बुधवार, 29 जुलाई 2020

लोमड़ी से भी चालाक चीन


लोमड़ी से भी चालाक चीन -अभी नहीं तो फिर कभी नहीं https://suniljainrana.blogspot.com/
July 29, 2020 • सुनील जैन राना • राजनीति
अहंकारवादी ,विस्तारवादी ,साम्राज्यवादी चीन अपनी ताकत के गुमान में भारत समेत विश्व के कई बड़े देशों के साथ भी छलकपट कर रहा है। किसी की भूमि पर कब्जा जताना ,किसी को कर्ज के जाल में जकड़कर धीरे -धीरे उसपर कब्जा करना चीन की नीति का हिस्सा गया है। कोरोना वायरस पर चीन के झूठ  सम्पूर्ण विश्व त्रस्त है। 
भारत अकेला चीन का सामना नहीं कर सकता लेकिन मोदीजी के नेत्तृव में आज अमेरिका समेत विश्व के कई बड़े देश चीन की दग़ाबाज़ी से परेशान होकर संयुक्त रूप से भारत का साथ देने को तैयार हैं। यही नहीं अपने आधुनिकतम हथियार एवं लड़ाकू जहाज भी भारत को दे रहे हैं। गलवान घाटी में पिटने के बाद चीन भले ही शांति का दिखावा कर रहा हो पर चीन कब विश्वासघात कर बैठे कोई भरोसा नहीं। भारतीय व्यापार बंदिशों से बौखलायें चीन पर भरोसा करना कतई ठीक नहीं है। यही उचित समय है सभी देश मिलकर लोमड़ी से चालाक चीन से अपनी-अपनी भूमि मुक्त करायें और चीन का सामना कर उसे उसकी औकात दिखायें।
चीन के साथ मुठभेड़ में भारतीय सेना इतना जरूर करे की जानें -अनजानें कुछ बम नापाक की धरती की तरफ़ भी धकेल दे। भारत से दुश्मनी के कारण पाकिस्तान के नेता चीन को अपना ईमान -सामान सब बेच रहे हैं। नापाक नेता  अपनी आवाम की भलाई का धन एटम बमों में लगाया बताकर खुद खा जाते हैं और आवाम को महंगाई -बेइजत्ती से रहने को मज़बूर कर रहे हैं। जबकि उनके आधे अधूरे एटम बम किसी लायक नहीं हैं, यदि उनमें से एक भी चलाया तो वह वहीं फट जायेगा ,लेकिन फिर भी नापाक नेता अनर्गल बयानबाज़ी से बाज़ नहीं आ रहे। 
यही उचित समय है चीन विरोधी सभी देशों को मिलकर चीन को उसकी औकात बताने का। अभी नहीं तो फिर कभी नहीं।         *सुनील जैन राना *

शुक्रवार, 24 जुलाई 2020

बरसात का पानी धरती में जाये -पर कैसे ?


बरसात का पानी धरती जाये - पर कैसे? https://suniljainrana.blogspot.com/
July 24, 2020 • सुनील जैन राना • जनहित
बरसात के चार महीनें देश के कुछ राज्य बाढ़ की विभीषिका से त्रस्त हैं, ऐसा दशकों से होता रहा है। ऐसे में राज्य के खेत -खलिहान -सड़के -मकान -दुकान आदि सभी कुछ जलमग्न होकर व्यवस्था को तहस -नहस हो जाते हैं। इससे बचने के उपाय तो हैं लेकिन इच्छा शक्ति एवं धन की कमी के कारण योजनायें किर्यान्वत नहीं हो सकी। 
बरसात का पानी धरती में जाये पर कैसे ,इसके लिए बड़े पैमाने पर दृढ़ इच्छा शक्ति के साथ योजनायें बनाकर कार्य करने की जरूरत है। हिंदी पखवाड़े की तर्ज पर भूगर्भ जल सप्ताह  मनाकर बरसात का पानी धरती में नहीं भेजा जा सकता। सरकारी -गैसरकारी स्तर पर प्रत्येक नगर -शहर-कस्बे -गाँव आदि के स्कूलों ,सरकारी कार्यालयों ,अस्पतालों ,होटलों आदि में रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम बनवाने बहुत जरूरी हैं। इसी प्रकार खेत -बाग़ -जोहड़ -तालाब अदि में भी यह सिस्टम लगाया जाये। गली -मोहल्लो में बह रहा नालियों का पानी नालों में जाता है। यदि नालों के अंत में  यह सिस्टम लगा दिया जाये तो भी बरसात के अधिकांश पानी को बरबाद होने से बचाया जा सकता है। 
पानी का अंधाधुंध दोहन तो हो रहा लेकिन साथ ही पानी बचाने की सोच का भी दोहन हो गया है। यदि हम अभी भी सचेत नहीं हुए तो आने वाले समय में आज जहां भरपूर पानी है वहां भी पानी की किल्ल्त हो जायेगी। केंद्र /राज्य सरकारें मनरेगा का इस्तेमाल नहरें बनाने में कर नहरों के द्वारा ज्यादा पानी को कम पानी की जगह उपलब्ध करा सकती हैं। सरकार के साथ जनता में जागरूकता होनी बहुत जरूरी है। ऐसा सब हो जाये तभी बरसात का पानी धरती में जाये। तभी हमारी मातृभूमि सभी को वर्ष भर भरपूर पानी दे पायेगी।  * सुनील जैन राना *

शनिवार, 18 जुलाई 2020

कोरोना - एक अदृश्य भूत

कोरोना - एक अदृश्य भूत https://suniljainrana.blogspot.com/
July 18, 2020 • सुनील जैन राना • राजनीति

आधुनिक -भौतिक युग में कोई भूत की बात करे तो उसे अंधविश्वासी या मुर्ख करार दे दिया जायेगा। ठीक भी है लेकिन आज के वैज्ञानिक युग में आज भी अनेकों रहस्यों ,बीमारी -झाड़फूंक उपचार आदि की सत्यता को कोई झुठला नहीं सकता। पुराने जमाने में जैसे कहावत थी की वहां मत जाना वरना भूत चिपट जायेगा ठीक उसी प्रकार आज के नए जमाने में भी कहा जा रहा है की बाहर मत जाना वरना कोरोना हो जायेगा। अर्थात कोरोना एक ऐसे अदृश्य भूत समान कोई है जो न दिखाई देता है और न ही उसे किसी ने देखा है। जिस प्रकार पहले कहा जाता था की इसे भूत चिपट गया अब कहा जाता है की इसे कोरोना चिपट गया अर्थात हो गया। जो हो तो जाता है लेकिन दिखाई नहीं देता। 

चीन से लेकर भारत तक इस अदृश्य कोरोना ने लाखों लोगो को निगल लिया है। विश्व के सभी बड़े देश कोरोना की पहचान कर इसकी रोकथाम में लगे हैं लेकिन अभी तक सफलता नहीं मिली है। भारत में पतंजलि जैसी नामी आयुर्वेद कम्पनियों ने कोरोना रोकथाम का सस्ता -कारगर उपाय भी दिया है लेकिन शायद महंगा विदेशी उपचार  ही विश्व को मंजूर होगा। दुष्कर बात तो यह है की अभी तक कोरोना का कोई ईलाज नहीं लेकिन अस्पतालों में सबसे महंगा ईलाज हो रहा है कोरोना का। पता नहीं ईलाज के नाम पर क्या हो रहा है ?

मज़े  की बात यह भी है की अभी तक यह पता नहीं चला है की कोरोना किसको और क्यों हो रहा है ?भारत में लाखों कर्मचारी -मज़दूरो ने अपने घरो को भारी भीड़ में पलायन किया लेकिन उनमें से हज़ारो को भी कोरोना होने की बात सामने नहीं आयी। दूसरी तरफ अमिताभ बच्चन जैसे महानायक जो दुसरो को कोरोना से बचने के उपाय बताते रहे उन्हें खुद कोरोना ने लपक लिया। ऐसे ही अनेको छोटे -बड़े लोग जो कोरोना से बचाव में लगे थे खुद कोरोना की चपेट में आ गए। ऐसे में निष्कर्ष यह निकलता है की शारीरिक मेहनत करने वालों को जल्दी से कोरोना नहीं होता। इसलिए मेहनत करो ,इम्युनिटी बढ़ाओ ,घर का भोजन करो और स्वस्थ रहो।  * सुनील जैन राना *

बुधवार, 15 जुलाई 2020

यह कैसी कांग्रेस

यह कैसी कांग्रेस, जो डुबो रही खुद को https://suniljainrana.blogspot.com/
July 14, 2020 • सुनील जैन राना • राजनीति

विनाशकाले विपरीत बुद्धि नहीं बल्कि सत्ता जाए विपरीत बुद्धि। कभी जन -जन कांग्रेस आज एक परिवार तक सिमट कर रह गई है। ऐसा नहीं है की आज कांग्रेस में होनहारों की कमी है लेकिन आज गाँधी परिवार ने कांग्रेस को अपनी बपौती समझ लिया है।जो नेता कभी विरोध में कुछ बोला उसे ही बाहर का रास्ता दिखा दिया गया। इसी कारण एक-एक कर कोंग्रेसी नेता कांग्रेस से निकल रहे हैं।

जाने-माने अर्थशास्त्री मनमोहन सिंह दस साल पीएम रहे यदि उनके अनुसार देश चलता तो आज कांग्रेस भारत मुक्ति की ओर न होती। गाँधी परिवार ने उन्हें रोबोट की तरह कार्य करने दिया। ऐसे ही चापलूसी ने कांग्रेस को खो दिया। कांग्रेस के कई दिग्गज नेता गाँधी परिवार को ही अपना भगवान मानते हैं क्या ?मोतीलाल वोरा जैसे बुजुर्ग नेता  राहुल गाँधी के पैर छूते नज़र आते हैं। गाँधी परिवार आज भी बयान देता है लेकिन शायद सोशल मिडिया पर जनता के जबाब नहीं पढ़ता।  

राहुल गाँधी के नेत्तृव में कांग्रेस ३० से ज्यादा चुनाव हारी फिर भी अध्यक्ष पद पर किसी अन्य को देना मुनासिब नहीं समझते। कांग्रेस अध्यक्ष या तो माँ रहेगी या बेटा। इस समय देश कोरोना और चीन से संकट  घिरा है,ऐसे में सभी दलों को एकजुट होकर सरकार का साथ देना चाहिए लेकिन राहुल गाँधी सदैव आलोचना में लगे रहते हैं। पिछला इतिहास देंखे तो चीन और पाकिस्तान को खुद कांग्रेस ने सिर पर बैठाया था। आज पाकिस्तान की बोलती बंद कर दी गई है और चीन को उसी की भाषा में जबाब दिया जा रहा है। घोटालो से कांग्रेस-गाँधी परिवार का शायद पुराना रिश्ता है जिसके उजागर होने पर ही जनता ने कांग्रेस को नकार दिया है। इस पर भी राजीव गाँधी फाउंडेशन में चीन से दान या धन आने का पता चलना देश के लिए शर्मनाक ही है। गाँधी परिवार में सिर्फ तीन प्राणी तीनो अलग-अलग आलीशान सरकारी बंगलो में रहते हैं। क्या यह सत्ता का दुरूपयोग नहीं है ?

राहुल गाँधी अक्सर देश विरोधी ताकतों के साथ खड़े नज़र आते हैं।  JNU के टुकड़े गैंग का साथ उन्होंने दिया। उनकी कार्यशैली से सिंधिया -पायलट जैसे युवा होनहार नेता समेत अन्य कई कांग्रेस छोड़कर निकल रहे हैं। कांग्रेस मुक्त भारत खुद कांग्रेस ही कर रही है बीजेपी नहीं। देश  की जनता अब कांग्रेस को नकार चुकी है। अब जब  तक कांग्रेस गाँधी परिवार से बाहर नहीं निकलेगी तब तक कांग्रेस का वापस सत्ता में आना मुश्किल ही लगता है।   * सुनील जैन राना *



शुक्रवार, 10 जुलाई 2020

अपराध-अपराधी-संरक्षण-विधवा विलाप

अपराध-अपराधी-संरक्षण-विधवा विलाप https://suniljainrana.blogspot.com/
July 10, 2020 • सुनील जैन राना • राजनीति
अपराधी फ़रार हो गया ,अपराधी पकड़ा गया ,अपराधी मारा गया आदि ऐसे शब्द अक्सर समाचारों में पढ़े-सुने जाते रहे हैं। दर्जनों हत्या-लूटपाट-रंगदारी के मुकदमों से सुसज्जित विकास दुबे आख़िरकार मारा ही गया। आठ पुलिस वालो की हत्या में शरीक,फिर भी बेखौफ होकर सड़क के रास्ते कानपुर से १२०० किलोमीटर उज्जैन तक बैलोरो कार में  होकर रास्ते भर पुलिस की गहन चैकिंग को धता पिलाकर महाकाल के दर तक पहुँच गया। जबकि पुलिस की दर्जनों टीमें उसे तलाश करने में लगी थी। ऐसी हैं हमारी सुरक्षा प्रणाली। 
राजनीति में अपराधीकरण को अपनाकर रंक से राजा बने विकास दुबे के बड़े-बड़े सफ़ेदपोश लोगो ,पुलिस-प्रशासन से रोटी-बोटी का रिश्ता बनाकर कोर्ट-कचहरी आदि महकमों में भी इज्जत के साथ पहुँच रखता था। उसकी दबंगई और धन-बल से स्थानीय लोग ही नहीं बल्कि उपरोक्त सभी उसके आगे नतमस्तक रहते थे , इसी कारण दर्जनों वारदातों के बाद भी सज़ा न मिल सकी। 
लेकिन यमराज ने शायद उसके अहंकार भरे शब्द सुन लिये थे। बस फिर क्या था, विकास दुबे पुलिस के द्वारा मारा गया। अब विकास दुबे के एनकाउंटर के बाद पक्ष-विपक्ष के नेताओं का अनर्गल विलाप टीवी चैनलों पर शुरू हो गया है। इसमें शर्मनाक बात तो यह है की अधिकांश विपक्ष विधवा विलाप में लग गया है। इसे जिन्दा क्यों नहीं पकड़ा-इसे मार क्यों दिया?जिन्दा पकड़ा जाता तो कहते यह अपने धन-बल से छूट जायेगा,मार दिया तो कहते हैं की अपनों को बचाने हेतु मार डाला। ऐसे खुद से भ्र्ष्ट नेता कभी नहीं सुधरेंगे,हर कार्य की आलोचना करना ही इनका मुख्य कार्य है। 
राजनीति के समर्थन से अपराधीकरण पर कब लगाम लगेगी?कब तक बाहुबलियों के डर से बेबस पुलिस-प्रशासन एवं गवाह के मुकरने से संदेह का लाभ उठाकर अपराधी बचते रहेंगे?अक्सर यही होता रहा है,अपराधी अपराध कर खाकी -खादी का संरक्षण पाकर फ़रार हो जाता है। न्याय की चौखट पर पीड़ितों की संख्या बढ़ती जा रही है,उन्हें न्याय नहीं मिल रहा है। ऐसे में यदि दुर्दांत अपराधी एनकाउंटर में मार दिया जाता है तो विधवा विलाप नहीं करना चाहिए। बहुत शर्मनाक है ऐसे दुर्दांत अपराधियों के पक्ष में अनर्गल भाषा बोलना।  * सुनील जैन राना *

शनिवार, 4 जुलाई 2020

ऑनलाइन पढ़ाई - फ़ायदा कम ,नुकसान ज्यादा

ऑनलाइन पढ़ाई -फ़ायदा कम नुक्सान ज्यादा https://suniljainrana.blogspot.com/
July 4, 2020 • सुनील जैन राना • जनहित
भारत जैसे देश में जहां सभी बच्चों को स्कूल नसीब न होता हो, बड़े स्कूलों की महंगी पढ़ाई 5%बच्चों को भी नसीब न हो पाती हो, जहां मध्यम-छोटे स्कूलों की भरमार तो हो लेकिन उनमें शिक्षा की गुणवत्ता,शिक्षकों की गुणवत्ता ,बेसिक जरूरतें भी पूरी न हो पाती हों तो ऐसे में ऑनलाइन पढ़ाई का क्या ओचित्य रह जाता है? कभी किसी नें यह सर्वे भी नहीं किया होगा की कितने स्कूलों में कितने बच्चे ऑनलाइन पढ़ाई कर पा रहे हैं ?
मध्यम वर्ग जिसके पास स्मार्ट फोन -लैपटॉप -नेटवर्क नहीं होता वह क्या करेगा ?किसी के पास स्मार्ट फोन है लेकिन २ या ३ बच्चे हैं तो वह कैसे मैनेज करेगा ?अपना कार्य करेगा या बच्चों को पढ़ायेगा ,इतना डेटा कहाँ से लाएगा ?बड़े नगरों -शहरों में ही अभी नेटवर्क डाउन रहता है ऐसे में छोटे शहर -कस्बे -गाँव वाले कैसे बच्चों को पढ़ा पायेंगे ?
कोरोना कार्यकाल में रोजगार -व्यापार -कमाई के साधन कम हो गए ऐसे में ऑनलाइन पढ़ाई के अतिरिक्त खर्चे कैसे बर्दास्त होंगे ?स्कूलों की फ़ीस क्यों नहीं माफ़ की गई? इस पर भी ऑनलाइन पढ़ाई कराने वाली अनट्रेंड टीचर जो स्कूल में ही ढंग से नहीं पढ़ा पाती थी अब ऑनलाइन कैसे पढ़ा रही होंगी ,कभी यह सोचा है किसी ने ?बड़े स्कूलों -बड़े घर के बच्चों की बात छोड़ दे तो अन्य बच्चों में तो हीन भावना ही जन्म ले रही है। 
कभी किसी ने सोचा है की अधिकांश बच्चो की आँखे तो पहले से ही कमजोर रहती थी अब ऑनलाइन पढ़ाई से उनकी आँखों पर कितना जोर पड़ेगा ?मोबाईल पर कुछ घंटो की पढ़ाई ,फिर मोबाईल को बार -ंबार खोलकर देखकर होम वर्क पूरा करना। हम सभी अंदाजा लगा सकते हैं की इससे बच्चों की आँखों पर कितना जोर पड़ता होगा ?आने वाले समय में लगभग सभी बच्चों की आँखों पर चश्मा तो लगा ही होगा। आजकल के बच्चे मोबाईल पर ही लगे रहते हैं लेकिन मोबाईल देखना और मोबाईल से पढ़ने कार्य करने में बहुत अंतर् है। 
कोरोना महामारी तो समय के साथ खत्म हो ही जाएगी लेकिन साल -छ महीने की पढ़ाई कराकर बच्चों का भविष्य खराब मत करो। ऐसे में बच्चों की आँखे खराब हो गई तो उनके भविष्य पर असर पड़ेगा। जो बच्चे ऑनलाइन पढ़ाई नहीं कर पा रहे हैं उनमें हीन भावना जन्म ले रही है जो उनके भविष्य के लिए घातक हो सकती है। मध्यम वर्ग के अभिभावक दोहरी मार से मरे जा रहे हैं। फ़ीस माफ़ हो नहीं रही ऊपर से अतिरिक्त खर्चा कैसे बर्दास्त करें?इस पर सरकार को, स्कूल वालो को ,अभिभावकों को मंथन करना ही चाहिए। * सुनील जैन राना  *  सहारनपुर -२४७००१ 

बुधवार, 1 जुलाई 2020

देर से उठाया सही कदम

*देर से उठाया सही कदम* युद्ध में साम-दाम-दंड-भेद जरूरी* https://suniljainrana.blogspot.com/
June 30, 2020 • सुनील जैन राना • राजनीति
धोखेबाज़ चीन आज पूरी दुनिया में पाकिस्तान की तरह अपनी साख खो चुका है। जिस तरह आज विश्व में पाकिस्तान को आतंकी देश के रूप में देखा जाता है उसी प्रकार आज विश्व में चीन को झूठा -मक्कार -धोखेबाज़ -विश्वासघाती देश के रूप में देखा जाने लगा है। 
मोदीजी के कार्यकाल में आज विश्व  अधिकांश देशों से भारत  अच्छे संबन्ध हैं। मोदीजी ने पाकिस्तान और चीन से भी अच्छे संबन्ध रखने का भरपूर प्रयास किया लेकिन दोनों देश गद्दारी करने से बाज़ नहीं आये।कमजोर पाकिस्तान तो आज दुनिया में भीख का कटोरा लेकर इमदाद मांगने जाता है लेकिन कोई भी देश अब उसपर विश्वास ही नहीं करता। ताकतवर चीन आज अपनी  कार्य प्रणाली से विश्व के अधिकांश देशों से अछूता हो गया। दूसरे देशो की भूमियों पर कब्ज़ा करने की उसकी चाह अब उसी पर भारी पड़ रही है।  विश्व के अनेक बड़े देश आज चीन के खिलाफ हो गए हैं। 
लद्दाख की गलवान घाटी में चीन ने धोखे से २० भारतीय सैनिको की हत्या कर दी। हालाँकि भारतीय सैनिको ने भी चीनी सैनिको के छक्के छुड़ाकर कई दर्जन चीनी सैनिको को मार डाला। लेकिन उसके बाद भी चीन अपनी हरकतों से बाज़ नहीं आ रहा है। भारत भी अब पहले वाला भारत नहीं है। मोदीजी के नेत्तृव में अब चीन से आर -पार की लड़ाई लड़ी जा रही है। साम-दाम -दंड -भेद अपनाकर चीन से सभी मोर्चों पर सामना किया जा रहा है। 
हाल ही में मोदी सरकार ने ५९ चीनी एप्प पर पाबंदी लगा दी है। चीन से आयात होने वाली १२०० बस्तुओं पर लगाम लगाने की तैयारी की जा रही है। जरूरी सामान की आपूर्ति को मित्र देशों से बातचीत की जा रही है। चीन में लगी अन्य देशों की फैक्ट्रियों को भारत में लाने पर बातचीत चल रही है। हालाँकि यह सब आसान नहीं है फिर भी मोदी सरकार देश की सुरक्षा -संप्रभुता के लिए किसी भी हद तक जाने को तैयार है। शायद यह देर से उठाया सही कदम है। युद्ध के किसी भी हालातों से निपटने को सीमा पर भारतीय जवान आधुनिक हथियारों ,लड़ाकू जहाजों से लैस हैं। जरूरत पड़ने पर विश्व के कई बड़े देश भारत का साथ देने को तैयार हैं।  * सुनील जैन राना *

ध्वजारोहण

*UPSC इंटरव्यू में पूछा जाने वाला ऐसा सवाल जिसका उत्तर बहुत कम अभ्यर्थी दे पाते हैं-* स्वतंत्रता दिवस और गणतंत्र दिवस में झंडा फहराने में क...