सोमवार, 26 मई 2025

नेहरू जी की पत्नी

जवाहरलाल नेहरु ने अपनी पत्नी के साथ जो किया वो इतना भयावह था कि जान कर आप नेहरु से नफरत करने लगेंगे..
टीवी चैनल्स पर कांग्रेस पार्टी के नेताओं के द्वारा अक्सर ये आरोप लगाते हुए सुना जाता है कि प्रधानमंत्री मोदी ने अपनी पत्नी को छोड़ दिया।
लेकिन क्या आप को यह पता है जवाहरलाल नेहरु ने अपनी पत्नी के साथ क्या किया?
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जवाहरलाल नेहरु की पत्नी कमला नेहरु को टीबी रोग हो गया था... उस जमाने में टीबी की दहशत ठीक ऐसा ही थी जैसे आज एड्स की है... क्योंकि तब टीबी का इलाज नहीं था और इन्सान तिल तिल... तड़प तड़प कर पूरी तरह गलकर हड्डी का ढाँचा बनकर मरता था… और कोई भी टीबी मरीज के पास भी नहीं जाता था क्योंकि टीबी साँस से फैलती थी… लोग मरीजों को पहाड़ी इलाके में बने टीबी सेनिटोरियम में भर्ती कर देते थे...

नेहरु ने अपनी पत्नी को युगोस्लाविया [आज चेक रिपब्लिक] के प्राग शहर में दूसरे इन्सान के साथ सेनिटोरियम में भर्ती कर दिया...

कमला नेहरु पूरे दस सालों तक अकेले टीबी सेनिटोरियम में पल पल मौत का इंतजार करती रही... लेकिन नेहरु दिल्ली में एडविना बेंटन के साथ इश्क करते रहे... सबसे शर्मनाक बात तो ये है कि इस दौरान नेहरु कई बार ब्रिटेन गये लेकिन एक बार भी उन्होंने प्राग जाकर अपनी धर्मपत्नी का हालचाल नहीं लिया...

नेताजी सुभाषचन्द्र बोस को जब पता चला तब वो प्राग गये... और डाक्टरों से और अच्छे इलाज के बारे में बातचीत की... प्राग के डाक्टरों ने बोला कि स्विट्जरलैंड के बुसान शहर में एक आधुनिक टीबी हास्पिटल है जहाँ इनका अच्छा इलाज हो सकता है...

तुरंत ही नेताजी सुभाषचंद्र बोस ने उस जमाने में 70 हजार रूपये इकट्ठे किये और उन्हें विमान से स्विटजरलैंड के बुसान शहर में हास्पिटल में भर्ती किया...

लेकिन कमला नेहरु असल में मन से बेहद टूट चुकी थीं... उन्हें इस बात का दुःख था कि उनका पति उनके पास पिछले दस सालों से एक बार भी हालचाल लेने तक नहीं आया और गैर लोग उनकी देखभाल कर रहे हैं... दो महीनों तक बुसान में भर्ती रहने के बाद 28 फरवरी 1936 को बुसान में ही कमला नेहरु की मौत हो गयी...

उनके मौत के दस दिन पहले ही नेताजी सुभाषचन्द्र ने नेहरु को तार भेजकर तुरंत बुसान आने को कहा था... लेकिन नेहरु नहीं आये... फिर नेहरु को उनकी पत्नी की मौत की खबर भेजी गयी... फिर भी नेहरु अपनी पत्नी के अंतिम संस्कार में भी नहीं आये...

अंत में स्विटजरलैंड के बुसान शहर में ही नेताजी सुभाषचंद्र बोस ने नेहरु की पत्नी कमला नेहरु का अंतिम संस्कार करवाया। जिस व्यक्ति ने अपनी पत्नी के साथ ऐसा व्यवहार किया उसे हम चाचा नेहरू कहते हैं।

शुक्रवार, 23 मई 2025

अज़ीनमोटो धीमा ज़हर

अजीनोमोटो क्या है??👇👇👇
अजीनोमोटो को हम इसके रासायनिक नाम मोनो सोडियम ग्लूटामेट के नाम से भी जानते है।

इसका इस्तेमाल ज्यादातर चीन की खाद्य पदार्थो में 
खाने के स्वाद को बढ़ाने के लिए किया जाता है. ..
पहले हम अधिकांशतः घर पर बने खाने को खाते थे, 
लेकिन अब लोग चिप्स, पिज्ज़ा, मोमोज,अंडा रोल, मैगी और भी अनेकों फास्ट फूड खाने को ज्यादा पसंद करने लगे है,जो कि इनमें अजीनोमोटो का भरपूर इस्तेमाल किया जाता है,

इनमें भी अजीनोमोटो का इस्तेमाल होता है. 
इसका इस्तेमाल कई डिब्बाबंद फ़ास्ट फ़ूड सोया सॉस, टोमेटो सॉस, संरक्षित मछली जैसे सभी संरक्षित खाद्य उत्पादों में किया जाता है।

अजीनोमोटो को पहली बार 1909 में जापानी जैव रसायनज्ञ किकुनाए इकेडा के द्वारा खोजा गया था. 
उन्होने इसके स्वाद को मामी के रूप में पहचाना जिसका अर्थ होता है,सुखद स्वाद

कई जापानी सूप में इसका इस्तेमाल होता है. 
इसका स्वाद थोडा नमक के जैसा होता है. देखने में यह चमकीले छोटे क्रिस्टल के जैसा होता है. 
इसमें प्राकृतिक रूप से एमिनो एसिड पाया जाता है,किन्तु
आज दुनिया के हर कुक खाने में स्वाद को बढ़ाने के लिए इसका इस्तेमाल करते है, अजीनोमोटो का इस्तेमाल असुरक्षित माना गया है, इसका इस्तेमाल पहले चीन की रसोई में होता था, 
लेकिन अब ये धीरे धीरे हमारे भी घरों की रसोई में अपना पैठ बना चुका है,अपने समय को बचाने के लिए जो हम 2 मिनट में नुडल्स को तैयार कर ग्रहण करते है इस तरह के अधिकांशतः खाद्य पदार्थो में यह पाया जाता है जो धीरे धीरे हमारे शरीर को नुकसान पहुंचाते है।

यह एक प्रकार से नशे की लत जैसा होता है अगर आप एक बार अजीनोमोटो युक्त भोजन को ग्रहण कर लेते है, 
आप उस भोजन को नियमित खाने की इच्छा रखने लगेंगे. ..इसके सेवन से शरीर में इन्सुलिन की मात्रा बढ़ जाती है जब आप अजीनोमोटो मिले पदार्थो का सेवन करते है, तो रक्त में ग्लूटामेट का स्तर बढ़ जाता है. जिस की वजह से इसका शरीर पर गंभीर प्रभाव पड़ता है।

अजीनोमोटो को एक धीमा हत्यारा🔥 भी कहा जा सकता है,यह 
आँखों की रेटिना को नुकसान पहुंचाता है साथ ही यह थायराईड और कैंसर जैसे रोगों के लक्षण पैदा कर सकता है।
  
अजीनोमोटो से युक्त खाद्य पदार्थो का अगर नियमित सेवन किया जाये तो यह माइग्रेन पैदा कर सकता है जिसको हम अधकपाली भी कहते है, 
इस बीमारी में आधे सिर में हल्का हल्का दर्द होते रहता अजीनोमोटो के अधिक सेवन से मोटापे के बढ़ने का खतरा हमेशा बना रहता है हमारे शरीर में मौजूद लेप्टिन हॉर्मोन, 
हमे भोजन के अधिक सेवन को रोकने के लिए हमारे मस्तिष्क को संकेत देते है।
 
अजीनोमोटो के सेवन से हम ज्यादा भोजन कर जल्द ही मोटापे से ग्रस्त हो सकते है, और कई गम्भीर बिमारी से भी ग्रस्त हो सकतें हैं।

ध्यान दीजिए 👉फास्ट फूड के तो सभी दीवाने हैं ही लेकिन बाजार से नहीं बल्कि अपने घर पर देशी तरीके से बनाकर खायें।
साभार  फेसबुक 
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गुरुवार, 22 मई 2025

गुरुकुल कैसे बंद हुए?

*इंग्लैंड में पहला स्कूल 1811 में खुला उस समय भारत में 7,32,000 गुरुकुल थे, आइए जानते हैं हमारे गुरुकुल कैसे बन्द हुए।*

*हमारे सनातन संस्कृति परम्परा के गुरुकुल में क्या क्या पढाई होती थी, ये जान लेना पहले जरूरी है।*

01 *अग्नि विद्या* (Metallurgy) 
02 *वायु विद्या* (Flight) 
03 *जल विद्या* (Navigation) 
04 *अंतरिक्ष विद्या* (Space Science) 
05 *पृथ्वी विद्या* (Environment) 
06 *सूर्य विद्या* (Solar Study) 
07 *चन्द्र व लोक विद्या* (Lunar Study) 
08 *मेघ विद्या* (Weather Forecast) 
09 *पदार्थ विद्युत विद्या* (Battery) 
10 *सौर ऊर्जा विद्या* (Solar Energy) 
11 *दिन रात्रि विद्या* 
12 *सृष्टि विद्या* (Space Research) 
13 *खगोल विद्या* (Astronomy) 
14 *भूगोल विद्या* (Geography) 
15 *काल विद्या* (Time) 
16 *भूगर्भ विद्या* (Geology Mining) 
17 *रत्न व धातु विद्या* (Gems & Metals) 
18 *आकर्षण विद्या* (Gravity) 
19 *प्रकाश विद्या* (Solar Energy) 
20 *तार विद्या* (Communication) 
21 *विमान विद्या* (Plane) 
22 *जलयान विद्या* (Water Vessels) 
23 *अग्नेय अस्त्र विद्या* (Arms & Ammunition) 
24 *जीव जंतु विज्ञान विद्या* (Zoology Botany) 
25 *यज्ञ विद्या* (Material Sic) 

*ये तो बात हुई वैज्ञानिक विद्याओं की, अब बात करते हैं व्यावसायिक और तकनीकी विद्या की।*

26 *वाणिज्य* (Commerce) 
27 *कृषि* (Agriculture) 
28 *पशुपालन* (Animal Husbandry) 
29 *पक्षिपलन* (Bird Keeping) 
30 *पशु प्रशिक्षण* (Animal Training) 
31 *यान यन्त्रकार* (Mechanics) 
32 *रथकार* (Vehicle Designing) 
33 *रतन्कार* (Gems) 
34 *सुवर्णकार* (Jewellery Designing) 
35 *वस्त्रकार* (Textile) 
36 *कुम्भकार* (Pottery) 
37 *लोहकार* (Metallurgy) 
38 *तक्षक* 
39 *रंगसाज* (Dying) 
40 *खटवाकर* 
41 *रज्जुकर* (Logistics) 
42 *वास्तुकार* (Architect) 
43 *पाकविद्या* (Cooking) 
44 *सारथ्य* (Driving) 
45 *नदी प्रबन्धक* (Water Management) 
46 *सुचिकार* (Data Entry) 
47 *गोशाला प्रबन्धक* (Animal Husbandry) 
48 *उद्यान पाल* (Horticulture) 
49 *वन पाल* (Forestry) 
50 *नापित* (Paramedical)

*जिस देश के गुरुकुल इतने समृद्ध हों उस देश को आखिर कैसे गुलाम बनाया गया होगा ?*

*मैकाले का स्पष्ट कहना था कि भारत को हमेशा-हमेशा के लिए अगर गुलाम बनाना है तो इसकी “देशी और सांस्कृतिक शिक्षा व्यवस्था” को पूरी तरह से ध्वस्त करना होगा और उसकी जगह “अंग्रेजी शिक्षा व्यवस्था” लानी होगी और तभी इस देश में शरीर से हिन्दुस्तानी लेकिन दिमाग से अंग्रेज पैदा होंगे और जब इस देश की यूनिवर्सिटी से निकलेंगे तो हमारे हित में काम करेंगे।*
*1850 तक इस देश में “7 लाख 32 हजार” गुरुकुल हुआ करते थे और उस समय इस देश में गाँव थे “7 लाख 50 हजार” मतलब हर गाँव में औसतन एक गुरुकुल और ये जो गुरुकुल होते थे वो सब के सब आज की भाषा में ‘Higher Learning Institute’ हुआ करते थे। उन सबमें 18 विषय पढ़ाए जाते थे और ये गुरुकुल समाज के लोग मिलके चलाते थे न कि राजा, महाराजा।*
*अंग्रेजों का एक अधिकारी था G.W. Luther और दूसरा था Thomas Munro ! दोनों ने अलग अलग इलाकों का अलग-अलग समय सर्वे किया था। Luther, जिसने उत्तर भारत का सर्वे किया था, उसने लिखा है कि यहाँ 97% साक्षरता है और Munro, जिसने दक्षिण भारत का सर्वे किया था, उसने लिखा कि यहाँ तो 100% साक्षरता है।*
*मैकाले एक मुहावरा इस्तेमाल कर रहा है–*
*“कि जैसे किसी खेत में कोई फसल लगाने के पहले उसे पूरी तरह जोत दिया जाता है वैसे ही इसे जोतना होगा और अंग्रेजी शिक्षा व्यवस्था लानी होगी।”*

*इस लिए उसने सबसे पहले गुरुकुलों को गैरकानूनी घोषित किया। जब गुरुकुल गैरकानूनी हो गए तो उनको मिलने वाली सहायता जो समाज की तरफ से होती थी वो गैरकानूनी हो गयी, फिर संस्कृत को गैरकानूनी घोषित किया और इस देश के गुरुकुलों को घूम घूम कर ख़त्म कर दिया, उनमें आग लगा दी, उसमें पढ़ाने वाले गुरुओं को उसने मारा-पीटा, जेल में डाला।*

*गुरुकुलों में शिक्षा निःशुल्क दी जाती थी। इस तरह से सारे गुरुकुलों को ख़त्म किया गया और फिर अंग्रेजी शिक्षा को कानूनी घोषित किया गया और कलकत्ता में पहला कॉन्वेंट स्कूल खोला गया। उस समय इसे ‘फ्री स्कूल’ कहा जाता था। इसी कानून के तहत भारत में कलकत्ता यूनिवर्सिटी बनाई गयी, बम्बई यूनिवर्सिटी बनाई गयी, मद्रास यूनिवर्सिटी बनाई गयी, ये तीनों गुलामी ज़माने के यूनिवर्सिटी आज भी देश में मौजूद हैं।*

*मैकाले ने अपने पिता को एक चिट्ठी लिखी थी बहुत मशहूर चिट्ठी है वो, उसमें वो लिखता है कि-*

*“इन कॉन्वेंट स्कूलों से ऐसे बच्चे निकलेंगे जो देखने में तो भारतीय होंगे लेकिन दिमाग से अंग्रेज होंगे और इन्हें अपने देश के बारे में कुछ पता नहीं होगा। इनको अपने संस्कृति के बारे में कुछ पता नहीं होगा, इनको अपनी परम्पराओं के बारे में कुछ पता नहीं होगा, इनको अपने मुहावरे नहीं मालूम होंगे, जब ऐसे बच्चे होंगे इस देश में तो अंग्रेज भले ही चले जाएँ इस देश से अंग्रेजियत नहीं जाएगी।”*

*उस समय लिखी चिट्ठी की सच्चाई इस देश में अब साफ साफ दिखाई दे रही है और उस एक्ट की महिमा देखिये कि हमें अपनी भाषा बोलने में शर्म आती है, जबकि अंग्रेजी में बोलते हैं कि दूसरों पर रोब पड़ेगा, हम तो खुद में हीन हो गए हैं जिसे अपनी भाषा बोलने में शर्म आ रही है, उस देश का कैसे कल्याण संभव है ?*

*हमारी पुरानी शिक्षा पद्धति बहुत ही समृद्ध और विशाल थी और यही कारण था कि हम विश्वगुरु थे। हमारी शिक्षा पद्धति से पैसे कमाने वाले मशीन पैदा नहीं होते थे बल्कि मानवता के कल्याण हेतु अच्छे और विद्वान इंसान पैदा होते थे। आज तो जो बहुत पढ़ा लिखा है वही सबसे अधिक भ्रष्ट है, वही सबसे बड़ा चोर है।*

*हमने अपना इतिहास गवां दिया है। क्योंकि अंग्रेज हमसे हमारी पहचान छीनने में सफल हुए। उन्होंने हमारी शिक्षा पद्धति को बर्बाद कर के हमें अपनी संस्कृति, मूल धर्म, ज्ञान और समृद्धि से अलग कर दिया।*

*आज जो स्कूलों और कॉलेजों का हाल है वो क्या ही लिखा जाए ! हम न जाने ऐसे लोग कैसे पैदा कर रहें हैं जिनमें जिम्मेवारी का कोई एहसास नहीं है। जिन्हें सिर्फ़ पद और पैसों से प्यार है। हम इतने असफल कैसे होते जा रहें हैं ?*

*किसी भी समाज की स्थिति का अनुमान वहां के शैक्षणिक संस्थानों की स्थिति से लगाया जा सकता है। आज हम इसमें बहुत असफल हैं। हमने स्कूल और कॉलेज तो बना लिए लेकिन जिस उद्देश्य के लिए इसका निर्माण हुआ उसकी पूर्ति के योग्य इंसान और सिस्टम नहीं बना पाए।*

*जब आप अपने देश का इतिहास पढ़ेंगे तो आप गर्व भी महसूस करेंगे और रोएंगे भी क्योंकि आपने जो गवां दिया है वो पैसों रुपयों से नहीं खरीदा जा सकता।*

*हमें एक बड़े पुनर्जागरण की जरूरत है। सरकारें आएंगी जाएंगी, इनसे बहुत उम्मीद करना बेवकूफी होगी, जनता जब तक नहीं जागती हम अपनी विरासत को कभी पुनः हासिल नहीं कर पाएंगे।*
*जागना होगा और कोई विकल्प नहीं।*

*🙏🙏*રજૂ કર્તા ડાહ્યાભાઈ પ્રેમચંદનગર

सच्चों की मदद करनी चाहिए

रविवार, 18 मई 2025

पाकिस्तान की नियति

पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शाहबाज़ मंत्री बनने से पहले केजरीवाल की तरह कमीज पहनकर जनता के सामने बहुत सारे माइक लगे रहते थे मंच पर तब शाहबाज़ खूब आक्रोश में आकर कहते थे आवाम के लिए हम अपने कपड़े बेचकर उनके लिए रोटी की कमी नहीं होने देंगे। और आक्रोश में माइको को भी हाथ से नीचे गिरा देने का ड्रामा भी करते थे।

आज भी शाहबाज़ रोज नये सूट पहनकर दर्शन देते हैँ। आवाम आज भी महंगाई से तृस्ट है। ऊपर से भारत के हमले नें पाकिस्तान की कमर तोड़ दी है, लेकिन इन नेताओं, मंत्रियों को कोई चिंता नहीं। ये आज भी अपने देश की आवाम को झूठ बोलकर बता रहें हैं की हमने भारत को नेस्तनाबूद कर दिया। 
झूठ की बुनियाद पर बना पाकिस्तान तब से लेकर अब तक सिर्फ भारत के विरुद्ध अपनी आवाम को भड़काने में लगा रहा। अपने देश की उनत्ति के बारे में कभी नहीं सोचा। देश की जनता की भलाई का धन नेतागण, मन्त्रीगण, और सेना के अधिकारी खाते रहें और मालामाल होते रहें। यही पाकिस्तान की नियति है।

शुक्रवार, 16 मई 2025

राहुल गाँधी उवाच

दलितों को समझना चाहिए की कौन उनका हितैषी है। राहुल गाँधी को खुद अपनी जात पता नहीं और जातीय जनगणना कराने की बात करते हैं। बिहार में ज़ब जातीय जनगणना हुई तब ये सरकार में भागीदार थे। अब कोई इनसे पूछें की बिहार में जातीय जनगणना से किसको फायदा हुआ तो ये जबाब नहीं दे पायेंगे। 
अम्बेडकर की फोटो लहराकर राहुल गाँधी क्या बताना चाह रहें हैँ। इनके साथ जुटी भीड़ भले ही दलितों की हो लेकिन उन्हें भी पता नहीं होगा की उनके भगवान अम्बेडकर को कांग्रेस नें कितना अपमानित किया था। यहां तक की चुनावों में भी जानबूझकर अम्बेडकर को हरवा दिया था। अब उसी कांग्रेस के नेता राहुल गाँधी को तो बस हल्ला मचाने का कोई भी मुद्दा चाहिए। उससे क्या लाभ - हानि होगी इन्हें पता नहीं होता।

नेताओं के साथ जुटी भीड़, भीड़ ही होती है, उस भीड़ को पता नहीं होता की उन्हें क्यों इकट्ठा किया गया है। उनके क्या मुद्दे हैं? बस नेताबको देखा इकठे हो गये। अक्सर ऐसा ही होता है की या तो धन देकर भीड़ इकठ्ठा की जाती है या किसी बड़े नेता के नाम पर लोग इकठ्ठा होते हैं।
                   सुनील जैन राना

गुरुवार, 8 मई 2025

बदला हुआ पूरा

ऑपरेशन सिंदूर 
पहलगांव आतंकी हमले का बदला ऑपरेशन सिंदूर से ले लिया गया है। 25 मिनट में आतंकियों के 9 ठिकाने ध्वस्त  कर लगभग 100 आतंकियों को निपटा दिया गया है।
देश की जनता यही चाहती थी। महिलाओं का सुहाग उजाड़ने वालों को  महिलाओ नें ही सज़ा दी है। कर्नल सोफिया कुरैशी, विंग कमान्दर व्योमिका सिँह के पराक्रम नें आतंकियों के छक्के छुड़ा दिए। मौत बाँटने वाला खुद की मौत न होने पर रोया। जैश ऐ मोहम्मद का सरगना मसूद अज़हर के खानदान के नौ लोग मारे जाने पर मसूद रोकर बोला मुझे भी मौत मिल जाती तो अच्छा था.।

भारतीय हमले के बाद पाकिस्तानी सेना नें अंधाधुंध कश्मीर के राजोरी, पुंछ, उड़ी आदि जगहों में गोलाबारी की जिसमें 54 लोग घायल हो गये, 4बच्चों सहित 12 नागरिक मारे गये।

मोदीजी के नेत्तरव में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, अजित डोभाल, जल, थल ,  नभ तीनो अंगों के पराक्रमी योद्धा सभी नें देश की आन - बान -शान को बचाये रखा।

रविवार, 4 मई 2025

डर डर कर मर

रात -दिन युद्ध का डर 
पाकिस्तान तो ऐसे ही डर -डर कर मर जायेगा। रात दिन युद्ध का डर, मोर्चा संभाले पाक सैनिक ऐसे ही पस्त हो जायेंगे। अब बम गिरा, अब बम गिरा के चक्कर में बदहवास से हो जायेंगे।

बिना युद्ध के ही मर रहा पाकिस्तान। चारों तरफ से अर्थव्यवस्था पर मार। आवाजाही बंद, आयात -निर्यात बंद, मेल - पार्षल बंद। बंदरगाहो पर पाकिस्तानी जहाज की एंट्री बंद। सिंधु जल समझौता कैंसिल, एयरो स्पेस बंद।

सिर्फ यही नहीं, इंस्टाग्राम की मालिकाना कम्पनी मेटा नें भारत के कहने पर अनेक सेलिब्रेटयो के अकॉउंट बंद कर दिए जो भारत विरोधी एजेंडा चलाते थे। इनमें से कुछ पाकिस्तान के कलाकार, नेतागण और क्रिकेटर हैं। बाबर आज़म, मोहमद रिज़वान, शहीद अफरीदी, इमाम उल हक़ जैसे नामी क्रिकेटर शामिल हैं।

पाकिस्तान का मिडिया जो भारतीय मुस्लिमो एवं विपक्षी नेताओं को यह समझता था की हमारा साथ देंगे लेकिन इन सभी नें पाकिस्तान को यह जता दिया है की हम भारत के साथ हैं। अब तो पाकिस्तान की हालत बिना युद्ध के ही पस्त होती दिखाई दे रही है।
           सुनील जैन राना

शुक्रवार, 2 मई 2025

पुरानी परम्पराएं

परंपरा कैसे जन्म लेती है..❓😄

एक कैम्प में नए कमांडर की पोस्टिंग हुई....
इंस्पेक्शन के दौरान उन्होंने देखा कि कैम्प एरिया के मैदान में दो सिपाही एक बैंच की पहरेदारी कर रहे हैं...😄

कमांडर ने सिपाहियों से पूछा कि वे इस बैंच की पहरेदारी क्यों कर रहे हैं ? 

सिपाही बोले:- हमें पता नहीं सर, लेकिन आपसे पहले वाले कमांडर साहब ने इस बैंच की पहरेदारी करने को कहा था... 😄
शायद ये इस कैम्प की परंपरा है क्योंकि...
शिफ्ट के हिसाब से चौबीसों घंटे इस बैंच की पहरेदारी की जाती है...😄

वर्तमान कमांडर ने पिछले कमांडर को फोन किया और उस विशेष बैंच की पहरेदारी की वजह पूछी..? 😎

पिछले कमांडर ने बताया:- मुझे नहीं पता, लेकिन मुझसे पिछले कमांडर उस बैंच की पहरेदारी करवाते थे...
अतः मैंने भी परंपरा को कायम रखा...😄

नए कमांडर बहुत हैरान हुए...😎
उन्होंने पिछले के और पिछले-पिछले 3 कमांडरों से बात की...😎
सबने उपरोक्त कमांडर जैसा ही जवाब दिया...😎
यूं ही पीछे के इतिहास में जाते नए कमांडर की बात फाइनली एक रिटायर्ड जनरल से हुई जिनकी उम्र 100 साल थी...😎 

नए कमांडर उनसे फोन पर बोले:-
आपको डिस्टर्ब करने के लिए क्षमा चाहता हूं सर...
मैं उस कैम्प का नया कमांडर हूं...
जिसके आप, 60 साल पहले कमांडर हुआ करते थे...😄
मैंने यहां दो सिपाहियों को एक बैंच की पहरेदारी करते देखा है...😄

क्या आप मुझे इस बैंच के बारे में कुछ जानकारी दे सकते हैं..?ताकि मैं समझ सकूं कि, इसकी पहरेदारी क्यों आवश्यक है..? 😄

सामने वाला फोन पर आश्चर्यजनक स्वर में बोला:-

क्या ❓उस बैंच का "ऑइल पेंट" अभी तक नहीं सूखा..❓ 😀

समाज में कई रीति रिवाज अभी ऐसे ही बने हुए है। कभी अतीत में जाकर कारण पूछें।
😂😂💯😂😂

जातीय जनगणना

जातीय जनगणना किये जाने पर खुलेंगे कई राज। कांग्रेस नें अपने 60साल के  राज में क्यों नहीं करवाई जातीय जनगणना। अब ऐसे हल्ला मचा रहे हैं जैसे इसके बिना कोई पहाड़ टूट रहा होगा। 
बिहार में गठबंधन की सरकार में जातीय जनगणना कराई तो कहते हैं की यह ठीक नहीं हुई। दरअसल राहुल गाँधी को तो सिर्फ कोई मुद्दा चाहिए हल्ला मचाने को। उन्हें नहीं पता की इससे क्या फायदा या नुकसान होगा? 
राहुल गाँधी को इतने बड़े होगा जाने पर भी अधिकांश विभागों के बारे में नहीं पता। किसी एक मंत्रालय के बारे में वे दस मिनट भी बोल नहीं सकते। आज उनकी बातों का मज़ाक़ ही उड़ाया जाता है।

सिंथेटिक दूध