वाह रे राजनीति
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आज के दौर में राजनीति का विकृत चेहरा उजागर
हो रहा है। समय और सुविधाओं के साथ राजनीति
के मापदण्ड भी बदल रहे हैं।
वैसे तो यह कोई नई बात नही है। दलबदल तो हमेशा
से होता आया है। सभी दलों के लिए दलबदल कर
आया नेता चाहे दागी हो या बागी हो ,कोई बात नही
बस उसमे सीट जीतना की योग्यता होनी चाहिए।
अभी देश के पाँच राजयो में चुनाव होने हैं। सभी
दलों के नेतागण अपना पूरा जोर लगा रहे हैं। सभी
का उद्देश्य जीतकर कुर्सी हासिल करना है। इसके लिए
साम -दाम ,दण्ड -भेद की नीति अपनाने से कोई
गुरेज दिखाई नही दे रहा है।
चिन्तक ---सुनील जैन राना
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