रविवार, 20 फ़रवरी 2022

सब जीत रहे हैं, हारेगा कौन?

सब जीत रहे हैं, हारेगा कौन ? पांच राज्यो में चुनाव हो रहे हैं। सभी दलों के मुखिया हार जीत का अनुमान लगा रहे हैं। अभी तक टीवी चैनलों पर एग्जिट पोल आ रहे थे लेकिन अब एग्जिट पोल पर प्रतिबंद लगा दिया गया है।चुनावो के पूर्ण होने तक किसी भी प्रकार के एग्जिट पोल पर प्रतिबंद लगा दिया गया है। एग्जिट पोल भी कमाल की चीज है।एग्जिट पोल में टीवी चैनल जिसको अधिक सीटे मिलना बताते है तो अन्य दल उस चैनल को बिका हुआ करार दे देते है। यही चैनल यदि दूसरे राज्य में जीता हुआ बता देते हैं तो फिर वही चैनल निष्पक्ष दिखाई देता है। खैर कुछ भी हो टीवी पर एग्जिट पोल देखना सबको अच्छा लगता है। लेकिन अब चुनावो तक देख नही पाएंगे। चुनावों में एक मज़ेदार बात यह भी है की सभी दलों के मुखिया प्रवक्ता अपने आप को जीतता हुआ बताते हैं। यहां तक की निर्दलीय भी जीत का ख्बाब देखना नही भूलते। यह भी सत्य है की कहीं कहीं सबको पछाड़ते हुए निर्दलीय बाज़ी मार ले जाते हैं। ऐसा दो कारणों से होता है या तो निर्दलीय की साख बहुत हो या फिर वो बाहुबली हो। कुल मिलाकर ऐसा लगता है की यदि सब जीत रहे हैं तो फिर हारेगा कौन ? उत्तर प्रदेश में बीजेपी, सपा में टक्कर की लड़ाई चल रही है। बसपा पीछे है और कांग्रेस नीचे है, बाकी सबका पता नही कहाँ हैं। इन चुनावों में एक बात पहली बार हो रही है की चुनाव में विकास और सुशासन पर जनता अधिक ध्यान दे रही है। यह भी महत्वपूर्ण है की पिछले चुनावों में सभी दलों का रुझान मुस्लिम वोटरों पर रहता था इस बार हिन्दू वोटो को लुभाने की फिराक में सभी दल लगे है। जो कभी मन्दिर नही जाते थे वे मंदिरो के चक्कर लगा रहे हैं। ओवैसी जो सिर्फ मुसलमानों की बात करते थे उन्हें भी हिंदुत्व का याद आ रहा है। सुखद बात यह है की इस बार जातिवाद के मुकाबले विकास औऱ सुशासन पर जनता का अधिक जोर है जो भारतीय लोकतंत्र के लिये बहुत हितकारी है। सुनील जैन राना

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