शनिवार, 16 मार्च 2024
नकली दवा का कारोबार
नकली दवाई, आतंकवाद जैसी कार्यवाही
देश में नकली दवाइयां बनाकर बेचने वाले माफिया सक्रिय हैं। उन्हें इस बात से कोई सरोकार नहीं की उनके इस कुकृत्यों से लोगों की जान भी जाती है। उन्हें तो सिर्फ धन कमाने की आपदा है फिर चाहे कुछ भी हो। इस माफिया गिरोह में नकली दवाई बनाने वाला, उससे दवाई लेकर बेचने वाला, दवाई खरीदने वाले अस्पताल के कर्मचारी- डॉक्टर आदि सभी जिम्मेदार हैं। जिस जगह दवाई बन रही है उस जगह के ड्रग अधिकारी भी जिम्मेदार हैं। नकली दवाई- इंजेक्शन आदि का इस्तेमाल आतंकवाद जैसी कार्यवाही है। जिसमे न जाने कितने लोगों की जान चली जाए।
नकली दवाई का कारोबार आपस मे मिलीभगत के कारण फलफूल रहा है। नकली दवा बनाने वाला, बनवाने वाले से लेकर सीधे अस्पताल के डॉक्टर- कर्मचारी का आपस मे गठबंधन ही नकली दवा के कारोबार को बढ़ावा दे रहे हैं। कैंसर जैसी बीमारी के मरीज को कैंसर की नकली दवा दी जायेगी तो सोचो मरीज का क्या हाल होगा। वह तो बेचारा पहले ही केंसर जैसी बीमारी से मरनासन्न पड़ा है ऊपर से उसे मिल रही है नकली दवा- इंजेक्शन।
समझ मे नहीं आता कि इन नकली दवाई- इंजेक्शन बेचने, बनाने, इस्तेमाल करने वालो के भी तो बीबी- बच्चें होते होंगे। इन लोगो को ऊपर वाले कि लाठी से डर नहीं लगता। कल को इनके परिवार में ऐसी बीमारी आये और उन्हें नकली दवाइयां मिले और बच न पाएं तब उन्हें कैसा लगेगा?
सरकार को इस विषय मे बहुत कठोर कदम उठाने चाहिए। प्रत्येक राज्य के प्रत्येक जिले के सम्बंधित अधिकारियों को कड़े निर्देश देने चाहिये। दरअसल सबको सब पता होता है। इसलिये कोई फैक्ट्री में चैकिंग को नहीं जाता। फिर फैक्ट्री वाला चाहे नकली दवा बनाये या असली। अनेको डॉक्टर अपना साल्ट बताकर बहुत सस्ती दवाई बनवाकर उस पर बहुत ज्यादा प्रिंट छपवा कर अपने मरीजो को देते हैं। पता नहीं उनकी पैसे की भूख कब शांत होगी?
नकली दवाई- इंजेक्शन आदि बनाने वाले को, बनवाने वाले को, इस्तेमाल करने वाले अस्पताल के डॉक्टर- कर्मचारियों को कठोर सजा मिलनी चाहिए। उन पर रासुका लगनी चाहिये। यह तो आतंकवाद जैसी कार्यवाही है।
सुनील जैन राना
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