जानबूझ कर सड़ाते हैं गेहूं ?
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आज ही व्हाट्सएप पर एक वीडियो आया जिसे मैंने अपनी फेसबुक पर पोस्ट कर दिया। वीडियो किसी एफ सी आई के अनाज भंडारण का है। जिसमे खुले में अनाज रखा है लेकिन तिरपाल से ढ़ककर। बारिस आते ही एक व्यक्ति किसी के आदेश पर अनाज की बोरियो पर चढ़कर अनाज पर से तिरपाल उतार रहा है। इसका मतलब साफ़ है की तिरपाल जानबूझकर उतरवाई जा रही है ताकि अनाज भीग जाये। वीडियो कहां की है यह पता नहीं।लेकिन यह सहारनपुर के लोकल पत्रकारों के ग्रुप पर पोस्ट हुई है।
इस वीडियो की छानबीन होना बहुत जरूरी है ताकि पता चल सके की यह किस जगह ऐसा हुआ है। मै भी इसे ट्विटर पर कई जगह पोस्ट करूंगा। वैसे तो ऐसा होना कोई नई बात नहीं है। पहले भी ऐसा देखने में आता रहा है। सरकारी गोदामों में अनाज की खरीद में घटतौली और हल्की क्वालिटी एवं अन्य जालसाज़ी को छुपाने के लिए संबंधित अनाज को बरसात में खुले में जानबूझकर भीगने को छोड़ दिया जाता है। ऐसा करने से सारी जांच खत्म ही हो जाती हैं। ततपश्चात भीगा हुआ गेंहू शराब -बियर बनाने वाली कम्पनियों को पूर्ण मिलीभगत से बेचा जाता है। कई बार ऐसा भी होता होगा की बेचने के बावजूद गेहूं सड़ जाने का बहाना लेकर उठवाई के भी बिल बनते होंगे।
अब इस वाकये को गरीब जनता की दृष्टि से देंखे तो यह सीधा -सीधा देश द्रोह जैसा मामला है। सरकार को किसानो से तय मूल्य पर निश्चित मात्रा में अनाज आदि खरीदना ही होता है। देश में भंडारण की कमी पहले से ही है इसलिए कुछ अनाज खुले में भी रखना ही पड़ता है। ऐसे में कुछ राक्षस प्रवृति के अधिकारी लोग जिनका पेट लाखों रूपये की सेलरी से नहीं भरता वे ऐसे कार्यो को मिलीभगत से करते होंगे। अब सरकार को यह सब देखने के बाद ऐसे अधिकारियों का पेट जेल की रोटी से भरना चाहिए। http://suniljainrana.blogspot.in/
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