मंगलवार, 28 जून 2022
रविवार, 26 जून 2022
पीएम जी के सूचनार्थ
पीएम जी,इस अन्याय को बंद करो
नेताओं को सुविधा, माननीयों पर खर्च
भारतीय लोकतंत्र में बहुत सी बातें बहुत गलत हैं। जैसे,नेता दो सीट से चुनाव लड़ सकता है। वोटर दो जगह से वोट नहीं डाल सकता। दोनों सीटो से जीतने के बाद एक सीट छोड़े तो उस सीट से दूसरे नम्बर पर रहे प्रत्याशी को विजयी माना जाये।व्यर्थ है पुनः चुनाव करवाना। नेता जेल में रहते हुए चुनाव लड़ सकता है वोटर वोट नही डाल सकता। वोटर जेल गया तो सरकारी नॉकरी नहीं जबकि नेता मंत्री आदि कुछ भी बन सकता है। नेता बिना पढ़ा लिखा भी शिक्षा मंत्री बन सकता है जबकि वोटर को छोटी सी नॉकरी। के लिये भी मिनिमम शिक्षा चाहिये। नेता पर सैंकडों केस फिर भी गृहमन्त्री तक बन सकता है,वोटर तो जेल में ही सड़ेगा। इन सब बातों में संशोधन होना चाहिये।
माननीयों पर बेहताशा खर्च
भारत मे लगभग 4582 MLA, MLC हैं। जिनका वेतन लगभग 15 अरब से अधिक है। वेतन के अतिरिक्त इनके आवास, खाना, यात्रा,इलाज, विदेशी दौरे आदि पर लगभग 30अरब रुपये खर्च होते हैं। इसके अलावा इनकी सुरक्षा पर लगभग 20 अरब रूपये खर्च होते हैं। भूतपूर्व नेता,मंत्री,मुख्यमंत्री, राज्यपाल, पीएम,राष्ट्पति आदि पर लगभग 50 अरब रुपये खर्च होते हैं। Y Z श्रेणी सुरक्षा प्राप्त खर्च इसके अतिरिक्त है। इसके अलावा इन सब पर पेंशन खर्च सुनेंगे तो चोंक जाएंगे।
यह सब खर्च जनता के टैक्स के पैसों से किया जाता है। प्रधानमंत्री जी से निवेदन है इन सब खर्चो में कटौती होनी चाहिये। संसद जैसी कैंटीन जहां 29 रुपये में भरपेट भोजन मिलता है ऐसी कैंटीन देशभर में सब जगह खुलनी चाहिये। जिससे जनता भरपेट भोजन कर सके। ऐसा हो जाने से गरीबो को दिया जाने वाला सस्ता या मुफ्त राशन भी बन्द किया जा सकता है। जितना सस्ते भोजन पर खर्च होगा उतनी बचत मुफ्त या सस्ते राशन को न देने से हो सकती है। यह सिर्फ एक सम्पादकीय नही बल्कि एक आम आदमी के मन की बात है। धन्यवाद।
सुनील जैन राना
सम्पादक
पॉलिटिकल पेट्रोल
सहारनपुर-247001
सोमवार, 20 जून 2022
अग्निवीर का विरोध क्यो?
अग्निवीर?
भविष्य का भारत कैसा हो?
★ ऐसा भारत हो जिसका कलक्टर भी अग्निवीर सैनिक हो,
★ ऐसा भारत जिसका कप्तान भी अग्निवीर सैनिक हो,
★ ऐसा भारत जिसका मजिस्ट्रेट भी अग्निवीर सैनिक हो,
★ ऐसा भारत जिसका बैंककर्मचारी भी अग्निवीर सैनिक हो,
★ ऐसा भारत जिसका डाक्टर भी अग्निवीर सैनिक हो,
★ ऐसा भारत जिसका इन्जीनियर भी अग्निवीर सैनिक हो,
★ ऐसा भारत जिसका लेखपाल भी अग्निवीर सैनिक हो,
★ ऐसा भारत जिसका पंचायतकर्मी भी अग्निवीर सैनिक हो,
★ ऐसा भारत जिसका अध्यापक भी अग्निवीर सैनिक हो,
★ ऐसा भारत जिसका दारोगा भी अग्निवीर सैनिक हो,
★ ऐसा भारत सिपाही भी अग्निवीर सैनिक हो ,
★ ऐसा भारत जिसका खुफियाकर्मी भीअग्निवीर सैनिक हो,
★ ऐसा भारत जिसका नेता भी अग्निवीर सैनिक हो,
★ ऐसा भारत जिसका ग्राम प्रधान भी अग्निवीर सैनिक हो,
★ ऐसा भारत जिसका ड्राईवर भी अग्निवीर सैनिक हो,
★ ऐसा भारत जिसका व्यापारी भी अग्निवीर सैनिक हो,
★ ऐसा भारत जिसका ठेकेदार भी अग्निवीर सैनिक हो,
★ ऐसा भारत जिसका अधिवक्ता भी अग्निवीर सैनिक हो,
★ ऐसा भारत जिसका न्यायधीश भी अग्निवीर सैनिक हो,
★ ऐसा भारत जिसका उद्योगपति भी अग्निवीर सैनिक हो,
★ ऐसा भारत जिसके हर कदम पर अग्निवीर सैनिक हों।
*_वह भारत इतना ताकतवर होगा जिसमे सैकड़ो अमेरिका व चाइना भी समा जाएंगे।_*
```न कही भ्रष्टाचारी होंगे
न कही देशद्रोही होंगे
न कहीं लुटेरे होंगे
न कहीं आतंकी होंगे।```
*_इतनी छोटी सी बात भी अगर समझ मे नहीं आती तो भगवान ही मालिक है।_*
रविवार, 19 जून 2022
अंग्रेजी त्यौहार क्यों?
*हमारे पास तो पहले से ही अमृत से भरे कलश थे...!*
*फिर हम वह अमृत फेंक कर उनमें कीचड़ भरने का काम क्यों कर रहे हैं...?🤔*
*जरा इन पर विचार करें...🧐👇*
० यदि *मातृनवमी* थी,
तो Mother’s day क्यों लाया गया?
० यदि *कौमुदी महोत्सव* था,
तो Valentine day क्यों लाया गया?
० यदि *गुरुपूर्णिमा* थी,
तो Teacher’s day क्यों लाया गया?
० यदि *धन्वन्तरि जयन्ती* थी,
तो Doctor’s day क्यों लाया गया?
० यदि *विश्वकर्मा जयंती* थी,
तो Technology day क्यों लाया गया?
० यदि *सन्तान सप्तमी* थी,
तो Children’s day क्यों लाया गया?
० यदि *नवरात्रि* और *कन्या भोज* था,
तो Daughter’s day क्यों लाया गया?
० *रक्षाबंधन* है तो Sister’s day क्यों ?
० *भाईदूज* है तो Brother’s day क्यों ?
० *आंवला नवमी, तुलसी विवाह* मनाने वाले हिंदुओं को Environment day की क्या आवश्यकता ?
० केवल इतना ही नहीं, *नारद जयन्ती* ब्रह्माण्डीय पत्रकारिता दिवस है...
० *पितृपक्ष* ७ पीढ़ियों तक के पूर्वजों का पितृपर्व है...
० *नवरात्रि* को स्त्री के नवरूपों के दिवस के रूप में स्मरण कीजिये...
*सनातन पर्वों को अवश्य मनाईये...*
हमारी सनातन संस्कृति में मनाए जाने वाले विभिन्न पर्व और त्योहार मिशनरीयों के धर्मांतरण की राह में बाधक हैं। बस, इसीलिए हमारी धार्मिक परंपराओं से मिलते जुलते उत्सव कार्यक्रम मिशनरीयों द्वारा लाए जा रहे हैं।
ताकि आपको सनातन सभ्यता से तोड़कर धर्मांतरण की ओर प्रेरित किया जा सके...
अब पृथ्वी के सनातन भाव को स्वीकार करना ही होगा। यदि हम समय रहते नहीं चेते तो वे ही हमें वेद, शास्त्र, संस्कृत भी पढ़ाने आ जाएंगे!
इसका एक ही उपाय है कि, अपनी जड़ों की ओर लौटिए। अपने सनातन मूल की ओर लौटिए। व्रत, पर्व, त्यौहारों को मनाइए। अपनी संस्कृति और सभ्यता को जीवंत कीजिये। जीवन में भारतीय पंचांग अपनाना चाहिए, जिससे भारत अपने पर्वों, त्यौहारों से लेकर मौसम की भी
अनेक जानकारियां सहज रूप से जान व समझ लेता है।
शुक्रवार, 17 जून 2022
अग्निपथ का विरोध क्यो?
अग्निपथ-विरोधियों को विरोध का बहाना चाहिये
देश मे सरकार कितना भी अच्छा कार्य करले लेकिन विरोधियों को विरोध करना ही जैसे उनका जन्मसिद्ध अधिकार है। अग्निपथ सेवा को ध्यान से समझा नहीं बस आ गए सड़को पर,मचा दिया हंगामा, फूँक दी ट्रेनें। अग्निपथ का विरोध करने वाले बेरोजगार नहीं हो सकते। अग्निपथ का विरोध राजनीति से प्रेरित है।
अग्निपथ क्या है? अठारह साल का युवक इस योजना में गया, 4 साल सेना में देश की सेवा की, उसके बाद इनमें से 25% को स्थायी रूप में नियुक्ति मिलेगी, बाकी को अतिवीर कौशल प्रमाणपत्र के आधार पर प्राइवेट कम्पनियां उनको अपने यहां जॉब में प्राथमिकता देंगी। सेना की कर्मठता और अनुशासन कब कारण अनेक पोस्ट पर उनको जॉब मिलने की अपार सम्भावना होगी। बारहवीं की पढ़ाई के बाद वैसे भी छात्रों को चार-पांच साल का कोई कोर्स करना ही पड़ता है उसके बाद भी जॉब की संभावनाएं बहुत कम होती हैं उस अपेक्षा से अग्निपथ सेवा बहुत उपयोगी साबित हो सकती है।
22 वर्ष की आयु में तो वैसे भी पढ़लिखकर नॉकरी की तलाश की जाती ही है। ऐसे में भी अग्निपथ सेवा में कोई खामी नहीं है। अग्निपथ के बाद नवयुवकों के लिये जॉब के अनेको विकल्प होंगे। व्यापार करने वालो के लिए सरकार कम ब्याज पर बैंक लोन उपलब्ध कराएगी। अग्निपथ का विरोध करने वाले टुकड़े गैंग जैसे वे ही लोग हैं जिनका एकमात्र कार्य हर समय सरकार की आलोचना करना ही है।
सुनील जैन राना
सहारनपुर
गुरुवार, 16 जून 2022
आज की राजनीति
ये कहानी आपको झकझोर देगी 2 मिनट में एक अच्छी सीख अवश्य पढ़ें....
एक बार एक हंस और हंसिनी हरिद्वार के सुरम्य वातावरण से भटकते हुए, उजड़े वीरान और रेगिस्तान के इलाके में आ गये!
हंसिनी ने हंस को कहा कि ये किस उजड़े इलाके में आ गये हैं ??
यहाँ न तो जल है, न जंगल और न ही ठंडी हवाएं हैं यहाँ तो हमारा जीना मुश्किल हो जायेगा !
भटकते-भटकते शाम हो गयी तो हंस ने हंसिनी से कहा कि किसी तरह आज की रात बीता लो, सुबह हम लोग हरिद्वार लौट चलेंगे !
रात हुई तो जिस पेड़ के नीचे हंस और हंसिनी रुके थे, उस पर एक उल्लू बैठा था।
वह जोर से चिल्लाने लगा।
हंसिनी ने हंस से कहा- अरे यहाँ तो रात में सो भी नहीं सकते।
ये उल्लू चिल्ला रहा है।
हंस ने फिर हंसिनी को समझाया कि किसी तरह रात काट लो, मुझे अब समझ में आ गया है कि ये इलाका वीरान क्यूँ है ??
ऐसे उल्लू जिस इलाके में रहेंगे वो तो वीरान और उजड़ा रहेगा ही।
पेड़ पर बैठा उल्लू दोनों की बातें सुन रहा था।
सुबह हुई, उल्लू नीचे आया और उसने कहा कि हंस भाई, मेरी वजह से आपको रात में तकलीफ हुई, मुझे माफ़ करदो।
हंस ने कहा- कोई बात नही भैया, आपका धन्यवाद!
यह कहकर जैसे ही हंस अपनी हंसिनी को लेकर आगे बढ़ा
पीछे से उल्लू चिल्लाया, अरे हंस मेरी पत्नी को लेकर कहाँ जा रहे हो।
हंस चौंका- उसने कहा, आपकी पत्नी ??
अरे भाई, यह हंसिनी है, मेरी पत्नी है,मेरे साथ आई थी, मेरे साथ जा रही है!
उल्लू ने कहा- खामोश रहो, ये मेरी पत्नी है।
दोनों के बीच विवाद बढ़ गया। पूरे इलाके के लोग एकत्र हो गये।
कई गावों की जनता बैठी। पंचायत बुलाई गयी।
पंचलोग भी आ गये!
बोले- भाई किस बात का विवाद है ??
लोगों ने बताया कि उल्लू कह रहा है कि हंसिनी उसकी पत्नी है और हंस कह रहा है कि हंसिनी उसकी पत्नी है!
लम्बी बैठक और पंचायत के बाद पंच लोग किनारे हो गये और कहा कि भाई बात तो यह सही है कि हंसिनी हंस की ही पत्नी है, लेकिन ये हंस और हंसिनी तो अभी थोड़ी देर में इस गाँव से चले जायेंगे।
हमारे बीच में तो उल्लू को ही रहना है।
इसलिए फैसला उल्लू के ही हक़ में ही सुनाना चाहिए!
फिर पंचों ने अपना फैसला सुनाया और कहा कि सारे तथ्यों और सबूतों की जाँच करने के बाद यह पंचायत इस नतीजे पर पहुंची है कि हंसिनी उल्लू की ही पत्नी है और हंस को तत्काल गाँव छोड़ने का हुक्म दिया जाता है!
यह सुनते ही हंस हैरान हो गया और रोने, चीखने और चिल्लाने लगा कि पंचायत ने गलत फैसला सुनाया।
उल्लू ने मेरी पत्नी ले ली!
रोते- चीखते जब वह आगे बढ़ने लगा तो उल्लू ने आवाज लगाई - ऐ मित्र हंस, रुको!
हंस ने रोते हुए कहा कि भैया, अब क्या करोगे ??
पत्नी तो तुमने ले ही ली, अब जान भी लोगे ?
उल्लू ने कहा- नहीं मित्र, ये हंसिनी आपकी पत्नी थी, है और रहेगी!
लेकिन कल रात जब मैं चिल्ला रहा था तो आपने अपनी पत्नी से कहा था कि यह इलाका उजड़ा और वीरान इसलिए है क्योंकि यहाँ उल्लू रहता है!
मित्र, ये इलाका उजड़ा और वीरान इसलिए नहीं है कि यहाँ उल्लू रहता है।
यह इलाका उजड़ा और वीरान इसलिए है क्योंकि यहाँ पर ऐसे पंच रहते हैं जो उल्लुओं के हक़ में फैसला सुनाते हैं!
शायद इतने साल की आजादी के बाद भी हमारे देश की दुर्दशा का मूल कारण यही है कि हमने उम्मीदवार की योग्यता व गुण आदि न देखते हुए, हमेशा , ये हमारी बिरादरी का है, ये हमारी पार्टी का है, ये हमारे एरिया का है, के आधार पर हमेशा अपना फैसला उल्लुओं के ही पक्ष में सुनाया है, देश क़ी बदहाली और दुर्दशा के लिए कहीं न कहीं हम भी जिम्मेदार हैँ!
"कहानी" अच्छी लगे तो आगे भी बढ़ा दें......तो.....मेहरबानी.....
आपकी । यही कहानी है हमारे पूरे भारत की।
मंगलवार, 14 जून 2022
समझने में गलती न करें
✍️✍️ ☘️ *आपकी राय कितनी खोखली हो सकती है ??*
*मान लो आप धूप में कही जा रहे हो, पसीने से तर-बतर , बहुत प्यासे , पर कहीं भी पानी नहीं मिल रहा। ऐसे में आप एक वृक्ष की छाया में थकान मिटाने के लिए खड़े हो जाते हो!*
तभी आपकी निगाह सामने चार मंजिला मकान पर जाती है।मन मे ख्याल आता है ..
(1) *साले ..लोगों को लूटकर करोड़पति हो रहे हैं*
*तभी अचानक इमारत की चौथी मंजिल की खिड़की खुलती है और आपकी उस व्यक्ति से आँखे मिलती है। आपकी स्थिति देखकर, वह व्यक्ति हाथ के इशारे से आपको पानी के लिए पूछता है।*
आपने तत्काल उस व्यक्ति पर एक राय बनाई। (2) *कितना सहृदय व्यक्ति है।। उस व्यक्ति के लिये यह आपकी दूसरी राय है!*
*आदमी नीचे आने का इशारा करता है और खिड़की बंद कर देता है।आप पानी लेने तेज़ कदमों से उसके दरवाज़े पर पहुंचते है।।लेकिन नीचे का दरवाजा 15 मिनट बाद भी नहीं खुलता*।
*अब उस व्यक्ति के बारे में आपकी क्या राय है?* आप उसे मन ही मन गालियां देते है। (3) *धोकेबाज, बेवकूफ, उल्लू का पट्ठा, ढीला, आलसी, कही का।*
*यह आपकी तीसरी राय है!*
*थोड़ी देर बाद दरवाजा खुलता है और आदमी कहता है:
'मुझे देरी के लिए खेद है, लेकिन आपकी हालत देखकर, मैंने आपको पानी के बजाय नींबू पानी देना सबसे अच्छा समझा! इसलिए थोड़ा लंबा समय लगा!*
*सोचिये उस व्यक्ति के बारे में अब आपकी क्या राय है?* (4) *कितना नेक इंसान है।*
*अब जैसे ही आप शर्बत को अपनी जीभ पर लगाते हैं, आपको पता चलता है कि इसमें चीनी नहीं है।*
*अब सोचिये उस व्यक्ति के बारे में क्या राय है । (5)बेवकूफ, नालायक, कंजूस कही का ?*
*आपके चेहरे को खट्टेपन से भरा हुआ देखकर, व्यक्ति धीरे से चीनी का एक पाऊच निकालता है और कहता है, माफ कीजिये, मुझे पता नहीं था आप कितनी चीनी लेंगे,इसलिए अलग से चीनी ले आया। आप जितनी चाहें उतना डाल लें।*
*अब उसी व्यक्ति के बारे में आपकी क्या राय होगी?*.. (6)
*अब आप मनन कीजिये*
*एक सामान्य सी स्थिति में भी, अगर हमारी राय इतनी खोखली है और लगातार बदलती जा रही है, तो क्या हम किसी भी बारे में राय देने के लायक है या नहीं!*
इसलिए किसी के बारे में
जल्दी राय ना बनाइए।।
कौन किस परिस्थिति या स्थिति में क्या कर रहा है , ये वो ही बेहतर जानता है।। हो सकता है अपनी अपनी स्थिति से आप भी ठीक हो , और दूसरा भी ठीक हो।।
*वास्तव में, दुनिया में हम सभी को इतना समझ में आया है कि अगर कोई व्यक्ति हमारी अपेक्षाओं के अनुरूप व्यवहार करता है तो अच्छा है अन्यथा वह बुरा है!*
✋ *दिलचस्प कथानक है ,*
*कृपया गम्भीरता से विचार करें।
सोमवार, 13 जून 2022
रविवार, 12 जून 2022
ये टीवी चैनल
गोपनीय जानकारी दे देते हैं टीवी चैनल
टेलीविजन आम और खास सभी के लिये जानकारी एवं टाईम पास का मुख्य साधन है।कुछ लोगो को प्रातः समाचार पत्र पढ़े बिना चाय हज़म नही होती लेकिन उसके बाद उन्हें भी टीवी की जरूरत महसूस होती ही है। यह तो बहुत पहले बता दिया गया था की साइंस एक अच्छा सेवक हो सकती है लेकिन अच्छा मालिक नहीं। यही हो रहा है साइंस के एक अविष्कार टेलिविज़न के द्वारा। वर्तमान में टीवी का स्वरूप बहुत बदल गया है। जहाँ एक ओर टीवी अच्छी जानकारी एवं अच्छे कार्यक्रमो का स्रोत है वहीं दूसरी ओर टीवी चैनल अपनी टी आर पी बढ़ाने के चक्कर मे ऐसी जानकारी या ऐसी डिबेट चलाते रहते हैं जो देश और समाज के लिये घातक सिध्द हो जाती है। आजकल टीवी पर मन्दिर-मस्जिद का मुद्दा छाया है। जिसमें टीवी चैनल चार परस्पर विरिधियो को डिबेट में बैठा लेते हैं और पांचवा एंकर मिलकर खूब एक दूसरे पर जहरीले अल्फाज़ो की बौछार करते हैं। ऐसे में उत्तेजित होकर किसी के भी मुँह से किसी दूसरे के धर्म के प्रति अपशब्द निकल जाएं तो बबाल खड़ा हो जाता है। ऐसा ही आजकल देश मे हो रहा है।
इसके अलावा कुछ ऐसी गोपनीय जानकारियां टीवी चैनल दे देते हैं जो देश और समाज के लिये हानिकारक साबित होती हैं। देश मे रक्षा सामग्री कितनी है, क्या नहीं है ,कहाँ पर रखी है, मिसाइलें कहाँ तैनात है,कहाँ नहीं है आदि अनेक जानकारियां टीवी चैनल सार्वजनिक कर देते हैं। यही नहीं अन्य दुश्मन देशों के मुकाबले हथियार कितने कम हैं, कितने ज्यादा है यह सब जानकारी दे देते हैं। इस पर रोक लगनी चाहिए। इसी तरह हाल में कश्मीर में कश्मीरी पंडितों को टारगेट कर मारा जाने पर बाकी कश्मीरी पंडितो को अन्य सुरक्षित क्षेत्रों में भेजा गया। कहाँ भेजा गया यह जानकारी टीवी चैनलों ने बता दी।यह जानकारी उनकी जान को जोखिम में डाल सकती है। ऐसे ही नकली-मिलावटी वस्तुएँ बनाने वाले जब पकड़े जाते हैं तो टीवी चैनल उनके बनाने के तरीकों को विस्तार से दिखाते हैं जिससे अनेक बेरोजगार इसी काम पर लग जाते हैं। देश में सिंथेटिक दूध और मावा इसी बदौलत जितना चाहे उतना मिल जाता है। ऐसी जानकारियों को सार्वजनिक करने पर रोक लगनी चाहिये।
सुनील जैन राना
मुफ्तखोरों
*मुफ़्तख़ोरी की पराकाष्ठा!*
अतिगम्भीर विषय
*मुफ़्त दवा, मुफ़्त जाँच, लगभग मुफ़्त राशन, मुफ़्त शिक्षा, मुफ्त विवाह, मुफ्त जमीन के पट्टे, मुफ्त मकान बनाने के पैसे, बच्चा पैदा करने पर पैसे, बच्चा पैदा नहीं (नसबंदी) करने पर पैसे, स्कूल में खाना मुफ़्त, मुफ्त जैसी बिजली 200 रुपए महीना, मुफ्त तीर्थ यात्रा, मरने पर भी पैसे,*
*जन्म से लेकर मृत्यु तक सब मुफ्त । मुफ़्त बाँटने की होड़ मची है, फिर कोई काम क्यों करेगा ? देश का विकास मुफ्त में पड़े पड़े कैसे होगा?*
*पिछले दस सालों से ले कर आगे बीस सालों में एक एेसी पूरी पीढ़ी तैयार हो रही है या हमारे नेता बना रहे हैं, जो पूर्णतया मुफ़्त खोर होगी!*
*अगर आप उन को काम करने को कहेंगे तो वो गाली दे कर कहेंगे की सरकार क्या कर रही है?*
*ये मुफ़्त खोरी की ख़ैरात कोई भी पार्टी अपने फ़ंड से नही देती। टैक्स दाताओं का पैसा इस्तेमाल करती है!*
*हम नागरिक नहीं परजीवी तैयार कर रहे हैं!*
*देश का अल्प संख्यक टैक्स दाता बहुसंख्यक मुफ़्त खोर समाज को कब तक पालेगा?*
*जब ये आर्थिक समीकरण फ़ेल होगा तब ये मुफ़्त खोर पीढ़ी बीस तीस साल की हो चुकी होगी जिस ने जीवन में कभी मेहनत की रोटी नही खाई होगी हमेशा मुफ़्त की खायेगा! नहीं मिलने पर, ये पीढ़ी नक्सली बन जाएगी, उग्रवादी बन जाएगी, पर काम नही कर पाएगी!*
*सोचने की बात है कि सरकारें कैसे समाज का, कैसे देश का निर्माण कर रही हैं ?*
*राजनीति छोड़िए* ,
*गम्भीरता से चिंतन कीजिये।
शुक्रवार, 10 जून 2022
डालमिया और नेहरू
आप सोच रहे होंगे
डालडा और नेहरू का क्या सम्बन्ध है?
उत्तर है, बहुत गहरा।
*डालडा हिन्दुस्तान लिवर का देश का पहला वनस्पति घी था*
*जिसके मालिक थे स्वतन्त्र भारत के उस समय के सबसे धनी सेठ रामकृष्ण डालमिया*
और यह लेख आपको अवगत कराता है कि
*नेहरू कितना दम्भी, कमीना , हिन्दू विरोधी और बदले के दुर्भाव और मनोविकार से ग्रसित इन्सान था।*
*#टाटा #बिड़ला और #डालमिया*
ये तीन नाम बचपन से सुनते आए है।
मगर डालमिया घराना अब न कही व्यापार में नजर आया और न ही कहीं इसका नाम सुनाई देता है।
#डालमिया घराने के बारे में जानने की बहुत इच्छा थी -
लीजिए आप भी पढ़िए की #नेहरू के जमाने मे भी
*१ लाख करोड़ के मालिक डालमिया को साजिशो में फंसा के #नेहरू ने कैसे बर्बाद कर दिया।*
ये तस्वीर है राष्ट्रवादी खरबपति
*सेठ रामकृष्ण डालमिया की,*
*जिसे नेहरू ने झूठे मुकदमों में फंसाकर जेल भेज दिया तथा कौड़ी-कौड़ी का मोहताज़ बना दिया।*
वास्तव में *डालमिया जी ने स्वामी करपात्री जी महाराज के साथ मिलकर गौहत्या एवम हिंदू कोड बिल पर प्रतिबंध लगाने के मुद्दे पर नेहरू से कड़ी टक्कर ले ली थी।*
*लेकिन नेहरू ने हिन्दू भावनाओं का दमन करते हुए गौहत्या पर प्रतिबंध भी नही लगाया तथा हिन्दू कोड बिल भी पास कर दिया और प्रतिशोध स्वरूप हिंदूवादी सेठ डालमिया को जेल में भी डाल दिया तथा उनके उद्योग धंधों को बर्बाद कर दिया।*
इतिहास इस बात का साक्षी है कि
जिस व्यक्ति ने नेहरू के सामने सिर उठाया उसी को नेहरू ने मिट्टी में मिला दिया।
*देशवासी प्रथम राष्ट्रपति डॉ राजेन्द्र प्रसाद और सुभाष बाबू के साथ उनके निर्मम व्यवहार के बारे में वाकिफ होंगे* मगर इस बात को बहुत कम लोग जानते हैं कि
उन्होंने अपनी ज़िद के कारण देश के उस समय के *सबसे बड़े उद्योगपति सेठ रामकृष्ण डालमिया को बड़ी बेरहमी से मुकदमों में फंसाकर न केवल कई वर्षों तक जेल में सड़ा दिया
बल्कि उन्हें कौड़ी-कौड़ी का मोहताज कर दिया।*
जहां तक रामकृष्ण डालमिया का संबंध है,
*वे राजस्थान के एक कस्बा चिड़ावा में एक गरीब अग्रवाल घर में पैदा हुए थे और मामूली शिक्षा प्राप्त करने के बाद अपने मामा के पास कोलकाता चले गए थे।*
वहां पर बुलियन मार्केट में एक salesman के रूप में उन्होंने अपने व्यापारिक जीवन का शुरुआत किया था।
भाग्य ने डटकर डालमिया का साथ दिया और कुछ ही वर्षों के बाद वे देश के सबसे बड़े उद्योगपति बन गए।
*उनका औद्योगिक साम्राज्य देशभर में फैला हुआ था जिसमें समाचारपत्र, बैंक, बीमा कम्पनियां, विमान सेवाएं, सीमेंट, वस्त्र उद्योग, खाद्य पदार्थ आदि सैकड़ों उद्योग शामिल थे।*
डालमिया सेठ के दोस्ताना रिश्ते देश के सभी बड़े-बड़े नेताओं से थी और वे उनकी खुले हाथ से आर्थिक सहायता किया करते थे।
इसके बाद एक घटना ने नेहरू को डालमिया का जानी दुश्मन बना दिया।
*कहा जाता है कि डालमिया एक कट्टर सनातनी हिन्दू थे और उनके विख्यात हिन्दू संत स्वामी करपात्री जी महाराज से घनिष्ट संबंध थे।*
करपात्री जी महाराज ने १९४८ में एक राजनीतिक पार्टी
*'राम राज्य परिषद'* स्थापित की थी।
*१९५२ के चुनाव में यह पार्टी लोकसभा में मुख्य विपक्षी दल के रूप में उभरी और उसने १८ सीटों पर विजय प्राप्त की।*
*हिन्दू कोड बिल और गोवध पर प्रतिबंध लगाने के प्रश्न पर डालमिया से नेहरू की ठन गई.*
*नेहरू हिन्दू कोड बिल पारित करवाना चाहता था जबकि स्वामी करपात्री जी महाराज और डालमिया सेठ इसके खिलाफ थे।*
हिन्दू कोड बिल और गोहत्या पर प्रतिबंध लगाने के लिए स्वामी करपात्रीजी महाराज ने देशव्यापी आंदोलन चलाया जिसे डालमिया जी ने डटकर आर्थिक सहायता दी।
*नेहरू के दबाव पर लोकसभा में हिन्दू कोड बिल पारित हुआ जिसमें हिन्दू महिलाओं के लिए तलाक की व्यवस्था की गई थी।*
*कहा जाता है कि देश के प्रथम* *राष्ट्रपति डॉ राजेन्द्र प्रसाद हिन्दू कोड बिल के सख्त खिलाफ थे*
इसलिए उन्होंने इसे स्वीकृति देने से इनकार कर दिया।*
ज़िद्दी नेहरू ने इसे अपना अपमान समझा और इस विधेयक को संसद के दोनों सदनों से पुनः पारित करवाकर राष्ट्रपति के पास भिजवाया।
संवैधानिक प्रावधानों के अनुसार राष्ट्रपति को इसकी स्वीकृति देनी पड़ी।
इस घटना ने नेहरू को डालमिया का जानी दुश्मन बना दिया।
कहा जाता है कि नेहरू ने अपने विरोधी सेठ रामकृष्ण डालमिया को निपटाने की एक योजना बनाई।
*नेहरू के इशारे पर डालमिया के खिलाफ कंपनियों में घोटाले के आरोपों को लोकसभा में जोरदार ढंग से उछाला गया।*
इन आरोपों के जांच के लिए एक विविन आयोग बना।
बाद में यह मामला स्पेशल पुलिस इस्टैब्लिसमेंट (जिसे आज सी बी आई कहा जाता है) को जांच के लिए सौंप दिया गया।
नेहरू ने अपनी पूरी सरकार को डालमिया के खिलाफ लगा दिया।
*उन्हें हर सरकारी विभाग में प्रधानमंत्री के इशारे पर परेशान और प्रताड़ित करना शुरू किया।*
*उन्हें अनेक बेबुनियाद मामलों में फंसाया गया।*
नेहरू की कोप दृष्टि ने एक लाख करोड़ के मालिक डालमिया को दिवालिया बनाकर रख दिया।
*उन्हें टाइम्स ऑफ़ इंडिया, हिन्दुस्तान लिवर और अनेक उद्योगों को औने-पौने दामों पर बेचना पड़ा।*
अदालत में मुकदमा चला और
डालमिया को तीन वर्ष कैद की सज़ा सुनाई गई।
तबाह हाल और अपने समय के सबसे धनवान व्यक्ति डालमिया को नेहरू की वक्र दृष्टि के कारण जेल की कालकोठरी में दिन व्यतीत करने पड़े।
*व्यक्तिगत जीवन में डालमिया बेहद धार्मिक प्रवृत्ति के व्यक्ति थे।
उन्होंने अच्छे दिनों में करोड़ों रुपये धार्मिक और सामाजिक कार्यों के लिए दान में दिये।
*इसके अतिरिक्त उन्होंने यह संकल्प भी लिया था कि जबतक इस देश में गोवध पर कानूनन प्रतिबंध नहीं लगेगा वे अन्न ग्रहण नहीं करेंगे।*
उन्होंने इस संकल्प को अंतिम सांस तक निभाया।
गौवंश हत्या विरोध में १९७८ में उन्होंने अपने प्राण त्याग दिए।
*साभार🙏🏻
कुसंग से बचे
पानी ने दूध से मित्रता की और उसमे समा गया, जब दूध ने पानी का समर्पण देखा तो उसने कहा,मित्र तुमने अपने स्वरुप का त्याग कर मेरे स्वरुप को धारण किया है । अब मैं भी मित्रता निभाऊंगा और तुम्हे अपने मोल बिकवाऊंगा, दूध बिकने के बाद जब उसे उबाला जाता है तब पानी कहता है । अब मेरी बारी है मै मित्रता निभाऊंगा और तुमसे पहले मै चला जाऊँगा और दूध से पहले पानी उड़ता जाता है जब दूध मित्र को अलग होते देखता है तो उफन कर गिरता है और आग को बुझाने लगता है, जब पानी की बूंदे उस पर छींट कर उसे अपने मित्र से मिलाया जाता है तब वह फिर शांत हो जाता है पर इस अगाध प्रेम में थोड़ी सी खटास (निम्बू की दो चार बूँद ) डाल दी जाए तो दूध और पानी अलग हो जाते हैं थोड़ी सी मन की खटास अटूट प्रेम को भी मिटा सकती है ।
कुसंग वह नीबू की तरह है जो एक क्षण में आपकी सत्संग की सभी फलों को नष्ट कर देता है, इसलिए सदैव कुसंग से बचें।
सोमवार, 6 जून 2022
समोसे की कथा
मैं समोसा हूँ
छोटा सा तिकोना समोसा...
ब्रह्माण्ड में किसी भी हलवाई की दुकान पर दो चीजें होना जरूरी है वर्ना वह दुकान हलवाई की दूकान नहीं कहलाती....पहला तो हलवाई खुद और दूसरा मैं यानि कि समोसा !
मैं संसार की एकमात्र ऐसी रचना हूँ जिसके तीन कोने होने के बावजूद भी शान से सीना तान कर खड़ा हो जाता हूँ .....हलवाई की दुकान पर जब मुझे भर कर रखा जाता है तो तले जाने से पहले मैं और मेरा पूरा ग्रुप पंक्तिबद्ध रूप से यूँ ट्रे में खड़े दिखते हैं मानो सफ़ेद वर्दी पहने जवान सावधान की मुद्रा में खड़े होकर गार्ड ऑफ़ ऑनर दे रहे हों।
अपने इसी शाही अन्दाज़ के कारण हज़ारों वर्षों से मैं स्नैक फ़ूड का अघोषित सम्राट हूँ और अपनी दो महारानियों यानी कि हरी चटनी और लाल चटनी के साथ फूडियों के दिलों में राज करता हूँ।
मैं अमीर-गरीब में फर्क नहीं करता.....एयरपोर्ट लाउंज की फैंसी लुटेरी स्नैक शॉप में Two samosas for two hundred rupees में भी मिलता हूँ और डाकखाने के सामने टीन के पतरे को तार से बाँध कर बनायी गई टपरी पर दस के दो में भी मिलता हूँ......ताज़ होटल की चाँदी की प्लेट में भी परोसा जाता हूँ और पुल के नीचे वाले ठेले पर अख़बार में लिपटा हुआ भी मिलता हूँ ......मतलब कुल मिला कर बड़े वाले सेठ जी और उनके घर का नौकर दोनों मेरा स्वाद लेते हैं...
सड़क के किनारे किसी ठेले पर छोले और चटनी के साथ मेरा स्वाद लेते हुए नयी-नयी जॉब पर लगे हुए कूरियर कम्पनी के डिलीवरी बॉय के फ़ोन पर जब कॉल आती है और वो सामने से रिप्लाई करता है कि “मैं लंच कर रहा हूँ” तो क़सम से बहुत proud feel होता है.....बस यूं समझिये कि जहाँ कुछ भी खाने को नहीं मिलता वहां पर भी मैं यानी कि समोसा हमेशा प्राणरक्षक का काम करता हूँ।
जिस प्रकार मनुष्य के जीवन में मौत और दुकान में ग्राहक के आने का कोई निश्चित समय नहीं होता.... ठीक ऐसे ही मुझे खाने का भी कोई निश्चित समय नहीं है। ..आगरा, लखनऊ, बनारस, अलीगढ़, मथुरा में मुझे सुबह-सुबह नाश्ते में खाया जाता है.....देशभर की फ़ैक्टरियों, कम्पनियों की कैंटीन में तो मुझे दिन भर खाया जाता है.....स्कूल कॉलेजों की कैंटीन में मैं अनगिनत बनती-बिगड़ती प्रेम कहानियों का मैं गवाह बना हूँ..... इन कैंटीनों की कड़ाही में मेरा दिन भर उत्पादन होता ही रहता है !
लेबर को ओवरटाइम का पैसा भले ही बीस रुपए कम दे दो पर बीच में एक ब्रेक देकर चाय के साथ दो समोसा खिला दो फिर देखो कैसे लेंटर डलने का काम धांय धांय निपटता है।
दिल्ली में मुझे मैश किए हुए आलू से भरा जाता है तो पंजाब में कटे हुए चौकोर आलुओं से.....मुम्बई वाले मुझे पाव के बीच में रख कर “समोसा पाव” बना देते हैं और चेन्नई-बैंगलोर वाले मेरा रूप बदल कर प्याज़ की भरावन के साथ मेरे खोल को envelope की तरह चपटा आकार देते हुए बंद करते हैं और बिल्कुल क्रंची रखते हैं.....वहीं भारत के बाहर खाड़ी देशों में मुझमें कीमा भर कर मांसाहारी रूप भी दिया जाता है तो दूसरी ओर Haldiram's International वाले मुझे मटर समोसा, काजू समोसा, पनीर समोसा आदि जैसे अठरंगी वेरायटी में बनाते हैं।
देश भर में कहीं भी किसी स्कूल में निरीक्षक आ जाएँ, किसी कम्पनी में ऑडिटर आ जाएँ, दुकान पर कोई पुराना ग्राहक ख़रीदारी करने आ जाए तो चाय के साथ मेरा होना स्वाभाविक है......चाय के साथ चिप्स, बिस्किट, भुजिया कुछ भी हो पर अतिथि के लिए “अरे ! एक समोसा तो लीजिए” का आग्रह सम्बोधन एक सम्मान सूचक वाक्य माना जाता है।
भारत के राष्ट्रीय स्नैक की पदवी के लिए चाहे तो कोई सर्वे करवा लीजिए या वोटिंग, मेरा दावा है कि इस पदवी पर मेरा चुनाव होना 100% पक्का है......यह मैं नहीं कह रहा हूँ बल्कि विश्व भर में मेरे करोड़ों चाहने वाले कह रहे हैं !
आपका अपना समोसा.....
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