शनिवार, 22 जुलाई 2023

मणिपुर हिंसा

मणिपुर से जो तस्वीर आई है क्या आप उस पर अपनी राय बना रहे हैं? तो ठहर जाइए और कुछ बिंदुओं पर विचार कीजिए। आपको स्वयं समझ में आ जाएगा आप कितने मूर्ख हैं। मणिपुर में हिंसा महीनों से चल रहा है और आपका उद्वेलन दिन दो दिन में आरंभ हुआ है। प्रथम प्रश्न तो यही है कि क्या आपके संवेदना का स्तर इतना गिर गया है कि जहां महीनों से हजारों घर जलाए जा रहे हैं, 400 से अधिक स्त्रियों के साथ अन्याय हुआ है और आप को सब पता है फिर भी क्या आप प्रतीक्षा में थे कि ऐसी कोई तस्वीर सामने से आएगी, तब आप अपनी राय बनाएंगे? कोई बात नहीं। आपने देर से ही राय बनाई और कम से कम दो स्त्रियों के प्रति ही अपनी संवेदना दिखाई। लेकिन कुछ सवाल तो हैं। अपराधी और पीड़ित का कभी भी समुदाय अथवा जाति नहीं देखनी चाहिए। न्याय का प्रथम सिद्धांत यही है। लेकिन दो समुदायों के बीच जब हिंसा की बात होगी और एक समुदाय से 400 स्त्रियों के साथ अन्याय हुआ हो तथा दूसरी समुदाय से दो स्त्रियों के साथ अन्याय हुआ हो और आपसे पूछा जाए आपको किसी एक समुदाय के पक्ष में खड़ा होना है, आप क्या चुनेंगे? आपका उत्तर होगा नहीं 2 हो अथवा 400, गलत गलत है। और हम दोनों ही के साथ खड़े हैं। लेकिन यह उत्तर आपका पाखंड भरा उत्तर है। क्योंकि आपने चुनाव कर लिया है। आपने 2 को चुन लिया है। फिर आप कहेंगे 2 को ही चुन लिया है तो इसमें क्या गलत है? आखिर में न्याय तो उसे भी मिलना चाहिए। तो इसका जवाब जानिए- मैतेई समुदाय और कुकी समुदाय, मुख्यतया दो समुदायों के बीच टकराव है। मैतेई समुदाय के जनजाति हिंदू है और कुकी समुदाय की जनजाति इसाई। जनजातियों के ईसाई में धर्मांतरण की अलग कहानी है। 1961 की जनगणना डाटा के अनुसार अरुणाचल प्रदेश में ईसाईयों की आबादी 1% से भी कम थी। 2011 में 30% से अधिक हो गई‌। ईसाइयों की ठीक यही स्थिति मणिपुर में आजादी के समय थी। नेहरू वाली कांग्रेस के षड्यंत्र से मणिपुर में धर्मांतरण का खेल इतना खतरनाक हुआ कि 2011 की जनगणना के अनुसार ईसाइयों की जनसंख्या 41% से ऊपर चली गई। मैतेई हिंदू समुदाय मणिपुर की स्वदेशी समुदाय है जिसकी भी 41% जनसंख्या है। धर्मांतरण से ईसाइयों की जनसंख्या को 70 सालों में बराबर कराया गया। ईसाई कुकी समुदाय को अनुसूचित जनजाति का दर्जा मिला और विधानसभा की 60 सीटों में से 19 सीट पर आरक्षण मिल गया। हिंदू मैतेई जनजाति को ये दर्जा नहीं प्राप्त है, इसके लिए मैतेई समुदाय लगातार मांग करता रहा है। कुकी जनजाति को यह मांग पसंद नहीं है। इसलिए वे विरोध में अपने लिए अलग राज्य की मांग कर रहे हैं। इसके लिए हिंसा भी कर रहे हैं। कुकी इसाई जनजाति द्वारा मणिपुर की स्थिति कश्मीर जैसी कर दी गई। उन्होंने सेना के विरुद्ध हथियार उठा लिए। आफ्सपा लागू होने के कारण सेना के पास स्थिति नियंत्रण का पूरा अधिकार था। कुकी जनजाति की महिलाएं जिसके लिए नग्न होकर सेना के खिलाफ प्रदर्शन करती रही हैं। उन्होंने सेना को रेपिस्ट बताते हुए बैनरों का अपने प्रदर्शन में इस्तेमाल किया है। हथियार उठाए कुकी मिलिटेंट्स जब जेलों में वहां बंद कर दिए जाते हैं तो उन्हें जेल तोड़कर बाहर निकाल लिया जाता है। क्योंकि सेना के पास आफ्सपा की शक्ति नहीं होने के कारण स्थिति पर नियंत्रण नहीं हो पाता। पिछले महीनों से हो रही हिंसा को नियंत्रित करने के लिए जब केंद्र सरकार स्पेशल फोर्स भेजती है, तब कुकी समुदाय के महिलाओं को ट्रकों में भरकर ले जाया जाता है और सेना का रास्ता रुकवाया जाता है। इसी आर में कुकी मिलिटेंट्स मैतेई हिंदुओं के घर जलाते हैं तथा उनकी महिलाओं के साथ हिंसा करते हैं। मणिपुर से जो नग्न महिलाओं की तस्वीर आई है वे कुकी समुदाय की वही महिलाएं हैं जो नग्न होकर भारतीय सेना का विरोध करती हैं और उन्हें रेपिस्ट बताती हैं। उन्हीं दो नग्न महिलाओं को वीडियो में ले जाता हुआ दिखाई पड़ रहा है। उन दो स्त्रियों के साथ कुछ गलत हुआ भी या नहीं, इसका डिजिटल युग में भी कहीं कोई प्रमाण नहीं है। बड़ा उचित समय जानकर एक एजेंडा के तहत, देश और संसद सत्र की स्थिति खराब करने के लिए, कहीं महीनों बाद उस वीडियो को रिलीज किया गया है। जिसके लिए इंफाल से लेकर दिल्ली तक हाहाकार मच गया है। जब हिंदू समुदाय को न्याय दिलाने की बात थी तो सुप्रीम कोर्ट याचिका को स्वीकार करने से भी नकार दिया था। आज वही सुप्रीम कोर्ट मामले में बलात् हस्तक्षेप के लिए सरकार को धमकी दे रहा है। नैरेटिव इतना मजबूत कि कुकी समुदाय को पीड़ित सिद्ध करने का प्रयास किया जा रहा है। स्वाभाविक मैतेई समुदाय अपराधी सिद्ध हो जाएगा। देश की आम जनता भी इस बात को नहीं समझ पा रही। साभार

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