण दिया नारी अस्मिता पर।*
*भ्रष्ट अधिकारियों ने शुचिता और पारदर्शिता पर उद्बोधन दिया विश्वविद्यालय मैं कभी ना पढ़ाने वाले प्रोफेसर कर्म योग पर व्याख्यान दे रहे हैं।*
असल मे दोष इनका नहीं है।
*इस देश की प्रजा प्रधानमंत्री को मंदिर में पूजा करते देखने की आदी नहीं है।*
*इस देश ने एडविना माउंटबेटन की कमर में हाथ डाल कर नाचते प्रधानमंत्री को देखा है।*
इस देश ने
*मजारों पर चादर चढ़ाते प्रधानमंत्री को देखा है।*
यह जनता *प्रधानमंत्री को*
*पार्टी अध्यक्ष के सामने नतमस्तक होते देखती आयी है। मंदिर में भगवान के समक्ष नतमस्तक प्रधानमंत्री को लोग कैसे सहन करें ?*
बिहार के *एक बिना अखबार के पत्रकार मंदिर से निकल कर सूर्य को प्रणाम करते प्रधानमंत्री का उपहास उड़ा रहे हैं।*
एक महान लेखक जिनका सबसे बड़ा प्रशंसक भी उनकी चार किताबों का नाम नहीं जानता,
*प्रधानमंत्री के भगवा चादर की आलोचना कर रहे हैं।*
एक कवियित्री जो अपनी कविता से अधिक मंच पर चढ़ने के पूर्व सवा घण्टे तक मेकप करने के लिए जानी जाती हैं, *प्रधानमंत्री के पहाड़ी परिधान की आलोचना कर रही हैं।*
भारत के इतिहास में आलोचना कभी इतनी निर्लज्ज नहीं रही, ना ही बुद्धिजीविता इतनी लज्जाहीन हुई कि
*गांधीवाद के स्वघोषित योद्धा भी*
*बंगाल की हिंसा के लिए ममता बनर्जी का समर्थन करें।*
क्या कोई व्यक्ति इतना हताश हो सकता है कि किसी की पूजा की आलोचना करे ?
*क्या इस देश का प्रधानमंत्री अपनी आस्था के अनुसार ईश्वर की आराधना भी नहीं कर सकता ?*
क्या बनाना चाहते हैं देश को आप ?
*सेक्युलरिज्म की यही परिभाषा गढ़ी है आपने ?*
एक हिन्दू नेता का टोपी पहनना उतना ही बड़ा ढोंग है, जितना किसी ईसाई का तिलक लगाना।
लेकिन जो लोग इस ढोंग को भी बर्दाश्त कर लेते हैं, उनसे भी
*प्रधानमंत्री की शिव आराधना बर्दाश्त नहीं हो रही।*
संविधान की प्रस्तावना में वर्णित
*"धर्म, आस्था और विश्वास की स्वतंत्रता" का*
*यही मूल्य है आपकी दृष्टि में ?*
व्यक्ति विरोध में अंधे हो चुके मूर्खों की यह टुकड़ी चाह कर भी नहीं समझ पा रही कि
*मोदी एक व्यक्ति भर हैं,*
*आज नहीं तो कल हार जाएगा*
*कल कोई और था,*
*कल कोई और आएगा।*
*देश न इंदिरा पर रुका था,*
*न मोदी पर रुकेगा।*
समय को इस बूढ़े से जो करवाना था वह करा चुका।
*मोदी ने भारतीय राजनीति की दिशा बदल दी है।*
मोदी ने *ईसाई पति की पत्नी से*
*महाकाल मंदिर में रुद्राभिषेक करवाया है.*
मोदी ने *मिश्रित DNA वाले इसाई को हिन्दू बाना धारण करने के लिए मजबूर कर दिया है।*
मोदी ने *ब्राम्हणिक वैदिक के विरोध मे राजनीतिक यात्रा शुरू करनेवाले से शिवार्चन करवाया है। मोदी ने रामभक्तों पर गोली चलवाने वाले के पुत्र से राममंदिर का चक्कर लगवाया है।*
*हिन्दुओं में हिन्दुत्व की चेतना जगानेवाले*
*मोदी के बाद*
*अब वही आएगा*
जो *मोदी से भी बड़ा मोदी होगा।*
*"मोदी नाम केवलम"* का
जाप करने वाले *मूर्ख जन्मान्ध विरोधियों, अब मोदी आये न आये, तुम्हारे दिन कभी नहीं आएंगें।*
_*अब ऐसी कोई सरकार नहीं आएगी जो घर बैठा कर मलीदा खिलाये!*_
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💐💐 *भारत बदल चुका है।* 💐💐
सोमवार, 17 अक्तूबर 2022
स्नान कब करें?
*स्नान कब और कैसे करें शास्त्रों के अनुसार-*
१. मुनि_स्नान=जो सुबह 4 से 5 के बीच किया जाता है।
२. देव_स्नान=जो सुबह 5 से 6 के बीच किया जाता है।
३. मानव_स्नान=जो सुबह 6 से 8 के बीच किया जाता है।
४. राक्षसी_स्नान=जो सुबह 8 के बाद किया जाता है।
१.मुनि स्नान सर्वोत्तम है।
२.देव स्नान उत्तम है।
३.मानव स्नान सामान्य है।
४.राक्षसी स्नान धर्म में निषेध है।
▪️ *मुनि स्नान* ....👉🏻घर में सुख ,शांति ,समृद्धि, विद्या , बल , आरोग्य , चेतना , प्रदान करता है।
▪️ *देव स्नान* ...👉🏻 आप के जीवन में यश , कीर्ती , धन, वैभव, सुख ,शान्ति, संतोष , प्रदान करता है।
▪️ *मानव स्नान*....👉🏻काम में सफलता ,भाग्य, अच्छे कर्मों की सूझ, परिवार में एकता, मंगलमय , प्रदान करता है।
▪️ *राक्षसी स्नान*...👉🏻 दरिद्रता , हानि , क्लेश ,धन हानि, परेशानी, प्रदान करता है ।
किसी भी मनुष्य को 8 बजे के बाद स्नान नहीं करना चाहिए, पुराने_जमाने में इसी लिए सभी सूरज निकलने से पहले स्नान करते थे।
खास कर जो घर की स्त्री होती थी, चाहे वो स्त्री माँ के रूप में हो, पत्नी के रूप में हो, बहन के रूप में हो।
ऐसा करने से धन, वैभव_लक्ष्मी, आप के घर में सदैव वास करती है।
उस समय...... एक मात्र व्यक्ति की कमाई से पूरा हरा भरा परिवार पल जाता था, और आज परिवार में चार सदस्य भी कमाते हैं तो भी पूरा नहीं होता, उस की वजह हम खुद ही हैं।
*पाँच जगह हँसना करोड़ों पाप के बराबर है*
श्मशान में,अर्थी के पीछे,शोक में,मन्दिर में,कथा में
अकेले हो?==परमात्मा को याद करो ।
परेशान हो?==ग्रँथ पढ़ो ।
उदास हो?==कथाएं पढ़ो।
टेन्शन में हो?==भगवत् गीता पढ़ो ।
*क्या आप जानते हैं ?*
हिन्दू ग्रंथ रामायण, गीता, आदि को सुनने,पढ़ने से #कन्सर नहीं होता है बल्कि कैन्सर अगर हो तो वो भी खत्म हो जाता है।
व्रत,उपवास करने से तेज बढ़ता है, सरदर्द और बाल गिरने से बचाव होता है ।
आरती----के दौरान ताली बजाने से दिल मजबूत होता है....
"जय श्री राम" 🚩्
रविवार, 16 अक्तूबर 2022
शनिवार, 15 अक्तूबर 2022
सनातन विरोधी खड़गे
दलित नेता और लोकसभा में कांग्रेस के विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने लोकसभा में जमकर ड्रामा किया और पीएम के सामने रो पड़े थे ।
उन्होंने कहा, इस देश में, कृपया दलितों को जमीन के छोटे-छोटे टुकड़े आवंटित करें , जिससे वे अपनी झोपड़ियां बना सकें और एक सम्मानजनक जीवन जी सकें!"
उसी स्थान पर 15 मिनट के भीतर ही पीएम ने दिखाया मल्लिकार्जुन खड़गे की संपत्ति का विवरण!
उनके पास बंगलौर में बन्नेरुघाट रोड पर 500 करोड़ रुपये का एक बड़ा परिसर है।चिकमंगलोर में उनका 300 एकड़ का कॉफी बागान है ।
इसी जिले में उनका 50 करोड़ ₹ मूल्य का घर भी है ।
केंगेरी में उनके पास 40 एकड़ का फार्म हाउस है।
एम.एस.रामय्या कॉलेज के पास, उनके पास 25 करोड़ की एक इमारत है।
आर टी नगर, बैंगलोर में एक और बंगला है ।
बल्लारी रोड पर 17 एकड़ जमीन है ।
इंदिरा नगर में तीन मंजिल की इमारत है ।
बैंगलोर में सदाशिव नगर में दो अतिरिक्त बंगले हैं ।
इसके अलावा, उनके और उनके रिश्तेदारों के पास मैसूर, गुलबर्गा, चेन्नई, गोवा, पूना, नागपुर, मुंबई और दिल्ली में कई रियल एस्टेट संपत्तियां हैं।
यह हमारे देश में दलित अवधारणा की विडंबना है कि दलितों में कुछ खास लोगों ने अधिकांश हिस्सा हड़प लिया है और सार्वजनिक मंचों पर दलित के लिये मगरमच्छी आँसू बहाकर खुद को दलितों के मसीहा साबित करते हैं।
यह संदेश भारत के कोने-कोने तक पहुंचना चाहिये फलस्वरूप दलित और गैर-दलित गरीब भारतीयों को न्याय के लिए लड़ने की प्रेरणा मिले।।
वाह कैसे दलित हैं ये कांग्रेसी।
खड़गे ने अपने भाषण में कहा था की मोदी को आने से रोको, यदि यह आ गया तो देश मे सनातन धर्म छा जाएगा। ऐसी मानसिकता है कांग्रेस और कांग्रेसियों की।
साभार
सरकारी प्राइमरी स्कूल
बेहताशा सेलरी,पढ़ाना आता नहीं
देश में कई राज्यों के प्राइमरी सरकारी स्कूलों में बच्चों का भविष्य अंधकारमय हो रहा है। इन सरकारी स्कूलों पढ़ाने वाले शिक्षकों का यह हाल है की खुद से ही नही पढ़ सकते बच्चों को क्या पढ़ायेंगे।
इन स्कूलों के शिक्षकों की बेहताशा सैलरी होने के बाद भी योग्यता ज़ीरो है। पता नहीं कैसे इनका चयन हो जाता है। वैसे तो इनका चयन भ्र्ष्टाचार का जीता जागता उदाहरण है। लेकिन यही तक भी बात खत्म नहीं होती। कहीं -कहीं तो शिक्षकों की डिग्री भी फर्जी होती है और कहीं-कहीं तो यह हाल है की नियुक्ति किसी की हुई पढ़ा रहा अन्य कोई है। ऐसा इसलिये हो रहा है की जिस शिक्षक की नियुक्ति हुई उसने अपनी जगह बहुत कम पैसे पर अन्य किसी को पढ़ाने का जिम्मा दे दिया होता है। ऐसा स्कूल के हेडमास्टर की मिलीभगत से होता है।
सरकारी प्राइमरी स्कूल के शिक्षक की सैलरी लगभग 50 हज़ार के करीब होती है। जबकि प्राइवेट स्कूल के शिक्षक की सैलरी 5 से 10 हज़ार ही होती है। प्राइवेट स्कूलों में कम सैलरी में भी अच्छी पढ़ाई कराई जाती है जबकि सरकारी स्कूल के शिक्षक बहुत से ऐसे हैं जिन्हें खुद से ही पढ़ना- पढ़ाना नहीं आता। ऐसे में वे बच्चों के भविष्य से खिलवाड़ ही करते हैं। इसमें सभी राज्यों के शिक्षा मंत्रियों का दोष ज्यादा है जो भारत की भावी पीढ़ी को अनपढ़ ही बना देना चाह रहे हैं। भ्र्ष्टाचार के कारण ही ऐसे सब कुछ हो रहा है। जनहित में यह बहुत चिंताजनक है।
सुनील जैन राना
सोमवार, 10 अक्तूबर 2022
शुक्रवार, 7 अक्तूबर 2022
सीनियर सिटीजन से बेरुखी
क्या सीनियर सिटीजन होना गुनाह है ?
भारत में 70 वर्ष की आयु के बाद वरिष्ठ नागरिक चिकित्सा बीमा के लिए पात्र नहीं हैं ।
इन्हें ई.एम.आई. पर ऋण नहीं मिलता है ।
ड्राइविंग लाइसेंस नहीं दिया जाता है ।
इन्हें आर्थिक आय हेतु कोई नौकरी नहीं दी जाती है ।
ये वृद्ध लोग दूसरों पर निर्भर रहते हैं ।
इन्होंने अपनी युवावस्था में सभी प्रकार के करों का भुगतान किया होता है ।
किंतु आय-विहीन सीनियर सिटीजन बनने के बाद भी इन्हें सारे टैक्स चुकाने पड़ते हैं ।
भारत में वरिष्ठ नागरिकों के जीवन-यापन के लिए कोई योजना नहीं है ।
आय-विहीन वृद्धजनों के लिए रेल यात्रा के किराए में मिलने वाली 50% छूट भी बंद कर दी गई है ।
दुःख तो इस बात है कि राजनीति में जितने भी वरिष्ठ नागरिक हैं, चाहे MLA हों या MP हों या Ministers हों,उन्हें सब कुछ मिलेगा और पेंशन भी लेकिन हम सिनीअर सिटीज़न पूरी जिंदगी भर सरकार को कई तरह के टैक्स देने के बाद भी बुढ़ापे में पेंशन से वंचित रहते हैं ।
सोचिए यदि किसी भी कारण से औलाद इन वृद्ध जनों की सेवा नहीं कर पाती तो बुढ़ापे में ये बेरोजगार, आय विहीन
वृद्धजन कहां जायेंगे ?
यह अत्यंत भयानक और पीड़ा दायक बात है ।
वरिष्ठ नागरिकों की देखभाल कौन करेगा ?
वरिष्ठ नागरिकों के जीवन में उन पर आई किसी भी प्रकार की परेशानी से उन्हे बचाने के लिए कोई ध्यान नहीं दिया गया है ।
सरकार यह ये महसूस क्यों नहीं करती कि वरिष्ठ नागरिकों के लिए भी एक योजना आवश्यक है ।
इसके विपरीत बैंक भी ब्याज दर घटाकर वरिष्ठ नागरिकों की आय कम कर रहा है ।
एक भारतीय वरिष्ठ नागरिक होना अब गुनाह लगता है...!
यदि आप सोशल मीडिया से जुड़े हैं तो आइए वरिष्ठ नागरिकों की आवाज में
अपनी आवाज मिला कर सरकार के कानों तक पहुंचाएं ।
कृपया इस जानकारी को वरिष्ठ नागरिकों के प्रति जागरूकता के लिए साझा करें ।
वरिष्ठ नागरिक इस अनसुनी आवाज को इतना जोर से सुनना चाहते हैं कि ये एक जन आंदोलन का रूप ले सके ।
हम सभी को वरिष्ठ नागरिकों के हक में अपने मित्रों के साथ साझा करना चाहिए। 🙏🏻
सोमवार, 3 अक्तूबर 2022
पुरानी बातें भूले हम
*गाँव बेचकर शहर खरीदा, कीमत बड़ी चुकाई है।*
*जीवन के उल्लास बेच के, खरीदी हमने तन्हाई है।*
*👉🏻बेचा है ईमान धरम तब, घर में शानो शौकत आई है।*
*संतोष बेच, तृष्णा खरीदी, देखो कितनी मंहगाई है।।*
*बीघा बेच स्कवायर फीट खरीदा, ये कैसी सौदाई है।*
*संयुक्त परिवार के वट वृक्ष से टूटी, ये पीढ़ी मुरझाई है।।*
*👉🏻रिश्तों में है भरी चालाकी, हर बात में दिखती चतुराई है।*
*कहीं गुम हो गई मिठास, जीवन से, हर जगह कड़वाहट भर आई है।।*
*रस्सी की बुनी खाट बेच दी, मैट्रेस ने जगह बनाई है*।
*अचार, मुरब्बे को धकेल कर, शो केस में सजी दवाई है।।*
*माटी की सोंधी महक बेच के, रुम स्प्रे की खुशबू पाई है।*
*मिट्टी का चुल्हा बेच दिया, आज गैस पे बेस्वाद सी खीर बनाई है।।*
*पांच पैसे का लेमनचूस बेचा, तब कैडबरी हमने पाई है।*
👉🏻 *बेच दिया भोलापन अपना, फिर मक्कारी पाई है।।*
*सैलून में अब बाल कट रहे, कहाँ घूमता घर- घर नाई है।*
*दोपहर में अम्मा के संग, गप्प मारने क्या कोई आती चाची ताई है।।*
*मलाई बरफ के गोले बिक गये, तब कोक की बोतल आई है।*
*मिट्टी के कितने घड़े बिक गये, तब फ्रिज में ठंढक आई है ।।*
*खपरैल बेच फॉल्स सीलिंग खरीदा, हमने अपनी नींद उड़ाई है।*
*बरकत के कई दीये बुझा कर, रौशनी बल्बों में आई है।।*
*गोबर से लिपे फर्श बेच दिये, तब टाईल्स में चमक आई है।*
*देहरी से गौ माता बेची, फिर संग लेटे कुत्ते ने पूँछ हिलाई है ।।*
👉🏻 *बेच दिये संस्कार सभी, और खरीदी हमने बेहयाई है।*
*ब्लड प्रेशर, शुगर ने तो अब, हर घर में ली अंगड़ाई है।।*
*दादी नानी की कहानियां हुईं झूठी, वेब सीरीज ने जगह बनाई है।*
*बहुत तनाव है जीवन में, ये कह के दो पैग लगाई है।।*
*👉🏻खोखले हुए हैं रिश्ते सारे, नहीं बची उनमें सच्चाई है।।*
👉🏻 *चमक रहे हैं बदन सभी के, दिल पे जमी गहरी काई है।*
*गाँव बेच कर शहर खरीदा, कीमत बड़ी चुकाई है।।*
*जीवन के उल्लास बेच के, खरीदी हमने तन्हाई है।
ज़मीन किसकी ?
वक्फ बोर्ड की बढ़ती बेहताशा सम्पत्ति
- देश इस रास्ते पर है कि वक्फ बोर्ड में सभी 7 सदस्य मुस्लिम होंगे । जबकि हिन्दू मंदिर का ट्रस्ट सरकारी होगा उसके सदस्य भी गैर हिन्दू होंगे | वक्फ बोर्ड की संपत्ति मुस्लिम समाज की होगी और मुस्लिम समाज गजवा ए हिंद के लिए वो संपत्ति खर्च करेगा लेकिन हिन्दू मंदिरों की संपत्ति सरकारी होगी और हिन्दू मंदिरों का पैसा हिन्दू मंदिरों, हिन्दू समाज पर नहीं बल्कि ईसाई और मुस्लिम समाज पर सरकारी योजनाओं के माध्यम से खर्च होगा |
- *वक्फ बोर्ड ने इतनी जमीन कब्जा कर ली है कि खुद को छोटा देश घोषित कर सकता है ! भारत की सेना के पास करीब 18 लाख एकड़ जमीन है रेलवे के पास करीब 12 लाख एकड़ में फैली हैं । और देश के सभी वक्फ बोर्डों के पास कुल 8 लाख एकड़ से ज्यादा जमीन हैं ।* *मतलब जमीन के मामले में वक्फ बोर्ड सेना और रेलवे के बाद तीसरे नंबर पर है । और यहां से जो पैसा आता है वो भारत में धर्मांतरण लव जिहाद के लिए इस्तेमाल होता है ।*
- 2009 में वक्फ बोर्ड की संपत्तियां 4 लाख एकड़ जमीन पर फैली थी और *13 सालों में वक्फ बोर्ड की संपत्ति दोगुनी होकर 8 लाख एकड़ हो गई ।* दरअसल, वक्फ बोर्ड जहां भी कब्रिस्तान की घेरेबंदी करवाता है, उसके आसपास की जमीन को भी अपनी संपत्ति करार दे देता है । अवैध मजारों, नई-नई मस्जिदों की देश में बाढ़ आई हुई है। इन मजारों और आसपास की जमीनों पर वक्फ बोर्ड का कब्जा अपने आप हो जाता है।
- नरसिम्हा राव के जमाने में बना 1995 का वक्फ एक्ट कहता है कि *अगर वक्फ बोर्ड को लगता है कि कोई जमीन वक्फ की संपत्ति है तो जमीन के कागज वक्फ बोर्ड को नहीं दिखाने हैं बल्कि ज़मीन का कागज उसे दिखाना है जिसकी जमीन वक्फ बोर्ड छीन रहा है ।* और पूर्वजों की जमीन के कागज अक्सर कई परिवारों के पास नहीं होते हैं । इसका फायदा वक्फ बोर्ड उठाता है ।
- *बड़ी बात है कि अगर आपकी संपत्ति को वक्फ की संपत्ति बता दी गई तो आप उसके खिलाफ कोर्ट नहीं जा सकते। आपको वक्फ बोर्ड से ही गुहार लगानी होगी।* वक्फ बोर्ड का फैसला आपके खिलाफ आया, तब भी आप कोर्ट नहीं जा सकते। *तब आप वक्फ ट्राइब्यूनल में जा सकते हैं जिसमें सारे मुस्लिम मेंबर ही होते हैं* । वक्फ एक्ट का सेक्शन 85 कहता है कि ट्राइब्यूनल के फैसले को हाई कोर्ट या सुप्रीम कोर्ट में भी चुनौती नहीं दी जा सकती है । लेकिन इस कानून के खिलाफ अब वरिष्ठ वकील अश्विनी उपाध्याय ने अर्जी लगाई है ।
- मोदी सरकार के दौरान भी वक्फ बोर्ड को मजबूत बना दिया । *सेंट्रल वक्फ बोर्ड ने नियम बनाया कि अगर वक्फ की जमीन पर स्कूल, अस्पताल आदि बनते हैं तो पूरा खर्च सरकार का होगा । ये तब हुआ जब मुख्तार अब्बास नकवी के अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री थे । एक तरफ सरकार मंदिरों के पैसे लेती है, दूसरी तरफ वक्फ को अनुदान देती है।*
- 1947 में भारत के टुकड़े हो गए लेकिन बचे हुए भारत के इस्लामीकरण की प्रक्रिया नेहरू की मिलीभगत से दोबारा शुरू हो गई । *1950 में नेहरू-लियाकत समझौते के मुताबिक भारत छोड़कर पाकिस्तान गए मुसलमानों की ज़मीन को वक्फ़ की संपत्ति घोषित कर दिया गया । लेकिन पाकिस्तान से भारत आए हिंदुओं की ज़मीन पर पाकिस्तानी मुसलमानों ने कब्जा कर लिया ।*
-दुनिया के किसी इस्लामी देश में वक्फ बोर्ड नाम की कोई संस्था नहीं है। ये सिर्फ भारत में है जिसके संविधान के धर्मनिर्पेक्ष होने का दावा किया जाता है । वक्फ का मतलब होता है अल्लाह की संपत्ति और जो लोग वक्फ के मेंबर होते हैं उनको अल्लाह का खजांची कहा जाता है ।
साभार
कांग्रेस का अध्यक्ष कौन ?
एक अदद बाहरी अध्यक्ष की तलाश
देश की सबसे पुरानी कांग्रेस पार्टी आज एक अदद बाहरी अध्यक्ष की तलाश में जुटी है। अध्यक्ष ऐसा होना चाहिए जो गांधी परिवार के इशारों पर कार्य कर सके। वरना वह भी कांग्रेस के अंतिम बाहरी अध्यक्ष श्री सीता राम केसरी के समतुल्य अध्यक्ष पद के अधिकार से बर्खास्त किया जा सकता है।
राहुल गांधी के अध्यक्ष पद ग्रहण करने से इंकार के बाद राहुल गांधी तो अपनी जोड़ो-तोड़ो यात्रा में मग्न हैं। गरीबो को गले लगा-लगा कर सहानुभूति प्राप्त कर रहे हैं। काश आज़ादी के बाद से ही कांग्रेस ने गरीबो का दर्द समझा होता तो आज यह दिन न देखना पड़ता। खैर अब लगता है की कुल मिलाकर अध्यक्ष पद की दौड़ में तो सिर्फ गांधी परिवार के चहेते मल्लिकार्जुन खड़गे ही हैं वैसे शशि थरूर का भी नाम लिया जा रहा है जिससे चुनाव सार्थक लगे।
समय बलवान होता ही है। विनाशकाले बुध्दि विपरीत हो ही जाती है। यह सब अशोक गहलोत को तुजुर्बा हो ही गया होगा। बेचारे कांग्रेस अध्यक्ष पद से तो गए ही अब राजस्थान के सीएम पद का भी टोटा हो रहा है। सत्ता का नशा सारी ईमानदारी और ताबेदारी को खत्म कर देता है। अब शायद राजस्थान में यही होने वाला है। गांधी परिवार की पसंद है सचिन पायलट लेकिन जनाधार गहलोत के पास बहुतायत में है। यदि गांधी परिवार ने गहलोत को सीएम न बनाया तो सारी वफादारी एक तरफ रख हो सकता है की गहलोत विरोध में कमर कस लें।
अब राहुल की युवा कांग्रेस के सपने को तोड़ बुजुर्ग खड़गे कांग्रेस के अध्यक्ष पद पर तो विराजमान होंगे लेकिन उन्हें गांधी परिवार के इशारों पर ही कार्य करना पड़ेगा। वरना वे भी श्री सीता राम केसरी जी के समान व्यवहार के कारण बन सकते हैं।
आलाकमान संस्क्रति कांग्रेस परिवार की राजशाही आदत रही है। वैसे तो अन्य दलों बसपा-सपा से लेकर अनेक क्षेत्रीय दलों में भी सुप्रीमो जैसी संस्कृति पाई जाती है।
कांग्रेस अध्यक्ष पद के एकतरफा चुनावों में दिग्विजय की चतुरता, शशि थरूर की युवा आवाज़ को दरकिनारे कर अब छोटे दल के बुजुर्ग सहनशील ,आज्ञाकारी नेता मल्लिकार्जुन खड़गे जी की ताजपोशी होने का इंतजार है। लेकिन कांग्रेसी चाहते हैं की अब राहुल गांधी- पिर्यंका गांधी भी परिपक्व होने चाहिये ताकि कांग्रेस का भविष्य सकारात्मक हो सके।
सुनील जैन राना
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वरिष्ठ नागरिक
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