सोमवार, 2 जनवरी 2023
जैनों पर आई राष्ट्रीय आपदा
*जैनों पर आई राष्ट्रीय आपदा*
सम्मेद शिखरजी, गिरनारजी, पालीताणा, हस्तिनापुर, चूलगिरी(जयपुर), मंदारगिरि सिद्धक्षेत्र (बांका, विहार) आदि अनेक सिद्ध क्षेत्रों, तीर्थक्षेत्रों से समाचार आ रहे हैं क्षेत्र को अपवित्र करने वाली अनियंत्रित भीड के। ये अचानक कैसे आने लगे। कुछ विचारणीय विन्दु-
* जैन तीर्थक्षेत्रों पर अचानक इतनी भीड इकाइक कहां से आ रही है। प्रायोजित है या आकर्षक या श्रद्धा।
* इस भीड में कोई मुस्लिम, सिख, ईसाई नहीं हैं केवल सनातनी हिन्दु है।
* ये धार्मिक दर्शनार्थी तो नहीं हैं क्योंकि ना ये जूते, चप्पल उतारते हैं, ना हाथ पैर, मुह धोतै हैं। ना दर्शन करते है ना जय बोलते हैं, ना कुछ चढाते हैं।
* शुद्ध पयर्टक भी नहीं है। इनकी ना कुछ जानने की इच्छा है ना समझने की। ना पवित्रता का ध्यान रख रहे हैं ना मर्यादा का।
* ये उग्र, प्रशिक्षित भीड है। जिनका उद्देश्य अराजकता और भय फैलाना है।
* शिकायत करने पर ना राज्य कुछ सुनता है ना प्रशासन। लगता है ,सबकी मिली भगत है।
* क्या ये कहीं जैन धर्म, जैन समाज को नष्ट करने की राष्ट्रीय साज़िश तो नही है? अगर है तो इसे जैन राष्ट्रीय आपपदा समझना चाहिए।
* और अगर ऐसा नही भी है तो भी अब राष्ट्रीय स्तर पर सोचने का समय हो। चाहे छोटा मन्दिर हो या बडा तीर्थ। इसी प्रकार चतुर्विध संघ के विहार के समय सुरक्षा व्यवस्था भी विचारणीय है।
* सच्चा सनातनी हिन्दु ना हिंसक हो सकता है ना अराजक। कुछ सत्ता लोलुपी अपने नेतृत्व कायम करने के लिए हिन्दुधर्म का दुरुपयोग कर रहे हैं- ये बात सार्वजनिक होना चाहिए और अशान्ति फैलाने वाले वेनकाव होना चाहिए।
* क्या अल्पसंख्यक आयोग सो रहा है। उसे जगायें। ये कब काम में आयेगा। जैन अल्पसंख्यक होने का मतलव क्या है? बहुसंख्यक से खतरा नहीं है खतरा है बहुसंख्यक का भय दिखाकर अराजकता फैलाने वालों से।
* राष्ट्रीय जैन प्रकोष्ठ की स्थापना का समय आ गया है। जो जैन धर्म की, तीर्थों की, सन्तों की एवं जैन समाज की सुरक्षा एवं विकास कार्य के लिए संवैधानिक रूप से सक्षम हो।
* अभी माहोल अनुकूल है इस दिशा में भी चिन्ता करनी चाहिए।
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