शनिवार, 2 मई 2020

WHO नहीं - अब WHF https://suniljainrana.blogspot.com/
May 2, 2020 • सुनील जैन राना • राजनीति
WHO वर्ल्ड हैल्थ ऑर्गेनाइजेशन ने कोरोना महामारी पर अपने बयानों से खो दी है अपनी विश्वसनीयता। अमेरिका समेत विश्व के अधिकांश देशों ने WHO पर आरोप लगाया है की चीन के दबाब में कोरोना वायरस के लीक होने की जानकारी को छुपाया है। अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रम्प एक बार फिर जोर देकर कहा है की दुनिया भर में दहशत फैला रहा कोरोना वायरस चीन की लैब में ही बना है। ट्रम्प ने यह भी कहा की इस मामले में WHO की भूमिका संदिग्ध है ,इसकी जांच होनी ही चाहिए। यहां तक की ट्रम्प ने WHO को शर्मनाक बताते हुए इसे चीन की पीआर एजेंसी तक बता डाला। इसी कारण ट्रम्प ने WHO को दी जाने वाली राशि पर रोक लगा दी है वहीं चीन ने WHO को ३करोड़ डॉलर की राशि आवंटित कर दी है। चीन इससे पहले भी WHO को २ करोड़ डॉलर दे चुका है जिससे लगता है WHO चीन के दबाब में कार्य कर रहा है। 
कोरोना वायरस महामारी से लड़ाई में विश्व के अन्य देशों के मुकाबले भारत अगुआ बनकर सामने आया है। मोदीजी के नेत्तृव में कोरोना से लड़ने को दवाईयां और अन्य जरूरी चिकित्सा सामग्री अपने देश की पूर्ति को पूर्ण करते हुए विश्व के अनेक देशों को भी भेजी है। जिस कारण आज विश्व भर में भारत का नाम बुलन्द हो रहा है। ऐसे में कोई आश्चर्य की बात नहीं है की आगामी समय में वर्ल्ड हैल्थ की जिम्मेदारी निष्पक्ष रूप से भारत के हाथों में आ जाये। हो सकता है की आगामी समय में WHO बन जाये WHF यानी  वर्ल्ड हैल्थ फ़ोरम।  
यदि ऐसा होता है तो आने समय में मोदीजी ने जिस प्रकार भारतीय योग को विश्व भर में पहचान दी उसी प्रकार एलोपैथी के साथ -साथ भारत की प्राचीन चिकित्सा पद्द्यति * आयुर्वेद  * को भी विश्व भर में नई पहचान मिल सकती है।आज भारत में कोरोना से लड़ने को आयुर्वेदिक नुख्शों का भी सफल प्रयोग हो रहा है।मोदीजी के नेत्तृव में भारत सरकार कोविड -19 से पार पाने को सिर्फ भारत ही नहीं बल्कि सम्पूर्ण विश्व समुदाय की मदद में लगी है।  *सुनील जैन राना *

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