पशु उत्पीड़न
----------------
मांसाहार का प्रचलन तो बढ़ ही रहा है जिसमे पशु -पक्षियों का वध किया जाता है लेकिन हम शाकाहारी लोग भी रोजमर्रा में घटित पशु क्रूरता पर ध्यान नहीं देते। खुद भी देखभाल नहीं चलते जिसके कारण न जाने कितने जीव मरे पैरों तले आकर मर जाते होंगे।
बोझा ढोने वाले पशुओ की पीड़ा हम सोच भी नहीं सकते। कितना शारीरिक दुःख सहते हैं ऐसे जानवर। बहुत कम पशु मालिक अपने बोझा ढोने वाले पशु की समुचित देखभाल करते हैं। उनकी बेल्ट बाँधने की जगह जख्म हो जाते हैं ,उनके नथुनों में रस्सी पिरो दी जाती है ,पैरो में नाल जकड़ दी जाती है।
फिर उनपर बेहताशा बोझा लादकर हंटर स पीटा जाता है। समय पर दाना -पानी नहीं दिया जाता। जख्मो पर मलहम नहीं लगाया जाता। यह सब हम जब सड़क के किनारे पशु चिकित्सा शिविर लगाते है तब देखते हैं।
यही नहीं बल्कि टूटे पैर वाले घोड़े तक जुते मिल जाते हैं।
देश भर में पशु क्रूरता विभाग बना है लेकिन सिर्फ नामचारे को। काश सरकार इस विषय में चिंतन करे।
सुनील जैन राना (संयोजक )श्री दया सिंधु जीव रक्षा केंद्र ,चिलकाना रोड ,सहारनपुर -247001 (उत्तर प्रदेश )
https://www.facebook.com/jeevrakshakendra
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें